International Day for the Eradication of Poverty 2023 (Hindi): संसार में दुख और गरीबी कैसे दूर होगी?

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Last Updated on 17 October 2023 IST | International Day for the Eradication of Poverty in Hindi: कोरोना काल और रूस यूक्रेन युद्ध से भारत में गरीबों की तादाद बहुत अधिक बड़ गई है। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में गरीब हुए लोगों में 60 फीसदी भारतीय हैं। एक रिसर्च के मुताबिक बढ़ी बेरोजगारी के चलते भारत के मिडिल क्लास में 3.2 करोड़ लोग कम हुए है और गरीबों की संख्या साढ़े सात करोड़ बढ़ी है। विश्व बैंक ने कहा कोविड-19 के कारण 2021 तक 15 करोड़ लोगों के गरीबी के दलदल में फंसने के आसार बन गये हैं।

Table of Contents

International Day for the Eradication of Poverty [Hindi]: मुख्य बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) मनाये जाने की घोषणा की गयी।
  • यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था।
  • यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। 
  • 2022-2023 के लिए गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की theme है ‘व्यवहार में सभी के लिए गरिमा’ है।
  • इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है।
  • इस दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा गरीबी उन्मूलन के प्रयास, विकास एवं विभिन्न कार्यों व योजनाओं को जारी किया जाता है।
  • वैश्विक एमपीआई 2021 के अनुसार, भारत की रैंक 109 देशों में 66वें स्थान पर है।
  • आइए जानें तत्वदर्शी बाखबर संत रामपाल जी महाराज कैसे खत्म कर रहे हैं दरिद्रता?

17 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के रुप में क्यों मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष संपूर्ण विश्व में 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस रूप में मनाये जाने की घोषणा की गयी। इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है।

गरीब कौन है?

गरीबी को एक ऐसी परिस्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें कोई व्यक्ति अथवा परिवार वित्तीय संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण अपने जीवन निर्वाह के लिये बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है।

समाजशास्त्री हेनरी बर्नस्टीन ने निर्धनता के चार आयाम बताए हैं-

  1. जीविका रणनीतियों का अभाव।   
  2. संसाधनों (जैसे-धन, भूमि आदि) की अनुपलब्धता। 
  3. असुरक्षा की भावना।  
  4. संसाधनों के अभाव के कारण सामाजिक संबंध रखने और विकसित करने की अक्षमता। 

ऐसे लोग जो देश में मौजूद बुनियादी जरूरतों से भी वंचित हैं और असुरक्षित आवास, खतरनाक काम की स्थिति, न्याय तक असमान पहुंच, राजनीतिक शक्ति द्वारा दबाए जाना और सीमित स्वास्थ्य देखभाल पाने वाले लोग गरीबी के साए में जीने को मजबूर हैं, गरीब है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण दक्षिण एशियाई और उप-सहारा क्षेत्रों से लगभग 88 से 115 मिलियन लोग गरीबी की ओर धकेल दिए गए हैं। माना जाता है कि यह संख्या 143 से 163 मिलियन के बीच बढ़ी है। ये आंकड़े मौजूदा 1.3 बिलियन लोगों के अतिरिक्त हैं जो महामारी से पहले गरीबी में जी रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस का इतिहास क्या है?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को अपना संकल्प 47/196 अपनाया और 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। 

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (International Day for the Eradication of Poverty) का उद्देश्य क्या है?

इस दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा गरीबी उन्मूलन के प्रयास, विकास एवं विभिन्न कार्यों व योजनाओं को जारी किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस की 2023 में थीम [Theme] क्या है?

2022-2023 के लिए गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की थीम है ‘व्यवहार में सभी के लिए गरिमा’ है। ( ‘Dignity for all in practice’ is the umbrella theme of the International Day for the Eradication of Poverty for 2022-2023)।

■ Read in English: International Day For The Eradication Of Poverty: Sat-Bhakti Is A Powerful Spiritual Means To Eradicate Any Other Form Of Poverty 

मानव की “गरिमा” अपने आप में एक मौलिक अधिकार है। यह अन्य सभी मौलिक अधिकारों का आधार भी बनता है। इसलिए, प्रत्येक की “गरिमा” होनी चाहिए। गरीब लोग अपनी “गरिमा” से वंचित रहते हैं और अपने आदर के साथ समझौता करते हैं।

आगे बढ़ने का अर्थ है प्रकृति के साथ अपने संबंधों को बदलना, भेदभाव की संरचनाओं को नष्ट करना और मानव अधिकारों के नैतिक और कानूनी ढांचे पर निर्माण करते रहना। आगे बढ़ने का मतलब है कि गरीबी में रहने वाले लोगों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें सामने आने के लिए समर्थन दिया जाता है।

भुखमरी इंडेक्स Global Hunger Index 2022 में भारत किस स्थान पर है?

