November 23, 2024

World Malaria Day 2024 [Hindi] | क्या है मलेरिया से बचाव का उपाय?

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Last Updated on 23 April 2024 IST: विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day in Hindi) हर वर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मलेरिया के प्रभावों के बारे में जागरूक करना और इसकी रोकथाम के प्रयासों को बढ़ावा देना है। विश्व मलेरिया दिवस पहली बार 2008 में मनाया गया था। मलेरिया दिवस के लिए इस दिन का ही चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह वह तारीख है, जब सन 2000 में अफ्रीकी नेताओं ने अबूजा, नाइजीरिया में मुलाकात की थी और मलेरिया से होने वाली मौतों को आधा करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

Table of Contents

मलेरिया, एक गंभीर और कभी-कभी जानलेवा बीमारी है, जो प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण होती है। यह परजीवी मुख्य रूप से मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में प्रवेश करता है। ये मच्छर आमतौर पर रात के समय सक्रिय होते हैं तथा गड्ढों में रुके हुए गंदे पानी की सतह पर रहते और प्रजनन करते हैं। जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो परजीवी उस व्यक्ति के रक्त में प्रवेश कर जाते हैं और लिवर की कोशिकाओं में पहुंचकर विकसित होते हैं। विकास की इस प्रक्रिया के बाद परजीवी लिवर को छोड़कर रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और उन्हें संक्रमित करते हैं, जिससे मलेरिया के लक्षण उत्पन्न होते हैं। ये लक्षण मच्छर काटने के 7 दिन से 18 दिन बाद भी दिखाई दे सकते हैं। 

विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास क्या है (History of World Malaria Day)?

पहली बार ‘विश्व मलेरिया दिवस’ 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया था। यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी। इसको मनाने के पीछे का कारण यह है कि हर साल पूरे विश्व में इस रोग से कई लोग जान गवां देते हैं लेकिन इसके प्रति आज भी जागरूकता नहीं है। मरने वालों में ग्रामीण और अविकसित क्षेत्र के लोगों की संख्या अधिक होती है। साल 1880 में मलेरिया पर सबसे पहला अध्ययन वैज्ञानिक चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन ने किया।

विश्व मलेरिया दिवस की स्थापना कब हुई?

विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day in Hindi), जो पहली बार 2008 में आयोजित किया गया था, अफ्रीका मलेरिया दिवस से विकसित हुआ, एक ऐसा कार्यक्रम जिसे 2001 से अफ्रीकी सरकारों द्वारा मनाया गया था। अब विश्व मलेरिया दिवस, मलेरिया को नियंत्रित करने और अंततः उन्मूलन के वैश्विक प्रयास के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 25 अप्रैल को आयोजित किया जाता है। 

मलेरिया शब्द कैसे बना?

मलेरिया इटैलियन भाषा के शब्द माला एरिया से बना है, जिसका अर्थ बुरी हवा होता है। कहा जाता है कि इस बीमारी को सबसे पहले चीन में पाया गया था, जहां इसे उसे समय दलदली बुखार कहा जाता था क्योंकि यह बीमारी गंदगी से पनपती है।

मलेरिया के लक्षण आमतौर पर फ्लू के समान होते हैं, जिसमें बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और कभी-कभी गंभीर मामलों में कोमा की स्थिति तक हो सकती है। मलेरिया की रोकथाम के लिए के लिए मच्छरदानी का प्रयोग, खिड़कियों के जाली लगाना, गड्ढों में रुके पानी को मिट्टी से भरना, मच्छर निरोधक क्रीम और स्प्रे का उपयोग, संक्रमित क्षेत्रों में यात्रा करते समय उचित टीकाकरण और दवाओं का सेवन जैसे उपाय किए जा सकते हैं।

1. खट्टे फल: खट्टे फलों में विटामिन C की उच्च मात्रा होती है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाती है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में सहायता करती है।

2. अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मलेरिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

3. हल्दी: हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है और यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।

