विश्व कैंसर दिवस
विश्व कैंसर दिवस प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। विश्व कैंसर दिवस की स्थापना यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी UICC) द्वारा 2008 में की गई थी।
इसे World Cancer Day (WCD ) भी कहा जाता है। इस डे को सेलिब्रेट करने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर के लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता और इसकी पहचान कर रोकथाम को प्रोत्साहित करना है।
भारत में 15 प्रतिशत लोग कैंसर के शिकार हैं।
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल इस बीमारी से 70 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है। भारत में हर साल साढ़े बारह लाख नए रोगियों में से लगभग सात लाख महिलाएं होती हैं।
आधुनिक जीवनशैली ने बढाया कैंसर का खतरा!
आधुनिक जीवनशैली, प्रदूषण और चारों तरफ बिखरा तनाव कुछ ऐसे कारण हैं जो कैंसर का जोखिम बढ़ाने में अपना योगदान देते हैैं। मनुष्य की मृत्यु के यूं तो कई अनगिनत कारण हैं जिनमें से एक महत्वपूर्ण कैंसर जैसा भंयकर रोग बना हुआ है।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक,” टिमोथी वील के अनुसार कैंसर शरीर की कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया का बेक़ाबू हो जाना है”। हमारे शरीर में कोशिकाओं के विभाजन में हमारे जीन का कंट्रोल होता है। जब कोई जीन किसी वजह से ये ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाता तो कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है।
कैंसर क्या है और क्यों होता है?
कैंसर हमारी कोशिकाओं के भीतर डी एन ए की क्षति के कारण होता है। डी एन ए की क्षति सभी सामान्य कोशिकाओं में होती रहती है। लेकिन इस क्षति का सुधार हमारे स्वयं के शरीर द्वारा हो जाता है। कभी कभी इस क्षति का सुधार नहीं हो पाता जिससे कोशिकाओं के गुणों में परिवर्तन हो जाता है। संचित डी एन ए की क्षति अंत में कैंसर को जन्म दे सकती है।
शरीर में कैंसर अलग अलग तरीकों से फैलता है:
- यह सीधा आसपास के ऊतकों में फैल सकता है।
- कैंसर कोशिकाएं लसीका प्रवाह में प्रवेश करते हुए लिम्फ नोड्स तक पहुंच सकती हैं।
- कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुंच सकती हैं।
कैंसर होने के अन्य कारणों में तंबाकू सेवन, शराब पीना, आनुवांशिक रचना, अल्प आहार, शारीरिक निष्क्रियता, अत्याधिक वजन का होना और रसायनों का संपर्क आदि हैं। मुँह, गले, फेफड़े, त्वचा, अमाशय, मलाशय, गुर्दा, मूत्राशय और मस्तिष्क के कैंसर महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में अधिक पाये जाते हैं।
कैंसर के सात मुख्य संकेत एवं लक्षण हैं:-
- आंत या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन
- घाव जो जल्दी न भरे
- शरीर के किसी भी हिस्से में असामान्य रक्तस्राव या स्राव
- वजन में अस्पष्टीकृत गिरावट या भूख न लगना
- निगलने में परेशानी या पुरानी अपच
- तिल या मस्से में कोई परिवर्तन
- लगातार खांसी या आवाज में भारीपन
कैंसर उपचार में उपयोगी कीमोथेरेपी
कैंसर के उपचार हेतु दवाओं या रसायनों के उपयोग को कीमोथेरेपी कहा जाता है। यह दवाएं विभाजित होती कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करती हैं।
कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए भी इसका उपयोग आवश्यक है।
(Source:cancerindia)
बालीवुड और हालीवुड भी हुआ कैंसर से प्रभावित
रोटी, कपड़ा और मकान जैसी भौतिक ज़रूरतों के साथ जो सबसे अधिक ज़रूरी चीज़ है वह है मनुष्य का स्वस्थ शरीर। यदि शरीर ही नहीं रहेगा तो अन्य चीजें किस काम आएंगी। शरीर स्वस्थ रहेगा तो भौतिक जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
मनुष्य अपनी ज़रूरतों और ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में इतना व्यस्त हो गया है कि वह अपनी सेहत को भी नज़रअंदाज़ कर रहा है। काम के लिए घर से जल्दी निकलना और रात को देर से लौटना, अधिकतर समय पर आहार न करना, व्यायाम और संतुलित भोजन का अभाव भी शारीरिक कमियों को जन्म देता है। बाहर से शरीर भले स्वस्थ दिखाई देता है परंतु अंदरुनी बदलाव समय आने पर जोर का झटका देते हैं।
अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे को ही लीजिए उनकी ज़िंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था। पर ऐसा क्षण भी आया जब उन्हें अपने शरीर में घर कर चुके कैंसर के बारे में पता चला और वह तुरंत इलाज के लिए विदेश चली गईं। बालीवुड के कई मशहूर अभिनेता विभिन्न तरह के कैंसर से लड़ रहे हैं कुछ ने इस का साहस के साथ सामना किया जिनमें मनीषा कोइराला, लीज़ा रे, मुमताज़, राकेश रोशन, अनुराग बासु हैं। जो कैंसर के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए उनमें राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, फिरोज़ खान, नरगिस दत्त आदि हैं।
