HomeBlogsNew Year 2023 : आ गया नया साल 2023, जानिए कैसे बनाए...

New Year 2023 [Hindi]: आ गया नया साल 2023, जानिए कैसे बनाए इस साल को खास!

Date:

Last Updated on 30 December 2022, 5:43 PM IST: New Year in Hindi: 2022 गुजरने वाला है और नववर्ष 2023 (New Year 2023) को सेलिब्रेट करने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति में नए साल को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है। 31 दिसंबर की रात से प्रारंभ होने वाला नववर्ष का जश्न कई दिनों तक चलता है। लोगों के पिछले वर्ष में जो कार्य शेष रह गए होते हैं उनको पूरा करने का संकल्प मन में दृढ़ करते हैं। लोग नए साल पर जानना चाहते हैं कि वह क्या पहनें, क्या खाएं, कहां पार्टी करें, क्या गिफ्ट दें, क्या संकल्प लें, स्वस्थ कैसे रहें, बीमारियों से कैसे बचाव करें, कौन सी पुस्तकें पढ़ें, कहां की यात्रा करें, दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई देना न भूलें आदि-आदि। 

परंतु व्यक्ति नए साल (Happy New Year) की खुशी में अपने मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को भूला होता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि इस नववर्ष (New Year) को ज़िंदगी का सबसे अहम साल कैसे बनाएं और किन संकल्पों के साथ हम अपने मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि यहां एक पल का भरोसा नहीं है कि कब किसके साथ कौन सी दुर्घटना घट जाए अर्थात यह लोक जश्न मनाने लायक नहीं है। यहां हर रोज़/साल लाखों बेगुनाह मारे जाते हैं यहां से तो भक्ति करके बस निकलने के बारे में विचार करना चाहिए।

नया साल (New Year in Hindi) 2023

जिस प्रकार आज का दिन समाप्त होने के पश्चात नया दिन यानी कल आता है और यह महीना समाप्त होने के पश्चात अगला महीना आता है ठीक इसी प्रकार निर्धारित 12 महीनों की समाप्ति के पश्चात एक वर्ष समाप्त होता है और नया वर्ष (नववर्ष) प्रारंभ होता है। बड़ी ही दिक्कतों, परेशानियों, बीमारियों, संघर्षों और थोड़ी सी खुशी और ढेर सारे ग़मों को झेलने के बाद आखिर 2022 भी समाप्त हो ही गया परंतु यह नया साल/नववर्ष (Happy New Year in Hindi) 2023 सुकून भरा होगा या चुनौतियों भरा यह तो समय आने पर ही पता चलेगा।

नये साल का इतिहास (History of New Year in Hindi)

ऐसा नहीं है कि नया साल हमेशा से ही 1 जनवरी से मनाया जाता रहा हो, 1582 से पूर्व नए साल (New Year in Hindi) की शुरुआत मार्च महीने से हुआ करती थी। प्रारंभिक रोमन कैलेंडर में 10 महीने और 304 दिन शामिल थे, परंपरा के अनुसार, यह रोम के संस्थापक रोमुलस द्वारा बनाया गया था। आठवीं शताब्दी ई.पू. बाद के राजा नुमा पोमपिलियस (पोंपिलस) ने रोम कैलेंडर में कुछ जरूरी बदलाव किये, जिससे जनूअरियस (जनवरी) और फियोरूरी (फरवरी) के महीनों को जोड़ने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। 

46 ई.पू. सम्राट जूलियस सीज़र ने अपने समय के सबसे प्रमुख खगोलविदों और गणितज्ञों के साथ परामर्श करके एक नया कैलेंडर बनाने का विचार किया। उन्होंने जूलियन कैलेंडर पेश किया, जिसमें 12 महीने और 365 दिन किये। यह कैलेंडर अधिक आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर जैसा दिखता है जो आज दुनिया भर के अधिकांश देश उपयोग करते हैं। सीज़र ने 1 जनवरी को वर्ष के पहले दिन के रूप में स्थापित किया। 

कैसे हुई 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत?

