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Chaitra Navratri 2023 [Hindi]: चैत्र नवरात्रि पर जानिए किस पूजा विधि से होगी घर में सुख व समृद्धि

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Last Updated on 11 March 2023, 8:13 PM IST: Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि 2023): हिन्दू धर्म में प्रचलित त्योहारों में से एक चैत्र नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि को बड़े आस्था से मनाया जाता है। इस बार जानते हैं हिन्दू पंचांग के अनुसार क्या है चैत्र नवरात्रि की तिथि।

Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): मुख्य बिन्दु 

  1. इस दौरान भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। नवरात्रि का पहला दिन घट स्थापना से शुरू होता है। नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
  2. दुर्गा के नौ रूपों को पाप विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र-शस्त्र हैं परन्तु यह सब एक ही हैं।
  3. दुर्गा मां हमारे पापों का नाश नहीं कर सकती। जानिए कौन है आत्मा का सच्चा जनक जो पापों का विनाश कर देता है।

Chaitra Navratri 2023 Date (चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि)

चैत्र नवरात्रि को हिन्दू मान्यता के अनुसार नए वर्ष का आरंभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के आधार पर यह माना जाता है कि माता दुर्गा इस दिन घर आती हैं। इस वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं तथा 30 मार्च 2023 को इनका समापन होगा। 

Chaitra Navratri 2023 Importance (चैत्र नवरात्रि का महत्व)

चैत्र नवरात्रि पर्व होली के त्योहार के कुछ दिन बाद से ही शुरू हो जाता है। पौराणिक धारणाओं अथवा हिन्दू मान्यता के अनुसार पूर्ण परमात्मा के ब्रह्माण्ड रचना के बाद ब्रह्मा जी ने संसार की रचना चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही शुरू की थी। इसी वजह से चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो कर 30 मार्च तक पूरे नौ दिन तक मनाई जाती है जिसमें अलग अलग दिन अलग अलग देवी अर्थात दुर्गा माता के नौ रुपों की पूजा अर्चना की जाती है।

Story of Chaitra Navratri (चैत्र नवरात्रि की कथा)

Chaitra Navratri Story in Hindi:चैत्र नवरात्रि को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं उनमें से एक मुख्य है। माना जाता है कि असुर महिषासुर के आतंक से परेशान सभी देवताओं ने उसको रोकने का बहुत प्रयास किया परंतु उसको एक वरदान प्राप्त था जिसके फ़लस्वरूप कोई देवता अथवा दानव उसको हरा नहीं सकता था। आखिरकार सभी देवताओं ने माता पार्वती को सब स्तिथि सुनाकर महिषासुर के वध के लिए आग्रह किया। इस उपरान्त माँ पार्वती ने अपने अंश से नौ रूपों की रचना की जिन्हें सभी देवताओं ने अपने शस्त्र देकर और शक्ति पूर्ण बनाया।

माँ दुर्गा के कौन से नौ रूपों की पूजा की जाती है?

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं तथा इनका समापन 30 मार्च को नवमी के रूप में हो रहा है। इन नौ दिनों में दुर्गा माता के जिन 9 अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है वे इस प्रकार हैं।

  • पहले नवरात्रि को माता शैलपुत्री जी की पूजा की जाती है।
  • दूसरे नवरात्रि को माता ब्रह्मचारिणी जी को पूजा जाता है।
  • तीसरे नवरात्रि को माता चन्द्रघण्टा को पूजा जाता है।
  • चौथे नवरात्रि को माता कुष्मांडा जी की पूजा होती है।
  • पांचवें नवरात्रि को स्कंदमाता जी की पूजा होती है।
  • छठे नवरात्रि में माता कात्यायानी की पूजा होती है।
  • सातवें नवरात्रि में माता कालरात्रि जी की पूजा होती है।
  • आठवें नवरात्री में माता महागौरी जी की पूजा होती है।
  • नौंवे नवरात्रि में सिद्धिदात्री माता को पूजा जाता है।

Chaitra Navratri 2023 [Hindi]: चैत्र नवरात्रि के दिनों में कैसे करते हैं पूजा?

