HomeBlogsSant Ravidas Jayanti 2023 : संत रविदास जयंती पर जानिए कौन थे...

Sant Ravidas Jayanti 2023 [Hindi]: संत रविदास जयंती पर जानिए कौन थे वास्तविक संत रविदास जी के गुरु?

Date:

Last Updated on 4 February 2023, 4:48 PM IST: संत रविदास जयंती 2023 (Sant Ravidas Jayanti in Hindi): धरती पर प्रत्येक युग में ऋषि मुनियों, संतों, महंतों, कवियों और महापुरुषों का जन्म होता रहा है। लोगों में भक्तिभाव जीवित रखने में महापुरुषों का विशेष योगदान रहा है। इन महापुरुषों ने समाज सुधारक का कार्य करते हुए संसार के लोगों में भक्तिभाव बढ़ाने, श्रद्धा और विश्वास जगाने का काम किया है। ईश्वर में इनके अटूट भक्तिभाव को देखकर लोगों के अन्दर भी आस्था और श्रद्धा जागृत होती है। ऐसे ही एक महापुरुष संत रविदास जी हुए हैं। जिन्होंने खुद पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की सतभक्ति की और संसार को सतभक्ति के बारे में बताया। संत रविदास जी की विचारधारा से प्रभावित होकर लोग इन्हें अपना गुरु तो मानने लगे परंतु उनके दिखाए मार्ग पर नही चले और उनके जैसी भक्ति भी वे नही कर सके। संतों के दिखाए सतमार्ग पर चलकर ही हम अपने जीवन और समाज की विचारधारा को बदल सकते हैं।

संत रविदास जी ने जीवनपर्यंत सामाजिक भेदभाव को खत्म करने और समाज में सभी वर्ग के लोगों को समान अधिकार और सामाजिक एकता के निर्माण का संदेश दिया। “मन चंगा तो कठौती में गंगा” की सीख से संत रविदास जी ने बताया गंगा में स्नान करने से नहीं बल्कि पूर्ण ब्रह्म की भक्ति करने से उद्धार होता है और मन यदि पवित्र है तो गंगा तुम्हारे पास है। साथ ही जानें संत रविदास जी को इतना महान संत बनाने वाले उनके गुरु कौन थे?

Table of Contents

इस वर्ष संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti) कब है?

भारतीय केलेंडर के अनुसार इस वर्ष संत रविदास जी की 646वीं जयंती 5 फरवरी, 2023 और दिन रविवार को मनाई जाएगी।

क्या आप जानते हैं कि किस कर्म के कारण संत रविदास जी का जन्म चमार जाति में हुआ? 

सत्य कुछ इस प्रकार है, एक सुविचार वाला ब्राह्मण ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ भक्ति कर रहा था। घर त्यागकर किसी ऋषि के आश्रम में रहता था। सुबह के समय काशी शहर के पास से बह रही गंगा दरिया में स्नान करके वृक्ष के नीचे बैठा परमात्मा का चिंतन कर रहा था। उसी समय एक 15-16 वर्ष की लड़की अपनी माता जी के साथ जंगल में पशुओं का चारा लेकर शहर की ओर जा रही थी। उसी वृक्ष के नीचे दूसरी ओर छाया देखकर माँ-बेटी ने चारे की गाँठ (गठड़ी) जमीन पर रखी और सुस्ताने लगी। साधक ब्राह्मण की दृष्टि युवती पर पड़ी तो सूक्ष्म मनोरथ उठा कि कितनी सुंदर लड़की है। पत्नी होती तो कैसा होता। उसी क्षण विद्वान ब्राह्मण को अध्यात्म ज्ञान से अपनी साधना की हानि का ज्ञान हुआ कि :- 

