Hariyali Teej 2023 [Hindi]: क्या तीज पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है?, जानिए अन्वेषणात्मक तथ्य

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Last Updated on 19 August 2023 IST: तीज का पर्व (Hariyali Teej 2023): 19 अगस्त, 2023 को मनाया जाने वाला हरियाली तीज का पर्व मौसम में बदलाव और जीवन में उल्लास का प्रतीक हैं परंतु क्या इन्हें मनाने से वैसा ही लाभ मिलता है जैसा हम प्रभु से चाहते हैं और अपनी हर प्रार्थना में सुख मांगते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन (श्रावण) मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 19 अगस्त को भारत में हरियाली तीज है। आइये अब प्रिय पाठकों को रूबरू कराते हैं हरियाली तीज से सम्बंधित छुपे हुए कुछ गूढ़ रहस्यों से जिनसे अब तक आप परिचित नहीं हैं। 

Hariyali Teej 2023 से सम्बन्धी मुख्य बिंदु

  • 19 अगस्त को भारत में मनाया जाएगा हरियाली तीज का पर्व
  • नवविवाहित महिलाओं के लिए इस तीज का बहुत खास महत्व माना जाता है, परन्तु शास्त्रों में इसका कोई प्रमाण नही हैं
  • तत्वदर्शी संत द्वारा बताई गई शास्त्र प्रमाणित भक्तिविधी किसी भी आयु, वर्ग, जाति, धर्म के नर-नारी, बाल अवस्था से लेकर वृद्ध तक सभी कर सकते है
  • व्रत रखना शास्त्रानुकूल नहीं, अपितु शास्त्रविरुद्ध साधना है
  • तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से जानें शास्त्रनुकूल साधना की सार्थक विधि और अपने मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करें

Hariyali Teej 2023: जानिए कब है तीज का यह पर्व?

नवविवाहिताओं के द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस वर्ष (2023) यह त्योहार 19 अगस्त को है। 

क्यों मनाया जाता है (Hariyali Teej 2023) का पर्व?

हरियाली तीज सावन (श्रावण) महीने का महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत मायने रखता है। कुछ जगहों पर इसे कजली तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागन औरतें मां गौरी की पूजा करती हैं। आइए जानते हैं हरियाली तीज से जुड़ी लोक मान्यताएं और परंपराए।

हरियाली तीज सावन (Hariyali Teej 2023) महीने के सबसे महत्वपूर्ण पर्वो में से एक है। सौंदर्य और प्रेम के इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहते हैं। ज्यादातर यह व्रत उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग मनातें हैं। महाराष्ट्र में भी इस व्रत का पालन किया जाता है क्योंकि अगले दिन ही गणेश चतुर्थी के दिन गणेश स्थापना की जाती है ।

राहु केतु रोकै नहीं घाटा, सतगुरु खोले बजर कपाटा।

नौ ग्रह नमन करे निर्बाना, अविगत नाम निरालंभ जाना

नौ ग्रह नाद समोये नासा, सहंस कमल दल कीन्हा बासा।।

संत गरीबदास जी ने बताया है कि सत्यनाम साधक के शुभ कर्म में राहु केतु राक्षस घाट अर्थात मार्ग नहीं रोक सकते सतगुरु तुरंत उस बाधाओं को समाप्त कर देते हैं। भावार्थ है कि सत्यनाम साधक पर किसी भी ग्रह तथा राहु केतु का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा दसों दिशाओं की सर्व बाधाएं समाप्त हो जाती है।

हरियाली तीज (Hariyali Teej 2023) लोक मान्यताओं पर आधारित है

हरियाली तीज (Hariyali Teej) के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

यहां आपको बता दे कि शिव और पार्वती जी की भी मृत्यु होती है।

  • ब्रह्मा, विष्णु, महेश और इनका पिता काल सभी जन्म मृत्यु में हैं । बस इनकी उम्र में अंतर है लेकिन मृत्यु निश्चित है। ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष है (1000 चतुर्युग का दिन, इतने ही युग की रात्रि)
  • ब्रह्मा से 7 गुना विष्णु जी की आयु और विष्णु जी से 7 गुना भगवान शंकर की आयु है । जब इतनी लम्बी उम्र वाले 70000 भगवान शिव मरते हैं तो काल की मृत्यु होती है।
  • शिव के जीवनकाल में पार्वती भी जन्मती और मृत्यु को प्राप्त होती रहती है। प्रत्येक जन्म में इनके पुनर्मिलन की क्रिया चलती रहती है।
  • जब इन दोनों की जन्म मृत्यु होती है तो यह अपने भक्तों को जीवन मृत्यु के चक्र से कैसे बचा सकेंगे।

