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National Sports Day India 2023: क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस, क्या है इसका इतिहास और थीम?

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Last Updated on 28 August 2023 IST: National Sports Day India 2023 (राष्ट्रीय खेल दिवस): आज 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी का जन्म दिन है। उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। मेजर ध्यानचंद का खेल खेलने का तरीका ऐसा था कि पूरी दुनिया उनकी ओर हैरत से देखती थी । उनके आगे अच्छे – अच्छे खिलाड़ियों का पसीना छूट जाता था । सबसे बड़ी बात तो यह है कि ध्यानचंद (दद्दा) ने ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था । पाठक गण जानेंगे कि लख चौरासी के खेल में कैसे जीत प्राप्त करें ?

National Sports Day India 2023 के मुख्य बिंदु

  • 29 अगस्त को हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद की याद में मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस
  • प्रधान मंत्री ने इस वर्ष राष्ट्रीय खेल दिवस पर शुरू किया फिट इंडिया मूवमेंट
  • कोरोना के चलते इस वर्ष ऑनलाइन दिए जाएंगे खेल पुरस्कार
  • इस दिन राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते है
  • यदि हम जन्म मरण के खेल में जीत जाएँ तब हम सच्चे मनुष्य हैं
  • शास्त्रानुकूल सतभक्ति देती है जन्म मरण के खेल में मोक्ष की जीत
  • वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी दे सकते हैं जन्म मरण दुष्चक्र से मुक्ति

National Sports Day India 2023: हॉकी के जादूगर के कुछ जीवन पल

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ‘दद्दा’ का जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में 29 अगस्त 1905 में हुआ था। दद्दा ने अपने खेल जीवन काल में 400 से भी अधिक गोल किए और वे विश्व के सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने। 1922 की बात है केवल 16 साल की उम्र में ही ध्यानचंद ब्राह्मण रेजिमेंट में भर्ती हुए। ध्यानचंद जी जब सेना में भर्ती हुए थे तब तक उनके मन में हॉकी खेल के प्रति कोई लगाव नहीं था।

रेजिमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी जी ने ध्यानचंद को हॉकी के लिए प्रेरित किया फिर उसके बाद ध्यानचंद जी हॉकी के प्रति आगे बढ़े और ऐसे बढे कि भारत देश का नाम बहुत आगे कर गए। ध्यानचंद ने 1928,1932 और 1936 में देश को हॉकी में स्वर्ण पदक दिलाया। दद्दा जी भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे। ध्यानचंद को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सन् 1956 में पद्मभूषण दिया गया था। खेल प्रेमियों द्वारा ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग बार-बार उठाई गई है।

National Sports Day 2023 India: क्या खूब खिलाड़ी थे ध्यानचंद

  • मेजर ध्यानचंद के बारे में यह कहा जाता है कि जब भी वह हॉकी खेलते थे और गेंद उनके पास रहती थी तब उनसे गेंद छीनना बड़े से बड़े खिलाड़ी के लिए भी बहुत कठिन काम था ।
  • अच्छे – अच्छे खिलाड़ियों के पसीने छूट जाते थे ।
  • वे बॉल को इस तरह अपनी हॉकी से चिपकाकर रखते थे कि लोग हैरत में पड़ जाते थे ।
  • लोगों के मन में भ्रम था कि वह कोई जादू जानते है जिससे गेंद उनके ही पास रहती है ।
  • इसको देखते हुए नीदरलैंड में अधिकारियों ने ध्यानचंद का हॉकी स्टिक तोड़ कर जांचा था कि कहीं उनके हॉकी में कोई ऐसी चीज तो नहीं है जो गेंद को चिपकाकर रखती है ।

Theme for National Sports Day 2023 | राष्ट्रीय खेल दिवस की थेमी

स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर नए एथलीट्स को शामिल किया है, जिन्होंने हाल ही में खत्म हुए कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) और विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था। इस साल नेशनल स्पोर्ट्स डे की थीम ‘एक समावेशी और स्वस्थ समाज के लिए खेल’ है। SAI इस साल के नेशनल स्पोर्ट्स डे को फिट इंडिया अभियान के हिस्से के रूप में भी मनाएगा। खेल के ये कार्यक्रम अलग-अलग लेवल पर अलग-अलग उम्र के लोगों के बीच आयोजित किए जाएंगे। इसमें प्रोफेशनल और रीक्रिएशनल दोनों तरह के कार्यक्रम शामिल हैं।

