July 27, 2024

17 मिनट में गुरुवचनों से सम्पन्न हुए “अनुपम दहेज मुक्त विवाह (रमैनी)”

Published on

spot_img

सन्त रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सन्त जी के अनुयायी सन्त जी के अद्वितीय ज्ञान से प्रेरित होकर दहेज मुक्त अंतरजातीय विवाह (रमैनी) कर रहे हैं यह एक प्रकार से अति उत्कृष्ट तथा अनुपम विवाह का उदाहरण बन रहे हैं, जो समाज के लिए प्रेरणादायक स्त्रोत व जन जागरूकता की मिसाल बन रहे हैं।

Table of Contents

मुख्य बिंदु

  1. ▪️दहेज मुक्त विवाह की अनूठी मुहिम सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा विश्व हित में कार्यरत।
  2. ▪️न बैंड, न बाजा फिर भी बने एक दूसरे के।
  3. ▪️दहेज वाली शादी रोकें, जीवन की बर्बादी रोकें।
  4. ▪️दहेज के लिए दूल्हे बिकते हैं पशुओं की भांति।
  5. ▪️बिना दहेज के विवाह(रमैनी) एक उत्कृष्ट कार्य।
  6. ▪️दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) से अपराधों पर लगेगा अंकुश।
  7. ▪️सन्त रामपाल जी महाराज के सानिध्य में हो रहे विवाहों (रमैनी) से फिजूलखर्ची होगी खत्म।
  8. ▪️ पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी की स्तुति के साथ सम्पन्न हुए दहेज मुक्त अनुपम विवाह (रमैनी)।
  9. ▪️सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा दी हुई “सद्भक्ति से पुनः राम राज्य का आरंभ।”

आइए जानते हैं इस सप्ताह सन्त जी के सानिध्य में हुए 3 अनुपम विवाहों (रमैनी) के बारे में

  • ▪️सन्त रामपाल जी के सानिध्य में दिनाँक 18/10/2020 को हमारे देश के पश्चिमी राज्य राजस्थान के जिला श्रीगंगानगर के 3ML गांव तथा सूरतगढ़ गांव में 2 दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) सम्पन्न हुए।
  • सन्त जी के अनुयाई ख्यालीवाला गांव के निवासी प्रदीप ने सूरतगढ़ की निवासी कोमल को अपना जीवनसाथी चुना और दहेज मुक्त विवाह कर युवाओं के लिए एक अनोखी मिसाल बने।
  • दिनाँक 19/10/2020 को राजस्थान के ही सीकर जिले के खण्डेला तहसील के निवासी सन्त रामपाल जी के अनुयायी खण्डेला के किशोर दास जी की पुत्री विजयलक्ष्मी का दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) हरिपुरा तहसील के फुलेरा (जिला -: जयपुर) निवासी सन्त रामपाल जी के अनुयायी मनीष दास पुत्र सोहन दास के साथ सम्पन्न हुआ।

लॉकडाउन के नियमों” का पालन करते हुए सम्पन्न हुआ विवाह (रमैनी)

वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से बचाव हेतु सरकार के नियमों का पालन करते हुए मास्क तथा सोशल डिस्टेंसिग के साथ विवाह (रमैनी) में सिर्फ 25 व्यक्ति (वर-वधु पक्ष से) ही उपस्थित हुए। वर तथा वधु पक्ष ने सरकारी नियमों का पालन कर मानवता की मिसाल कायम की और समाज के लिए तथा युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने।

फिजूलखर्ची पर लगेगा विराम

एक तरफ तो विवाहों में साज-सज्जा के नाम पर लाखों रुपये लोग यूं ही पानी की तरह बर्बाद कर देते हैं तो वहीं दूसरी ओर सन्त जी के अनुयायी साधारण वेष-भूषा में विवाह (रमैनी) सम्पन्न करते हैं तथा न कोई फिजूलखर्ची करते हैं। मेहमानों को सिर्फ चाय-बिस्किट का अल्पाहार(नाश्ता) दिया जाता है।