4. दालचीनी: दालचीनी में एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो मलेरिया के उपचार में सहायक हो सकते हैं।

5. मेथी दाना: मेथी के दाने में फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करने और बुखार को कम करने में मदद करते हैं। 

ये घरेलू उपाय केवल चिकित्सा उपचार के साथ-साथ अपनाए जाने चाहिए, न कि उनके विकल्प के रूप में।

विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day in Hindi) के अवसर पर सरकार व विभिन्न संगठनों द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम, शैक्षिक सेमिनार और स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं तथा मलेरिया की रोकथाम और उपायों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के कार्य किए जाते हैं।

विश्व मलेरिया दिवस 2024 की थीम ‘हेल्थ इक्वालिटी, जेंडर एंड ह्यूमन राइट्स’ है, जो स्वास्थ्य समानता, लिंग और मानवाधिकारों पर जोर देती है। यह थीम मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में सभी के लिए समान अवसर और अधिकारों की महत्ता को दर्शाती करती है। इस थीम के माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मलेरिया के नियंत्रण और उन्मूलन के प्रयासों में लिंग और मानवाधिकारों के मुद्दों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर देता हैं।

  • जागरूकता बढ़ाना: यह दिवस मलेरिया के लक्षणों, रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
  • निवारण और नियंत्रण को बढ़ावा देना: यह दिवस मच्छरदानी, कीटनाशकों और दवाओं के उचित उपयोग सहित मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए रणनीतियों को बढ़ावा देता है।
  • राजनीतिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना: यह दिवस सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और आम नागरिक को मलेरिया उन्मूलन के लिए संसाधनों और राजनीतिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

पिछले कुछ दशकों में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। मच्छरदानी के वितरण, प्रभावी दवाओं के विकास और बेहतर कीटनाशक नियंत्रण रणनीतियों के माध्यम से मलेरिया के मामलों और मौतों की संख्या में काफी कमी आई है। हालांकि मलेरिया को पूरी तरह से खत्म करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मलेरिया दवाओं और कीटनाशकों के प्रतिरोध का बढ़ना एक बड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त गरीबी, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में कमी और मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी बुनियादी ढांचे की कमी मलेरिया के नियंत्रण में बाधा डालती है। 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि 2020 में मलेरिया के कारण सबसे अधिक 627,000 लोग मारे गए थे।
  • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे मलेरिया से होने वाली मौतों का 67% हिस्सा बनाते हैं। 
  • अफ्रीकी क्षेत्र मलेरिया से होने वाली मौतों का 95% हिस्सा वहन करता है। 
  • वर्ष 2000 और 2019 के बीच मलेरिया मामलों की संख्या में 41% कमी आई थी।

मलेरिया कितने प्रकार का होता है (Types of Malaria in Hindi)?

मलेरिया फैलाने वाली मादा मच्छर में जीवाणु की 5 जातियां होती हैं।  

●प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum)-

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति एकदम बेसुध हो जाता है। लगातार उल्टियां होने से इस बुखार में व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

●सोडियम विवैक्स (P. Vivax)- 

विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय काटता है। यह मच्छर बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा करता है जो हर तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाना शुरू करता है। 

●प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale)- 

मलेरिया का यह रूप बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है। 

●प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malariae)-

प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। इस रोग में क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न होता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आ जाता है। इसके अलावा रोगी के यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं और शरीर में प्रोटीन की कमी होकर सूजन आ जाती है।

●प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi)- 

दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी में सिर दर्द, भूख ना लगना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

मलेरिया के क्या-क्या लक्षण होते हैं और यह कब दिखने शुरू होते हैं?

मलेरिया के लक्षण – (Malaria Symptoms)

मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छरों के काटने के सात दिनों बाद से विकसित हो सकते हैं। आमतौर पर आपको किस परजीवी ने काटा है, उसके आधार पर संक्रमण होने से लक्षण शुरू होने के बीच का समय 7 से 18 दिन होता है। हालांकि, कुछ मामलों में लक्षण को विकसित होने में एक साल भी लग सकता है।

World Malaria Day in Hindi | मलेरिया होने पर क्या क्या तकलीफ होती है?