New Year in Hindi: साल 1582 से पूर्व नया साल कभी 25 दिसंबर (यीशु के जन्म की सालगिरह) और कभी 25 मार्च (उत्सव का पर्व) जैसे धार्मिक महत्व के दिन को मनाया जाता था। वर्ष 1582 में पोप ग्रेगरी XIII को जूलियस कैलेंडर में लीप वर्ष को लेकर कुछ गलती मिली, जिसके बाद एक नया कैलेंडर बनाया गया जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर के रूप में जाना जाता है। और पोप ग्रेगरी XIII ने 1 जनवरी को वर्ष 1582 में नए साल (Happy New Year)के दिन के रूप में स्थापित किया।

नव वर्ष पर करें नई शुरूआत

नया साल (New Year in Hindi) आपको खुद को जानने, पहचानने और नए तरीके से जीवन को जीने का एक नया मौका देता है। इस नए साल (Happy New Year) में ऐसा संकल्प लीजिए कि जीवन जन्म सफल हो जाए और आपका यह साल आपके लिए हमेशा के लिए यादगार साल बन जाए। यह संसार अंगारों का घर है जहां विकार, काम वासना, लोभ, आलस, बीमारी, आकांक्षाएं और धन की कमी व अधिकता व्यक्ति को सदा विचलित रखते हैं। ऐसे में केवल एक ही शक्ति है जो आपको हर विकार, दु:ख, तकलीफ, आपदा से बचा सकती है। वह है परमेश्वर। उस एक परमेश्वर की पहचान होना और उस एक परमेश्वर पर आपकी पक्की आस्था और निर्भरता होना चाहिए।

मनुष्य जीवन बहुत ही ज़्यादा महत्वपूर्ण है

बदलाव प्रकृति का नियम है जिस प्रकार दिन बदलता है और नया दिन आता है इसी प्रकार वर्ष बदलता है और नये वर्ष का आगमन होता है। नया वर्ष (New Year in Hindi) नई ऊर्जा व उमंग का स्त्रोत होता है। जब तक मनुष्य जीवन है तब तक व्यक्ति मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को जानकर उसको पाने का प्रयास कर सकता है इसलिए मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को समझकर अपने जीवन को सफल बनाने के लिये तत्पर होना चाहिए।

■ यह भी पढ़ें: New Year 2019 Real Hindi Story- SA News

कबीर साहेब ने मानव जीवन की कीमत बताते हुए इसके बारे में कहा है कि:

मानुष जनम दुर्लभ है, ये मिले ना बारंबार |

जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार ||

यानि जिस प्रकार एक पेड़ से पत्ता टूट कर नीचे गिर जाता है और वह पुन: उस पेड़ पर ज्यों का त्यों नहीं लग सकता, ठीक इसी प्रकार यह मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है यह बड़ी मुश्किल से 84 लाख प्रकार की योनियां भोगने के बाद मिलता है। यदि यह एक बार छूट गया तो फिर हाथ नहीं आएगा।

नववर्ष (New Year in Hindi) पर जानें मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य

हमारे धर्म शास्त्र बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य भक्ति करके भगवान के पास जाना है अर्थात जन्म मृत्यु से मुक्ति पाना है, पूर्ण मोक्ष प्राप्त करना हैं। पवित्र श्रीमद्भागवत गीता जी के अनुसार मनुष्य जीवन को मोक्ष का द्वार कहा गया है व मनुष्य जीवन पाने वाला व्यक्ति तत्वदर्शी संत से पूर्ण परमात्मा की जानकारी प्राप्त करके, नामदीक्षा लेकर व उसकी भक्ति करके मोक्ष को पा सकता है यानी पूर्ण परमात्मा के लोक में जा सकता है जहां सर्व सुख हैं यानी उस सुखमय स्थान पर जा सकता है जहां कभी किसी की मृत्यु नहीं होती और न ही कोई वृद्ध (बूढ़ा) होता, वहां पर न कोई राग द्वेष है और न ही किसी भी प्रकार का कोई विकार, न ही वहां पर किसी चीज की कोई कमी है। 

