World Pharmacist Day 2021 हर साल 25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाया जाता है। फार्मासिस्ट दवा और औषधि के ज्ञाता होते हैं और दवा केंद्रों में काम करते हैं। FIP World Congress of Pharmacy and Pharmaceutical Sciences की मीटिंग में विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाने के लिए वोट किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य फार्मेसी से जुड़े लोगों के सराहनीय कार्यों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करना है।
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World Pharmacist Day 2021: जानिए मुख्य बिंदुओं के माध्यम से
- हर साल 25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाया जाता है।
- इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) ने विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाने की शुरुआत की थी।
- FIP फार्मासिस्ट और फार्मास्युटिकल वैज्ञानिकों के राष्ट्रीय संघों का वैश्विक महासंघ है।
- NIRF इंडिया रैंकिंग 2015 में शुरू की गई थी और 2021 रैंकिंग इस सिस्टम का छठा एडिशन है।
- फार्मासिस्ट दवा और औषधि के ज्ञाता होते हैं और दवा केंद्रों में काम करते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में फार्मासिस्ट का बहुमूल्य योगदान रहता है।
- इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य फार्मेसी से जुड़े लोगों के सराहनीय कार्यों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करना, फार्मेसी क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
- वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे 2021 की इस साल की थीम:फार्मासिस्ट ऑलवेज ट्रस्टेड फॉर योर हेल्थ यानि फार्मासिस्ट हमेशा आपके स्वास्थ्य के लिए भरोसेमंद है।
- भारत में फार्मासिस्ट के जनक महादेव लाल श्रॉफ को माना जाता है।
- फार्मासिस्ट बनने के लिए 12वीं की कक्षा में सांइस स्ट्रीम से पास होना आवश्यक है। जिसमें बॉयोलॉजी, फिजिक्स और कमेस्ट्री में 50 प्रतिशत के साथ पास होना चाहिए।
- तत्वदर्शी संत रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर, मर्यादा में रहकर भक्ति करने से सभी रोगों का रामबाण इलाज संभव है।
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacist Day)?
हर साल 25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacist Day 2021) मनाया जाता है। फार्मासिस्ट दवा और औषधि के ज्ञाता होते हैं और दवा केंद्रों में काम करते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में फार्मासिस्ट का बहुमूल्य योगदान रहता है। आसान शब्दों में कहें तो फार्मासिस्ट रोगी की देखभाल करने के साथ ही चिकित्सक टीम के सदस्य होते हैं।
इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) ने साल 2009 में तुर्की के इस्तांबुल में FIP World Congress of Pharmacy and Pharmaceutical Sciences की मीटिंग में विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाने के लिए वोट किया था। उस साल से विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इसका मुख्य उद्देश्य फार्मेसी से जुड़े लोगों के सराहनीय कार्यों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करना है। साथ ही फार्मेसी क्षेत्र को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है।
25 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे (World Pharmacist Day)?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर 25 सितंबर को ही वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे क्यों मनाया जाता है, किसी अन्य दिन क्यों नहीं। इसके पीछे का कारण यह है कि 25 सितंबर 1912 को इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) की स्थापना हुई थी। यह फार्मासिस्टों और दवा वैज्ञानिकों के राष्ट्रीय संघों का एक वैश्विक संघ है। 2009 में तुर्की के इस्तांबुल में एफआईपी परिषद ने प्रस्ताव दिया कि फार्मेसी क्षेत्र को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 25 सितंबर को फार्मासिस्ट दिवस मनाया जाना चाहिए क्योंकि इसी दिन एफआईपी की स्थापना भी हुई थी। इसी कारण से 2009 के बाद से ही हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे मनाया जाता है।
वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे पर जानिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में फार्मासिस्टों की भूमिका
स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट काफी अहम भूमिका निभाते है। फार्मासिस्ट द्वारा नई दवाइयों को तैयार करना। उनकी खोज करना। विभिन्न प्रकार के टीके का आविष्कार करना तथा बड़ी संख्या में बाजार में पहुंचाना फार्मासिस्ट का अहम रोल होता है। यह नई दवाई का प्रशिक्षण, खोज और रिसर्च करते हैं। दवाओं को बनाना, उसे सुरक्षित रखना जैसे कार्य इनके कंधे पर होता है।
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दुनिया में फार्मासिस्ट की काफी जरूरत है। किसी भी देश में फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग की रीड़ की हड्डी होती है। देश में जितना महत्व डॉक्टर का होता है उतना ही महत्व फार्मासिस्ट का भी होता है। साथ ही इन्हें दवाईयों के बारे में भी पता होना चाहिए जिसमें टेबलट, कैप्सूल, इंजेक्शन, सीरप ( मुंह से पीने वाली दवा) के बारे में जानकारी होती है।
क्या है वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे का महत्व (Importance of World Pharmacist Day)?
