November 5, 2025

International Day for the Eradication of Poverty 2025 (Hindi): संसार में दुख और गरीबी कैसे दूर होगी?

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Last Updated on 15 October 2025 IST | International Day for the Eradication of Poverty in Hindi: हर साल 17 अक्टूबर को मनाया जाने वाला गरीबी उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो गरीबी की वैश्विक समस्या पर ध्यान आकर्षित करता है और इसे समाप्त करने के लिए कार्रवाई का आह्वान करता है। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1992 में आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई थी, जो 1987 में पेरिस में हुए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बाद हुआ था, जहाँ गरीबी को मानवाधिकारों का उल्लंघन माना गया था। गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2025 की theme है “सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना: न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों के लिए एकजुट होकर कार्य करना”।

Table of Contents

International Day for the Eradication of Poverty [Hindi]: मुख्य बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) मनाये जाने की घोषणा की गयी।
  • यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था।
  • यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। 
  • गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2025 की theme है “परिवारों के लिए सम्मान और प्रभावी समर्थन सुनिश्चित करके सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना”।
  • इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है।
  • इस दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा गरीबी उन्मूलन के प्रयास, विकास एवं विभिन्न कार्यों व योजनाओं को जारी किया जाता है।
  • वैश्विक एमपीआई 2021 के अनुसार, भारत की रैंक 109 देशों में 66वें स्थान पर है।
  • आइए जानें तत्वदर्शी बाखबर संत रामपाल जी महाराज कैसे खत्म कर रहे हैं दरिद्रता?

17 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के रुप में क्यों मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष संपूर्ण विश्व में 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस रूप में मनाये जाने की घोषणा की गयी। इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है।

गरीब कौन है?

गरीबी को एक ऐसी परिस्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें कोई व्यक्ति अथवा परिवार वित्तीय संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण अपने जीवन निर्वाह के लिये बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है।

समाजशास्त्री हेनरी बर्नस्टीन ने निर्धनता के चार आयाम बताए हैं-

  1. जीविका रणनीतियों का अभाव।   
  2. संसाधनों (जैसे-धन, भूमि आदि) की अनुपलब्धता। 
  3. असुरक्षा की भावना।  
  4. संसाधनों के अभाव के कारण सामाजिक संबंध रखने और विकसित करने की अक्षमता। 

ऐसे लोग जो देश में मौजूद बुनियादी जरूरतों से भी वंचित हैं और असुरक्षित आवास, खतरनाक काम की स्थिति, न्याय तक असमान पहुंच, राजनीतिक शक्ति द्वारा दबाए जाना और सीमित स्वास्थ्य देखभाल पाने वाले लोग गरीबी के साए में जीने को मजबूर हैं, गरीब है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण दक्षिण एशियाई और उप-सहारा क्षेत्रों से लगभग 88 से 115 मिलियन लोग गरीबी की ओर धकेल दिए गए हैं। माना जाता है कि यह संख्या 143 से 163 मिलियन के बीच बढ़ी है। ये आंकड़े मौजूदा 1.3 बिलियन लोगों के अतिरिक्त हैं जो महामारी से पहले गरीबी में जी रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस का इतिहास क्या है?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को अपना संकल्प 47/196 अपनाया और 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। 

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) का उद्देश्य क्या है?

इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा गरीबी उन्मूलन के प्रयास, विकास एवं विभिन्न कार्यों व योजनाओं को जारी किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस की 2025 में थीम [Theme] क्या है?

2025 की थीम “परिवारों के लिए सम्मान और प्रभावी समर्थन सुनिश्चित करके सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना” पर केंद्रित है। एक अकेली मां के बारे में सोचिए जो अपने बच्चों के लिए मदद पाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हर कदम पर उसे निर्णय और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।

यह थीम ऐसी नीतियों की मांग करती है जो लोगों को नीचे धकेलने की बजाय ऊपर उठाएं। यह ऐसी सहायता प्रणालियों की मांग करती है जो परिवारों को तोड़ने के बजाय मजबूत करें। और यह जोर देती है कि समाज गरीबी का अनुभव करने वाले लोगों की बात सुनना शुरू करे—वे ही असली विशेषज्ञ हैं कि क्या काम करता है और क्या नहीं।

