September 19, 2024

37वां संत रामपाल जी बोध दिवस और 506वां कबीर साहेब निर्वाण दिवस कार्यक्रम हुआ सम्पन्न

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37वें संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और 506वें कबीर परमेश्वर के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य पर भारत सहित नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में महाविशाल कार्यक्रम मंगलवार यानी 20 फरवरी को सम्पन्न हुआ जिसमें लाखों की तादाद में 4 दिन तक लोगों की आवाजाही बनी रही। वहीं संत रामपाल जी के सानिध्य में आध्यात्मिक, सामाजिक कार्यों का भी आयोजन सभी आश्रमों में हुई। जानिए महासमागम की पूरी जानकारी।

  • 4 दिन चले खुले पाठ का हुआ समापन, भंडारे में पहुंचे लाखों लोग।
  • सैकड़ों दहेज रहित विवाह (रमैणी) के साथ हुआ हजारों युनिट रक्तदान
  • धनाना धाम में लगाया गया नेत्र जांच और दांत जांच शिविर
  • समागम में लगाई गई आध्यात्मिक प्रदर्शनी, लोगों में दिखा उत्साह
  • सत्संग के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने दिया मोक्ष का संदेश

17 फरवरी 1988 का वह शुभ दिन जब जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी को स्वामी रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त हुई थी, इस दिन की याद बनाए रखने और लोगों को सतभक्ति का संदेश देने के लिए प्रतिवर्ष 17 फ़रवरी को बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि सूक्ष्मवेद में कहा गया है:

गरीब, चंद्र सूर की आयु लग, जे जीव का रहै शरीर।

सतगुरु से भेटा नहीं, तो अंत कीर का कीर।।

वहीं आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व ब्राह्मणों ने भ्रांति फैला रखी थी कि ‘काशी में मरने वाला स्वर्ग और मगहर में मरने वाला नरक में जाता है व गधा बनता है।’ उस समय कबीर परमेश्वर ने ब्राह्मणों की इस भ्रांति को समाज से मिटाने के लिए वि. स. 1575 (सन् 1518) माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को सहशरीर सतलोक गए थे। उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले, जिन्हें आपस में बांटकर हिन्दू व मुसलमानों ने उसी स्थान पर 100-100 फीट की दूरी पर दो यादगार बना लीं थी, जोकि आज भी मगहर (वर्तमान जिला संत कबीर नगर, उत्तरप्रदेश) में विद्यमान हैं।

गरीब, मुक्ति खेत कूं तजि गये, मघहर में दीदार। 

जुलहा कबीर मुक्ति हुआ, ऊंचा कुल धिक्कार।।

गरीब, काशी पुरी कसूर क्या, मघहर मुक्ति क्यौं होय। 

जुलहा शब्द अतीत थे, जाति बर्ण नहीं कोय।।

गरीब, काशी पुरी कसूर योह, मुक्ति होत सब जाति। 

काशी तजि मघहर गये, लगी मुक्ति शिर लात।।

फूल मिले कफन के नीचे, पाया नहीं शरीर।

ऐसे समरथ आप थे, सतगुरु सत् कबीर।।

इस साल एक दिव्य संयोग था कि पूर्णब्रह्म के अवतार संत रामपाल जी महाराज का 37वां बोध दिवस और कबीर परमेश्वर का 506वां निर्वाण दिवस 17-18-19 व 20 फरवरी को एक साथ मनाया गया। जिसका समापन मंगलवार 20 फरवरी को भोग की वाणी के साथ हुआ।

संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के निर्वाण दिवस के अवसर पर संत गरीबदास जी महाराज के सतग्रन्थ (अमरग्रंथ) साहेब की अमरवाणी के खुले पाठ का शुभारंभ 17 फरवरी 2024 को हो गया था। जिसका समापन नेपाल सहित भारत के सभी 10 सतलोक आश्रमों, जैसे- सतलोक आश्रम धनाना धाम (सोनीपत) हरियाणा, सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र हरियाणा, सतलोक आश्रम भिवानी हरियाणा, सतलोक आश्रम धुरी पंजाब, सतलोक आश्रम खमाणो पंजाब, सतलोक आश्रम शामली उत्तर प्रदेश, सतलोक आश्रम सोजत राजस्थान, सतलोक आश्रम मुंडका दिल्ली, सतलोक आश्रम बैतूल मध्यप्रदेश और सतलोक आश्रम धनुषा नेपाल में मंगलवार 20 फरवरी 2024 को संत रामपाल जी के मुखारबिंद से उच्चारित अमरवाणी के साथ हुआ। जिसका सीधा प्रसारण Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel एवं Spiritual Leader Saint Rampal Ji Facebook Page तथा साधना टीवी चैनल पर भी किया गया। 

