September 14, 2024

कैसे हुआ गंगा नदी का उद्गम, क्या है इसका इतिहास, आखिर क्यों गंगाजल खराब नहीं होता?

Published on

spot_img

Last Updated on 19 August 2024 IST: गंगा एक ऐसी नदी जिसका पानी विश्व की किसी भी अन्य नदी से अलग है। गंगा एक ऐसी नदी है जो केवल पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि जनमानस की अभिव्यक्ति में भी लोकोक्तियों एवं मुहावरों के रूप में बहती है। अपनी इसी लोकप्रियता एवं अद्वितीय रूप में बहने के कारण यह लगातार जन्म मृत्यु के उपरांत किये जाने वाले कर्मकांड का हिस्सा बनी। आइए जानें क्या है गंगा जल का रहस्य? कैसे आई गंगा पृथ्वी पर और क्यों है यह अतुलनीय। साथ ही हम जानेंगे गंगा नदी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य।

गंगा की कथा (Story of Ganga River)

चित्रों एवं मूर्तियों में हमें गंगा नदी शिव जी की जटाओं से निकली हुई दिखाई जाती है। जितने भी देवी देवता हैं उनके अपने अपने लोक हैं। जैसे ब्रह्मा जी का अपना लोक है,  विष्णु जी का अपना लोक है और शिवजी का अपना लोक है। प्रत्येक लोक में सरोवर होते है उसी तरह शिवलोक में भी सरोवर है नदी गंगा के रूप में। वास्तव में गंगा शिवलोक की भी नहीं है। इसे अमर लोक यानी सतलोक से शिव लोक में भेजा गया था। विचार कीजिए आखिर क्यों गंगा का जल इस पूरे विश्व का सबसे निर्मल और स्वच्छ जल है? यह कैसे सम्भव है? कौन सा है अमर लोक जहाँ से गंगा भेजी गई और जिसे शिवलोक से पृथ्वी पर भेजा गया। गंगा के कई पर्यायवाची शब्द हैं अर्थात गंगा को हेमवती, जान्हवी, मंदाकिनी, अलकनंदा, त्रिपथगा आदि नामों से जाना जाता है।

गंगा नदी का इतिहास

गंगा नदी सबसे पवित्र क्यों है एवं इसका क्या रहस्य है यह अब भी लोगों के मध्य रहस्य और कौतूहल का विषय है। गंगा का इतिहास लम्बा है। इस नदी से लोगों की धार्मिक आस्थाएं भी जुड़ी हुई हैं। गंगा नदी का उद्गम स्थान है उत्तराखंड। नदी गंगा उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री से निकलकर बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। जहां यह मुख्य रूप से भारत मे बहती हुई नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं के भीतर भी होती है वहीं भारत के राज्यो में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों से होकर बहती है। भारत के इतिहास में मौर्य साम्राज्य से लेकर मुगल साम्राज्य तक गंगा के मैदान सबसे अधिक उपजाऊ और प्रमुख स्थान माने जाते रहे हैं। गंगा नदी सबसे पवित्र मानी जाती है क्योंकि इसका पानी कभी खराब नहीं होता साथ ही अन्य सभी नदियों की तुलना में गंगा में ऑक्सीजन का स्तर 25 फीसदी ज्यादा होता है। प्रसिद्ध कुम्भ का मेला भी वर्षों से गंगा के किनारे लगता है। 

गंगा नदी कैसे पृथ्वी पर आई?

गंगा नदी एक स्वच्छ और पवित्र जल है जिसके समान इस पूरी पृथ्वी पर कोई अन्य जलस्त्रोत नहीं है। गंगा पृथ्वी पर कैसे आई? वास्तव में गंगा को सतलोक से जो कि वह लोक है जो सर्वोत्तम और अविनाशी है से वहाँ के मानसरोवर से मात्र एक मुट्ठी ब्रह्मलोक में भेजा गया। ब्रह्मलोक यानी ब्रह्मा विष्णु महेश के पिताश्री क्षर ब्रह्म या ज्योति निरजंन के लोक और वहाँ से फिर वह विष्णुलोक में आई और फिर आई शिवलोक के जटा कुंडली नामक स्थान पर। शिवलोक में आने के बाद गंगा पृथ्वी पर हिमालय में आकर प्रकट हुई जहां ये जम गई जिसके बारे में यह कथा प्रचलित है कि गंगा पृथ्वी पर तपस्वी भागीरथ के द्वारा तप के माध्यम से लाई गई।