उस सुखमय स्थान को सतलोक कहा गया है जो शाश्वत स्थान है। इस स्थान को प्राप्त करना ही पूर्ण मोक्ष कहलाता है। यहां जाने के बाद आत्मा कभी लौटकर इस संसार में नहीं आती इसलिये मनुष्य जीवन प्राप्त सभी पुण्यात्माओं को जन्म मरण का दीर्घ रोग समाप्त करवाने के लिए सतभक्ति करनी आवश्यक है।

विश्व के समक्ष चुनौतियां व उनका समाधान

New Year in Hindi: आज संपूर्ण विश्व अनेक प्रकार की चुनौतियों से जूझ रहा है। चारों ओर नशे, महामारी और जानलेवा बीमारियों का फैलाव है तथा कुरीतियां और विकार अपनी चरम सीमा पर हैं। लोगों का आपसी प्रेम समाप्त होता जा रहा है और धन को एकत्रित करने की दौड़ में हर इंसान लगा हुआ है। चारों तरफ रोगों का पहरा है कोई भी इंसान आज सुखी नज़र नहीं आता। इस दौड़ धूप में जीव अपने अस्तित्व को भूलता जा रहा है और अपने जीवन को केवल बर्बाद कर रहा है। विश्व के समक्ष मौजूद इन सभी चुनौतियों और विकारों को तत्वज्ञान के आधार से दूर किया जा सकता है।

Read in English: Happy New Year: Make This New Year A Remembering One By Doing True Worship

तत्वज्ञान का अर्थ उस सच्चे और विशेष ज्ञान से होता है जो जीवन का आध्यात्मिक आधार है और सभी पवित्र सदग्रंथों में विद्यमान है। ऐसे तत्वज्ञान को तत्वदर्शी संत बताते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होते हैं। तत्वज्ञान के आधार से जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति ही वास्तविक रुप में जीवन के उद्देश्य से परिचित होता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्ति के लिये पूर्ण परमात्मा की भक्ति करता है। केवल पूर्ण परमात्मा ही संपूर्ण विश्व के विकारों, चुनौतियों व समस्याओं को दूूर कर सकता है। इसलिये मनुष्य को तत्वदर्शी संत की खोज करके उनके द्वारा बताए तत्वज्ञान को समझ कर पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जो सर्व सुख दायक है।

नये वर्ष (New Year in Hindi) पर जानिए कैसे होगा सर्व दु:खों का अंत?

इस मृत्युलोक में जीव कर्म बंधनों से बंधा हुआ है और गलत व बुरे कर्मों के कारण जीव पर कष्ट आते हैं परंतु जब जीव पूर्ण परमात्मा की भक्ति तत्वदर्शी संत से प्राप्त करके विधिवत तरीके से करता है तो जीव को उसके गलत कर्म परेशान नहीं करते क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से कट जाते हैं अर्थात समाप्त हो जाते हैं। केवल पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से ही जीव सुखी हो सकता है और पूर्ण मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।

पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 और ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में इस बात का प्रमाण भी है कि जो पूर्ण परमात्मा है वह साधक के सर्व दु:खों को काट देता (समाप्त कर देता) है और यदि साधक मृत्यु के निकट है या उसकी मृत्यु भी हो गई हो तो पूर्ण परमात्मा अपने साधक की आयु भी बढ़ा देता है तथा उसके सारे पापों को क्षमा कर सकता है।

एवं ऋग्वेद मंडल 10 सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 – 3 में भी प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व रोगों को दूर कर सकता है।