हम कहां खड़े हैं: आशा के साथ कठोर वास्तविकता

विश्व बैंक का अनुमान है कि इस साल लगभग 80.8 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं—यानी प्रतिदिन $2.15 (लगभग ₹180) से कम पर जीवित रहना। यह पृथ्वी पर हर दस में से लगभग एक व्यक्ति है।

उप-सहारा अफ्रीका सबसे भारी बोझ उठाता है। दक्षिण सूडान, सोमालिया, नाइजीरिया और मेडागास्कर जैसे देशों में गरीबी दर 70 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, दक्षिण एशिया में लक्षित कार्यक्रमों के माध्यम से नाटकीय सुधार देखा गया है।

लैंगिक अंतर अन्याय की एक और परत जोड़ता है। 2025 में, 9.2 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां अत्यधिक गरीबी में जी रही हैं। यूएन वीमेन चेतावनी देती है कि वास्तविक कार्रवाई के बिना, 2030 तक 35.1 करोड़ से अधिक महिलाएं गरीबी में फंसी रह सकती हैं।

International Day for the Eradication of Poverty: क्या भारत में वापस लौट चुकी है गरीबी?

भारत में गरीबी का आकलन नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ (Multidimensional Poverty Index- MPI) जारी कर किया जाता है। आजादी के समय हमारे देश की कुल आबादी 32 करोड़ थी और इसमें से 20 करोड़ लोग गरीब थे। आजादी के बाद तमाम आर्थिक विकास और गरीबी निवारण योजनाओं के बावजूद गरीबों की संख्या कम नहीं हुई, बल्कि यह बढ़कर आज 40 करोड़ पहुंच गई है। भारत में 45 साल के बाद पिछले एक साल में सबसे ज्यादा गरीब बढ़े हैं।

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इसके साथ ही 1970 के बाद से गरीबी हटाने की ओर बढ़ रही देश की निर्बाध यात्रा भी बाधित हो चुकी है। पिछली बार आजादी के बाद के पहले 25 सालों में गरीबी दर में बढ़त दर्ज की गई थी। तब, 1951 से 1954 के दौर में गरीबों की कुल आबादीे 47 फीसद से बढ़कर 56 फीसद हो गई थी। वैश्विक एमपीआई 2021 के अनुसार, भारत की रैंक 109 देशों में 66वें स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 37 करोड़ लोग गरीब हैं ।

देश के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत किस प्रकार के अनुदान दिए जा रहे हैं?

गरीबी उन्मूलन के नाम से संचालित एक दर्जन से अधिक योजनाएं आज भी संचालित की जा रही हैं। चाहे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनुदान पर खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा हो या फिर खाद्य बीज, रसोई गैस, केरोसिन, चीनी आदि पर अनुदान दिया जा रहा है। आत्मा योजना के तहत किसानों को कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण दिए जाने तथा गरीबों के बच्चों को मानदेय आदि के बाद भी गरीबों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

1. मानवाधिकार के रूप में गरीबी: गरीबी केवल एक आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है। यह भोजन, आवास, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों तक पहुंच को सीमित करती है। गरीबी को संबोधित करने के लिए एक ऐसे दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो मानवीय गरिमा का सम्मान करे और सभी के लिए समानता सुनिश्चित करे।

2. सामाजिक और संस्थागत भेदभाव: जाति, लिंग और विकलांगता जैसे कारकों के आधार पर भेदभाव गरीबी को बढ़ाता है। संस्थानों के भीतर पक्षपातपूर्ण नीतियाँ और प्रथाएँ कमजोर वर्गों को और हाशिए पर धकेलती हैं। गरीबी समाप्त करने के प्रयासों में भेदभाव को समाप्त करने और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने के उपाय शामिल होने चाहिए।

3. आर्थिक असमानता: गरीबी उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण बाधा आर्थिक असमानता है। समृद्ध और गरीब के बीच का अंतर लगातार बढ़ रहा है, जहाँ धन एक छोटे से समूह के व्यक्तियों के बीच अधिक केंद्रित होता जा रहा है। धन के पुनर्वितरण और उचित मजदूरी सुनिश्चित करने पर ध्यान देने वाली नीतियाँ इस असंतुलन को दूर करने में महत्वपूर्ण हैं।

4. शिक्षा और रोजगार तक पहुंच: गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए शिक्षा और रोजगार तक पहुंच बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि सभी लोगों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सभ्य काम के अवसरों तक पहुंच हो, टिकाऊ विकास के लिए आवश्यक है।

5. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन गरीब समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करता है, जो उनकी परेशानियों को और बढ़ाता है। गरीबी से लड़ने में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करने वाली रणनीतियाँ शामिल होनी चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि पर्यावरणीय स्थिरता गरीबी उन्मूलन प्रयासों का एक प्रमुख घटक है।

1. समावेशी नीतियाँ और कार्यक्रम: सरकारों और संगठनों को सबसे कमजोर आबादी की जरूरतों को पूरा करने वाली नीतियाँ और कार्यक्रम लागू करने चाहिए। इसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा उपायों तक पहुंच प्रदान करना शामिल है।

2. सामुदायिक जुड़ाव और भागीदारी: गरीबी को सफलतापूर्वक संबोधित करने के लिए निर्णय लेने में समुदायों को शामिल करना महत्वपूर्ण है। व्यक्तियों और समुदायों को नीतियाँ बनाने और लागू करने में भाग लेने के लिए सशक्त बनाना यह सुनिश्चित करता है कि उनकी आवाज सुनी जाए और उनकी जरूरतें पूरी हों।

3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: गरीबी के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है। सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज को संसाधनों, ज्ञान और प्रभावी प्रथाओं को साझा करने के लिए एक साथ काम करना चाहिए।

4. सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी): संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य, विशेष रूप से लक्ष्य 1 (कोई गरीबी नहीं), गरीबी से निपटने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करते हैं। स्थानीय और राष्ट्रीय नीतियों में एसडीजी को शामिल करने से गरीबी में कमी में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है।

5. नवीन समाधान: प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाना गरीबी को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डिजिटल वित्तीय सेवाएं, मोबाइल स्वास्थ्य समाधान और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म वंचित और दूरदराज के क्षेत्रों तक अवसर बढ़ा सकते हैं।

1. सशर्त नकद हस्तांतरण (सीसीटी): ब्राजील का बोल्सा फैमिलिया और मेक्सिको का प्रोस्पेरा जैसे कार्यक्रम कम आय वाले परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करके गरीबी कम करने में सफल रहे हैं, जो स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी पर निर्भर करता है।

2. सूक्ष्म वित्त पहल: बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक जैसी सूक्ष्म वित्त संस्थाओं ने व्यवसाय शुरू करने के लिए छोटे ऋण प्रदान करके लाखों लोगों को सशक्त बनाया है, जिससे लोगों को अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने और गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिली है।

3. समुदाय-नेतृत्व वाला विकास: भारत में स्व-नियोजित महिला संघ (सेवा) जैसी पहल समुदाय-संचालित विकास की शक्ति को दर्शाती है। सेवा ने अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में महिलाओं को वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक पहुंच प्राप्त करने में मदद की है, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है।

4. सार्वजनिक-निजी साझेदारी: सरकारों, निजी क्षेत्र और गैर-सरकारी संगठनों के बीच साझेदारी के परिणामस्वरूप गरीबी कम करने के सफल प्रयास हुए हैं। उदाहरण के लिए, केन्याई सरकार और सफारीकॉम के एम-पेसा मोबाइल मनी सेवा के बीच सहयोग ने वित्तीय समावेश को बढ़ाया है और लाखों केन्याई लोगों के लिए आर्थिक अवसर पैदा किए हैं।

सरकार द्वारा गरीबी को कम किए जाने के लिए प्रयास क्या हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान द्वारा जनसांख्यिकी, स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर में आर्थिक असमानता की समीक्षा के लिये संपत्ति आधारित सूचकांकों का विकास किया गया है। 
  • साथ ही वर्ष 2005-06 से लगातार संपत्ति सूचकांक के माध्यम से सरकार को 400 से अधिक संकेतकों पर आँकड़े उपलब्ध कराए जाते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा सामाजिक असमानता को दूर करने और समाज के सभी वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिये कई महत्त्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की गई है।   
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा (MGNREGA)
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan-Dhan Yojana- PMJDY)
  • आयुष्मान भारत 
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (Prime Minister Awas Yojana -PMAY) 
  • एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड (One Nation-One Ration Card)

2025 का वैश्विक भूख सूचकांक भारत के लिए पिछले वर्षों की तुलना में सुधार दर्शाता है, हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। भारत 123 देशों में से 102वें स्थान पर है। भारत का स्कोर 25.8 है, जो इसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है। भारत की रैंक श्रीलंका (61), नेपाल (72) और बांग्लादेश (85) से नीचे है, लेकिन पाकिस्तान (106) और अफगानिस्तान (109) से ऊपर है। अफगानिस्तान (109) दक्षिण एशिया में इस सूचकांक पर सबसे निचले स्थान पर बना हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा को प्रतिदिन 3.00 अमेरिकी डॉलर की आय के रूप में निर्धारित किया गया है।  

