March 31, 2025

Vaisakh Month 2024: वैशाख मास में मनाए जानें वाले त्योहार कौन कौनसे है और उनका आधार क्या है?

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Last Updated on 19 April 2024 IST: वैशाख (Vaisakh Month 2024) भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष का दूसरा माह है। आज हम जानेंगे वैशाख मास के पर्व /त्यौहार, व्रत, तिथि और नक्षत्र के बारे में। वैशाख का महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 24 अप्रैल को शुरू हो रहा है जो 23 मई, 2024 को खत्म होगा। लोकमान्यताओं के अनुसार वैशाख के महीने में व्रत, दान, होम और अन्य धार्मिक और महत्वपूर्ण चीजों को करने के लिए सबसे भाग्यशाली महीनों में से एक माना जाता है। आइए जानते हैं कि शास्त्र इन लोकवेद पर आधारित क्रियाओं के विषय में क्या कहते हैं। 

वैशाख माह (Vaisakh Month 2024) से जुड़ी जानकारी

  • वैशाख मास हिंदू पंचांग में चंद्रमास के नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा जिस नक्षत्र में होती है उसी के अनुसार माह का नाम पड़ा है।
  • वैशाख भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष का दूसरा माह है। इस माह को एक पवित्र माह के रूप में माना जाता है। जिनका संबंध देव अवतारों और धार्मिक परंपराओं से है। ऐसा माना जाता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया के दिन विष्णु अवतारों नर-नारायण, परशुराम, और ह्ययग्रीव का अवतार हुआ.
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई। इस माह की पवित्रता और दिव्यता के कारण ही कालान्तर में वैशाख माह की तिथियों का सम्बंध लोक परंपराओं में अनेक देव मंदिरों के पट खोलने और महोत्सवों के मनाने के साथ जोड़ दिया। यही कारण है कि हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट वैशाख माह की अक्षय तृतीया को खुलते हैं। 
  • इसी वैशाख के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को एक और हिन्दू तीर्थ धाम पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकलती है। वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देववृक्ष वट की पूजा की जाती है।
  • इसके अलावा वरुथिनी एकादशी, अक्षय तृतीया, मोहिनी एकादशी एवं वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि व्रत पर्व मनाएं जाते हैं।

वैशाख माह (Vaisakh Month 2024) में मनाई जाती है बैसाखी (Vaisakhi)

मंगलवार 13 अप्रैल, 2024 को वैशाखी (baisakhi) मनाई जाएगी। वैशाखी को सिख धर्मावलंबियों का नया वर्ष आरंभ होता है। आज हम जानेंगे कि पवित्र शास्त्रों के अनुसार तीर्थ, व्रत और मूर्ति पूजा इन साधनाओं को करने से जीव का मोक्ष संभव है या नहीं? साथ ही जानेंगे कि मोक्ष पाने की वास्तविक भक्तिविधि कौन सी है? साथ ही उनके प्रमाण भी देखेंगे।

कौन है आदि पुरुष नारायण परमात्मा? देखें श्रीमद भगवत गीता में प्रमाण

  • गीता अध्याय 15 का श्लोक 17

उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः,

यः, लोकत्रयम् आविश्य, बिभर्ति, अव्ययः, ईश्वरः।।

उत्तम भगवान तो उपरोक्त दोनों प्रभुओं क्षर पुरुष तथा अक्षर पुरुष से अन्य ही है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है एवं उसी को अविनाशी परमेश्वर/ परमात्मा कहा गया है। 

ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः,

तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।

जब गीता अध्याय 4 श्लोक 34, अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाएं इसके पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद अर्थात् सतलोक को भलीभाँति खोजना चाहिए जिसमें गए हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है । उस आदि पुरुष नारायण (पूर्ण ब्रह्म कबीर) की ही मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए।

श्रीमद भगवद् गीता के इन दोनों श्लोकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि पूर्ण परमेश्वर कोई अन्य है और वह आदि पुरुष नारायण कोई और नहीं कबीर साहिब जी हैं। जल पर अवतरित होने के कारण उनको नारायण कहा जाता है। कबीर साहेब एक शिशु रूप में लहर तारा तालाब पर कमल के फूल अवतरित हुए और जुलाहा दंपति नीरू नीमा को मिले थे।

Vaisakh Month 2024: तीर्थ, व्रत, करने से कोई लाभ है या नहीं? देखें श्रीमद भगवत गीता में प्रमाण 

  • अध्याय 6 का श्लोक 16

न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,

न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।

 हे अर्जुन ! यह योग (भक्ति) न तो अधिक खाने वाले का और न ही बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात् यह भक्ति न ही व्रत रखने वाले, न अधिक सोने वाले की तथा न अधिक जागने वाले की सफल होती है। इस श्लोक में व्रत रखना पूर्ण रूप से मना किया गया है।

  • अध्याय 16 का श्लोक 23

यः, शास्त्रविधिम्, उत्सृज्य, वर्तते, कामकारतः,

न, सः, सिद्धिम्, अवाप्नोति, न, सुखम्, न, पराम्, गतिम्।।

जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न परम गति को अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती।

