Last Updated on 16 December 2022, 2:39 PM IST: विजय दिवस (Vijay Diwas 16 December 1971): 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराने में भारत की विजय गाथा को प्रदर्शित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी को अपने 93,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था।
16 दिसंबर विजय दिवस (Vijay Diwas 16 December 1971) के मुख्य बिन्दु
- 16 दिसंबर के दिन भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त की
- भारत ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बाँट कर एक नया राष्ट्र बांग्लादेश बनाया
- 13 दिन चले इस युद्ध में 3,900 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 9,851 सैनिक घायल हुए
- युद्ध की समाप्ति पर 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया
- प्रधानमंत्री ने 1971 भारतीय योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर प्रज्जवलित 4 स्वर्णिम विजय मशालों को देश के अलग अलग स्थानों पर ले जाया जाएगा
16 दिसंबर को विजय दिवस क्यों?
16 दिसंबर भारतीय इतिहास का एक अविस्मरणीय दिन है। इस दिन भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त की। 16 दिसंबर 1971 को भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त देकर दो टुकड़ों में बाँट दिया और इस प्रकार बांग्लादेश का जन्म हुआ। 13 दिन चले इस युद्ध में 3,900 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 9,851 सैनिक घायल हुए। 1971 के युद्ध में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था।
आज भारत मना रहा है स्वर्ण जयंती वर्ष
16 दिसंबर 1971 के युद्ध की विजय के 50 वर्ष पूरे होने पर आज भारत स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के गुलाम लोगों को आज़ाद कराने और एक स्वतंत्र बांग्लादेश की स्थापना करने भारतीय सेना के शौर्य, पराक्रम और बलिदान के प्रतीक के रूप में पूरा देश प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है।
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कैसे मनाया जा रहा है विजय दिवस (Vijay Diwas)?
1971 में 16 दिसंबर को भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना को मिली ऐतिहासिक जीत को याद करते हुए पूर्व संध्या यानि 15 दिसंबर को आर्मी हाउस में आयोजित ‘एट होम’ रिसेप्शन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय दिवस के अवसर पर आयोजित एक प्रदर्शनी का दौरा भी किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे।
वहीं, 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की शानदार जीत के 51 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विजय दिवस (Vijay Diwas) समारोह के हिस्से के रूप में रॉयल कलकत्ता टर्फ क्लब, कोलकाता में सैन्य टैटू कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस आयोजन के लिए बांग्लादेश से 65 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल कोलकाता पहुंचा।
विजय दिवस (Vijay Diwas 16 December 1971) कैसे हुआ 13 दिन की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में बांग्लादेश का जन्म
13 दिन की अल्प अवधि के युद्ध में भारतीय सेना के पराक्रम और सूझबूझ के कारण 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना को भारत के सामने समर्पण करना पड़ा। युद्ध में उपहार वश हुआ बांग्लादेश का जन्म। आइए जानते क्या था घटना क्रम –
- वर्ष 1971 के प्रारंभ में पाकिस्तानी सैन्य तानाशाह याहिया ख़ां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश देकर युद्ध की नींव डाल दी थी।
- शेख मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार किया गया और पूर्वी पाकिस्तान से भारत आने वाले शरणार्थियों का तांता लग गया।
- पाकिस्तानी सेना का दुर्व्यवहार बढ़ने लगा और भारत पर सैन्य हस्तक्षेप करने का दबाव पड़ने लगा।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अप्रैल में पाकिस्तान पर आक्रमण करने के बारे में थलसेनाध्यक्ष जनरल मानेकशॉ की राय ली। पूर्वी कमान के स्टाफ़ ऑफ़िसर मेजर जनरल जेएफ़आर जैकब की सलाह पर मानेकशॉ ने मानसून के बाद का समय निश्चित करने की राय दी।
- 3 दिसंबर, 1971 पाकिस्तानी वायुसेना ने पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराने शुरु कर दिए।
- भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही करते हुए जेसोर और खुलना पर कब्जा किया।
- 14 दिसंबर को भारतीय सेना ने ढाका में होने वाली पाकिस्तानी प्रशासनिक अधिकारियों की गुप्त बैठक के दौरान सैनिक विमानों से बम गिरा कर ढाका के उस सरकारी भवन के मुख्य हॉल की छत उड़ा दी।
- तत्कालीन सेना प्रमुख फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने मेजर जनरल जैकब को पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्पण कराने की व्यवस्था करने के लिए ढाका भेजा।
- नियाज़ी के पास ढाका में 26400 सैनिक थे जबकि भारत के पास ढाका से 30 किलोमीटर दूर केवल 3000 सैनिक थे। मेजर जनरल जैकब ने जनरल नियाज़ी को हथियार डालने के लिए तैयार किया।
- शाम को पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और नियाज़ी दोनों ने पाकिस्तानी सेना द्वारा आत्म-समर्पण के दस्तवेज पर हस्ताक्षर किए।
- नम आंखों से नियाज़ी ने अपने बिल्ले और अपना रिवॉल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिया। जिससे नाराज होकर स्थानीय लोग नियाजी की हत्या पर उतारू हो गए लेकिन भारतीय सेना द्वारा नियाजी को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
- 16 दिसंबर को पाकिस्तान के जनरल नियाज़ी के साथ क़रीब 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाले।
- जनरल मानेक शॉ द्वारा बांग्लादेश में मिली शानदार जीत की खबर इंदिरा गांधी को दी गई। वे उस समय संसद भवन में थी और उन्होंने लोकसभा में भारत को युद्ध में मिली विजय की घोषणा की। इसके बाद पूरा सदन और पूरा देश जश्न में डूब गया।
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