करवाचौथ से भी कठिन है तीज का व्रत रखना

हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज (Hariyali Teej 2023) या तीजा भी कहते हैं। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। इस दिन कुंवारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।

Hariyali Teej 2023 Special: शास्त्र विरूद्ध साधना करना हमारे पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार गलत है जैसे एकादशी, कृष्ण अष्टमी , रामनवमी, करवाचौथ, हरियाली तीज या अन्य कोई भी व्रत शास्त्रों में वर्जित हैं। गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में बताया है कि बिल्कुल न खाने वाले यानि व्रत रखने वाले को कभी परमात्मा प्राप्ति नहीं होती। इसलिए व्रत रखना शास्त्रविरूद्ध होने से व्यर्थ है।

Hariyali Teej 2023 पर सतलोक (शाश्वत स्थान) की जानकारी

यदि कोई साधक यह सोचकर यह व्रत रखता है कि मृत्यु पश्चात वह शिवलोक में जाकर पार्वती की तरह सुखपूर्वक रहेगा तो उसकी यह सोच भ्रामक है क्योंकि शिवलोक में गए साधक की न तो जन्म मृत्यु समाप्त होगी, नरक में भी जाना पड़ेगा और चौरासी लाख योनियों में कष्ट भी भोगना पड़ेगा। सुख केवल सतलोक (शाश्वत स्थान) में है अन्य किसी भी लोक में सुख नहीं है। सतलोक में पृथ्वी लोक की तरह हाहाकार नहीं है, वहाँ के स्त्री- पुरुष बहुत प्रेम से रहते हैं। वहाँ के पुरुष अपनी पत्नी के साथ बहुत प्रेम से रहते हैं और किसी और की स्त्री को दोष दृष्टि से नहीं देखते।

काल के लोक में किसी औरत का सुहाग अखंड नहीं

Hariyali Teej in Hindi: यदि साल में एक दिन तीज का व्रत करने से स्त्री सदा सुहागन रहती तो सीमा पर खडा़ सैनिक कभी शहीद न होता। परमात्मा को केवल मन से सेवा और आत्मा का समर्पण चाहिए। यह काल का लोक है जहां व्यक्ति को जन्म मृत्यु का रोग लगा हुआ है। यदि व्यक्ति पूरे गुरू की शरण में रहकर सतभक्ति करता है तो परमात्मा उसकी पल-पल रक्षा करते हैं। शिव और पार्वती किसी साधक की आयु नहीं बढ़ा सकते।

■ Also Read: Hartalika Teej: हरितालिका तीज पर जानिए कैसे करें पूर्ण परमेश्वर की भक्ति?

परंतु परम संत का साधक यहां काल लोक में मृत्यु से भयभीत नहीं होता। जोड़ियां तो परमात्मा ने पहले से ही तय की होती हैं वह व्रत करने से नहीं जुड़तीं। वह संस्कारवश ही आपस में मिलते हैं और विवाह बंधन में बांध दिए जाते हैं। करने वाला परमात्मा और श्रेय व्रत और श्रृंगार को देना मूर्खतापूर्ण मनोवृत्ति है।

Hariyali Teej 2023: विवाहिता और कुंवारी दोनों रखती हैं व्रत

इस व्रत की पात्र कुंवारी कन्यायें या सुहागिन महिलाएं दोनों ही हैं परन्तु एक बार व्रत रखने बाद जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना पड़ता है। यदि व्रती महिला गंभीर रोगी हालात में हो तो उसके बदले में दूसरी महिला या उसका पति भी इस व्रत को रख सकने का विधान लोकवेद में है।

जबकि सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।

ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 – 3 सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है। वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मृत हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक की सुखमय आयु प्रदान करता है। कबीर जी कहते हैं पूर्ण संत को गुरु बनाओ जो सतनाम व सारनाम देता हो। शास्त्र अनुकूल साधना करो, मनमाना आचरण मत करो तब काल-जाल से मुक्त हो सकते हो। गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 से 32 में कहा है कि अन्न-जल, सोने-जागने का संयम करके यानि ठीक-ठीक खाए-पीए, जागे-सोवे, ऐसे रहकर पूर्ण परमात्मा के कभी समाप्त न होने वाले आनन्द (पूर्ण मुक्ति) को प्राप्त करने के लिए शास्त्रों के अनुसार नियमित साधना करनी चाहिए। पूर्ण गुरु की खोज करें जो पूर्ण परमात्मा का मार्गदर्शक हो।