चिकित्सा क्षेत्र में फार्मसिस्ट का अहम योगदान होता है। खासकर कोरोना महामारी के दौर में फार्मासिस्टों ने अहम भूमिका निभाई है। दुनियाभर में फार्मासिस्टों ने कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह न कर लोगों की जान बचाई। इसके लिए फार्मासिस्ट को फ्रंट लाइन वर्कर्स कहा जाता है और जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई, तो सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स को ही टीका लगाया गया। फार्मासिस्ट आपात स्थिति में रोगी के लिए देवदूत समान बन जाते हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में फार्मासिस्ट आपातकालीन समय में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज को उचित दवाएं देकर उनको तत्काल राहत देते हैं। इसके बाद पीड़ित को अस्पताल ले जाने की सलाह ही जाती है।
कैसे मनाते हैं वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे?
इस दिन को और यादगार बनाने के लिए World Pharmacists Day से संबंधित कोट्स,, स्टेटस, फार्मासिस्ट और उनसे संबंधित लोगों को अपना आभार व्यक्त करते हैं और इन्हें ऑनलाइन सोशल मीडिया यानी कि व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से साझा कर सकते हैं।
भारत में फार्मासिस्ट के जनक कौन थे?
भारत में फार्मासिस्ट के जनक महादेव लाल श्रॉफ को माना जाता है। इन्होंने फार्मेसी क्षेत्र में काफी योगदान दिया है। इन्होंने पहली बार बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में 3 वर्षीय फार्मेसी पाठक्रम शुरु किया था।
फार्मासिस्ट बनने के लिए कैसे करें पढ़ाई?
फार्मासिस्ट बनने के लिए 12वीं की कक्षा में सांइस साइड से पास होना आवश्यक है। जिसमें बॉयोलॉजी, फिजिक्स और कमेस्ट्री में 50 प्रतिशत के साथ पास होना चाहिए। 12वीं क्लास पास होने के बाद राज्य सरकार द्वारा एक फार्म निकाला जाता है। जिसकी परीक्षा करायी जाती है। जो विद्यार्थी इस परीक्षा को पास करता है तो उसके रैंक के आधार पर सरकारी या निजी कॉलेज दिया जाता है। यह कोर्स 4 वर्ष का होता है। बी-फार्मा की पढ़ाई पूरी होने के बाद राज्य सरकार से एक सर्टिफिकट दिया जाता है। उसके बाद निजी या किसी संस्था के साथ अपनी केमिस्ट की दुकान चला सकता है। या किसी दवा बनाने वाली कम्पनी में जाकर दवा बना सकता है।
डी फार्मा (D. Pharma) क्या होता है? यह क्यों किया जाता है?
