आज दिनाँक 15/10/2020 गुरुवार को एक पूर्णतः दहेज मुक्त अंतर्जातीय विवाह (रमैनी) हुआ जिसने मानवता की एक नई मिसाल कायम की। हमारे देश के राज्य महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले नत्थूदास लिलारिया जी ने अपनी पुत्री आरती का विवाह (रमैनी) मध्यप्रदेश के जिला बालाघाट के ग्राम बोरीखुर्द के निवासी प्रेमचंददास नागपुरे जी के पुत्र लिखीराम दास के साथ सम्पन्न हुआ।
मुख्य बिंदु
▪️सन्त रामपाल जी महाराज के ज्ञान से बेटियां अब बोझ नहीं।
▪️सन्त जी के सानिध्य में दहेज नामक राक्षस से मिलेगा छुटकारा।
▪️अंतरजातीय विवाह कर सन्त जी की के अनुयायी कर रहे हैं मानवता की एक नई मिसाल कायम।
▪️बगैर कोई फिजूलखर्ची के विवाह(रमैनी) एक बहुत अच्छी और अनूठी पहल।
▪️सद्भक्ति से एक नई विचारधारा व स्वर्णयुग का आरंभ।
एक विवाह (रमैनी) ऐसा भी
कोरोना काल के इस दौर में भी एक तरफ कई ऐसे विवाह देखने को मिल रहे हैं जिनमें लाखों रुपये साज-सज्जा व दिखावे पर खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन हम बात कर रहे हैं एक ऐसे अनोखे विवाह (रमैनी) की जो कि बिना साज-सज्जा, पूर्णतः आडम्बर रहित हुआ और इस विवाह में एक खास बात यह रही कि न इसमें कोई घोड़ा और न कोई बैंड बाजा देखने को मिला। यह विवाह पूर्णतः सादगी पूर्ण था। दूल्हा-दुल्हन साधारण वेष-भूषा में दिखे। मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी से यह अनोखा विवाह (रमैनी) सम्पन्न हुआ।
Wedding ceremony conducted by the Followers of Supreme Saint RampalJi Maharaj does not include dowry in any form.
— SA News Channel (@SatlokChannel) June 22, 2019
No expenditure has to be done by the groom or bride’s family on the wedding or any other occasions. #MarriageIn17Minutes
न घोड़ी, न बैंड-बाजा, न कोई बाराती और बिना कोई फिजूलखर्ची खर्ची के विवाह
एक तरफ आज के आधुनिक युग में जहां लोग विवाह में दिखावट के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। वहीं दूसरी तरफ महान तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी सन्त जी के ज्ञान दिए हुए ज्ञान आधार से प्रेरित होकर बहुत साधारण तरीके से मात्र 17 मिनट में विवाह (रमैनी) सम्पन्न करते हैं।
बिन फेरे हम तेरे
ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी पर आज सार्थक भी हो गई सन्त जी के अनुयायियों की उपस्थिति में व सभी देवी-देवताओं और पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी की स्तुति कर ये विवाह(रमैनी) बगर कोई फेरे के सम्पन्न हुआ। वर-वधु ने गुरुवचनों को साक्षी मानकर आजीवन एक-दूसरे का सुख-दुःख में साथ देने का वचन लिया।
पूर्व प्रचलित विवाहों के कारण उत्पन्न दहेज समस्या से जन्म लेते अपराध
हमारे भारतीय समाज में व्याप्त बुराई दहेज प्रथा दानव का रूप ले चुकी है। एक पिता अपनी पुत्री के पैदा होते ही उसके विवाह के लिए दहेज इक्कट्ठा करने में लग जाता है जिससे कि कन्या के विवाह योग्य होने पर उसे अच्छा घर व वर मिल सके और इसी चिंता में डूबे हुए वो खुद कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है और रिश्वत जैसे गलत कार्य को बढ़ावा देता है।
दहेज की इस समस्या ने वर्तमान समय में बड़ा ही विकराल रूप धारण कर रखा है जिसके अंतर्गत वर पक्ष गाडी ,रकम जमीन की वधु पक्ष से मांग करते हैं और मांग पूरी ना होने पर वधु को तरह तरह से धमकाया और मारा–पीटा जाता है, लेकिन संत रामपाल जी महाराज इस दहेज रूपी दानव को अपने ज्ञान से जड़ से खत्म करने के लिए दिन-रात प्रयत्नशील हैं। वह अपने अनुयायियों को बताते हैं कि दहेज से कई और समस्याएं पैदा हो जाती हैं। जैसे वधु हत्या, बाल विवाह ,कन्या भ्रूण हत्या, रिश्वत ,भ्रष्टाचार।
अब बेटियां नहीं जलेगी दहेज रूपी दानव की आग में
