April 16, 2025

Chaitra Navratri 2025 [Hindi]: चैत्र नवरात्रि पर जानिए किस पूजा विधि से प्रसन्न होंगी दुर्गा जी

Published on

spot_img

Last Updated on 28 March 2025 IST: हिन्दू धर्म में प्रचलित त्योहारों में से एक चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025 in Hindi) का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि को बड़ी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है। आइए हिन्दू पंचांग के अनुसार जानते हैं कब से शुरू हैं चैत्र नवरात्रि और कैसे मनाते हैं भक्त नवरात्रि।

Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): मुख्य बिन्दु 

  1. इस दौरान भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। नवरात्रि का पहला दिन घट स्थापना से शुरू होता है। नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
  2. दुर्गा के नौ रूपों को पाप विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र-शस्त्र हैं परन्तु यह सब एक ही हैं।
  3. दुर्गा मां हमारे पापों का नाश नहीं कर सकती। जानिए कौन है तत्वदर्शी संत जो बताते हैं दुर्गा जी की संपूर्ण पूजा विधि?

Chaitra Navratri 2025 Date (चैत्र नवरात्रि 2025 तिथि)

चैत्र नवरात्रि को हिन्दू मान्यता के अनुसार नए वर्ष का आरंभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के आधार पर यह माना जाता है कि माता दुर्गा इस दिन भक्तों के घर आती हैं। इस वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं तथा 7 अप्रैल 2025 को इनका समापन होगा। 

Chaitra Navratri Importance (चैत्र नवरात्रि का महत्व)

चैत्र नवरात्रि पर्व होली के त्योहार के कुछ दिन बाद से ही शुरू हो जाता है। पौराणिक धारणाओं अथवा हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पूर्ण परमात्मा के ब्रह्माण्ड रचना के बाद श्री ब्रह्मा जी ने संसार की रचना चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही शुरू की थी। इसी वजह से चैत्र नवरात्रि पूरे नौ दिन तक मनाई जाती है जिसमें अलग अलग दिन, अलग अलग देवी अर्थात दुर्गा माता के नौ रुपों की पूजा अर्चना की जाती है।

Story of Chaitra Navratri (चैत्र नवरात्रि की कथा)

Chaitra Navratri Story in Hindi | चैत्र नवरात्रि को लेकर कई और कहानियां भी प्रचलित हैं। उनमें से एक इस प्रकार है। माना जाता है कि असुर महिषासुर के आतंक से परेशान, सभी देवताओं ने उसको रोकने का बहुत प्रयास किया परंतु उसको एक वरदान प्राप्त था जिसके फलस्वरूप कोई देवता अथवा दानव उसको हरा नहीं सकता था। आखिरकार, सभी देवताओं ने माता पार्वती को सब स्थिति सुनाकर महिषासुर के वध के लिए आग्रह किया। इस उपरान्त माँ पार्वती ने अपने अंश से नौ रूपों की रचना की जिन्हें सभी देवताओं ने अपने शस्त्र देकर और शक्ति पूर्ण बनाया।

माँ दुर्गा के कौन से नौ रूपों की पूजा की जाती है?

चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2025 से शुरू हो रहे हैं तथा इनका समापन को 17 अप्रैल को नवमी के रूप में हो रहा है। इन नौ दिनों में दुर्गा माता के जिन नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है वे इस प्रकार हैं:

  • पहले नवरात्रि को माता शैलपुत्री जी की पूजा की जाती है।
  • दूसरे नवरात्रि को माता ब्रह्मचारिणी जी को पूजा जाता है।
  • तीसरे नवरात्रि को माता चन्द्रघण्टा को पूजा जाता है।
  • चौथे नवरात्रि को माता कुष्मांडा जी की पूजा होती है।
  • पांचवें नवरात्रि को स्कंदमाता जी की पूजा होती है।
  • छठे नवरात्रि में माता कात्यायनी की पूजा होती है।
  • सातवें नवरात्रि में माता कालरात्रि जी की पूजा होती है।
  • आठवें नवरात्रि में माता महागौरी जी की पूजा होती है।
  • नौंवे नवरात्रि में सिद्धिदात्री माता को पूजा जाता है।

Chaitra Navratri 2025 [Hindi]: चैत्र नवरात्रि के दिनों में कैसे करते हैं पूजा?

तप, साधना और संयम के इन दिनों में घर-घर में माता की आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान से घट स्थापना के साथ प्रथम आदिशक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप का भव्य श्रृंगार और पूजन किया जाता है।

■ Also Read: Shardiya Navratri [Hindi]: इस नवरात्रि पर जाने क्या देवी दुर्गा की उपासना से पूर्ण मोक्ष संभव है?

Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): देवी के निमित्त अखंड ज्योति जलाकर भक्त नौ दिन के व्रत का संकल्प लेते हैं जबकि श्रीमद्भगवद गीता में इस तरह से पूजा यानी शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने के लिए मना किया गया है। ये सारी क्रियाएं भक्त समाज लोकवेद अर्थात सुने सुनाए ज्ञान के आधार पर करते हैं, जो व्यर्थ हैं। प्रमुखत: श्रीमद्भगवत गीता में कहीं भी दुर्गा जी को पूजनीय नहीं कहा गया है। दुर्गा मां की वास्तविक साधना करने के लिए उनके विशिष्ट मंत्र का जाप करना होता है जो कि तत्वदर्शी संत बताते हैं।

तप और व्रत के लिए श्रीमद्भगवद्गीता में किया गया है मना

गीता अध्याय 6 का श्लोक 16

न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,

न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।

गीता ज्ञानदाता ब्रह्म काल अर्जुन से कह रहा है यह योग न तो अत्यधिक खाने वाले का और न बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात् व्रत रखने वाले का तथा न ही बहुत शयन करने वाले का तथा न ही हठ करके अधिक जागने वाले का कभी सिद्ध होता है अर्थात यह सब व्यर्थ की साधना है। व्रत करना, हठ योग साधना करना, तीर्थों पर जाना इत्यादि सब मनमाना आचरण हैं जिसके बारे में गीता जी में कहा गया है कि इन साधनाओं को करने से साधक का मोक्ष सम्भव नहीं है बल्कि जो इनको करते हैं वो केवल स्वर्ग-नरक वाली साधना में ही लीन हैं।

श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34

तत्, विद्धि, प्रणिपातेन, परिप्रश्नेन, सेवया,

उपदेक्ष्यन्ति, ते, ज्ञानम्, ज्ञानिनः, तत्त्वदर्शिनः।।

पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण है। मेरे तक की साधना, अटकल लगाया ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र में कहा गया है कि उस तत्वज्ञान को तू तत्वदर्शी संत से समझ। उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संतों को भली भांति दण्डवत प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सफलतापूर्वक प्रश्न करने से वे पूर्ण ब्रह्म को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे।

इसी का प्रमाण गीता अध्याय 2 श्लोक 15-16 में भी है। अर्थात तत्वदर्शी संत की खोज कर और जैसे वह बताएं वैसे पूजा करने से लाभ होगा। (वर्तमान में वह तत्वदर्शी संत जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज हैं।)

क्या व्रत करना वेदों के अनुसार है?

व्रत करना, हठ योग साधना करना, तीर्थो पर जाना इत्यादि सब मनमाना आचरण हैं जिसके बारे में गीता जी मे वर्णित है कि इन साधना से मोक्ष सम्भव नहीं है बल्कि जो इस साधना को करते है वो केवल स्वर्ग-नरक वाली साधना में ही लीन हैं।

गीता जी अध्याय 6 का श्लोक 47

योगिनाम्, अपि, सर्वेषाम्, मद्गतेन, अन्तरात्मना,

श्रद्धावान्, भजते, यः, माम्, सः, मे, युक्ततमः, मतः।।

दुर्गा माता किसकी पूजा करने के लिए कहती हैं? प्रमाण देखिए

Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि):  श्रीमद् देवी भागवत पुराण के स्कंद 7, पृष्ठ 562 में देवी द्वारा हिमालय राज को ज्ञान उपदेश में दुर्गा जी स्वयं किसी और भगवान की पूजा करने की बात करती हैं। जहां देवी दुर्गा कहती हैं कि मेरी पूजा को भी त्याग दो और सब बातों को छोड़ दो, केवल ब्रह्म की साधना करो। जिस ब्रह्म के बारे में देवी ने पूजा करने के लिए कहा है वह ब्रह्म “किसकी पूजा करने के लिए कह रहा है”, आइए जानें:

पवित्र गीता अध्याय 9 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवी-देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी पूजा ही कर रहे हैं। परंतु उनकी यह पूजा अविधिपूर्वक यानि शास्त्राविरूद्ध है (देवी-देवताओं को नहीं पूजना चाहिए) क्योंकि सम्पूर्ण यज्ञों का भोक्ता व स्वामी मैं ही हूँ। वे भक्त मुझे अच्छी तरह नहीं जानते कि यह काल है। इसलिए इसकी पूजा करके भी पतन को प्राप्त होते हैं जिससे नरक व चौरासी लाख जूनियों का कष्ट सदा बना रहता है। जैसे गीता अध्याय 3 श्लोक 14-15 में कहा है कि सर्व यज्ञों में प्रतिष्ठित अर्थात् सम्मानित, जिसको यज्ञ समर्पण की जाती है वह परमात्मा (सर्व गतम् ब्रह्म) पूर्ण ब्रह्म है। वही कर्माधार बना कर सर्व प्राणियों को प्रदान करता है। परन्तु पूर्ण सन्त न मिलने तक सर्व यज्ञों का भोग (आनन्द) काल (मन रूप में) ही भोगता है, इसलिए कह रहा है कि मैं सर्व यज्ञों का भोक्ता व स्वामी हूँ।