2025 में लगभग 808 मिलियन लोग अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे।  

2023 में (उपलब्ध नवीनतम आँकड़े; ध्यान दें कि 2025 में गरीबी रेखा को 3.00 डॉलर तक अद्यतन किया गया, लेकिन तुलनात्मक श्रमिक आँकड़े पहले की 2.15 डॉलर सीमा पर आधारित हैं) विश्व के लगभग 6.9 प्रतिशत श्रमिक और उनके परिवार प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2.15 अमेरिकी डॉलर से भी कम पर जीवन बिता रहे थे।  

गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अधिकांश लोग दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्रों से संबंधित हैं।  

उच्च गरीबी स्तर अक्सर छोटे, अस्थिर और संघर्ष-प्रभावित देशों में पाए जाते हैं।  

2023 की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की लगभग 47.6 प्रतिशत आबादी को किसी एक भी सामाजिक सुरक्षा नकद लाभ तक पहुँच नहीं है।

भारत का वैश्विक भूख सूचकांक 2025 अब भी “गंभीर” श्रेणी में है, जहाँ बड़ी आबादी पौष्टिक भोजन तक नहीं पहुँच पाती। यह स्थिति केवल नीतिगत विफलता नहीं, बल्कि समाज में संसाधनों के असमान वितरण को भी दर्शाती है। ऐसे माहौल में संत रामपाल जी महाराज द्वारा आरंभ की गई अन्नपूर्णा मुहिम वास्तविक परिवर्तन का उदाहरण प्रस्तुत करती है।

अन्नपूर्णा मुहिम, संत रामपाल जी महाराज की प्रत्यक्ष प्रेरणा से संचालित सेवा योजना है, जिसका मूल उद्देश्य है — *“कोई भूखा न सोए।”* इस अभियान के तहत हजारों निर्धन और जरूरतमंद परिवारों को निःशुल्क राशन, आटा, दाल, चावल, तेल, मसाले, कपड़े और दैनिक उपयोग की सामग्री दी जाती है, जब तक वे आत्मनिर्भर न हो जाएँ। हर लाभार्थी को सम्मानपूर्वक सहायता दी जाती है, बिना किसी जाति, धर्म या क्षेत्रीय भेदभाव के।

जहाँ Global Hunger Index भारत की चिंताजनक स्थिति को उजागर करता है, वहीं संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम इस चुनौती से जमीनी स्तर पर मुकाबला कर रही है। यह मुहिम साबित करती है कि करुणा, संगठन और ईमानदार सेवा भावना से भूख जैसी समस्या का वास्तविक समाधान संभव है।

मनुष्य जीवन में क्या सतभक्ति का अभाव है गरीबी या दरिद्रता का मुख्य कारण?

जैसा कि हम पढ़ते और सुनते हैं कि बहुत से ऐसे भक्त हुए हैं जिन्होंने परमात्मा की प्राप्ति के लिए अरबों खरबों की संपत्ति और राजपाट त्याग कर गरीबी में जीवन जिया, सतभक्ति की और परमात्मा की प्राप्ति भी की। आज उन लोगों को बड़े बड़े रईस पैसे वाले लोग अपना आदर्श, गुरु, भगवान और अपना ईष्ट तक मानते हैं उदाहरण के लिए श्री गुरु नानक देव जी, भक्त नरसी, संत रविदास जी, नामदेव जी, भक्त मीराबाई, सुल्तान अधम, सिंकदर लोधी, वाजिद, तैमूरलंग, शेख फरीद, बीर देव सिंह बघेल, नामदेव, भक्त पीपा और सीता, मलूक दास, दादू दास इत्यादि।

इन सभी महापुरुषों ने बेहद ही साधारण जीवन जिया किंतु सतभक्ति की जिसके फलस्वरूप परमेश्वर ने हरदम इन भक्तों की रक्षा की। इन भक्तों ने अपना जीवन सुखमय जिया और अंततः जीवन और मरण के महा दुख से निवृत्ति पाकर मोक्ष को प्राप्त हुए। श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23, में प्रमाण है कि जो भी शास्त्रविधि त्याग कर मनमाना आचरण करता है उसे कोई सुख प्राप्त नहीं होता। यही कारण है कि वर्तमान में लोग दुखी ज्यादा हैं और महाकष्ट भोग रहे हैं क्योंकि वह गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर पारब्रह्म परमेश्वर की भक्ति नहीं कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप कष्ट पर कष्ट उठा रहे हैं।