दहेज की यह कुपरंपरा शिक्षित वर्ग में अधिकतर फैली हुई है जो धीरे- धीरे ग्रामीण परिवारों में भी प्रवेश कर गई है जो अपनी बेटी के विवाह के लिए न जाने कहां- कहां से कर्ज पर पैसा लेता है और सामने वाले की इच्छा पूर्ति करने का प्रयास करता है परन्तु इतना सब करने के बावजूद भी उसकी बेटी को दहेज कम मिलने के कारण प्रताड़ित किया जाता है। अंत में कई बेटियों को आत्महत्या के लिए भी मजबूर होना पड़ता है।
जिस पिता ने अपने कलेजे का टुकड़ा दे दिया फिर बाकी क्या रह गया। यह दहेज उनके जीवन के अंत का कारण बन जाता है जो कि सर्वथा गलत है। भारतीय संविधान में दहेज लेना व देना एक अपराधिक श्रेणी के अन्तर्गत आता है। सरकार के द्वारा इस दहेज कुप्रथा को खत्म करने के लिए कई एक्ट भी लागू किए गए हैं। शिक्षित समाज को चाहिए कि इस पर विचार करे। इस कुपरंपरा का अंत करें।
सभी देवी-देवताओं की व सर्वशक्तिमान परमेश्वर कविर्देव जी की स्तुति के साथ सम्पन्न हुआ विवाह (रमैनी)
यह शादी 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी से होती है जिसे फेरों के स्थान पर मंत्र की जगह बोला जाता है। जिसमें विश्व के सर्व देवी देव तथा पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी का आह्वान तथा स्तुति प्रार्थना की जाती है। जिससे सर्वशक्तिमान परमेश्वर कविर्देव जी उस विवाह (रमैनी) वाले जोड़े (पति-पत्नी) की सदा रक्षा करते हैं। इससे बेटी तथा बेटा के जीवन में आने वाले दुखों का निवारण सुगमता से हो जाएगा। तथा उन्हें कष्ट नहीं उठाना पड़ेगा। इस माध्यम से वर तथा वधू समाज में किसी भी प्रकार की बुराई नहीं करेंगे और समाज में सुधार आयेगा।
बेटियां अब नहीं लगेंगी बोझ
संत रामपाल जी महाराज अपने अनुयाइयों का विवाह(रमैणी) बहुत ही सादगी पूर्वक बिल्कुल साधारण तरीके से न कोई बैंड, न कोई बाजा, न कोई बारात, न कोई दिखावा,न ही कोई हल्दी व मेंहदी की रस्म, न ही कोई फ़ालतू फिजूलखर्ची (हजारों रुपए तो लोक दिखावा के खर्च करते हैं) न ही कोई दहेज से कराते हैं।
सन्त रामपाल जी के सानिध्य में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सपना होगा साकार
- सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान।
- सन्त रामपाल जी का एक ही सपना दहेज मुक्त समाज हो अपना।
सन्त रामपाल जी महाराज की अनूठी और अद्वितीय आध्यात्मिक विचारधारा
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हजारों की संख्या में इस विवाह (रमैणी) को करके अपना सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके अलावा संत रामपाल जी महाराज ने अंतर्जातीय विवाह को भी महत्व दिया है। वर्तमान में सरकार द्वारा भी अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैसे कि हम लोग जानते है कि हमारे देश में जाति को लेकर भेदभाव भी बहुत होता है। इस भेदभाव को संत रामपाल जी महाराज जड़ से खत्म करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वह अपने सत्संग में बताते हैं।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।
इस आधार पर जात- पात की इस खाई को जड़ से खत्म करके इस प्रकार एक स्वच्छ, पवित्र, सुंदर समाज के निर्माण में प्रयत्नशील संत रामपाल जी महाराज का धन्यवाद करें कि वो इस जनहित के कार्य को करने के लिए आगे आए हैं।
विवाह सिर्फ संयोग है बांकी फिजूलखर्ची करना सिर्फ दिखावा है
सन्त जी अपने अनमोल सत्संग में बताते हैं।
“आप से आवै रत्न बराबर, मांगा आवै लोहा।।”
संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक ज्ञान से हमें पता चला है की दुल्हन ही सबसे बड़ा दहेज है। क्योंकि उस पिता ने अपने कलेजे की पुत्री को दे दिया और हमें क्या चाहिए।
मनुष्य जन्म का मूल उद्देश्य जानने के लिए देखें व पढ़ें
अधिक जानकारी के लिये देखें “सतलोक आश्रम” यूट्यूब चैनल और इस अनमोल मनुष्य जीवन का मूल्य समझें सद्भक्ति अपनाएं और अपना कल्याण करवाएं। और सन्त रामपाल जी महाराज की लिखी हुई अनमोल पुस्तक जीने की राह का अध्ययन करें।
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