डी-फार्मा के लिए भी बी-फार्मा जैसी पढ़ाई करनी पड़ती है। इसके तहत 2 वर्ष का डिप्लोमा कराया जाता है। जिससे आप अपनी निजी मेडिकल स्टोर या दुकान खोल सकते हैं।
बी फार्मा, डी फार्मा, की पीएचडी डिग्री है सतभक्ति
इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक फार्मासिस्ट समाज में मेडिकल की क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान किंतु सत भक्ति करने वाला एक व्यक्ति तत्वज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति से,मेडिकल के क्षेत्र में समाज सुधार के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में और आत्म कल्याण के क्षेत्र में और तकरीबन हर क्षेत्र में मूल योगदान प्रदान करता है। एग्जांपल के लिए एक फार्मासिस्ट बीमार व्यक्ति को दवा दे सकता है किंतु एक सत भक्ति करने वाला व्यक्ति ऐसी दवा बता सकता है जिससे कभी कोई बीमारी कोई दुख होगा ही नहीं । इसी से आप समझ सकते हैं के बी फार्मा डी फार्मा की मास्टर डिग्री है सत भक्ति।
तत्वदर्शी “संत रामपाल जी महाराज” दे रहे हैं फार्मासिस्ट के क्षेत्र में सर्वोच्च योगदान
विश्व समाजसुधारक व स्वयंसेवी संत रामपाल जी महाराज जी का कहना है कि मुझ दास से प्राप्त सत भक्ति और सत मंत्रों को नियम मर्यादा में रहकर अगर कोई व्यक्ति उसका पालन जीवनपर्यंत तक करेगा तो उसे किसी भी प्रकार की कोई भयंकर बीमारी नहीं होगी। उनकी अकाल मृत्यु भी नहीं होगी।
लाखों ऐसे उदाहरण भी हैं जब लोगों की कैंसर , एड्स और कोरोना जैसी बीमारियां भी ठीक हो गई। यही कारण है दिनोंदिन तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की ख्याति बढ़ती जा रही है और देश और दुनिया से तमाम लोग उनसे जुड़ते जा रहे हैं। कमाल की बात यह भी है कि उनका आध्यात्मिक ज्ञान सभी धर्मों के सदग्रंथों से प्रमाणित है।मर्यादा में रहकर भक्ति करने वाले संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों को किसी भी प्रकार से वायरस का कोई डर न था जबकि समाज में रहने वाले अन्य लोग कोरोना के नाम से ही भयभीत थे।
संत रामपाल जी के पास है सभी रोगों का रामबाण इलाज
(तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर नियम मर्यादा में रहकर भक्ति करने से सभी बीमारियों का रामबाण इलाज सौ प्रतिशत संभव है ) जो लोग भयंकर बीमारियों से पीड़ित थे दिन-रात पानी की तरह पैसा बहा कर भी सुखी न थे या जिनके पास इलाज के लिए पैसा ही नहीं था, साथ ही साथ अन्य घरेलू समस्याएं भी थीं जिनसे लोग परेशान हो चुके थे , कई तो अपनी जीवन लीला समाप्त (आत्महत्या) करने के लिए भी सोच रहे थे। उसी दौरान उन्हें किसी प्रकार “तत्वदर्शी संत रामपाल जी” महाराज जी के बारे में पता चला तो उन्होंने उनसे “नाम दीक्षा” ली और मर्यादा निभाते हुए भक्ति की आज वही लोग रोग मुक्त होकर सुखी और आनंदमयी जीवन जी रहे हैं।
सभी बहन भाइयों से प्रार्थना है “तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी” द्वारा लिखित पुस्तक “ज्ञान गंगा“ अवश्य पढ़ें तथा यूट्यूब पर “Satlok Ashram” पर सत्संग देखें और आध्यात्मिक ज्ञान को समझें। नाम दीक्षा लें और मर्यादा में रहकर भक्ति करें व अपना और अपने सगे संबंधियों का कल्याण कराएं।
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सद्भक्ति से सर्व प्रकार के रोग दूर हो सकते हैं। शास्त्र अनुकूल साधना में ऐसी शक्ति है जो सर्व प्रकार की बीमारियां दूर कर सकती है। पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी एक ऐसी तत्वदर्शी संत है जो शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि देते हैं जिससे साधक के सर्व प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।