मलेरिया के प्रारंभिक लक्षण फ्लू की तरह हैं और इसमें शामिल हैं:

  • शरीर का तापमान बढ़ना (बुखार)
  • सिरदर्द
  • पसीना आना
  • ठंड लगना
  • उल्टी होना

ये लक्षण अक्सर हल्के होते हैं और कभी-कभी इन्हें मलेरिया के रूप में पहचानना मुश्किल हो सकता है। कुछ प्रकार के मलेरिया में बुखार 48 घंटे के चक्र (cycles) में होता है। इन चक्रों के दौरान आपको कपकपी के साथ पहले ठंड लगती है। फिर पसीना और थकान के साथ आपको बुखार आता है। ये लक्षण आमतौर पर 6 से 12 घंटे के बीच रहते हैं।

  • मांसपेशियों में दर्द होना
  • दस्त
  • सिरदर्द
  • तेज बुखार
  • अत्यधिक पसीना आना
  • मांसपेशियों में दर्द होना 
  • जी मचलाना
  • खांसी आना
  • अत्यधिक ठंड लगना
  • छाती और पेट में तेज दर्द
  • शरीर में ऐंठन होना

अस्वस्थ महसूस करना सबसे गंभीर प्रकार के मलेरिया का कारण प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी है। अगर इसका शीघ्र उपचार ना हो, तो इससे मरीज़ के जीवन पर गंभीर परिणाम पड़ सकते हैं जैसे कि साँस लेने की समस्या और अंगों का काम नहीं करना। इसके कारण एनीमिया, सेरेब्रल मलेरिया (मस्तिष्क क्षति), बहुत कम रक्त शर्करा भी हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप कोमा हो सकता है या मृत्यु हो सकती है।

Read in English | World Malaria Day | Theme, Quotes, History, Cure, Significance

मलेरिया के ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्र में रहने या यात्रा करने के दौरान यदि आपको तेज बुखार का अनुभव होता है तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। मलेरिया होने पर परजीवी एक वर्ष तक आपके शरीर में निष्क्रिय रह सकते हैं। यदि आपको मलेरिया के गंभीर लक्षण हैं तो आपातकालीन चिकित्सा के लिए तुरंत जाएँ।

मलेरिया से कैसे बचाव करें (Prevention of Malaria in Hindi)?

मलेरिया से बचाव के उपाय इस प्रकार हैं –

  • रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दें या फिर उस पानी में मिट्टी का तेल या डीजल डाल दें। जिससे मच्छर नष्ट हो जाएं। 
  • मच्छरदानी का उपयोग करें। 
  • कीट रिपेलेंट परमेथ्रिन के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • ऐसे कपडे पहनें जो आपके शरीर के अधिकांश भाग को ढक सकें।
  • डीईईट या पिकारिदिन युक्त कीट से बचाने वाली क्रीम का प्रयोग करें। ये त्वचा पर सीधे लगाईं जाती है (आपके मुंह और आंखों को छोड़कर)। यदि आप पिकारिडिन-आधारित रिपेलेंट चुनते हैं, तो आपको उसे हर कुछ घंटों में पुन: लगाने की आवश्यकता होगी।
  • कपड़ों पर परमेथ्रिन लगाएं।
  • घर के आस-पास समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें।
  • वर्तमान में मलेरिया से सुरक्षा प्रदान कराने वाली कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको रोग होने की संभावना को कम करने के लिए एंटीमलेरियल दवा लेनी चाहिए।

मलेरिया के खात्मे को लेकर भारत सरकार का क्या लक्ष्य है?

भारत सरकार ने 2030 तक मलेरिया खत्म करने का लक्ष्य रखा है। वहीं पूरी दुनिया से मलेरिया को खत्म करने का लक्ष्य 2027 रखा गया है।

मच्छर कैसे फैलाते हैं बीमारी?