जो अभी भी कैंसर का इलाज करवा रहे हैं उनमें इरफ़ान ख़ान, सोनाली बेंद्रे, ऋषि कपूर और गोवा के चीफ मिनिस्टर मनोहर पारिकर आदि हैं।
हालीवुड के तकरीबन 45 से ज्यादा विदेशी कलाकार कैंसर से प्रभावित हुए। स्वस्थ होने वालों में ह्यू जैकमेन, शैरील करो, रोबर्ट डी नीरो, ओलिविया न्यूटन आदि कलाकार हैं।
बेशक इन लोगों के पास धन की कतई कमी नहीं है इनका ध्यान देने के लिए नौकर चाकरों की जमात है यह देश क्या विदेशों में भी मंहगे से मंहगा इलाज कराने में सक्षम हैं परंतु शरीर पर पड़ी मार तो केवल वही भोगता है जिस पर असहनीय दुख या बीमारी की मार पड़ती है।
कबीर साहेब जी कहते हैं, जिस तन लागे वो तन जाने।
जिसके पांव न फटे बिवाई
वो क्या जाने पीड़ (पीड़ा) पराई।।
आध्यात्मिक ज्ञान से उपचार संभव
यह काल का लोक है यहां प्रत्येक जीव अपने कर्मों अनुसार फल भोगता है। हम शरीर में जो आहार डालते हैं उसे पचने में 48 घंटे का समय लगता है तब तक शरीर संचित ऊर्जा का प्रयोग करता है अन्य उदाहरण के लिए ऊंट (जानवर) आज खाए भोजन से उत्पन्न ऊर्जा को अपने कुबड़ में संचित कर लेता है और कई दिन तक रेगिस्तान की भीषण गर्मी में बिना जल और भोजन के रह लेता है क्योंकि परमात्मा ने उसे ऐसा शरीर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा से कई दिन तक अपनी भूख प्यास मिटा सकता है। परंतु संचित ऊर्जा खत्म होते ही उसे भूख मिटाने के लिए भोजन चाहिए।
इसी तरह जब तक मनुष्य के पुण्य कर्म उसके साथ चलते हैं तब तक ज़िंदगी की सारी मौज मस्ती व्यक्ति लूटता है और पुण्य खत्म होते ही दुखों की मार पड़ने पर व्यक्ति टूट जाता है। दुखों की चोट किसी भी रूप में लग सकती है। चाहे बीमारी कारण बने या कोई दुर्घटना और अन्य भौतिक दुख। सच तो यह है कि यह काल इक्कीस ब्रह्माण्ड का राजा हमें सुखी नहीं रख सकता। हमारे दुख इसके सुख का कारण हैं। (काल के असली रूप और परमात्मा से सुख प्राप्त करनेे के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा और फ्री पुस्तक प्राप्त करने के लिए मैसेज भेजें 7496801825 पर)।
इस लोक में भी सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान केवल पूर्ण ब्रह्म परमात्मा ही दे सकते हैं। उनके लिए कैंसर , एड्स, टीबी, पोलियो, कोढ़, गठिया, काली खांसी, चर्मरोग जैसे लाइलाज रोग ठीक करना पलक झपकाने जैसा है।
पूर्ण परमात्मा सर्वशक्तिमान है जो अंधे को आंख देत, कोढिन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। इनके दरबार से कोई खाली नहीं जाता। यह वो परमात्मा है जो सबकी झोली मनचाही खुशियों से भर देता है। कबीर परमात्माा जब छः सौ वर्ष पहले काशी में आए थे तो उन्होंने सिंकदर लोधी जो दिल्ली का महाराजा था। अपने आशीर्वाद मात्र से उसका जलन का रोग ठीक कर दिया था। जो उसके पीर शेख तकी और अन्य फकीर, तांत्रिक और वैद्यों से भी ठीक नहीं हुआ था।
परमात्मा प्रत्येक युग में स्वयं या फिर अपने कृपा पात्र संत रूप में अपने निजधाम सतलोक से चलकर पृथ्वी पर आते हैं और अपनी प्यारी आत्माओं को मिलते हैं। परमात्मा अपने साधक की आयु भी बढ़ा सकता है और लाइलाज बीमारी भी ठीक कर देता है – ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26.
संत रामपाल जी परमात्मा के कृपा पात्र और पूर्ण परोपकारी संत हैं जिनकी शरण में आने से लोग कैंसर जैसी भंयकर बीमारी से बिना कोई महंगी दवाई खाए, बिना कीमौथेरेपी, रेडियोथेरेपी, इम्यून थेरैपी कराए केवल आशीर्वाद मात्र से बिल्कुल ठीक हो चुके हैं। वह लोग जिनके पास डाक्टर की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे केवल संत रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर और उनके द्वारा बताई भक्ति को पूर्ण विश्वास के साथ करने लगे और आज वह बिल्कुल स्वस्थ हैं।
वह संत नहीं जो चमत्कार दिखाए
और वह भी संत नहीं जिससे चमत्कार न हों।
संत रामपाल जी महाराज के द्वारा दिए जा रहे आध्यात्मिक ज्ञान को समझ कर जिसने भी संत जी से नाम दीक्षा ग्रहण की वो आज तन मन और धन तीनों से सुखी और स्वस्थ हैं। परमेश्वर से दूरी और उसके ज्ञान से अनभिज्ञता मनुष्य के दुखों का कारण होता है परंतु अब विश्व विकास, समृद्धि, स्वास्थ्य के लिए संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण कर रोग मुक्त होकर सतभक्ति आरंभ करेगा।