तप, साधना और संयम के इन दिनों में घर-घर में माता की आराधना की जाती है। नवरात्र के पहले दिन विधि विधान से घट स्थापना के साथ प्रथम आदिशक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप का भव्य श्रृंगार और पूजन किया जाता है।

■ Also Read: Shardiya Navratri [Hindi]: इस नवरात्रि पर जाने क्या देवी दुर्गा की उपासना से पूर्ण मोक्ष संभव है?

Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): देवी के निमित्त अखंड ज्योति जलाकर भक्त नौ दिन के व्रत का संकल्प लेते हैं जबकि श्रीमद्भगवद गीता में इस तरह से पूजा यानी शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने के लिए मना किया गया है। ये सारी क्रियाएं हम लोकवेद अर्थात सुने सुनाए ज्ञान के आधार पर करते हैं जो व्यर्थ हैं। प्रमुखत: श्रीमद्भागवत गीता में कहीं भी दुर्गा को पूजनीय नहीं कहा गया है। दुर्गा मां की वास्तविक साधना करने के लिए उनके विशिष्ट मंत्र का जाप करना होता है जो कि तत्वदर्शी संत बताते है।

तप और व्रत के लिए श्रीमद्भगवद्गीता में किया गया है मना

गीता अध्याय 6 का श्लोक 16

न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,

न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।

गीता ज्ञानदाता अर्जुन से कह रहा है, यह योग न तो अत्यधिक खाने वाले का और न बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात् व्रत रखने वाले का तथा न ही बहुत शयन करने वाले का तथा न ही हठ करके अधिक जागने वाले का कभी सिद्ध होता है अर्थात यह सब व्यर्थ की साधना है ।

श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34

तत्, विद्धि, प्रणिपातेन, परिप्रश्नेन, सेवया,

उपदेक्ष्यन्ति, ते, ज्ञानम्, ज्ञानिनः, तत्त्वदर्शिनः।।

पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण है। मेरे तक की साधना, अटकल लगाया ज्ञान है, परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र 34 में कहा है कि उस तत्वज्ञान को समझ। उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संतों को भली भांति दण्डवत प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सफलतापूर्वक प्रश्न करने से वे पूर्ण ब्रह्म को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे।

इसी का प्रमाण गीता अध्याय 2 श्लोक 15-16 में भी है। अर्थात तत्वदर्शी संत की खोज कर और जैसे वह बताएं वैसे पूजा करने से लाभ होगा । (वर्तमान में वह तत्वदर्शी संत जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज हैं।)

क्या व्रत करना वेदों के अनुसार है?

व्रत करना, हठ योग साधना करना, तीर्थो पर जाना इत्यादि सब मनमाना आचरण हैं जिसके बारे में गीता जी मे वर्णित है कि इन साधना से मोक्ष सम्भव नहीं है बल्कि जो इस साधना को करते है वो केवल स्वर्ग-नरक वाली साधना में ही लीन हैं।

गीता जी अध्याय 6 का श्लोक 47

योगिनाम्, अपि, सर्वेषाम्, मद्गतेन, अन्तरात्मना,

श्रद्धावान्, भजते, यः, माम्, सः, मे, युक्ततमः, मतः।।

दुर्गा माता किसकी पूजा करने के लिए कहती हैं? प्रमाण देखिए

Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि):  श्रीमद् देवी भागवत पुराण के स्कंद 7, पृष्ठ 562 में देवी द्वारा हिमालय राज को ज्ञान उपदेश में दुर्गा जी स्वयं किसी और भगवान की पूजा करने की बात करती हैं। जहां देवी दुर्गा कहती हैं कि मेरी पूजा को भी त्याग दो और सब बातों को छोड़ दो, केवल ब्रह्म की साधना करो। जिस ब्रह्म के बारे में देवी ने पूजा के लिए कहा है वह ब्रह्म किसकी पूजा करने के लिए कह रहा है, आइए जानें

गीता अध्याय 15 का श्लोक 4

ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः,

तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।

उस परमेश्वर के परम पद रूप परमेश्वर को भलीभांति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म (कबीर परमेश्वर) से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है, उस आदि पुरुष नारायण की ही मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए।

अध्याय 18 का श्लोक 66 

सर्वधर्मान्, परित्यज्य, माम्, एकम्, शरणम्, व्रज, 

अहम्, त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि, मा, शुचः।।

अनुवाद: (माम्) मेरी (सर्वधर्मान्) सम्पूर्ण पूजाओं को (परित्यज्य) त्यागकर तू केवल (एकम्) एक उस पूर्ण परमात्मा की (शरणम्) शरण में (व्रज) जा। (अहम्) मैं (त्वा) तुझे (सर्वपापेभ्यः) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः) शोक मत कर।

सृष्टि रचने वाला परमात्मा कौन है?

