April 16, 2025

Vaisakhi (Baisakhi) 2025: वैशाखी पर जानिए कैसे होगी सुख, शांति, समृद्धि तथा पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति?

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Last Updated on 13 April 2025 IST: Vaisakhi Festival in Hindi (बैसाखी) 2024: वैसाखी (बैसाखी) 2025: हिंदुओं और सिखों के द्वारा मनाया जाने वाला वैसाखी पर्व एक वसंत फसल उत्सव है जो प्रत्येक वर्ष 13 या 14 अप्रैल (ग्रेगोरियन कैलेंडर) को मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 13 अप्रैल रविवार को मनाया जा रहा है।  प्रत्येक वर्ष हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत के प्रथम माह में यह पर्व आता है। बैसाखी को रबी फसलों के त्योहार के रूप में पूरे भारत वर्ष में मनाते है। पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, उत्तरप्रदेश में इसका विशेष महत्व है। 

सन् 1699 में बैसाखी के दिन ही सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। भारत के कई राज्यों, जैसे असम में ‘बोहाग बिहू’, पश्चिम बंगाल में ‘पोइला बैसाख’, ओडिशा में ‘महा विशुबा संक्रांति’, तमिलनाडु में ‘पुथांडू’ या ‘पुथुवरुषम’, केरल में ‘विशु’ के रूप में इस दिन नव वर्ष मनाते हैं। किसान अपनी नई फसल से लहलहाते खेतों को देख कर इस दिन भगवान को अपना धन्यवाद प्रकट करते हैैं। पाठक गण इस पर्व पर जानेंगे कि सतलोक में जहां हमेशा बैसाखी सा माहौल रहता है वहां हम पूर्णगुरु से नामदीक्षा लेकर कैसे जा सकते हैं?

Vaisakhi Festival in Hindi (Baisakhi) 2025: मुख्य बिंदु

  • वैसाखी का पर्व इस वर्ष रविवार, 13 अप्रैल को मनाया जा रहा है।
  • प्रमुख रूप से यह दिन हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, उत्तरप्रदेश में वैसाखी या बैसाखी के रूप में मनाया जाता है।
  • सन् 1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
  • बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अतः इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं।
  • सतलोक में हमेशा रहती है बैसाखी।
  • सुख, शांति, समृद्धि, मोक्ष चाहने वाली प्रभु प्रेमी सभी आत्माएं जाने महत्वपूर्ण संदेश।

Vaisakhi (Baisakhi) 2025: वैसाखी या बैसाखी कब और कहाँ मनाया जाता है?

Vaisakhi Festival in Hindi (बैसाखी) 2025: वैसाखी का पर्व इस वर्ष शनिवार, 13 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह त्योहार प्रमुख रूप से हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब राज्यों में वैसाखी या बैसाखी के रूप में मनाया जाता है। साथ ही भारतवर्ष के कई राज्यों और समुदायों में इसे अपने नव वर्ष और वसंत पर्वों के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा भर में श्रद्धालु बैसाखी के त्योहार को गुरुद्वारों में मनाते हैं जो खालसा पंथ के स्थापना दिवस का प्रतीक है। 

Vaisakhi (Baisakhi) in Hindi: वैसाखी का ऐतिहासिक महत्व

वैसाखी (बैसाखी) 2025: वैसाखी के दिन गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों को ललकारा था, जो अपनी जान देने के लिए तैयार हैं वे आगे आएं। वहाँ एकत्रित लगभग एक हजार लोगों की भीड़ में से केवल पांच लोग ही आगे आए। गुरु गोबिंद सिंह ने उन सभी पाँच स्वयंसेवकों को “अमृत” के साथ बपतिस्मा दिया। गुरुजी ने संत-सैनिकों के पांच सदस्यीय “खालसा” नामक समूह का गठन किया। 

कैसे मनाते हैं बैसाखी?

Vaisakhi Festival in Hindi (बैसाखी) 2025:: बैसाखी पर्व को खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। बैसाखी का पर्व कई मायनों में खास है, ऐसा माना जाता है कि बैसाखी के दिन ही गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्‍थापना की थी। सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह द्वारा बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखने के उपलक्ष्य में गुरुद्वारों में और सार्वजनिक उत्सवों के रूप में सिखों और हिंदुओं द्वारा बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।   

■ Read in English: Vaisakhi Festival: Correct Knowledge About Satnaam Mantra Holds The Key To Sachkhand

Vaisakhi (Baisakhi) 2025 [Hindi]: किसानों का पर्व है वैसाखी 

बैसाखी का आगमन प्रकृति के परिवर्तन को दर्शाता है। सूर्य का मेष राशि में प्रवेश बैसाखी का आगमन है। बैसाखी पर्व विशेष रुप से किसानों का पर्व है। भारत के उत्तरी प्रदेशों विशेष कर पंजाब में बैसाखी पर्व के दौरान किसानों की गेहूँ की फसल पक कर तैयार हो जाती है और इस दिन गेहूं, तिलहन, गन्ने आदि की फसल की कटाई शुरू होती है। अपने खेतों में गेहूँ की भरी बालियां देख कर किसान फूले नहीं समाते, और भगवान को अपना धन्यवाद प्रकट करते हैैं कि हमारी मेहनत आपकी कृपा से ही रंग लाई। सतलोक में हमेशा बैसाखी रहती है हम पूर्णगुरु अर्थात सतगुरु से सतनाम लेकर सत भक्ति करके ही सतलोक जा सकते हैं । इस बैसाखी पर हम जानेंगे कि कौन है पूर्ण गुरु और कौन है पूर्ण परमात्मा?