हिमालय की पुत्री पार्वती द्वारा व्रत रखना

हरियाली तीज का व्रत सर्वप्रथम राजा हिमालय की पुत्री पार्वती ने रखा था। कहा जाता है जिसके फलस्वरुप उन्हें शंकर जी स्वामी के रुप में प्राप्त हुए। इसलिए हरियाली तीज पर कुंवारी लड़कियां व्रत रखती हैं और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं। सुहागनें इस दिन उपवास रखकर माता पार्वती और शिव जी से सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।

  • गीता अध्याय 9 श्लोक 23:– हे अर्जुन! जो अन्य देवताओं व अन्य पूर्ण परमात्मा को (अपि) भी पूजते हैं। वे मुझको ही पूजते हैं यानि काल जाल में ही रहते हैं। उनकी वह पूजा (अविधिपूर्वकम्) शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण अर्थात् अज्ञानतापूर्वक है।
  • अध्याय 9 के श्लोक 26, 27, 28 का भाव है कि जो भी आध्यात्मिक या सांसारिक कार्य करे, सब मेरे मतानुसार वेदों में वर्णित पूजा विधि अनुसार ही कर्म करे, वह उपासक मुझ (काल) से ही लाभान्वित होता है। इसी का वर्णन इसी अध्याय के श्लोक 20,21 में किया है अर्थात मनुष्य को भक्ति और इच्छापूर्ति के लिए वेदों को आधार बनाना चाहिए ।

कथा शिव भक्त भस्मागिरी की

भस्मागिरी ने 12 वर्ष तक सिर के बल खडे़ होकर शिव जी के दरवाज़े पर तप किया। उसके मन में पार्वती जी को पाने की वासना थी जिसे स्वयं शिवजी पहचान नहीं सके और पार्वती जी के शिवजी से यह आग्रह करने पर कि आपका साधक कब से उल्टा खड़ा है। अब तो दे दो भोलेनाथ जो यह मांगता है। शिवजी ने भस्मागिरी से पूछा,” क्या चाहिए तुझे ? उसने कहा,” आपका भस्म कड़ा ।

Hariyali Teej | Sant Rampal Ji Maharaj Special Satsang

फिर भी शिवजी उसके मन की न जाने सके और यह सोचकर कि यह जंगल में रहने वाला साधक अपनी रक्षा के लिए भस्म कड़ा मांगता होगा शिव बोले, तथास्तु। भस्म कड़ा पाकर भस्मागिरी बोला,” होले शंकर तैयार तुझे मारूंगा और पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊंगा। अपने हठ योग के कारण भस्मागिरी, भस्मासुर कहलाया व कडे़ से ही भस्म हुआ। विष्णु रूप में कबीर साहेब जी ने पार्वती रूप धारण उसे भस्म किया

शिव और पार्वती स्वंय अपनी रक्षा नहीं कर सकते वह साधकों को जीवन दान में देने में भी असमर्थ हैं।

होले सुहागन सुरता तैयार मालिक घर जाना है।

तेरा सुन्न शिखर भरतार मालिक घर जाणा है ।।

भावार्थ है कि अखंड सौभाग्य और सुहाग के लिए मनुष्य को तत्त्वदर्शी संत की खोज कर उसके द्वारा बताई भक्ति कर जीवन सफल बनाना चाहिए और परमात्मा के लोक के लिए प्रस्थान करना चाहिए। काल के लोक में सारी मान्यताएं व त्योहार व्यक्ति को कर्मकांड में उलझाए रखने वाले हैं। इनसे बचने का केवल एक ही उपाय है सतभक्ति।

शास्त्र विरुद्ध साधना का त्याग कर परमात्मा प्राप्ति के लिए अविलंब शास्त्रानुकूल साधना शुरू करें 

पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र ऐसे तत्वदर्शी संत हैं जो सर्व शास्त्रों से प्रमाणित सत्य साधना की भक्ति विधि बताते हैं जिससे साधक को सर्व लाभ होते हैं तथा पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए सत्य को पहचानें व शास्त्र विरुद्ध साधना का आज ही परित्याग कर संत रामपाल जी महाराज से शास्त्रानुकूल साधना प्राप्त करें। संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक अंधश्रद्धा भक्ति-खतरा-ये-जान का अध्ययन कर जानें शास्त्रानुकूल साधना का सार।

जानें शास्त्रानुकूल साधना प्राप्त करने की सरल विधि

शास्त्र प्रमाणित भक्ति विधि प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त करें। शास्त्रानुकूल साधना व शास्त्र विरुद्ध साधना में भिन्नता विस्तार से जानने के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें क्योंकि तीज, त्यौहार, व्रत व्यर्थ और शास्त्र विरूद्ध साधना में गिने जाते हैं।

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