गीता अध्याय 15 का श्लोक 4

ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः,

तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।

उस परमेश्वर के परम पद रूप परमेश्वर को भलीभांति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म (कबीर परमेश्वर) से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है, उस आदि पुरुष नारायण की ही मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए।

अध्याय 18 का श्लोक 66 

सर्वधर्मान्, परित्यज्य, माम्, एकम्, शरणम्, व्रज, 

अहम्, त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि, मा, शुचः।।

अनुवाद: (माम्) मेरी (सर्वधर्मान्) सम्पूर्ण पूजाओं को (परित्यज्य) त्यागकर तू केवल (एकम्) एक उस पूर्ण परमात्मा की (शरणम्) शरण में (व्रज) जा। (अहम्) मैं (त्वा) तुझे (सर्वपापेभ्यः) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः) शोक मत कर।

दुर्गा जी का वास्तविक मंत्र क्या है?

देवी दुर्गा को विभिन्न नामों जैसे गौरी, ब्राह्मी, रौद्री, वरही, वैष्णवी, शिवा, वरुनी, कावेरी, नरसिंही, वास्बी, विश्वेश्वरी, वेदगर्भा, महा विद्या, महामाया, जगदम्बिका, सनातनी देवी, आदि माया, महा शक्ति, अष्टांगी, जगतजननी, प्रकृति, त्रिदेवजननी नाम से संबोधित किया जाता है।

साधक विभिन्न मंत्रों का जाप करके उनकी पूजा करते हैं, जो कहीं भी वेद, पुराण या गीता जी जैसे किसी भी हिंदू धार्मिक ग्रंथों में प्रमाणित नहीं हैं। दुर्गा चालिसा या दुर्गा सप्तष्टि का पाठ करने से देवी दुर्गा कृपा नहीं करती हैं। यह पूजा करने का मनमाना आचरण है जो व्यर्थ भी है। वास्तविकता तो यह है कि दुर्गा मां हमारे पापों का नाश नहीं कर सकती और हमें किसी भी प्रकार की सुख-सुविधाएं नहीं दे सकतीं। सुख-समृद्धि, धन, संपत्ति, संतान और ऐश्वर्य पाने तथा परमात्मा से लाभ पाने का एक मात्र तरीका है सच्ची भक्ति, जो केवल संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं। दुर्गा हमारे शरीर में बने कंठ कमल में निवास करती हैं जिसका मंत्र तत्वदर्शी जानते हैं और अपने साधक तथा ईश्वर प्रेमी आत्मा को बताते हैं।

साधकों को तत्वदर्शी (प्रबुद्ध) संत द्वारा दी गई परम पुरुष परमेश्वर की सही भक्ति विधि करनी चाहिए। प्रमाणित सच्चे मंत्रों का जाप करने से भक्तों को परम शांति व सुख प्राप्ति होगी। तत्वदर्शी संत यानी संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण करने से सभी देवी-देवताओं के वास्तविक मंत्र और स्वरूप की जानकारी मिलेगी।

FAQs about Chaitra Navratri 2025 [Hindi]

प्रश्न:- चैत्र नवरात्रि की तिथि क्या है?

उत्तर:- चैत्र नवरात्रि इस वर्ष 2025 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं तथा 7 अप्रैल 2025 को इनका समापन होगा। 

प्रश्न:- चैत्र मास का नाम चैत्र कैसे पड़ा?

उत्तर:- चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है जिस कारण इस महीने का नाम ही चैत्र पड़ गया।

प्रश्न:- चैत्र नवरात्रि में दुर्गा माता के कितने रूपों की पूजा की जाती है?

उत्तर:- चैत्र नवरात्रि में दुर्गा माता के नौं रूपों की पूजा की जाती है।

प्रश्न:- माता पार्वती ने चैत्र नवरात्रि में किस असुर का वध किया था?

उत्तर:- माता पार्वती ने चैत्र नवरात्रि में महिषासुर असुर का वध किया था।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...

Preserving Our Past, Protecting Our Future: World Heritage Day 2025

Last Updated on 13 April 2025 IST: Every year on April 18, people commemorate...

Ambedkar Jayanti 2025 [Hindi]: सत्यभक्ति से ही दूर होगा सामाजिक भेद भाव

Last Updated on 13 April 2025 IST: Ambedkar Jayanti in Hindi: प्रत्येक वर्ष 14...

Vaisakhi (Baisakhi) Festival 2025: Know The Secret of Satnam Mantra by Guru Nanak Dev Ji

Last Updated on 13 April 2025 IST: Vaisakhi Festival 2025: Vaisakhi, a traditional harvest...
spot_img

More like this

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...

Preserving Our Past, Protecting Our Future: World Heritage Day 2025

Last Updated on 13 April 2025 IST: Every year on April 18, people commemorate...

Ambedkar Jayanti 2025 [Hindi]: सत्यभक्ति से ही दूर होगा सामाजिक भेद भाव

Last Updated on 13 April 2025 IST: Ambedkar Jayanti in Hindi: प्रत्येक वर्ष 14...