गंगा पृथ्वी पर तब भी आती यदि उसे कोई तपस्वी लाने के लिए तप नहीं करता क्योंकि परम् पिता परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा वह भेजी ही इस उद्देश्य से गई थी कि पृथ्वी पर हम प्रमाण पा सकें कि वास्तव में अविनाशी जो कभी नष्ट न हो उस स्थान का जल ऐसा है। सतलोक वह स्थान है जहाँ से गंगा मात्र एक मुट्ठी आई वाष्प रूप में वहाँ कोई वस्तु खराब नहीं होती और न ही वहां के निवासी मरते अथवा वृद्ध होते हैं।

गंगा नदी का मानचित्र

गंगा नदी की लंबाई 2510 किलोमीटर है। यह लम्बाई भारत के हिस्से की है। क्या आप जानते हैं गंगा नदी किस दिशा में बहती है? यह उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालय से निकलर दक्षिणी पूर्व की ओर बहती है। गंगा की कई सहायक नदियां हैं। गंगा बीच में अनेकों नदियों को अपने भीतर समाहित करती हुई बहती है जैसे यमुना, घाघरा, कोसी, गंडक, काक्षी, रामगंगा, सरयू, ताप्ती, बेतवा, सोन, केन हैं। गंगा नदी के मानचित्र के हिसाब से देखें तो गंगा भागीरथी के रूप में गंगोत्री से निकलकर देवप्रयाग में अलकनन्दा से मिलकर गंगा बनती है। इलाहाबाद के निकट यमुना, गंगा एवं सरस्वती नदियां मिलती हैं जिसे संगम कहा जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में जमुना के नाम से भागीरथी में मिलती है।

गंगा नदी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • गंगा नदी वास्तव में सबसे अलग है यह सर्व विदित है। लेकिन यह क्यों अलग है इस विषय में आज निर्णय दिया जाएगा। गंगा नदी का पानी इतना शुद्ध है कि इसमें अन्य बैक्टीरिया मिलाने पर मर जाते हैं ऐसा ब्रिटिश प्रयोगशाला में पाया गया।
  • गंगा जल में बैक्टीरिया से लड़ने की विशेष क्षमता होती है। गंगा में अन्य नदियों की तुलना में 25 प्रतिशत ऑक्सिजन का स्तर ऊंचा है।
  • गंगा का पानी कभी भी खराब नहीं होता है साथ ही आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गंगा नदी विश्व की इकलौती ऐसी नदी है जो अन्य किसी भी नदी की तुलना में कार्बनिक कचरे का 15 से 25 गुणा अधिक तेजी से विघटन करती है।
  • गंगा के मुहाने पर बना सुंदरबन डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है जोकि 59,000 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है।

सतलोक से गंगा नदी पृथ्वी पर क्यों भेजी गई?

आज हम सभी जितने भी जीव हैं जानवरों एवं इंसानों समेत वे सभी सतलोक के निवासी थे। अविनाशी लोक की हम सभी आत्माएं हैं जहाँ सुख ही सुख हैं दुख का कोई नामोनिशान ही नहीं है। ऐसे स्थान से हम ज्योति निरजंन की तपस्या से मुग्ध होकर अपने अविनाशी लोक को छोड़कर उसके 21 ब्रह्मांडो में चले आए। सतलोक में कर्म का सिद्धान्त नहीं है किंतु यहाँ आकर जो अनजाने में किए कर्म हैं उनका भी दण्ड भोगते हुए हम कभी चींटी, कभी सुअर तो कभी कुत्ते आदि की योनियों में कष्ट उठाते हैं। गंगा नदी सतलोक से इस मृत लोक में आई है और सतलोक की सभी वस्तुए अविनाशी है इसलिए गंगा का जल कभी खराब नहीं होता।

Ganga River Story in Hindi

गंगा नदी को भेजने का उद्देश्य यही था कि हमारे लिए प्रमाण हो कि अविनाशी अमर लोक कोई अन्य है जहाँ वास्तव में कुछ भी नष्ट नहीं होता न ही कलुषित होता है। वापस उसी और चलना श्रेयस्कर है जहाँ से हम आये थे स्वेच्छा से अब लौटेंगे उसी सतलोक की ओर। जिसने ज्ञान समझ लिया वह सिर पर पांव रखकर निजस्थान की ओर दौड़ेगा और जिसे अब भी तत्वज्ञान नहीं समझ आया वह पुनः चौरासी लाख योनियों में धक्के खाएगा।