अक्षीभ्यां ते नासिकाभ्यां कर्णाभ्यां छुबुकादधि ।

यक्ष्मं शीर्षण्यं मस्तिष्काज्जिह्वाया वि वृहामि ते ॥ 

– ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 163 मंत्र 1

अर्थात परमात्मा पाप कर्म से हमारा नाश करने वाले हर कष्ट को दूर कर विषाक्त रोग को काटकर हमारे नाक, कान, मुख, जिह्वा, शीर्ष, मस्तिष्क सभी अंग-प्रत्यंगों की रक्षा कर सकते हैं। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है कि परमेश्वर पापों का नाश करते हुए साधक को प्राप्त होते हैं तथा ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26 व 27 में प्रमाण है कि परमात्मा अपने भक्तों के विघ्नों (संकटों) को नष्ट करते हुए उन्हें प्राप्त होता है।

कैसे मिलेगा जन्म मरण से सदा के लिए छुटकारा?

जीव को एक सबसे बड़ी बीमारी लगी हुई है जन्म मरण की, मनुष्य जन्म का मिलना फिर कुछ समय इस धरती पर बिताना और अचानक कभी भी मृत्यु हो जाना। यह जो जन्म मृत्यु का विधान बना हुआ है आखिर इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है, इसकी संपूर्ण जानकारी तत्वदर्शी संत (पूर्ण संत) बताते हैं। मनुष्य जब पूर्ण संत से सतभक्ति विधि प्राप्त करके पूर्ण परमात्मा की भक्ति आरंभ करता है तो केवल उसी विधि से यह जीव इस जन्म मरण के चक्र से छुटकारा प्राप्त कर सकता है और उसका पूर्ण मोक्ष हो जाता है अर्थात वह उस अमर पद (स्थान) को प्राप्त कर लेता है जहां जाने के बाद साधक की कभी जन्म मृत्यु नहीं होती। उस सुखमय स्थान पर कोई दु:ख नहीं है, न तो कोई वहां पर वृद्ध (बूढ़ा) होता है।

वहां बगैर किये ही सारे सुख और वैभव की प्राप्ति होती है, उस सुखमय स्थान को सतलोक कहते हैं जहां जीव वास्तव में अमरपद प्राप्त कर लेता है और मृत्युलोक (धरती) से छुटकारा हमेशा हमेशा के लिये पा लेता है तो हुआ न यह असली उत्सव का प्रारंभ और कभी न मिटने वाली खुशी की प्राप्ति।

दुनिया में जश्न/उत्सव/पर्व मनाने से पहले दुनिया में क्यों आए हैं ये समझना ज़रूरी

इस क्षणभंगुर संसार में जहां आप जानवरों जैसी उछल कूद करने को नाचना, गाना, नशा करने को आज़ादी, आधे अधूरे कपड़े पहनने को आधुनिकता और जानवर का मांस खाने को कुछ भी खाने का हक़ और यात्रा करने को एंजायमेंट समझते हो, आपकी यह इच्छाएं आपको कहीं का नहीं छोड़ेगी। नए साल के आगमन पर ऐसी ऊल-जलूल हरकतें करने और अनगिनत इच्छाएं पालने से अच्छा है कि एंकात में बैठकर यह सोचिए कि ऐसा काम क्यों करना जिसको करने से न तो शरीर को कोई लाभ मिलेगा और न ही आत्मा को मुक्ति। 

पार्टी, जश्न, उत्सव, गेट टूगेदर, लंच-डिनर और देश-विदेश यात्रा को ही नए साल को मनाने की परिभाषा मान चुके लोगों को हम यह बताना चाहेंगे कि ज़िन्दगी का मकसद इसी शरीर में रहते हुए पहचान लीजिए क्योंकि आपका फायदा आपको खुद सोचना है। नए साल (New Year in Hindi) पर परमात्मा को पहचानने और विश्व विजेता संत रामपाल जी महाराज से जुड़ी भविष्यवाणियां जानने के लिए आप साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे संत रामपाल जी महाराज के अनमोल अद्वितीय सत्संगों का श्रवण कीजिये और नए साल (New Year 2023 in Hindi) का शुभारंभ सत्संग सुनकर कीजिए।

New Year in Hindi [2023]: FAQ

प्रश्न – 1 जनवरी को नए साल मनाने की शुरुआत कब से हुई?