वर्ष 2022 ग्लोबल हंगर इंडेक्स के लिहाज से भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है। 121 देशों में से भारत 107 वें स्थान पर है। भारत का स्कोर 29.1 है जो उसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है। भारत की रैंकिंग श्रीलंका (64), नेपाल (81), बांग्लादेश (84) और पाकिस्तान (99) से काफी नीचे है। युद्धग्रस्त अफगानिस्तान (109) दक्षिण एशिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसका सूचकांक भारत से भी खराब है। 

International Day for the Eradication of Poverty: क्या भारत में वापस लौट चुकी है गरीबी?

भारत में गरीबी का आकलन नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ (Multidimensional Poverty Index- MPI) जारी कर किया जाता है। आजादी के समय हमारे देश की कुल आबादी 32 करोड़ थी और इसमें से 20 करोड़ लोग गरीब थे। आजादी के बाद तमाम आर्थिक विकास और गरीबी निवारण योजनाओं के बावजूद गरीबों की संख्या कम नहीं हुई, बल्कि यह बढ़कर आज 40 करोड़ पहुंच गई है। भारत में 45 साल के बाद पिछले एक साल में सबसे ज्यादा गरीब बढ़े हैं।

■ Also Read | International Day of Rural Women: Understand the Role of Rural Women to Attain Gender Equality

इसके साथ ही 1970 के बाद से गरीबी हटाने की ओर बढ़ रही देश की निर्बाध यात्रा भी बाधित हो चुकी है। पिछली बार आजादी के बाद के पहले 25 सालों में गरीबी दर में बढ़त दर्ज की गई थी। तब, 1951 से 1954 के दौर में गरीबों की कुल आबादीे 47 फीसद से बढ़कर 56 फीसद हो गई थी। वैश्विक एमपीआई 2021 के अनुसार, भारत की रैंक 109 देशों में 66वें स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 37 करोड़ लोग गरीब हैं ।

देश के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत किस प्रकार के अनुदान दिए जा रहे हैं?

गरीबी उन्मूलन के नाम से संचालित एक दर्जन से अधिक योजनाएं आज भी संचालित की जा रही हैं। चाहे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनुदान पर खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा हो या फिर खाद्य बीज, रसोई गैस, केरोसिन, चीनी आदि पर अनुदान दिया जा रहा है। आत्मा योजना के तहत किसानों को कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण दिए जाने तथा गरीबों के बच्चों को मानदेय आदि के बाद भी गरीबों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

सरकार द्वारा गरीबी को कम किए जाने के लिए प्रयास क्या हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान द्वारा जनसांख्यिकी, स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर में आर्थिक असमानता की समीक्षा के लिये संपत्ति आधारित सूचकांकों का विकास किया गया है। 
  • साथ ही वर्ष 2005-06 से लगातार संपत्ति सूचकांक के माध्यम से सरकार को 400 से अधिक संकेतकों पर आँकड़े उपलब्ध कराए जाते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा सामाजिक असमानता को दूर करने और समाज के सभी वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिये कई महत्त्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की गई है।   
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा (MGNREGA)
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan-Dhan Yojana- PMJDY)
  • आयुष्मान भारत 
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (Prime Minister Awas Yojana -PMAY) 
  • एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड (One Nation-One Ration Card)

मनुष्य जीवन में क्या सतभक्ति का अभाव है गरीबी या दरिद्रता का मुख्य कारण?

जैसा कि हम पढ़ते और सुनते हैं कि बहुत से ऐसे भक्त हुए हैं जिन्होंने परमात्मा की प्राप्ति के लिए अरबों खरबों की संपत्ति और राजपाट त्याग कर गरीबी में जीवन जिया, सतभक्ति की और परमात्मा की प्राप्ति भी की। आज उन लोगों को बड़े बड़े रईस पैसे वाले लोग अपना आदर्श, गुरु, भगवान और अपना ईष्ट तक मानते हैं उदाहरण के लिए श्री गुरु नानक देव जी, भक्त नरसी, संत रविदास जी, नामदेव जी, भक्त मीराबाई, सुल्तान अधम, सिंकदर लोधी, वाजिद, तैमूरलंग, शेख फरीद, बीर देव सिंह बघेल, नामदेव, भक्त पीपा और सीता, मलूक दास, दादू दास इत्यादि।

इन सभी महापुरुषों ने बेहद ही साधारण जीवन जिया किंतु सतभक्ति की जिसके फलस्वरूप परमेश्वर ने हरदम इन भक्तों की रक्षा की। इन भक्तों ने अपना जीवन सुखमय जिया और अंततः जीवन और मरण के महा दुख से निवृत्ति पाकर मोक्ष को प्राप्त हुए। श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23, में प्रमाण है कि जो भी शास्त्रविधि त्याग कर मनमाना आचरण करता है उसे कोई सुख प्राप्त नहीं होता। यही कारण है कि वर्तमान में लोग दुखी ज्यादा हैं और महाकष्ट भोग रहे हैं क्योंकि वह गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर पारब्रह्म परमेश्वर की भक्ति नहीं कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप कष्ट पर कष्ट उठा रहे हैं।