सृष्टि रचने वाले परमात्मा कबीर जी हैं जिसका प्रमाण सभी धर्म ग्रंथो में दिया गया है। पवित्र कुरान शरीफ में अल्लाह कबीर, सूरत फुरकानी 25, आयत 52-59 में स्पष्ट रूप से ‘कबीरन’ लिखा है। ये वहीं कबीर हैं जिनका प्रमाण बाइबिल में भी है कि परमात्मा ने छ दिन में सृष्टि रची तथा सातवें दिन आसमान पर अपने तख्त पर जा बिराजे।

आयत 25:52

“फला-तूतिईल-काफिरिन-व-जाहिदुम-बिहि-जिहादन-कबीरन”

किस किस को मिले परमात्मा? 

Chaitra Navratri 2023 [Hindi]: परमात्मा प्राप्त संतों जैसे संत नानक जी, दादू दास जी, मलूक दास जी, धर्मदास जी, घीसा दास जी, रविदास जी, मीरा बाई,पीपा,जीवा और दत्ता इन्होंने भी कभी कोई व्रत नहीं किया ना ही कोई तप या हठ योग किया। उन्होंने और अन्य संतों ने भी यह बताया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी हैं जो सर्व सृष्टि रचनहार हैं।

प्रिय पाठकों ! उपरोक्त प्रमाणों से यह सिद्ध हो रहा है कि सभी धार्मिक ग्रंथ, संत, महात्मा तथा भक्त पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिए ही प्रेरित करते हैं इसलिए हमें अपना विवेक प्रयोग करते हुए एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं। 

इसका प्रमाण सभी सदग्रंथों में मिलता है अर्थात अब शिक्षित समाज को चाहिए कि वह पूर्ण परमात्मा को पहचान कर भक्ति करें ताकि उनको पूर्ण आध्यात्मिक लाभ मिल सके। वर्तमान में  पूर्ण परमात्मा की साधना बताने वाले परम संत रामपाल जी महाराज हैं जो सतभक्ति और सत मंत्र बता रहे हैं। आप संत रामपाल जी महाराज एप्प डाउनलोड कर सत्संग पढें, सुनें और देखें, तथा नाम दीक्षा लेकर भक्ति आरंभ करें और अपना जीवन व्यर्थ जाने से बचाएं ।

कैसे मिलेंगे पूर्ण परमात्मा?

पूर्ण परमात्मा को पाने का एक मात्र तरीका है सच्ची भक्ति जो केवल संत रामपाल जी बताते हैं। जिसका प्रमाण हमारे सद्ग्रंथों में वर्णित है तथा पाठक स्वयं पुस्तक में से देखकर ग्रंथों में से मिलान कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए मंगवाये पुस्तक ज्ञान गंगा या देखें www.jagatgururampalji.org

FAQs about Chaitra Navratri 2023 [Hindi]

प्रश्न:- चैत्र नवरात्रि की तिथि क्या है?

उत्तर:- चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो जाएंगे तथा इनका समापन 30 मार्च को नवमी के रूप में होगा।

प्रश्न:- चैत्र मास का नाम चैत्र कैसे पड़ा?

उत्तर:- चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है जिस कारण इस महीने का नाम ही चैत्र पड़ गया।

प्रश्न:- चैत्र नवरात्रि में दुर्गा माता के कितने रूपों की पूजा की जाती है?

उत्तर:- चैत्र नवरात्रि में दुर्गा माता के नौं रूपों की पूजा की जाती है।

प्रश्न:- माता पार्वती ने चैत्र नवरात्रि में किस असुर का वध किया था?

उत्तर:- माता पार्वती ने चैत्र नवरात्रि में महिषासुर असुर का वध किया था।

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