World Malaria Day in Hindi | मच्छर बीमारी नहीं फैलाते हैं बल्कि मच्छर के काटने पर हमारे अन्दर कुछ ऐसे परिजीवी डाल देते हैं, जिनकी वजह से बीमारी होती है। मच्छर मलेरिया का कीटाणु मनुष्य में फैलाते हैं और जिसे मलेरिया हो गया है उसे फिर से काट के दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर देते हैं।

मलेरिया होने पर कौन सी दवाईयां प्रयोग में ली जाती हैं?

World Malaria Day in Hindi [2024] | कुनैन परिवार की क्लोरोक्वीन  chloroquine) मलेरिया के लिये सबसे सस्ती तथा प्रभावी दवा मानी जाती रही है। किंतु हाल में परजीवी इसके प्रति प्रतिरोधी हो गये हैं, खासकर पी. फैल्सीपैरम। ऐसे परजीवी कुनैन तथा एमोडियाक्वीन ( amodiaquine) के प्रति भी प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं। जिन क्षेत्रों में परजीवी अब भी क्लोरोक्वीन के प्रति संवेदनशील हैं, वहाँ इसे ही सबसे पहले इस्तेमाल किया जाता है।

अन्य दवाओं में प्रिमाक्वीन ( primaquine), हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ( hydroxychloroquine), पैमाक्वीन (pamaquine) और मेफ्लोक्वीन (mefloquine) शामिल हैं। इनमें से कुनैन और प्रिमाक्वीन केवल उपचार में प्रयुक्त होती हैं (प्रिमाक्वीन केवल पी. विवैक्स और पी. ओवेल के विरुद्ध), जबकि क्लोरोक्वीन, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और मेफ्लोक्वीन को उपचार और निरोध दोनों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

नोट: किसी भी प्रकार की कोई बीमारी होने पर दवा लेने से पहले सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें।

मलेरिया होने पर क्या न खांए?

1. ठंडा पानी बिल्कुल न पीएं और ना ही ठंडे पानी से नहाएं।

2.  दही, शिकंजी, गाजर, मूली जैसी ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।

3. मिर्च-मसाले या अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

4. बाहर का तला-भुना या ज्यादा मसालेदार खाने से सख्त परहेज करें।

मलेरिया होने पर क्या खाना चाहिए?

World Malaria Day in Hindi [2024] | डॉक्टर्स मलेरिया के मरीजों को प्राथमिक स्तर पर नारियल पानी और संतरे का जूस पीने की सलाह देते हैं। वहीं दूसरे चरण में फल और सब्जियां खा सकते हैं। जबकि तीसरे चरण में सब्जियों के साथ दलिया और अनाज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मलेरिया के मरीजों को सुबह के नाश्ते में दूध, फल और जूस का सेवन करना चाहिए। मलेरिया होने पर आप सेब खाएं ताकि आपकी सेहत अच्छी रहे, इसके सीथ ही पीपल का चूर्ण शहद में मिलाकर उसका सेवन करने से भी मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है। खिचड़ी,दलिया,साबूदाना खाएं ताकि मरीज़ को खाना पच सके, अगर आपका जी घबरा रहा है तो नींबू काटकर उस पर काली मिर्च का चूर्ण या सेंधा नमक डालकर चूस सकते हैं।

कौन-कौन से देश मलेरिया मुक्त हैं?

WHO के अनुसार, चीन पहला देश है, जिसे 3 दशकों से अधिक समय तक मलेरिया-मुक्त देश से सम्मानित किया गया है। इस स्थिति को हासिल करने वाले अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और ब्रुनेई दारुस्सलाम शामिल हैं।

क्या कोई ऐसा देश भी है, जहां कोई बीमारी नहीं है?