दहेज की आड़ में लड़कों की बोली लगना होगी बन्द

चंद पैसे के लालची व्यक्तियों द्वारा अमीर हो या कुछ कम अमीर या उच्च, मध्य और निम्न मध्यवर्गीय परिवार-उच्चता ग्रंथि, विलासिताओं की भूख और सामाजिक प्रतिष्ठा के खोखले अरमानों ने उन्हें इतना लोभी बना दिया है कि अपनी चाहतों और इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनके पास संसाधन हों या न हों या कम पड़ते हों, तो भी वे विवाह जैसी रस्मों के जरिए अपने पुत्रों के जरिए लालची-लोभी जैसी मनोवृत्ति में लिप्त हो जाते हैं। ये कोई छिपी बात नहीं है कि कई परिवारों में तो लड़कों की बोली जैसी लगती है- नौकरी, प्रतिष्ठा, पढ़ाई-लिखाई, पारिवारिक पृष्ठभूमि (फैमिली बैकग्राउंड) आदि जैसे इस बोली के कुछ स्केल(कौशल) बन जाते हैं। और इन स्केलो(कौशलों) पर मांग(डिमांड) होती है कभी नकदी, कभी मकान(प्लॉट), कभी गहने, कभी कार, महंगा सामान आदि तो कभी सब कुछ।

तो वहीं दूसरी ओर सन्त जी के ज्ञान से प्रेरित होकर सन्त जी के अनुयायी इन सब चीजों की मांग करना तो दूर रहा इन सबकी सपने में भी नही सोचते हैं क्योंकि सन्त जी ने बताया है कि “”दहेज लेना-देना दोनों ही जहर के समान है।””

अनुपम दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) से ध्वनि प्रदूषण पर लगेगी लगाम

मान-बड़ाई की आड़ में मानवता के शत्रुओं द्वारा जिस प्रकार से तीव्र आवाज वाले ध्वनि यंत्रों (डी. जे.) का प्रयोग किया जाता है वह पूरे विश्व के सभी छोटे-बड़े जीवों के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध हो रहा है। इन ध्वनि यंत्रो के कारण कई बीमारियां मनुष्यों में जन्म ले रही हैं जैसे कि ह्रदयघात, बहरापन इत्यादि।

तो वहीं दूसरी ओर सन्त जी के अनुयायी डी.जे. के नाम पर लाखों रुपये न खर्च करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर कविर्देव जी की वाणी का 17 मिनिट श्रवण करके विवाह बंधन में बंध जाते हैं।

दहेज से उत्पन्न हुए अपराधों का सन्त जी के तत्वज्ञान से होगा खात्मा

देश में औसतन हर एक घण्टे में एक महिला दहेज सम्बन्धी कारणों से मौत का शिकार हो जाती है। सन्त रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से इस प्रकार के अपराधों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगेगा क्योंकि सन्त जी अपने सत्संग में अमृतमयी वाणी में बताते हैं

“नारी-नारी क्या करे, नारी नर की खान।
नारी सेती उपजे, नानक पद निरबान”।।

सन्त जी के तत्वज्ञान से दहेज का होगा खात्मा

सरकार द्वारा 1961 में जो दहेज विरोधी कानून लागू किया गया था । दहेज विरोधी कानून के अनुसार दहेज लेन-देन में सहयोग करने वाले के ऊपर 5 वर्ष की कैद व 15000 रुपये का अर्थदंड का प्रावधान है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए असंवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं।

■ यह भी पढ़ें: दहेज प्रथा का अंत अब आ चुका है: संत रामपाल जी महाराज

इन सब कानूनों के होने के बाद भी दहेज के लालची लोगों में आज भी दहेज के लेन-देन का प्रचलन जारी है। पर सन्त जी के अनुयायी सन्त जी के ज्ञान से प्रेरित होकर “दहेज नामक जहर को छूते भी नहीं हैं” और दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) में 1 रुपया भी नहीं लेते हैं।

सन्त जी के अनमोल ज्ञान से बाल विवाह जैसी कुप्रथा का होगा अंत

18 वर्ष की उम्र पूर्ण होने से पहले विवाह को बाल विवाह के नाम से परिभाषित किया गया और इस बाल विवाह नामक कुप्रथा के प्रचलन को मानव अधिकार का उल्लंघन माना जाता है, भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में बाल विवाह एक बहुत बड़ी समस्या का मुद्दा प्राचीनकाल से ही रहा है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 15 वर्ष से कम उम्र की 1.5 लाख लड़कियां पहले से ही विवाहित हैं। बाल विवाह के कुछ हानिकारक परिणाम यह हैं कि बाल शिक्षा और परिवार अलगाव, यौन शोषण, जल्दी गर्भावस्था और स्वास्थ्य जोखिम, घरेलू हिंसा की चपेट में आने, उच्च शिशु मृत्यु दर, कम वजन वाले शिशुओं का जन्म इत्यादि कई हानिकारक परिणाम बाल विवाह जैसी कुप्रथा कारण सामने आए हैं।

