November 29, 2023

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह जयंती (प्रकाश पर्व) पर जानिए वर्तमान में कौन है पूर्ण गुरु?

Published on

spot_img

Last Updated on 29 December 2022, 12:40 PM IST: सिक्ख समुदाय के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी थे। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष शुक्ल सप्तमी को बिहार के पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती प्रकाश पर्व (Guru Gobind Singh Jayanti 2022) के रूप में मनाई जाती है जो इस वर्ष 29 दिसंबर 2022 को है। जानिए कौन है आज सतगुरु, कौन से मंत्र से होगा पूर्ण मोक्ष तथा कौन है परवरदिगार अर्थात सर्व का सृष्टिकर्ता?

Guru Gobind Singh Jayanti 2022 के मुख्य बिंदु

  • सिक्खों के दशवें गुरु थे गुरु गोबिंद सिंह जी
  • इस वर्ष 29 दिसंबर 2022 को मनाई जा रही है 355वीं जयंती
  • खालसा पंथ के संस्थापक का श्रेय भी इन्हें ही जाता है
  • गुरु गोबिंद सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित कर दिया था
  • गुरु गोबिंद सिंह जी को “संत सिपाही” भी कहा जाता है
  • गुरु गोबिंद सिंह जी को “सरबंसदानी’ (सर्ववंशदानी)” की संज्ञा भी दी जाती है
  • गुरु गोबिंद सिंह जी के पिताजी थे सिक्ख समुदाय के नौवे गुरु तेग बहादुर
  • वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र पूर्ण गुरु हैं
  • पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी ही वाहेगुरु, हक्का कबीर, आलम बड़ा कबीर हैं

Guru Gobind Singh Jayanti 2022 पर जानिए गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन परिचय

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह जी सिख समुदाय के नवम् गुरु तेग बहादुर जी की इकलौती सन्तान थे। उनकी माता का नाम गूजरी था। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष शुक्ल सप्तमी विक्रमी सम्वत 1723 को बिहार के पटना में हुआ था। उनकी 4 सन्तानें थीं अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह तथा फतेह सिंह। 42 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र प्रान्त के नांदेड़ में गुरु गोबिंद सिंह जी का देहांत हो गया था।

कब है गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2022)?

गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष पौष शुक्ल सप्तमी प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष 29 दिसंबर 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जी की 355वीं जयंती मनाई जा रही है।

गुरु गोबिंद सिंह जी निडर और बहादुर योद्धा थे

गुरु गोबिंद सिंह जी बेहद ही निडर और बहादुर योद्धा थे। गुरु गोबिंद सिंह विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे। एक युद्ध में औरंगज़ेब को धूल चटाने के साथ हिन्दुस्तान से मुग़ल राज का अंत हुआ। उसने गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेक दिए। उसके बाद औरंगजेब ने गुरु गोबिंद सिंह जी से एक प्रश्न किया कि आपकी छोटी सी सेना ने मेरी 10 लाख की फ़ौज को उखाड़ फेका, यह कैसे किया? गुरु गोबिंद सिंह जी ने उसे उत्तर दिया –

चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ।
सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ।

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह जी एक लेखक और एक कवि भी थे

गुरु गोबिंद सिंह जी वीर रस के ओजस्वी कवि भी थे। गुरु गोविंद सिंह जी ओजस्वी कवि होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे।, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी जैसी कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में 52 कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता था। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। गुरु गोबिंद सिंह जी की कृतियाँ – जापा साहिब, अकाल उस्ततः, बिचित्र नाटक(आत्मकथा), चण्डी चरित्र, शास्त्र नाम माला, अथ पख्याँ चरित्र लिख्यते, जफ़रनामा, खालसा महिमा।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने की थी खालसा पंथ की स्थापना

गुरु गोबिंद सिंह जी आध्यात्मिक गुरु होने के साथ ही कवि और दार्शनिक भी थे। उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की और हर सिख के लिए कृपाण या श्रीसाहिब धारण करना अनिवार्य कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्ख समुदाय को जीवन जीने के लिए पांच सिद्धांत दिए हैं, जिन्हें पंच ककार कहा जाता है। ये पांच चीजें हैं – केश, कड़ा, कृपाण, कंघा, औऱ कच्छा।

Guru Gobind Singh Jayanti 2022 पर जानते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी के अनमोल विचार

  1. अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं।
  2. अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करें।
  3. काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर किसी तरह का आलस्यपन न करें।
  4. अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंडी होने से बचें।
  5. दुश्मन का सामना करने से पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें।
  6. किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें।
  7. हमेशा जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद जरूर करें।
  8. खुद को सुरक्षित रखने के लिए नियमित व्यायाम और घुड़सवारी का अभ्यास जरूर करें।
  9. किसी भी तरह के नशे और तंबाकू का सेवन न करें।

वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत हैं

‘‘गुरु सेवा बिन भक्ति ना होई, अनेक जतन करै जे कोई’’

‘‘बिन सतगुरु भेंटे मुक्ति न कोई, बिन सतगुरु भेंटे महादुःख पाई।’’

‘‘नानक गुरु समानि तीरथु नहीं कोई साचे गुरु गोपाल।’’

गुरु साहेबानों का जनता को संदेश है कि पूरे गुरु की खोज करो। पूरा गुरु परमात्मा समान ही होता है। पूरा गुरु वह होगा जो श्री नानक देव जी जैसा परमेश्वर का कृपा पात्र होगा। जैसे भाई बाले वाली जन्म साखी (पंजाबी भाषा वाली) के पृष्ठ 272-273 पर मरदाना ने प्रहलाद से पूछा कि यहां और कौन आए हैं? प्रहलाद ने कहा कि यहां केवल दो महापुरूष आए हैं। प्रथम (परमेश्वर) कबीर जी दूसरे श्री नानक देव जी और केवल एक और आवैगा जो इन जैसा ही होगा, वह पंजाब की धरती पर जाट जाति से होगा।

सर्व मानव समाज से प्रार्थना है कि तीसरा महापुरूष अर्थात सतगुरू जो श्री नानक देव तथा परमेश्वर कबीर जैसा आध्यात्मिक ज्ञान लिए है, वह पूर्ण संत रामपाल जी महाराज हैं।

सम्पूर्ण विश्व में पूर्ण मोक्ष दायक मंत्र मात्र संत रामपाल जी महाराज के पास है

श्री नानक देव जी ने कहा है कि तीनों मंत्रों को पूर्ण संत अर्थात सतगुरु ही पूर्ण रूप से समझा सकता है तथा वह तत्वदर्शी संत ही इन मंत्रों को देने का अधिकारी होगा जो कि वर्तमान समय में संत रामपाल जी हैं

उत्तम सतगुरु पुरुष निराले, सबदि रते हरि रस मतवाले।
रिधि, बुधि, सिधि, गिआन गुरु ते पाइए, पूरे भाग मिलाईदा।

सतगुरू ते पाए बीचारा, सुन समाधि सचे घरबारा।
नानक निरमल नादु सबद धुनि, सचु रामैं नामि समाइदा।।

उपरोक्त अमृतवाणी का भावार्थ है कि वास्तविक ज्ञान देने वाले सतगुरू निराले हैं, वे केवल नाम जाप को जपते हैं अन्य हठयोग साधना नहीं बताते हैं। यदि आप को धन, दौलत, पद, बुद्धि या भक्ति शक्ति भी चाहिए तो वह भक्ति मार्ग का ज्ञान पूर्ण संत ही पूरा प्रदान करेगा, ऐसा पूर्ण संत बड़े भाग्य से ही मिलता है। वह पूर्ण संत विवरण बताएगा कि ऊपर सुन्न (आकाश) में अपना वास्तविक घर सतलोक परमेश्वर ने रच रखा है।

पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी ही सर्व के पालनकर्ता व परवरदिगार हैं

श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721, राग तिलंग महला 1)

यक अर्ज गुफतम् पेश तो दर कून करतार।
हक्का कबीर करीम तू बेअब परवरदिगार।
नानक बुगोयद जन तुरा तेरे चाकरां पाखाक।

उपरोक्त अमृतवाणी में स्पष्ट कर दिया है कि हे (हक्का कबीर) आप सतकबीर (कून करतार) शब्द शक्ति से रचना करने वाले शब्द स्वरूपी प्रभु अर्थात सर्व सृष्टि के रचनहार हो, आप ही बेएब निर्विकार (परवरदिगार) सर्व के पालनकर्ता दयालु प्रभु हो, मैं आपके दासों का दास हूँ। संत रामपाल जी महाराज जी की अनमोल अमृतमयी सत्संग वाणी के श्रवण हेतु सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल विजिट करें

Latest articles

Video | दिव्य धर्म यज्ञ दिवस: हरियाणा के एक छोटे से गाँव धनाना में क्यों उमड़ा श्रद्धा का सैलाब?

आज आपको इस वीडियो के माध्यम से बताएंगे क्यों हरियाणा के सोनीपत जिले के...

World AIDS Day 2023: Sat-Bhakti can Cure HIV / AIDS

Last Updated on 29 November 2023: World AIDS Day is commemorated on December 1...
spot_img

More like this

Video | दिव्य धर्म यज्ञ दिवस: हरियाणा के एक छोटे से गाँव धनाना में क्यों उमड़ा श्रद्धा का सैलाब?

आज आपको इस वीडियो के माध्यम से बताएंगे क्यों हरियाणा के सोनीपत जिले के...