सतलोक में मना सकते हैं सदा रहने वाली बैसाखी

Vaisakhi Festival in Hindi (बैसाखी) 2025: धरती पर पर्व लोकवेद के अनुसार मनाए जाते हैं जिनका समय क्षणिक और सुख क्षणभंगुर होता है। किंतु पाठकों को यहाँ यह जानना जरूरी है कि परमपिता परमात्मा कबीर साहेब के स्थाई निवास सतलोक में बैसाखी से असंख्य गुना ज़्यादा खुशी के पर्व हमेशा बने रहते हैं और सतगुरु के माध्यम से ही हम सब लोग वहां जा सकते हैं ।

कौन है पूर्ण गुरु तथा उसकी पहचान और कौन है पूर्ण परमात्मा? 

वर्तमान में पृथ्वी पर एकमात्र पूर्ण संत तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जो सतनाम अर्थात सत मंत्रों को देने के अधिकारी हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 4, अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता ज्ञानदाता कहता है कि उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपा से ही तू परम शान्ति तथा सनातन परम धाम सतलोक चला जाएगा। जहाँ जाने के पश्चात् साधक का जन्म-मृत्यु का चक्र सदा के लिए छूट जाता है।

जैसे हम वैशाखी को अपभ्रंश तरीके से बैसाखी बोलते हैं ऐसे ही कविर्देव को हम कबीर साहेब (देव) बोलते हैं। कबीर साहेब जी को कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है जो निम्न हैं, (कबीर साहब, कबीर देव, अल्लाह कबीर, हक्का कबीर, ऑलमाइटी कबीर, संत कबीर, परमात्मा कबीर, सतपुरुष, अगम पुरुष, अलख पुरुष, अनामी पुरुष, जिंदा महात्मा, अल खिज्र)।

कैसा है हमारा घर सतलोक?

नानक साहेब को भी परमेश्वर कबीर जी सतलोक लेकर गए थे और उनको तत्वज्ञान बताया था जिसे देखने के बाद उन्होंने कहा था:-

फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।

खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।

मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।

नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।

प्रमाण:- गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29

परम संत गरीबदास जी महाराज जी ने अपनी अमृतवाणी में कहा है, इस काल के लोक में क्या खुशी मनाएं, कभी भी कोई भी कहर टूट जाता है, परिवार के परिवार नष्ट हो जाते हैं, खड़ी और पकी फसल बर्बाद हो जाती है। असमय आने वाली प्राकृतिक आपदायें हर समय चिंता का कारण बनी रहती हैं किंतु सतलोक के अंदर वैशाखी से भी असंख्य गुना सुंदर पर्व, माहौल, वातावरण हमेशा बना रहता है, हर समय परमात्मा के दर्शन सुलभ हैं, सभी लोग आनंदित और सुखी रहते हैं। इसलिए सतलोक को सुख का सागर कहा जाता है अर्थात जैसे सागर का जल कभी समाप्त नहीं होता, वैसे ही सतलोक का सुख कभी समाप्त नहीं होता हमेशा बना रहता है।

शंखों लहर मेहर की ऊपजैं, कहर नहीं जहाँ कोई।

दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।

मन तू चल रे सुख के सागर, जहां शब्द सिंधु रत्नागर।।

सुख, शांति, समृद्धि, निरोगी काया और पूर्ण मोक्ष चाहने वालों के लिए महत्वपूर्ण संदेश 

हम सभी का सौभाग्य है कि वर्तमान में पूर्ण संत धरती पर मौजूद हैं अर्थात हम उनसे नाम दीक्षा लेकर सतनाम प्राप्ति करके अपना उद्धार करवा सकते हैं। वर्तमान में वे जगतगुरु तत्वदर्शी संत कोई और नहीं, संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जिन्होंने सभी सदग्रन्थों से प्रमाणित करके सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान शिक्षित समाज के सामने रख दिया है। आप सभी से प्रार्थना है कि पूर्ण गुरु की वास्तविक जानकारी के लिए  संत रामपाल जी महाराज एप्प डाउनलोड करें, सत्संग सुनें और नाम दीक्षा लेकर भक्ति करें और सतलोक चलें।

Vaisakhi Festival in Hindi (Baisakhi) 2025: FAQ

प्रश्न – वैशाखी 2025 कब मनाई जाएगी?

उत्तर – 13 अप्रैल

प्रश्न – वैशाखी के दिन सिख गुरु गोविंद सिंह ने किस पंथ की स्थापना की थी?

उत्तर – खालसा पंथ 

प्रश्न – पूर्णमोक्ष कैसे प्राप्त होता है?

उत्तर – पूर्ण संत से उपदेश लेकर सतनाम अर्थात सच्चे मंत्रों के जाप से पूर्णमोक्ष मिलता है।

वैसाखी क्या है?

वैसाखी फसलों की कटाई का त्योहार होने के साथ-साथ सिख धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है। यह आमतौर पर हर साल अप्रैल के महीने में सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है। इसे सिख नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है।

गुरु नानक देव जी और वैसाखी का क्या संबंध है?

वैसाखी के दिन ही 1699 में खालसा पंथ की स्थापना हुई थी, जिसे गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। इस दिन को गुरु नानक देव जी के संदेशों, विशेष रूप से “सतनाम” के सिद्धांत को याद करने के अवसर के रूप में भी देखा जाता है।

“सतनाम” का क्या अर्थ है?

सतनाम एक गुप्त मंत्र की ओर संकेत है। सतनाम मंत्र को केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं और वह संत रामपाल जी महाराज जी के अलावा कोई नहीं है।

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