  • अध्याय 4 का श्लोक 34

तत्, विद्धि, प्रणिपातेन, परिप्रश्नेन, सेवया,

उपदेक्ष्यन्ति, ते, ज्ञानम्, ज्ञानिनः, तत्त्वदर्शिनः।।

पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण है। मेरे तक की साधना का अटकल लगाया ज्ञान है, परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र में कहा है कि उस तत्वज्ञान को समझ उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संतों को भलीभाँति दण्डवत् प्रणाम करने से उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलतापूर्वक प्रश्न करने से वे पूर्ण ब्रह्म को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे। इसी का प्रमाण गीता अध्याय 2 श्लोक 15-16 में भी है।

श्रीमद भगवत गीता के उपरोक्त श्लोकों से स्वतः: सिद्ध हो रहा है कि तीर्थ, व्रत या अन्य देवी देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। एक पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य हैं और उसके लिए तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करनी चाहिए क्योंकि ऐसा ना करने से ना ही हमें सुख होगा और ना ही हमारा मोक्ष होगा अर्थात मनुष्य जीवन व्यर्थ हो जाएगा इसलिए हमें चाहिए कि हम तत्वदर्शी संत की शरण ग्रहण करें।

Vaisakh Month 2024: आदि पुरुष नारायण के अनन्त कोटि अवतार है

गरीब, अनंत कोटि अवतार है, नौ चितवै बुद्धिनाश।

खालिक खेले खलक में, छे ऋतु बारह मास।।

अर्थात् जिनको ज्ञान नहीं है वहीं नौ अवतार मानते है और उसी कारण से उन्हें विष्णु के अवतार मानते है। परंतु सब लीला कबीर सतपुरूष करता है। उसके अनन्त करोड़ अवतार है। दिन में सौ सौ बार सतलोक से उतरकर आता है और पुनः सौ सौ बार सतलोक में वापस जाता है। खालिक यानी परमात्मा तो ख़लक यानी संसार में छः ऋतु बारह मास यानी सदा ही लीला करता रहता है। 

आदि पुरुष नारायण का वास्तविक नाम “कबीर” है

संपूर्ण सृष्टि के रचयिता कविर्देव यानी कबीर साहेब जी है जो अनेकों रूप धारण करके लीला करते है। पवित्र वेद भी परमात्मा की इस लीला की गवाही देते हुए बताते है कि पूर्ण परमात्मा तीन प्रकार से लीला करता हुआ धरती पर आता है और अच्छी आत्माओं को मिलता है। एक रूप में वह परमात्मा अपने निजधाम सतलोक में अपने वास्तविक रूप में सिंहासन पर विराजमान है। दूसरे रूप में वह परमात्मा कमल के फूल पर शिशु के रूप में सहशरीर प्रकट होकर प्रत्येक युग में लीला करते है। तीसरे रूप में वह परमात्मा किसी ज़िंदा महात्मा, संत या किसी अन्य रूप में अच्छी आत्माओं को मिलते है जैसे सिख गुरु प्रवर्तक श्री नानक देव, मुसलमान धर्म के प्रवर्तक हज़रत मोहम्मद साहेब, आदरणीय दादू साहेब जी, धर्मदास जी, गरीबदास जी महाराज आदि महापुरुषों को आकर मिले।

वर्तमान समय में कौन है आदि पुरुष नारायण का अवतार?

सभी सदग्रंथों का संपूर्ण ज्ञान, सभी देवी देवताओं की उत्पत्ति की जानकारी, और सत मंत्रों की जानकारी होने के कारण, वर्तमान में कबीर साहेब जी के अवतार और तत्वदर्शी संत कोई और नहीं विश्व विजेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जो शास्त्र अनुकूल साधना बताते हैं।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज विश्व के सभी सदग्रंथों का ज्ञान रखते हैं और विश्व विजेता संत हैं। सभी संतों, भविष्यवक्ताओं ने संत रामपाल जी महाराज जी के लिए नाना प्रकार की भविष्यवाणियां की हैं और संदेश दिया है कि वह तत्वदर्शी संत कोई साधारण पुरुष नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी के ही अवतार होंगे और वह संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। अविलंब संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लें और अपना जन्म सफल बनाएं।

Q.1 हिंदू मान्यताओं के अनुसार किस माह को धार्मिक क्रियाओं के लिए शुभ माना गया है?

Ans. हिंदू मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह को धार्मिक क्रियाओं के लिए शुभ माना गया है।

Q.2 त्रेतायुग की शुरुआत किस माह से मानी जाती है?

Ans. त्रेतायुग की शुरुआत वैशाख माह से मानी जाती हैं।

Q.3  वर्ष 2024 में बैशाख माह कब से प्राम्भ हो रहा है?

Ans. वर्ष 2024 में बैशाख माह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 21 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है।

Q.4 बैशाख में लोकवेद पर आधारित क्रियाओं को करने का प्रमाण क्या शास्त्रों में हैं?

Ans. बैशाख में लोकवेद पर आधारित क्रियाओं का प्रमाण किसी शास्त्र में नहीं है।

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