जेती नारी देखियाँ मन दोष उपाय।

ताक दोष भी लगत है जैसे भोग कमाय।। 

अर्थात् मन में मिलन करने के दोष से जितनी भी स्त्रियों को देखा, उतनी ही स्त्रियों के साथ सूक्ष्म मिलन का पाप लग जाता है। इस कारण मन में मलीनता आ ही जाती है, परंतु अध्यात्म में यह भी प्रावधान है कि उसे तुरंत सुविचार से समाप्त किया जा सकता है। एक युवक साईकिल से अपने गाँव आ रहा था। वह पड़ौस के गाँव में गया था। उसने दूर से देखा कि तीन लड़कियाँ सिर पर पशुओं का चारा लिए उसी गाँव की ओर जा रही थी। वह उनके पीछे साईकिल से आ रहा था। उनमें से एक लड़की उन तीनों में अधिक आकर्षक लग रही थी। पीठ की ओर से लड़कियों को देख रहा था। उस लड़के का एक लड़की के प्रति जवानी वाला दोष विशेष उत्पन्न था। उसी दोष दृष्टि से उसने उन लड़कियों से आगे साईकिल निकालकर उस लड़की का मुख देखने के लिए पीछे देखा तो वह उसकी सगी बहन थी।

कुविचार और सुविचार

अपनी बहन को देखते ही सुविचार आया। कुविचार ऐसे चला गया जैसे सोचा ही नहीं था। उस युवक को आत्मग्लानी हुई और सुविचार इतना गहरा बना कि कुविचार समूल नष्ट हो गया। उस नेक ब्रह्मचारी ब्राह्मण को पता था कि कुविचार के पाप को सुविचार की दृढ़ता तथा यथार्थता से समूल नष्ट किया जा सकता है। उसी उद्देश्य से उस ब्राह्मण ने उस लड़की के प्रति उत्पन्न कुविचार को समूल नष्ट करके अपनी भक्ति की रक्षा करनी चाही और अंतःकरण से सुविचार किया कि काश यह मेरी माँ होती। यह सुविचार इस भाव से किया जैसे उस युवक को अपनी बहन को पहचानते ही बहन भाव अंतःकरण से हुआ था। फिर दोष की जगह ही नहीं रही थी। ठीक यही भाव उस विद्वान ब्राह्मण ने उस युवती के प्रति बनाया। वह लड़की चमार जाति से थी।

Sant Ravidas Jayanti in Hindi: ब्राह्मण ने अपनी भक्ति धर्म की रक्षा के उद्देश्य से उस युवती के चेहरे को माँ के रूप में मन में धारण कर लिया। दो वर्ष के पश्चात् उस ब्राह्मण साधक ने शरीर छोड़ दिया। उस चमार कन्या का विवाह हो गया। उस साधक ब्राह्मण का जन्म उस चमार के घर हुआ। वह बालक संत रविदास हुआ।

संत रविदास जी का जन्म कहां और किस जाति में हुआ था?

संत रविदास जी परमेश्वर कबीर जी के समकालीन थे। संत रविदास जी का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के बनारस (काशी) में चंद्रवंशी (चंवर) चर्मकार जाति में हुआ था ।

संत रविदास जी के पिता का नाम संतोष दास और माता जी का नाम कलसा देवी था। जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ उस दिन रविवार था इस कारण उन्हें रविदास कहा गया। रविदास जी चर्मकार कुल में पैदा होने के कारण जीवन निर्वाह के लिए अपना पैतृक कार्य किया करते थे तथा कबीर साहेब जी के परम भक्त होने के नाते सतभक्ति भी करते थे। संत रविदास जी जूते बनाने के लिए जीव हत्या नहीं किया करते थे बल्कि मरे हुए जानवरों की खाल से ही जूते बनाया करते थे। सतभक्ति करने वाला साधक इस बात का खास ध्यान रखता है कि उसके कारण किसी जीव को कभी कोई हानि या दुख न पहुंचे।

कौन थे रविदास जी के वास्तविक गुरू तथा संत शिरोमणि?

परमेश्वर कबीर जी ने काशी के प्रसिद्ध स्वामी रामानन्द जी को यथार्थ भक्ति मार्ग समझाया था। अपना सतलोक स्थान दिखाकर वापिस पृथ्वीलोक में छोड़ा था। अर्थात कबीर साहेब जी ने स्वामी रामानंद जी को सतज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक ले कर गए। उससे पहले स्वामी रामानन्द जी केवल ब्राह्मण जाति के व्यक्तियों को ही शिष्य बनाते थे। सतज्ञान से अवगत होने के पश्चात् स्वामी रामानंद जी ने अन्य जाति वालों को भी शिष्य बनाना प्रारम्भ किया था। संत रविदास जी ने स्वामी रामानन्द जी से दीक्षा ले रखी थी। परमेश्वर कबीर जी ने स्वामी रामानन्द जी को प्रथम मंत्र (केवल पाँच नाम वाला) बताया था, उसी को दीक्षा में स्वामी जी देते थे। 