कबीर परमेश्वर जी कहते हैं:-

कबीर सब जग निर्धना, धनवंता ना कोय।

धनवंता सोइ जानियो जापै राम नाम धन होय।।

सर्व सोने की लंका थी, रावण से रणधीरं।

एक पलक में राज नष्ट हुआ, जम के पड़े जंजीरं।।

अर्थात श्रीलंका के राजा रावण के पास इतना धन था कि उसने सोने (स्वर्ण) के महल बना रखे थे। जब विनाश हुआ तो एक रती (ग्राम) स्वर्ण भी रावण साथ नहीं ले जा सका।

कौन कर रहा हैं भारत और विश्व की गरीबी समाप्त?

जब पूर्ण परमात्मा कबीर जी गरीबदास जी को मिले तब उन्होंने उन्हे ज्ञान कराया कि यहां रहने वाले सब जीव मेरे बच्चे हैं इनको में सतभक्ति प्रदान करके और बुराइयों से दूर कर के धनी बनाऊंगा और सतलोक लेकर जाऊंगा। ऊंच-नीच, अमीरी गरीबी की खाई को सत्य ज्ञान से ही मिटाया जा सकता है जो कबीर साहेब जी के अवतार जगतगुरु तत्वदर्शी बाखबर संत रामपाल जी महाराज बखूबी कर रहे हैं।

मानव शरीर प्राप्त प्राणी को चाहिए कि सर्वप्रथम पूर्ण गुरू संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में जाकर दीक्षा प्राप्त करें। फिर आजीवन गुरू जी की मर्यादा में रहकर साधना तथा सेवा, दान-धर्म करते रहें। अपना दैनिक कार्य भी करें परंतु सर्व बुराई त्याग दें। तब उसका कल्याण अवश्य होता है। 

अध्यात्म ज्ञान के अभाव से मानव (स्त्री/पुरूष) केवल धन उपार्जन को अपना मुख्य लक्ष्य बनाकर जीवन सफर को तय करता है। यदि आपके पास अरब-खरब तक धन-संपत्ति है जो आपने पूरे जीवन में अट-पट, छल-कपट करके संग्रह की है। अचानक मृत्यु हो जाती है। सारे जीवन का जोड़ा धन तो यहीं रह गया, साथ तो शरीर भी नहीं गया, साथ गए तो वे पाप जो पूरे जीवन में माया के संग्रह में हुए थे। करोड़ों लोग तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़कर सुखमय और निरोगी जीवन जी रहे हैं । सभी से प्रार्थना है बहुचर्चित पुस्तक ज्ञान गंगा को पढ़ें, ज्ञान समझें, नाम दीक्षा लेकर, पूर्ण मर्यादा में रहकर, सत भक्ति करें, अपना और अपने परिवार का कल्याण कराएं।

FAQs about International Day for Eradication of Poverty

प्रश्न :विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस कब मनाया जाता है ? 

उत्तर : गरीबी उन्मूलन दिवस प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को मनाया जाता है। 

प्रश्न : इस वर्ष विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस की थीम क्या है  ? 

उत्तर : अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस की 2025 में थीम [Theme] है “परिवारों के लिए सम्मान और प्रभावी समर्थन सुनिश्चित करके सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना”।

प्रश्न : पहली बार कब और कहा मनाया गया था विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस ?

उत्तर : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को अपना संकल्प 47/196 अपनाया और 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। 

प्रश्न : विश्व उन्मूलन दिवस क्यों मनाया जाता है ? 

उत्तर : विश्व गरीबी उनमूलन दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। 

प्रश्न : दरिद्रता की समाप्ति कैसे हो सकती है ?

उत्तर : सरकार और मानव मात्र भी अनेकों वर्षों से दरिद्रता को समाप्त करने के लिए अपना हर संभव प्रयास कर रहे है। पर सफल नहीं हो पाए। एक कबीर परमेश्वर ही है जो किसी भी गरीब के भाग्य में लिखे को बदल सकते हैं । सतभक्ति दरिद्रता के उन्मूलन का एकमात्र, सहज और सटीक उपाय है।

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