इंसान अटका है जन्म मरण के खेल में

मानव जन्म बार बार नहीं मिलता है । इसका मुख्य उद्देश्य है परमात्मा की सतभक्ति करना और मोक्ष पाकर जन्म मरण के चक्कर रूपी खेल से मुक्त होना । इस नाशवान संसार में धन, दौलत, पद, इज्जत पाकर इंसान समझता है सब कुछ पा लिया। हम 84 लाख योनियों में भटक रहे है युगों – युगों से, इस जन्म मरण के खेल ने हमें अटका रखा है। यदि हम इस जन्म मरण के खेल से मुक्ति पा ले तब मानो की हम सब कुछ जीत गए। इसलिए इसके साथ साथ हमें पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति करना चाहिए। तभी हम अविनाशी सुख को पा सकते है।

राष्ट्रीय खेल पुरुस्कार समारोह

हमारे देश में हर वर्ष 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। यह वह दिन है जिस दिन को खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल पुरस्कार भी दिए जाते हैं। वर्तमान में कोरोना महामारी की वजह से वजह से पहली बार ये आयोजन राष्ट्रपति भवन में न होकर ऑनलाइन आयोजित होगा ।

इस वर्ष अलग-अलग श्रेणियों में कुल 74 लोगों को ये पुरस्कार दिए जाने थे । जिसमें से कुल 64 कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे । जो लोग व्यक्तिगत तौर पर पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो पा रहे हैं वो या तो कोविड-19 (कोरोना वायरस) संक्रमित हैं या आइसोलेशन में हैं। साथ में कुछ खिलाड़ी देश के बाहर होने के कारण से राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह में उपस्थित नहीं हो सकेंगे । ये पुरस्कार पारंपरिक तरीके से माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा दिए जाते हैं ।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार की सबसे मुख्य बात बता दें

  • इस वर्ष पांच खिलाड़ियों को सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा। साथ ही 27 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड दिए जाने है ।
  • राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों में क्रिकेटर रोहित शर्मा भी शामिल हैं।
  • उनके अलावा पहलवान विनेश फोगाट, टेबिल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, महिला हॉकी कप्तान रानी रामपाल और पैरालंपियन मरियाप्पन थांगावेलु शामिल हैं ।

लख चौरासी के खेल से जीत केवल सतभक्ति से प्राप्त कर सकते है

यह बहुत बड़ा रोग है जन्म मरण, इसके चक्कर में हम फँसे पड़े है। बहुत ही कष्ट सहन कर रहे है और करते आ रहे है। इस खेल से यदि मुक्ति नहीं मिलती तो हम पल – पल दुःख दर्द झेलते रहते है। अंत में याद आते है परमात्मा जब सब कुछ लुट चुका होता है।

Sant Rampal Ji Maharaj

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते है:-

अच्छे दिन पीछे गए, गुरु से किया न हेत ।
अब पछताए क्या करे, जब चिड़िया चुग गई खेत ।।

कबीर साहेब जी समझा रहे है कि यदि समय रहते मनुष्य सतभक्ति नहीं करता है फिर अंत में पछताने के अलावा कुछ नहीं रहता है । इसलिए सच्चे सद्गुरु की शरण में जाकर जन्म – मरण के खेल को समझ कर इस पर जीत प्राप्त करना ही मुख्य कार्य है।

वर्तमान में एकमात्र तत्वज्ञान संत रामपाल जी महाराज

वर्तमान में यह तत्वज्ञान केवल पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी ही प्रदान कर रहे है । पूरे विश्व में वही केवल तत्वज्ञानी संत है जिसका प्रमाण श्रीमद्भगवत गीता जी 15:1-4,16,17 में है। मानव समाज को अपने दैनिक कार्यों के साथ में संत जी की शरण में आकर और आध्यात्मिक ज्ञान को समझ कर अपना कल्याण करवाना अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है।

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1 COMMENT

  1. जन्म मरण के चक्कर के खेलसे छुटकारा पाना ही मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी जीत है। और इस जन्म मरण के चक्करसे केवल जीत पाने की विधि केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी दे सकते हैं।

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