कबीर परमेश्वर जी कहते हैं:-

कबीर सब जग निर्धना, धनवंता ना कोय।

धनवंता सोइ जानियो जापै राम नाम धन होय।।

सर्व सोने की लंका थी, रावण से रणधीरं।

एक पलक में राज नष्ट हुआ, जम के पड़े जंजीरं।।

अर्थात श्रीलंका के राजा रावण के पास इतना धन था कि उसने सोने (स्वर्ण) के महल बना रखे थे। जब विनाश हुआ तो एक रती (ग्राम) स्वर्ण भी रावण साथ नहीं ले जा सका।

कौन कर रहा हैं भारत और विश्व की गरीबी समाप्त?

जब पूर्ण परमात्मा कबीर जी गरीबदास जी को मिले तब उन्होंने उन्हे ज्ञान कराया कि यहां रहने वाले सब जीव मेरे बच्चे हैं इनको में सतभक्ति प्रदान करके और बुराइयों से दूर कर के धनी बनाऊंगा और सतलोक लेकर जाऊंगा। ऊंच-नीच, अमीरी गरीबी की खाई को सत्य ज्ञान से ही मिटाया जा सकता है जो कबीर साहेब जी के अवतार जगतगुरु तत्वदर्शी बाखबर संत रामपाल जी महाराज बखूबी कर रहे हैं।

मानव शरीर प्राप्त प्राणी को चाहिए कि सर्वप्रथम पूर्ण गुरू संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में जाकर दीक्षा प्राप्त करें। फिर आजीवन गुरू जी की मर्यादा में रहकर साधना तथा सेवा, दान-धर्म करते रहें। अपना दैनिक कार्य भी करें परंतु सर्व बुराई त्याग दें। तब उसका कल्याण अवश्य होता है। 

अध्यात्म ज्ञान के अभाव से मानव (स्त्री/पुरूष) केवल धन उपार्जन को अपना मुख्य लक्ष्य बनाकर जीवन सफर को तय करता है। यदि आपके पास अरब-खरब तक धन-संपत्ति है जो आपने पूरे जीवन में अट-पट, छल-कपट करके संग्रह की है। अचानक मृत्यु हो जाती है। सारे जीवन का जोड़ा धन तो यहीं रह गया, साथ तो शरीर भी नहीं गया, साथ गए तो वे पाप जो पूरे जीवन में माया के संग्रह में हुए थे। करोड़ों लोग तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़कर सुखमय और निरोगी जीवन जी रहे हैं । सभी से प्रार्थना है बहुचर्चित पुस्तक ज्ञान गंगा को पढ़ें, ज्ञान समझें, नाम दीक्षा लेकर, पूर्ण मर्यादा में रहकर, सत भक्ति करें, अपना और अपने परिवार का कल्याण कराएं।

FAQs about International Day for Eradication of Poverty

प्रश्न :विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस कब मनाया जाता है ? 

उत्तर : गरीबी उन्मूलन दिवस प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को मनाया जाता है। 

प्रश्न : इस वर्ष विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस की थीम क्या है  ? 

उत्तर : 2022-2023 के लिए गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की theme है ‘व्यवहार में सभी के लिए गरिमा’ है। (‘Dignity for all in practice’ is the umbrella theme of the International Day for the Eradication of Poverty for 2022-2023)। 

प्रश्न : पहली बार कब और कहा मनाया गया था विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस ?

उत्तर : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को अपना संकल्प 47/196 अपनाया और 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिवस पहली बार 1987 में फ्रांस में मनाया गया जिसमें लगभग एक लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। यह आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसफ व्रेंसिकी द्वारा आरंभ किया गया। 

प्रश्न : विश्व उन्मूलन दिवस क्यों मनाया जाता है ? 

उत्तर : विश्व गरीबी उनमूलन दिवस का उद्देश्य विश्व समुदाय में गरीबी दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। 

प्रश्न : दरिद्रता की समाप्ति कैसे हो सकती है ?

उत्तर : सरकार और मानव मात्र भी अनेकों वर्षों से दरिद्रता को समाप्त करने के लिए अपना हर संभव प्रयास कर रहे है। पर सफल नहीं हो पाए। एक कबीर परमेश्वर ही है जो किसी भी गरीब के भाग्य में लिखे को बदल सकते हैं । सतभक्ति दरिद्रता के उन्मूलन का एकमात्र, सहज और सटीक उपाय है।

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