संत रविदास जयंती 2022 पर जानिए किसकी भक्ति करने से रविदास जी का मोक्ष हुआ

संत रविदास जी उसी प्रथम मंत्र का जाप किया करते थे। संत पीपा जी, धन्ना भक्त, स्वामी रामानंद जी और संत रविदास जी के गुरु संत शिरोमणि कबीर साहेब जी (परम अक्षर पुरूष, उत्तम पुरूष, सर्वश्रेष्ठ परमात्मा) ही थे। लेकिन कलयुग में गुरू परम्परा का महत्व बनाए रखने के लिए उन्होंने रामानंद जी को उनका गुरू बनने का अभिनय करने के लिए कहा और पीपा, धन्ना और रविदास जी को रामानंद जी को गुरू बनाने के लिए कहा और मीराबाई को रविदास जी को गुरु बनाने को कहा। लेकिन वास्तव में सबके ऊपर कबीर साहेब जी की ही कृपा दृष्टि थी। संत रविदास जी की वाणी बताती है कि:-

रामानंद मोहि गुरु मिल्यौ, पाया ब्रह्म विसास ।

रामनाम अमी रस पियौ, रविदास हि भयौ षलास ॥

मीराबाई जी के गुरु कौन थे?

संत रविदास जयंती 2023 (Sant Ravidas Jayanti in Hindi) मीराबाई की परीक्षा के लिए कबीर जी ने संत रविदास जी से कहा कि आप ठाकुरों की लड़की, मीरा राठौर को प्रथम मंत्र दे दो। यह मेरा आपको आदेश है। संत रविदास जी ने आज्ञा का पालन किया। संत कबीर परमात्मा जी ने मीरा से कहा कि बहन जी! वो बैठे संत जी, उनके पास जाकर दीक्षा ले लो। बहन मीरा जी तुरंत रविदास जी के पास गईं और बोली, संत जी! दीक्षा देकर कल्याण करो। संत रविदास जी ने बताया कि बहन जी! मैं चमार जाति से हूँ।

आप ठाकुरों की बेटी हो। आपके समाज के लोग आपको बुरा-भला कहेंगे। जाति से बाहर कर देंगे। आप विचार कर लें। मीराबाई अधिकारी आत्मा थी। परमात्मा के लिए मर-मिटने के लिए सदा तत्पर रहती थी। बोली, संत जी! आप मेरे पिता, मैं आपकी बेटी। मुझे दीक्षा दो। भाड़ में पड़ो समाज। कल को कुतिया बनूंगी, तब यह ठाकुर समाज मेरा क्या बचाव करेगा?

सत्संग में बड़े गुरू जी (कबीर जी) ने बताया है कि :-

कबीर, कुल करनी के कारणे, हंसा गया बिगोय।

तब कुल क्या कर लेगा, जब चार पाओं का होय।।

संत रविदास जी उठकर संत कबीर जी के पास गए और सब बात बताई। कबीर साहेब जी के आदेश का पालन करते हुए संत रविदास जी ने बहन मीरा को प्रथम मंत्र नाम दिया। संत रविदास जी से सतभक्ति पाकर मीराबाई जी कहती हैं,

गुरु मिलिया रैदास जी, दीनहई ज्ञान की गुटकी।

परम गुरां के सारण मैं रहस्यां, परणाम करां लुटकी।।

यों मन मेरो बड़ों हरामी, ज्यूं मदमातों हाथी।

सतगुरु हाथ धरौ सिर ऊपर, आंकुस दै समझाती।।

संत रविदास जी छुआछूत के विरोधी थे

चमार जाति में पैदा होने के कारण संत रविदास जी को ऊंच-नींच, छुआछूत, जात-पात का भेदभाव देखने को मिला। संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त बुराईयों जैसे वर्ण व्यवस्था, छुआछूत और ब्राह्मणवाद, पाखण्ड पूजा के विरोध में अपना स्वर प्रखर किया।

चमड़े, मांस और रक्त से, जन का बना आकार।

आँख पसार के देख लो, सारा जगत चमार।।

रैदास एक ही बूंद से, भयो जगत विस्तार।

ऊंच नींच केहि विधि भये, ब्राह्मण और चमार।।

कहै रविदास खलास चमारा।

जो हम सहरी सो मीत हमारा।।

संत रविदास जयंती पर जानिए कैसे रविदास जी ने 700 ब्राह्मणों को अपनी शरण में लिया?