गंगा नदी में बढ़ता प्रदूषण

गंगा नदी चूंकि लोगों की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी है इस कारण और अन्य नदियों का पानी जिस तरह प्रदूषित हुआ है उससे दोगुनी तेजी से गंगा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। शवों को बहाना, अस्थियों का बड़ी संख्या में विसर्जन, विशेष अवसरों पर गंगा में बड़ी संख्या में स्नान आदि क्रियाओं ने गंगा को प्रदूषित किया और इस कारण गंगा विश्व की पांचवी सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल हो गई जिसके बाद सन 1985 से  लगातार सरकार के द्वारा गंगा विकास प्राधिकरण, गंगा एक्शन प्लान, नेशनल रिवर कन्जर्वेशन एक्ट, नमामि गंगे परियोजना, स्वच्छ गंगा अभियान के तहत गंगा को साफ करने की ओर बराबर ध्यान दिया गया तथा यह सुनिश्चित किया गया कि औद्योगिक कचरे को गंगा में प्रवाहित न किया जाए।

एक बात यहाँ फिर स्पष्ट करने योग्य है कि इतना प्रदूषण होने के बाद भी गंगा नदी का जल कभी खराब नहीं हुआ। इसकी विशेषता ज्यों की त्यों रही। हालांकि इन सभी प्रयासों से अधिक असर कोरोना महामारी के समय लॉक डाउन से हुआ जिसके बाद गंगा में पुनः डॉल्फिन भी देखी गईं थीं। किंतु कोरोना की महामारी बढ़ते ही पुनः शवों को गंगा में बहाया जाने लगा था।

गंगा का पानी हरा क्यों है?

पिछले कुछ समय से लगातार गंगा का पानी हरा होता देखा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक विश्वनाथ कॉरिडोर का प्लेटफार्म बनाने से गंगा का प्रवाह कम हुआ है और इसके अवरुद्ध होने के कारण गंगा में काई जमने लगी है। काई जमने के कारण यह हरा होता दिखने लगा है। विश्वनाथ कॉरिडोर का प्लेटफार्म मणिकर्णिका घाट से सटा हुआ है। आइए गंगा का जल इतना पवित्र क्यों है जानने की कड़ी में इसका पौराणिक महत्व भी देखें।

गंगा घाट

सभ्यताओं के विकास सदैव नदियों के किनारे होता आया है। आज भी बड़े बड़े शहर नदियों के किनारे बसे हुए हैं। इन शहरों की खूबसूरती बढ़ाते हुए कई घाट भी मौजूद होते हैं जो विशेष आकर्षण का विषय होते हैं। गंगा नदी भी इसका अपवाद नहीं है। गंगा प्रमुख रूप से ऋषिकेश, हरिद्वार, बनारस, कानपुर, पटना, गाज़ीपुर, बक्सर, बलिया, हाजीपुर, मुंगेर से होकर गुजरती है। इस श्रेणी में बनारस या वाराणसी स्थित गंगा घाट बहुत ही प्रसिद्ध घाट है। गंगा के घाट प्राचीन काल से ही विभिन्न लेखकों, संगीतज्ञों, फ़िल्म निर्माताओं, छायाकारों का आकर्षण स्थल रहे है। गंगा नदी के विभिन्न घाट हैं जैसे मणिकर्णिका घाट जो कि श्मशान स्थल के रूप में है, दश्वाशमेध घाट स्नान आदि के लिए प्रसिद्ध है। गंगा के घाटों पर केवल पर्यटक ही नहीं बल्कि शहरवासी एवं श्रद्धालुओं का भी आगमन होता रहता है।

गंगा उत्पत्ति से जुड़े विभिन्न मिथक

गंगा नदी जिसे भागीरथी, त्रिपथगा आदि के नाम से भी जाना जाता है, से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जैसे गंगा की उत्पत्ति कैसे हुई? इस विषय में अनेकों दंत कथाएं सुनी जा सकती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा की कोई एक कहानी नहीं है क्योंकि ये सभी अनभिज्ञ थे कि गंगा कैसे पृथ्वी पर आई। कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा शिव की दूसरी पत्नी हैं जो पार्वती के कारण शिव की जटाओं में रहती हैं। कुछ मान्यताएं ब्रह्मा के शाप को इसका कारण ठहराती हैं जिस कारण गंगा पृथ्वी पर आई और राजा शांतनु की पत्नी बनी।