वर्ष 1582 से

प्रश्न – नए साल 2023 की शुरुआत किस दिन से होगी?

रविवार

प्रश्न – किस कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को नए साल प्रारंभ माना जाता है?

ग्रेगोरियन कैलेंडर

प्रश्न – ग्रेगोरियन कैलेंडर को किसके द्वारा बनाया गया था?

पॉप ग्रेगरी XIII

प्रश्न – 1 जनवरी को नए साल के दिन के रूप किसने स्थापित किया था?

पॉप ग्रेगरी XIII

Abhishek Das Rajawat
Abhishek Das Rajawathttps://news.jagatgururampalji.org/author/abhishekdasji/
Name: Abhishek Das | Editor, SA News Channel (2015 - present) A dedicated journalist providing trustworthy news, Abhishek believes in ethical journalism and enjoys writing. He is self starter, very focused, creative thinker, and has teamwork skills. Abhishek has a strong knowledge of all social media platforms. He has an intense desire to know the truth behind any matter. He is God-fearing, very spiritual person, pure vegetarian, and a kind hearted soul. He has immense faith in the Almighty. Work: https://youtu.be/aQ0khafjq_A, https://youtu.be/XQGW24mvcC4

1 COMMENT

  1. नए साल के नाम पर दुनिया में खूब हु हल्ला होता है नाचना गाना, शराब पीना ,मांस खाना आदि लोगो की आदत बन चूका है मांस खाने के नाम पर न जाने कितने निर्दोष जीवो को मार दिया जाता है और उसे बड़े चाव से खाते है। जो की परमात्मा के विधान के विरुद्ध है।
    जिससे जीवन में कष्ट ही कष्ट मिलते है।
    तो छोड़िए शराब पीना, मांस खान व् हु हल्ला करना सिर्फ सच्चे परमात्मा जी की भक्ति करे जो हमे सुख ही सुख देता है और हमारे लिए हर दिन एक नए साल जैसा होगा।
    कोंन है पूर्ण परमात्मा जानने के लिए देखे;- साधना टीवी 7:30pm
    ईश्वर टीवी 8:30pm
    और अधिक जानकारी के लिए visit करे
    Satlok Ashram Youtube Channel पर
    व्
    http://www.jagatgururampalji.org पर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

World Animal Day 2023: How Many Species of Animals Can Be Saved Which Are on the Verge of Extinction?

Every year on 4 October, the feast day of Francis of Assisi, the patron saint of animals, World Animal Day, or World Animal Welfare Day, is observed. This is an international action day for animal rights and welfare. Its goal is to improve the health and welfare of animals. World Animal Day strives to promote animal welfare, establish animal rescue shelters, raise finances, and organize activities to improve animal living conditions and raise awareness. Here's everything you need to know about this attempt on World Animal Day which is also known as Animal Lovers Day. 

2 अक्टूबर: “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की जयंती

लालबहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri Jayanti) का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 में ताशकंद, सोवियत संघ रूस) में बहुत ही रहस्यमई तरीके से हुई थी। शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु के समय तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा।

Know About the Principles of Gandhiji on Gandhi Jayanti 2023

Last Updated on 1 October 2021, 4:30 PM IST: Gandhi Jayanti 2021: Today through this blog light will be thrown on Mahatma Gandhi’s Jayanti and why he is considered to be the Father of the nation. Along with this, the blog will brief the readers about who is actually the Father of each and every soul present in all the universes. To know everything, just explore the blog completely.