एक रानी संत रविदास जी की शिष्या बन चुकी थी। एक दिन रानी ने भोजन भंडारा आयोजित किया, उस भोजन भंडारे में रानी ने 700 ब्राह्मणों को आमंत्रित किया और अपने गुरु संत रविदास जी को भी आमंत्रित किया। ब्राह्मणों ने जब देखा कि एक नीच जाति का संत रविदास हमारे बीच बैठा हुआ है तो उन्होंने रानी से कहा कि हम इस छोटी जाति के व्यक्ति के साथ भंडारा नहीं करेंगे। जात-पात, छुआछूत को सबसे ऊपर मानने वाले ब्राह्मण लोगों ने ज़िद्द की कि संत रविदास जी को भंडार कक्ष से बाहर निकालो।

रानी ने अपने गुरु जी का अपमान होते देखकर उन ब्राह्मणों को चेतावनीवश कहा “हे ब्राह्मणों अगर आप को भोजन करना है तो करें अन्यथा आप जा सकते हैं लेकिन मैं अपने गुरु जी का अपमान नहीं सुन सकती। गुरु का स्थान परमात्मा के समान है और इनका अपमान करना या सुनना पाप है।“ तब संत रविदास जी ने कहा कि हे रानी, आये अतिथियों का अपमान नहीं करते बेटी। मैं नीच जाति का हूं, मेरा स्थान यहां नहीं इनके चप्पलों में है। इतना कहते ही संत रविदास जी ब्राह्मणों के चप्पल रखने के स्थान पर जा कर बैठ गए और भोजन भंडारा करने लगे।

संत रविदास जयंती 2023: संत रविदास जी से 700 ब्राह्मणों ने नाम दीक्षा ली

अब सभी ब्राह्मण भोजन करने लगे। इसी बीच ब्राह्मणों को एक चमत्कार देखने को मिला कि जैसे संत रविदास जी उनके साथ बैठ कर भोजन कर रहे हैं। सभी ब्राह्मण एक-दूसरे को कहने लगे कि देख तुम्हारे साथ नीच जाति का व्यक्ति भोजन कर रहा है तुम तो अछूत हो गये। संत रविदास जी यह सब सुनकर ब्राह्मणों से पूछते हैं कि क्यों झूठ बोल रहे हो ब्राह्मण जी, मैं तो यहां आपके चप्पलों के स्थान पर बैठा हूं। उन्हें जूतों के पास बैठा देखकर सभी ब्राह्मण आश्चर्यचकित होकर सोच में पड़ जाते हैं कि यदि वे वहाँ बैठा है तो उनके साथ बैठ कर भोजन करने वाला कौन है?

■ Also Read: Guru Ravidas Jayanti पर जानिए संत रविदास जी का जीवन परिचय 

तत्पश्चात संत रविदास जी ब्राह्मणों को बताते हैं कि आप सभी ब्राह्मण तो सूत की जनेऊ पहनते हो लेकिन मैंने तो सोने का जनेऊ पहना है। संत रविदास जी ब्राह्मणों को अपने शरीर के अंदर का सोने का जनेऊ दिखा कर कहते हैं कि वास्तविक संत वह है जिसके पास राम नाम का जनेऊ हो। यह सब सुनने और देखने के बाद सभी ब्राह्मणों ने अपना सिर झुका लिया और हाथ जोड़कर संत रविदास जी से माफी मांगी। इस घटनाक्रम के बाद संत रविदास जी ने पूर्ण परमात्मा कबीर जी की अमृतवाणी का सत्संग किया। इस सत्संग के उपरांत 700 ब्राह्मणों ने संत रविदास जी से नाम दीक्षा लेकर उन्हें अपना गुरु बनाया और पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति करके अपना कल्याण कराया।

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के शिष्य संत गरीबदास जी ब्राह्मणों के विषय में अपनी वाणी में कहते हैं कि –

