July 7, 2025

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

Published on

spot_img

Last Updatd on 20 July 2024 IST | हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?

कांवड़ यात्रा 2024 (Kanwar Yatra 2024) होगी या नहीं?

कोविड संकट को मद्देनजर रखते हुए कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका के बीच भारतीय सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के आदेशानुसार “कावड़ यात्रा 2021 (Kanwar Yatra 2021)” पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि कांवड़ यात्रा से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों का जीवन है, जिसे सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आते ही पुलिस विभाग ने सक्रिय होकर उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार में कांवड़ियों के आने पर प्रतिबंधित कर दिया था तथा जो प्रवेश कर रहे थे उन्हें वापस लौटा दिया गया था।

मुख्य बिंदु:-कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024 in Hindi) 

  • यह यात्रा इस साल 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त को होगी समाप्त।
  • शास्त्रानुकूल साधना नहीं है ‘कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024 in Hindi)‘।
  • शास्त्रविरुद्ध साधना से लाभ के स्थान पर होती है हानि।
  • भगवान शिव की भक्ति नही है सर्वोत्तम 
  • क्या है तीनों गुणों की उपासना का शास्त्रों में ज्ञान?

कांवड़ यात्रा क्यों निकाली जाती है? 

लोक मान्यता हैं कि यदि आप भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो कांवड़ यात्रा जरूर करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग पर गंगा का पवित्र जल चढ़ाने से भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं, परन्तु ये विधि शास्त्रविधि के विरुद्ध है और शास्त्रों में प्रमाण है कि जो भी साधक शास्त्रों में बताई गयी साधना को न करके मनमाना आचरण करता है उसे कोई भी लाभ नही होता है अपितु हानि होती है।

कांवड़ यात्रा का इतिहास (History of Kanwar Yatra)

मान्यता के अनुसार सागर मंथन के समय 14 रत्नों में एक विष निकला तो भगवान शिव ने विष को पीकर सृष्टि की रक्षा की। लेकिन विष पीने से उनका कंठ नीला पड़ गया और उसी के कारण उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। 

Read in English: Untold Story of Kanwar Yantra 

कहते हैं कि विष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया था। कांवड़ यात्रा की परंपरा यहीं से प्रारंभ हुई। दूसरी मान्यता के अनुसार विष प्रभाव को समाप्त करने के लिए देवताओ ने श्रावण के महीने में शिव जी पर गंगा जल चढ़ाया था और कांवड़ यात्रा की शुरुआत तभी से हुई।

कांवड़ यात्रा करने से क्या कोई लाभ होता है?

यदि मान्यता के अनुसार कहें तो कांवड़ यात्रा करने से अश्व मेघ यज्ञ का फल मिलता है। परंतु हिन्दू धर्म के पवित्र सद्ग्रन्थों में इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। 

  • कांवड़ यात्रा सावन के महीने में की जाती है और सावन के महीने में बहुत से जीवों की उत्पत्ति होती है जो हमारे यात्रा करने से पैरों तले कुचलकर मर जाते हैं। 
  • सन्तों का कहना है सावन के महीने में तो घर से बाहर भी कम ही निकलना चाहिए ताकि जीव हत्या के पाप से बच सकें।
  • क्योंकि जितने जीव प्रतिदिन हमसे मरते हैं उससे कई गुना अधिक जीव सावन के महीने में यात्रा के दौरान एक ही दिन में मारे जाते हैं जिसका पाप यात्री को लगता है। 
  • तो कांवड़ यात्रा करना बिल्कुल व्यर्थ है क्योंकि इससे हमें लाभ की बजाय उल्टा हानि ही होती है और यदि यह मान भी लें कि कांवड़ यात्रा करने से अश्व मेघ यज्ञ का पुण्य मिलता है तो पुण्य तो एक हुआ पर करोड़ो जीवों की हत्या का पाप अलग से लग गया। 

कांवड़ यात्रा 2024 विशेष: श्रीमद्देवीभागवत पुराण में स्पष्ट रूप से लिखा है कि भगवान शिव और अन्य त्रिगुणमयी देवता जन्म और मृत्यु बंधन में बंधे हुए हैं। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के तीसरे स्कंध में भगवान शंकर आदिशक्ति की स्तुति में स्वयं स्पष्ट करते हैं – “मैं (शिव), ब्रह्मा तथा विष्णु तुम्हारी कृपा से विद्यमान है। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) और तिरोभाव (मृत्यु) होती है हम नित्य (अविनशी) नहीं है तुम ही नित्य हो, प्रकृति हो, सनातनी देवी हो।” अतः यह स्पष्ट होता है कि भगवान शिव, ब्रह्मा जी, विष्णु जी जन्म और मृत्यु बंधन में बंधे हुए हैं। 

कांवड़ यात्रा 2024: भगवान शिव इस सृष्टि को चलाने वाले तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) में से हैं। ये देवता तीन गुणों के स्वामी हैं – रजगुण, सतगुण और तमगुण। शिव तमगुण प्रधान हैं तथा सृष्टि के संहार में योगदान देते हैं। गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में परमात्मा को पाने के लिए मात्र ओम तत सत का उद्धरण है, अन्य किसी का नहीं। ये मंत्र ही व्यक्ति का कल्याण कर सकते हैं किंतु ये मंत्र किसी तत्वदर्शी संत द्वारा बताए होने चाहिए। इन मंत्रों के जाप से विश्व की सभी शक्तियां अपने स्तर का लाभ साधक को देने लगती हैं तथा साधक सुख प्राप्ति के साथ साथ मोक्ष का अधिकारी भी बनता है। भगवान शिव का मंत्र तत्वदर्शी संत द्वारा लेकर जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा अपने स्तर का लाभ साधक को प्रदान करते हैं।