वहीं दूसरी ओर सन्त जी अपने अमृतमयी तत्वज्ञान से इस बाल विवाह नामक कुप्रथा को जड़ से खत्म कर रहे हैं और लोगों में इसके प्रति एक जागरूकता व सकारात्मकता ला रहे हैं।

न पंडित, न कोई रस्मो-रिवाज, मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी से सम्पन्न हुआ विवाह

संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई अपने गुरुदेव के वचनों का पालन करते हुए एक ऐसा विवाह(रमैनी) समाज के सामने पेश कर रहे हैं जो वाकई देखने व प्रेरणा लेने के योग्य है। इस विवाह में किसी भी प्रकार का दिखावा जैसे- न डीजे , न बैंड , न बारात, न भात, न मंडप, न फेरे अपितु अपने गुरुदेव के मुख से उच्चारित “17 मिनट की वाणी (जिसे दूसरे शब्दों में रमैणी)” कहा जाता है, को साक्षी मानकर जीवन भर एक दूसरे का सुख-दुख में साथ देने, प्रेम पूर्वक रहने व किसी भी प्रकार की बुराई (जैसे- चोरी- जारी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, बेईमानी, ठगी) न करने का वचन लेते हैं।

देखें Weekly Bulletin- ख़बरों की ख़बर का सच

रमैणी यह 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी होती है जिसमें फेरों के मंत्रों के स्थान पर उसको बोला जाता है। जिसमें विश्व के सर्व देवी-देव तथा पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी का आह्वान तथा स्तुति प्रार्थना की जाती है। जिससे सर्व शक्ति उस विवाहित जोड़े (वर-वधु) की सदा रक्षा करते हैं। जिससे जीवन में आने वाले दुःखों का निवारण आसानी से हो सकेगा। सर्वशक्तिमान कविर्देव जी व 33 करोड़ देवी-देवताओं की स्तुति से सम्पन्न हुआ अनुपम विवाह (रमैनी)

अंतरजातीय विवाह (रमैनी) से जातिबंधन की बेड़ियों से मिलेगी आजादी

संत रामपाल जी महाराज अपने पवित्र सत्संग के माध्यम से जातिगत भेदभाव को भी पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं हमारे देश में जात-पात का बहुत भेदभाव होता है इस जात-पात नामक गहरी खाई को मिटाने के लिए संत रामपाल जी महाराज अंतर्जातीय विवाह (रमैनी) को भी महत्व दे रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज का कहना है कि

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

आइए एक नजर डालते हैं सन्त रामपाल जी महाराज की इस “कल्याणकारी अनुपम, अद्वितीय विचारधारा पर”

सन्त जी अपने सत्संग में अमृतमयी वाणी के माध्यम से बताते हैं किसी पिता ने वर पक्ष के लिये अपनी कलेजे की कौर (पुत्री) को दे दिया अर्थात उसने अपना सर्वस्व दे दिया फिर इसके बाद मांगने के लिए शेष क्या रहा।

“आप से आवै रत्न बराबर, मांगा आवै लोहा”।।

सन्त रामपाल जी महाराज की दी हुई सद्भक्ति से सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान

सन्त रामपाल जी महाराज बताते हैं कि मनुष्य जन्म का प्रमुख उद्देश्य सद्भक्ति करना है। मनुष्य जन्म प्राप्त करके अगर सद्भक्ति नहीं की अर्थात मनुष्य जीवन को बर्बाद कर दिया।

“मानुष जन्म पायके, जो नहीं रटे हरि नाम।
जैसे कुंआ जल बिना, फिर बनवाया किस काम”।।

संत रामपाल जी महाराज इस विश्व को सद्भक्ति देने के साथ-साथ एक समाज सुधारक तारणहार सन्त के रूप में भी हम सभी के सामने उभर कर आए हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए इस विश्व हित के कार्य में आप सभी सहभागी बनें।

वास्तविक सद्भक्ति से परिचित होने हेतु देखें, पढ़ें व सुनें

संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक “जीने की राह” का अध्ययन कर नि:शुल्क नाम दीक्षा लें व प्रतिदिन साधना चैनल पर शाम 7:30 बजे अनमोल सत्संग अवश्य सुनें। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल अवश्य विजिट करें।

Latest articles

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.
spot_img

More like this

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.