गरीब, द्वादश तिलक बनाये कर, नाचै घर घर बाय।

कंनक जनेयू काड्या, संत रविदास चमार।|

रैदास ब्राह्मण मत पूजिये, जो होवै गुणहीन।

पूजिय चरन चंडाल के, जो हौवे गुन परवीन।।

संत रविदास जी 151 वर्ष की आयु तक भौतिक शरीर में रहकर सतभक्ति संदेश देते रहे

संत रविदास जी 151 वर्ष तक जीवित रहे और समाज में प्रचलित जाति व्यवस्था, पाखण्ड पूजा, छुआ-छूत , ऊंच-नीच, असमानता के खिलाफ आवाज़ उठाई और सभी को सतभक्ति करने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि हम सब ‘एक पूर्ण परमात्मा’ के बच्चें हैं तथा केवल एक पूर्ण परमात्मा की सच्ची भक्ति करने का संदेश दिया।

संत रविदास जयंती क्यों मनाते हैं?

संत रविदास जयंती उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो उनकी विचार धारा में विश्वास रखते हैं। अधिकतर लोग गुरु रविदास को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं। अपने गुरु के सम्मान और विचारधारा को चलाए रखने के लिए रविदास जी को गुरु मानने वाले इस दिन उनकी याद में नगर कीर्तन, भजन समारोह, सभाओं का आयोजन करते हैं। संत रविदास जी ने पाखंडवाद, जात-पात, ऊंच नीच के भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया। सभी को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। संत रविदास जी ने आन उपासना यानी शास्त्र विरुद्ध साधना को भी नकारा। उन्होंने बताया केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं। उनके अतिरिक्त किसी अन्य देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। इस विषय में संत रविदास जी ने कहा है कि:-

हीरा छाड़ कै, कैरे आन की आस।

ते नर दोजख जाएंगे, सत्य भाखै रविदास।।

किसकी भक्ति करने से संत रविदास जी का मोक्ष हुआ? 

संत रविदास जी परमेश्वर कबीर साहेब जी के साथ रहकर उनके ज्ञान को अच्छे से समझ चुके थे। रामानंद जी से प्रथम चरण की दीक्षा प्राप्त करने के बाद उनकी भक्ति में दृढ़ता को देखकर कबीर साहेब जी ने रविदास जी को सतनाम (दूसरे चरण की दीक्षा) प्रदान किया। कबीर साहेब जी की भक्ति इष्ट देव के रूप में करने से ही संत रविदास जी मोक्ष के अधिकारी हुए। 

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के शिष्य संत गरीबदास जी इसी विषय में अपनी वाणी में कहते हैं कि 

गरीब, रैदास खवास कबीर का, जुगन जुगन सत्संग।

मीरां का मुजरा हुआ, चढ़त नबेला रंग। 

गरीब, नौलख नानक नाद में, दस लख गोरख पास।

अनंत संत पद में मिले, कोटि तिरे रैदास।।

संत रविदास जयंती पर पढ़िए उनके द्वारा कही कुछ प्रसिद्ध वाणियां जो समाज से जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और एक ईश्वर को पहचानने में मदद करेंगी :

चमड़े, मांस और रक्त से, जन का बना आकार। 

आंख पसार के देख लो, सारा जगत चमार ।।

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। 

नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।

रैदास एक ही बूंद से, भयो जगत विस्तार। 

ऊँच नींच केहि विधि भये, ब्राह्मण और चमार॥

निर्गुण का गुण देखो आई। देही सहित कबीर सियाई ।।

सुरत शब्द जऊ एक हों, तऊ पाइहिं परम अनंद। 

रविदास अंतर दीपक जरई, घट उपजई ब्रह्म आनंद॥

इड़ा पिंगला सुसुम्णा, बिध चक्र प्रणयाम। 

रविदास हौं सबहि छाँड़ियों, जबहि पाइहु सत्तनाम॥

वर्तमान में कौन है कबीर साहेब जी के अवतार?