कांवड़ यात्रा 2024: गीता में कालब्रह्म ने स्पष्ट किया है कि तीन गुणों से जो कुछ भी हो रहा है उसका कर्ता धर्ता वही है (अध्याय 7 श्लोक 12)। सारा संसार मात्र तीनों गुणों की भक्ति तक सीमित है जो पूर्ण परमात्मा से भी पूर्णतः अपरिचित है। केवल तीन गुणों की भक्ति करने वाले और अन्य परमात्मा को न भजने वाले गीता अध्याय 7 श्लोक 15 में असुर स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले और मूर्ख ठहराए गए हैं। वास्तव में गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में काल ब्रह्म ने बताया है कि तत्वदर्शी संत ही सतज्ञान का उपदेश करते हैं और तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने सर्व शास्त्रों के आधार पर स्पष्ट किया है कि तीनों, गुण प्रधान देवता अपने माता-पिता आदिशक्ति और काल ब्रह्म/ ज्योति निरंजन के आधीन हैं  और ज्योति निरंजन स्वयं पूर्ण परमात्मा कविर्देव के आधीन है जिसकी महिमा वेदों में गाई गई है। एक मनुष्य केवल पूर्ण परमात्मा की भक्ति से ही मोक्ष पा सकता है। केवल उसकी भक्ति से ही संसार के सर्व लाभ और मोक्ष की प्राप्ति स्वतः ही हो जाएगी। संत रामपाल जी महाराज ने भक्ति की अद्भुत विधि बताई है जिसके माध्यम से साधक भौतिक सुख अर्थात लौकिक सुख और मोक्ष प्राप्ति दोनों करता है। 

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने किया काँवड़ यात्रा का भेद स्पष्ट

कांवड़ यात्रा 2024: तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज काँवड़ यात्रा के भेद को उजागर करते हुए बताते हैं कि हिन्दू धर्म के पवित्र चारों वेद व पवित्र गीता जी मे कहीं भी कांवड़ यात्रा करने का जिक्र व आदेश नहीं है जिस कारण यह मनमाना आचरण हुआ और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में यह स्पष्ट किया गया है कि मनमाना आचरण करने वालों को कोई लाभ नहीं मिलता और न ही उनकी गति (अर्थात् मोक्ष) होती हैं तो इससे स्पष्ट होता है कि कांवड़ यात्रा निकालना व्यर्थ है, शास्त्र विरुद्ध है और अंध श्रद्धा भक्ति के तहत आता है। शास्त्र अनुसार साधना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानने के लिए अवश्य डाउनलोड करे Saint Rampal Ji Maharaj App.

FAQ About Kanwar Yatra 2024 [Hindi]

आखिर केवल सावन (श्रावण मास) के महीने में ही क्यों की जाती हैं कांवड़ यात्रा?

कांवड़ यात्रा का इतिहास भगवान शिव से संबंधित है जिसमें शिव भगवान ने समुंद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीकर सृष्टि की रक्षा की। जिसके पश्चात शिव भगत रावण तथा अन्य देवताओं द्वारा कांवड़ में जल भरकर भगवान शिव को विष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त करने हेतु जलाभिषेक किया  गया था। तब से ही कांवड़ प्रथा प्रचलित हो गई।

सर्वप्रथम किसने प्रारम्भ की कांवड़ प्रथा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार परशुराम जी ने सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश के बागपत के पास स्थित पूरा महादेव का कावंड़ से गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था।

कांवड़ कितने प्रकार के होते हैं?

कांवड़ कई प्रकार के होते हैं जैसे झूला कांवड़, खड़ी कांवड़, डाक कांवड़। जिसमें से सबसे प्रचलित झूला कांवड़ है।

कांवड़िया कौन होते हैं?

शिवभगत श्रावण के महीने में बांस की लकड़ी पर दोनों तरफ टोकरियों में पवित्र स्थान पर पहुंचकर उसमे गंगाजल रखकर यात्रा करते हैं, उन्हीं को  कांवड़िए कहा जाता है।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

Guru Purnima 2025: Know about the Guru Who is no Less Than the God

Last Updated on 6 July 2025 IST| Guru Purnima (Poornima) is the day to...

Guru Purnima 2025 [Hindi]: गुरु पूर्णिमा पर जानिए क्या आपका गुरू सच्चा है? पूर्ण गुरु को कैसे करें प्रसन्न?

Guru Purnima in Hindi: प्रति वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, शुक्रवार को आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन भारत में मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हम गुरु के जीवन में महत्व को जानेंगे साथ ही जानेंगे सच्चे गुरु के बारे में जिनकी शरण में जाने से हमारा पूर्ण मोक्ष संभव है।  

The History of the Spanish Inquisition: When Faith Was Used to Control

The Spanish Inquisition was not a random burst of religious zeal, it was an...

Understanding Video Game Addiction: An Emerging Concern

Video Game Addiction: Each individual enjoys indulging in their favourite activities, but the question...
spot_img

More like this

Guru Purnima 2025: Know about the Guru Who is no Less Than the God

Last Updated on 6 July 2025 IST| Guru Purnima (Poornima) is the day to...

Guru Purnima 2025 [Hindi]: गुरु पूर्णिमा पर जानिए क्या आपका गुरू सच्चा है? पूर्ण गुरु को कैसे करें प्रसन्न?

Guru Purnima in Hindi: प्रति वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, शुक्रवार को आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन भारत में मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हम गुरु के जीवन में महत्व को जानेंगे साथ ही जानेंगे सच्चे गुरु के बारे में जिनकी शरण में जाने से हमारा पूर्ण मोक्ष संभव है।  

The History of the Spanish Inquisition: When Faith Was Used to Control

The Spanish Inquisition was not a random burst of religious zeal, it was an...