संत रामपाल जी महाराज के तत्वावधान में संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 18 फरवरी और 20 फरवरी को विशेष सत्संग का भी आयोजन किया गया, जिसका लाइव प्रसारण सोशल मीडिया के अलावा साधना टीवी पर भी किया गया। वहीं 20 फरवरी को समापन के साथ विशेष सत्संग का आयोजन हुआ जिसमें परमात्मा कबीर जी द्वारा परम आदरणीय धनी धर्मदास को तत्वज्ञान समझाने और सतलोक ले जाने की सत्य घटना को 2डी एनिमेशन के माध्यम से समझाया गया जिसके बाद संत रामपाल जी महाराज ने सद्ग्रन्थों से प्रमाणित सत्संग सुनाया।

वहीं इस दिव्य समागम के अवसर पर संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में चार दिवसीय खुले भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें पूरे विश्व को सपरिवार आमंत्रित किया गया था। जिससे सभी सतलोक आश्रमों में आयोजित धर्म भण्डारे में चारों दिन बड़ी तादाद में लोगों का हुजूम उमड़ा। वहीं संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में हुए समागम में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों के अतिरिक्त समाज के सभी स्तर के अधिकारीगण, राजनेता, सरपंच, जज इत्यादि माननीय लोग भी शामिल हुए जिन्होंने संत रामपाल जी महाराज द्वारा किये जा रहे समाज सुधार के कार्यों की सराहना की।

वहीं दहेज नामक कुप्रथा से हटकर संत रामपाल जी महाराज के 37वें बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के 506वें निर्वाण दिवस के अवसर पर सभी आश्रमों में सामूहिक दहेज रहित शादी (रमैणी) कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। ये शादियाँ सभी जोड़ों के परिवार की उपस्थिति में बिना दहेज के लेनदेन के गुरुवाणी के माध्यम से मात्र 17 मिनटों में सम्पूर्ण हुईं जिसमें सभी वर वधू साधारण वेशभूषा में वैवाहिक जीवन में बंध गए। वहीं जानकारी के अनुसार, सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) में 101 और सतलोक आश्रम इंदौर (मध्यप्रदेश) में 21 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह हुआ।

इसके अलावा सतलोक आश्रम धनाना धाम (हरियाणा), सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली), सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा), सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब), सतलोक आश्रम कुरूक्षेत्र (हरियाणा), सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश), सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान), सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब) व सतलोक आश्रम धनुषा (नेपाल) में भी सैकड़ों की संख्या में जोड़े दहेज मुक्त विवाह कर वैवाहिक बंधन में बंधे।

संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और कबीर परमेश्वर के निर्वाण दिवस के अवसर पर मानव हित को देखते हुए समाजोपयोगी कार्य भी संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित होकर उनके अनुयायियों द्वारा किये जाते हैं। इस दौरान सभी सतलोक आश्रमों में रक्तदान शिविर भी लगाया गया जिसमें हजारों यूनिट रक्तदान किया गया। इस अवसर पर देहदान के रजिस्ट्रेशन भी बड़ी संख्या में संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों द्वारा किए गए। वहीं अकेले सतलोक आश्रम धनाना धाम, हरियाणा में 301 युनिट तो सतलोक आश्रम बैतूल, मध्यप्रदेश में 432 युनिट रक्तदान हुआ।

रक्तदान और देहदान के अलावा सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत (हरियाणा) में नेत्र जांच और दांत जांच शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने नेत्र और दांत जांच करवाकर परामर्श प्राप्त किया।

वहीं लोगों को संत रामपाल जी महाराज के संघर्ष के विषय में और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की लीलाओं के बारे में जागरूक करने के लिए चित्रों के माध्यम से आध्यात्मिक प्रदर्शनी भी लगाई गई हैं जिसे देखने के लिए लोगों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। वहीं संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान को जानकर हजारों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश प्राप्त किया।

संत रामपाल जी महाराज का 37वां बोध दिवस और कबीर परमेश्वर का 506वां निर्वाण दिवस संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों द्वारा जिस प्रकार शांति पूर्वक मनाया गया, उस प्रकार के समागम निश्चित ही किसी अन्य संतों के सानिध्य में मनाया जा पाना संभव नहीं है। वहीं इस चार दिवसीय समागम में एक अन्य नजारा भी देखने को मिला कि इस महाविशाल समागम में बहु संख्या में लोग एकत्रित हुए, लेकिन उसके बावजूद सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से शांति पूर्ण तरीके से चली। साथ ही, लाखों लोगों का भण्डारा एक स्थान पर कराना, उनके रहने की व्यवस्था करना आम बात नहीं है। वहीं किसी तरीके से इस समागम में ऊंच-नीच, जाति, धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को नहीं देखने को मिला, जोकि संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं का प्रभाव है।

वहीं संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही नैतिक शिक्षा और आध्यात्मिक शिक्षाओं को जानने के लिए उनके द्वारा लिखित अनमोल पुस्तक जीने की राह‘ पढ़ें। साथ ही, अधिक जानकारी के लिए डाऊनलोड करें Sant Rampal Ji Maharaj App ।

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