जी हां! एक ऐसी जगह भी है जहां किसी भी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं है, जहां पर किसी भी परिवार का कोई भी व्यक्ति दुखी और बीमार नहीं रहता, चाहे मलेरिया , कोरोना वायरस या अन्य कोई बीमारी , प्राकृतिक आपदा (बाढ़, आगजनी, चक्रवर्ती तूफान, बर्फ ओले, गर्मी सर्दी,) या असामाजिक घटना (चोरी लूटपाट , धोखाधड़ी , दंगे) इत्यादि किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं होती। उस जगह को सभी आध्यात्मिक वैज्ञानिकों अर्थात संतों ने सतलोक, सचखंड, अविनाशी जन्नत, सनातन धाम कहा है। इस संसार से गए हुए प्राणी वहां पर जाकर हमेशा हमेशा के लिए सुखी हो जाते हैं उन्हें कभी कोई दुख नहीं होता, जो भी प्राणी वहां पर रहते हैं वह हमेशा हमेशा के लिए सुखी रहते हैं।

हनुमान जी, दादू दास जी, मलूक (चौधरी) दास जी, रामानंद पंडित जी, हजरत मोहम्मद जी, अन्य भी कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने सतलोक देखा है, कुछ महापुरुषों ने सतलोक देखकर वापस आकर, यहां सब को बताया कि वास्तव में एक ऐसा स्थान है जहां पर सुख सदा सदा के लिए विद्यमान है।

तत्वदर्शी संत अर्थात पूर्ण गुरु से नाम दीक्षा लेकर मर्यादावत् सतभक्ति करते हुए हम सतलोक की प्राप्ति कर सकते हैं।

प्रमाण के लिए देखें-

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 34, कुरान शरीफ सूरह फुरकान 25 आयत नंबर 59, तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी पूर्ण गुरु की शरण में जाने के लिए कहा गया है।

पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता, पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र चारों वेद, पवित्र गुरुग्रंथ साहिब, पवित्र बाइबल, पवित्र ग्रंथों के ज्ञाता व सभी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों के मूल केंद्र वह बाखबर, तत्वदर्शी, पूर्ण गुरु, कोई और नहीं संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। जो विश्व कल्याण के लिए हिंदुस्तान की पावन धरा पर मौजूद हैं और सतलोक जाने का सरल मार्ग बता रहे हैं। 

अतः उनके द्वारा दिए गए प्रमाणित ज्ञान को सुनें, समझें और बहुचर्चित पुस्तक “ज्ञान गंगा” व “जीने की राह” पढ़ें, तत्पश्चात नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर सत भक्ति करके सभी महापुरुषों की तरह आप भी सतलोक जाकर हमेशा के लिए सुखी, अमर और स्वस्थ हो सकते हैं।

Q. मलेरिया की खोज किसने की थी?

 उत्तर.  मलेरिया परजीवी की खोज 1889 में चार्ल्स लुई अल्फोंस लावेरन ने की थी। उन्होंने अल्जीरिया में काम करते हुए मलेरिया रोगियों के रक्त में प्लास्मोडियम नामक परजीवी की पहचान की थी तथा रोनाल्ड रॉस ने 1897 में भारत में काम करते हुए यह साबित किया कि एनेफिलीज मच्छर मलेरिया रोग को फैलाते हैं।

 Q. क्या मलेरिया का टीका बन चुका है?

 उत्तर.  हां, मलेरिया का टीका बन चुका है। इस टीके का नाम RTS,S/AS01 है, जिसे Mosquirix के नाम से भी जाना जाता है। यह टीका विशेष रूप से अफ्रीका में सबसे अधिक प्रचलित मलेरिया पी. फाल्सीपेरम को लक्षित करता है। इसे पाँच महीने से दो साल तक के बच्चों के लिए विकसित किया गया है। इसका इस्तेमाल घाना, केन्या और मलावी में भी किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस टीके के विकास और इस्तेमाल को सहमती दी है। यह टीका रोग प्रतिरोधक तंत्र को मलेरिया के परजीवी पर हमले के लिए तैयार करता है। इस टीके को चार बार देने की ज़रूरत होती है – तीन खुराक लगातार एक महीने के अंतराल में तथा चौथी खुराक 18 महीने के बाद। 

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