ग्रेट शायरन, मसीहा, बाखबर, तत्वदर्शी, संत, विश्व विजेता संत तथा कबीर परमेश्वर जी का अवतार कहे जाने वाले संत हिंदुस्तान की धरा पर मौजूद, कोई और नहीं संत रामपाल जी महाराज हैं, जो वर्तमान में कबीर साहेब के सच्चे पंथ को आगे बढ़ा रहे हैं। दरअसल कबीर साहेब का पथ ही सच्चा आदि सनातन पंथ (मानव पंथ) है। जिसकी वजह से सभी जाति, धर्म, मज़हब के लोग (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अन्य  सभी धर्म) संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं तथा एक छत के नीचे बैठकर प्रेम और भाईचारे से सत्संग सुन पा रहे हैं।

पूर्ण परमात्मा की सही भक्ति विधि, यथार्थ सतज्ञान, वास्तविक मंत्रों का जाप केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। इनके अतिरिक्त विश्व में किसी के पास यथार्थ भक्ति मार्ग नहीं है। आप सभी से निवेदन है कि मनुष्य जीवन रहते हुए समझिए: 

जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा।

हिंदू, मुस्लिम,सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति आरंभ करें। 

सतज्ञान जानने के लिए पढ़ें सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पवित्र पुस्तकें

संत रामपाल जी महाराज विश्व में एकमात्र ऐसे सतगुरु हैं जो कि सभी संतों की वाणियों और पवित्र सदग्रंथों से प्रमाणित ज्ञान दिखा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Visit करें और संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा सर्वधर्म ग्रंथों के आधार पर लिखित आध्यात्मिक पुस्तक ज्ञान गंगाको अवश्य पढ़ें।

FAQ about Sant Ravidas Jayanti

संत रविदास की जयंती क्यों मनाई जाती है?

संत रविदास जी तथा उनकी बताई आध्यात्मिक बातों को याद करने के लिए उनकी जयंती मनाई जाती है।

रविदास जी किसकी भक्ति करते थे?

संत रविदास जी परम अक्षर ब्रह्म कबीर परमेश्वर जी की भक्ति करते थे।

संत रविदास जी किस प्रकार के संत थे?

संत रविदास जी सच्चे समाज सुधारक, पाखंड के विरोधी तथा सत भक्ति करने वाले सच्चे संत थे।

संत रविदास जी ने ज्ञान चर्चा में एक बार कितने ब्राह्मणों को हराया था?

700 ब्राह्मणों को।

मीराबाई के गुरु कौन थे?

संत रविदास जी मीराबाई के शुरुआती गुरु थ। बाद में कबीर साहेब ने मीराबाई को दीक्षा दी थी।

मीराबाई को अपनी शिष्या बनाने के लिए संत रविदास जी से किसने कहा था?

मीराबाई को शिष्या बनाने के लिए संत रविदास जी से कबीर साहेब ने कहा था।

Abhishek Das Rajawat
Abhishek Das Rajawathttps://news.jagatgururampalji.org/author/abhishekdasji/
Name: Abhishek Das | Editor, SA News Channel (2015 - present) A dedicated journalist providing trustworthy news, Abhishek believes in ethical journalism and enjoys writing. He is self starter, very focused, creative thinker, and has teamwork skills. Abhishek has a strong knowledge of all social media platforms. He has an intense desire to know the truth behind any matter. He is God-fearing, very spiritual person, pure vegetarian, and a kind hearted soul. He has immense faith in the Almighty. Work: https://youtu.be/aQ0khafjq_A, https://youtu.be/XQGW24mvcC4

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Know About the Principles of Gandhiji on Gandhi Jayanti 2023

Last Updated on 1 October 2021, 4:30 PM IST: Gandhi Jayanti 2021: Today through this blog light will be thrown on Mahatma Gandhi’s Jayanti and why he is considered to be the Father of the nation. Along with this, the blog will brief the readers about who is actually the Father of each and every soul present in all the universes. To know everything, just explore the blog completely.

Encourage yourself and others to Be Vegetarian on World Vegetarian Day 2023

World Vegetarian Day is observed annually around the globe on October 1. It is a day of celebration established by the North American Vegetarian Society in 1977 and endorsed by the International Vegetarian Union in 1978, "To promote the joy, compassion and life-enhancing possibilities of vegetarianism." It brings awareness to the ethical, environmental, health, and humanitarian benefits of a vegetarian lifestyle.

Shradh 2023 (Pitru Paksha): Shradh Karma Is Against Our Holy Scriptures!

From dates, ceremonies, and rituals to meaning and significance, know all about Shradh (Pitru Paksha).

Shradh in Hindi | श्राद्ध (पितृ पक्ष) 2023: इस क्रिया से होगा आपका और आपके पितरों का कल्याण

श्राद्ध (पितृ पक्ष) 2021: जाने कौनसी क्रिया से होगा आपका और आपके पितरों का कल्याण