अधिकांश मान्यताएं भगीरथ तपस्वी को इसका श्रेय देती हैं जो बहुसंख्या में जनमानस द्वारा स्वीकार किया जाता है कि ऋषि भगीरथ के तप के बाद शिवजी ने गंगा पृथ्वी पर भेजी। अब हम वास्तविक कारण जानेंगे कि गंगा पृथ्वी पर कैसे आई। गंगा का नाम गंगा कैसे पड़ा? वास्तव में भागीरथी,  गंगा का प्राचीन नाम था। यह नदी देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर गंगा के नाम से जानी जाती है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर गंगा का नाम the ganges (द गैंगिज़) है। अब हम जानेंगे गंगा से जुड़े रहस्य के विषय में।

सतलोक और काल लोक में अंतर

सतलोक परम् अक्षर ब्रह्म कविर्देव का स्थान है। जहां हम सभी आत्माएँ रहते थे। वेदों के अनुसार प्रत्येक युग मे पूर्ण परमेश्वर स्वयं आकर तत्वदर्शी सन्त की भूमिका निभाते हैं और तत्वज्ञान समझाकर मूल मंत्र बताकर हमे निजस्थान लेकर जाते हैं। सतलोक का मालिक अचल, अभंगी, सर्वोच्च, सर्वोत्तम, सर्वहितैषी, दयावान, दाता, सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर साहेब हैं, जिनके ऊपर किसी की सत्ता नहीं है किंतु उनकी सत्ता सब पर है। 

उस अविनाशी लोक में कोई पदार्थ न तो नष्ट होता है और ना ही कोई दुख आदि हैं। वहाँ रहने वाली आत्माएं हंस कही जाती हैं तथा वे सदा युवा रहती हैं। सतलोक में न रोग है, न शोक है, न कष्ट है, न अवसाद है, न चिंताएँ हैं, न दुख है, न भय है, न बुढ़ापा है और न ही मृत्यु होती है। सर्व मानव समाज से प्रार्थना है एक बार तत्वज्ञान समझें और पुनः अपने निजलोक की ओर जाने की तैयारी करें। विचार करें जिस सतलोक के मानसरोवर की मात्र एक मुट्ठी जल गंगा है वह लोक कितना अद्वितीय होगा।

बहुर न लगता डार

जिस प्रकार टूटा पत्ता पुनः डाल पर नहीं लगता है उसी प्रकार मनुष्य जन्म का जो समय गया तो वह कभी लौटेगा नहीं। मनुष्य का जन्म मिलना कठिन है और मिलने पर मोक्षप्राप्ति कठिन है। मोक्ष केवल तत्वदर्शी सन्त की शरण में होता है और यदि जन्म में तत्वदर्शी सन्त मिल भी जाए तो तत्वज्ञान समझना दुष्कर है। तत्वदर्शी सन्त वह ज्ञान और मूल मंत्र देता है जिसकी आस में करोड़ों ऋषि मुनि तपस्या करते रहे किन्तु ब्रह्मलोक तक की ही साधनाएँ कर सके। किन्तु आज हमारे समक्ष अवसर है। 

Also Read: Ganga Dussehra (गंगा दशहरा) क्या स्नान से पाप कटेंगे?

सन्त रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं जिन्होंने तत्वज्ञान दिया और गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 के अनुसार गूढ़ मन्त्र दिए हैं। अतिशीघ्र उनकी शरण में आएं जिससे इस जीवन मे भी सुख हो और मृत्यु के पश्चात वास्तविक मोक्ष प्राप्ति हो। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल

Latest articles

Hindi Diwas 2024: Honouring The Language That Unites India

Hindi Diwas is celebrated on 15 september every year in india. Know about the Date, Purpose, Significance, Events, Ceremonies, & Celebration of Hindi Diwas

World Suicide Prevention Day 2024: Human Life is Very Precious

Last Updated on 12 September 2024 IST: World Suicide Prevention Day is observed every...

संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस के भव्य तीन दिवसीय समारोह की विशेष रिपोर्ट

संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस के शुभ अवसर पर सतलोक आश्रम में...
spot_img

More like this

Hindi Diwas 2024: Honouring The Language That Unites India

Hindi Diwas is celebrated on 15 september every year in india. Know about the Date, Purpose, Significance, Events, Ceremonies, & Celebration of Hindi Diwas

World Suicide Prevention Day 2024: Human Life is Very Precious

Last Updated on 12 September 2024 IST: World Suicide Prevention Day is observed every...