Last Updated on 1 April 2022, 2:26 PM IST: Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा के दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का काफी महत्व माना जाता है। पूरे नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में प्रकृति, त्रिदेवजननी यानी मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। कई भक्त पूरे 9 दिन मां दुर्गा की आराधना करते हुए व्रत करते हैं। परंतु क्या वाक़ई इन साधनाओं से हमारा मोक्ष संभव है? आइए जानते हैं विस्तार से
Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): मुख्य बिन्दु
- इस दौरान भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। नवरात्रि का पहला दिन घट स्थापना से शुरू होता है। नौ दिन व्रत रखने के बाद समापन किया जाता है।
- दुर्गा के नौ रूपों को पाप विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र-शस्त्र हैं परन्तु यह सब एक ही हैं।
- दुर्गा मां हमारे पापों का नाश नहीं कर सकती। जानिए कौन है आत्मा का सच्चा जनक जो पापों का विनाश कर देता है।
Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): मां दुर्गा के 9 रूप कौन से है?
नवरात्रि में पूजा किए जाने वाले दुर्गा माता, प्रकृति, त्रिदेव जननी मां अष्टांगी के नौ रूप इस प्रकार हैं-
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चन्द्रघण्टा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- नवदुर्गा
चैत्र नवरात्रि 2022 कब से शुरू हो रहे हैं?
नवरात्रि चैत्र (Chaitra Navratri) शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलते है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022, शनिवार से प्रारंभ होकर 11 अप्रैल 2022, सोमवार को समाप्त होगी। 10 अप्रैल 2022 को रविवार के दिन राम नवमी मनाई जाएगी।
Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के दिनों में कैसे करते हैं पूजा?
तप, साधना और संयम के इन दिनों में घर-घर में माता की आराधना की जाती है। नवरात्र के पहले दिन विधि विधान से घट स्थापना के साथ प्रथम आदिशक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप का भव्य श्रृंगार और पूजन किया जाता है।
Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): देवी के निमित्त अखंड ज्योति जलाकर भक्त नौ दिन के व्रत का संकल्प लेते हैं जबकि श्रीमद्भगवद गीता में इस तरह से पूजा यानी शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने के लिए मना किया गया है। ये सारी क्रियाएं हम लोकवेद अर्थात सुने सुनाए ज्ञान के आधार पर करते हैं जो व्यर्थ हैं। प्रमुखत: श्रीमद्भागवत गीता में कहीं भी दुर्गा को पूजनीय नहीं कहा गया है। दुर्गा मां की वास्तविक साधना करने के लिए उनके विशिष्ट मंत्र का जाप करना होता है जो कि तत्वदर्शी संत बताते है।
तप और व्रत के लिए श्रीमद्भगवद्गीता में किया गया है मना
गीता अध्याय 6 का श्लोक 16
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।
गीता ज्ञानदाता अर्जुन से कह रहा है, यह योग न तो अत्यधिक खाने वाले का और न बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात् व्रत रखने वाले का तथा न ही बहुत शयन करने वाले का तथा न ही हठ करके अधिक जागने वाले का कभी सिद्ध होता है अर्थात यह सब व्यर्थ की साधना है ।
श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34
तत्, विद्धि, प्रणिपातेन, परिप्रश्नेन, सेवया,
उपदेक्ष्यन्ति, ते, ज्ञानम्, ज्ञानिनः, तत्त्वदर्शिनः।।
पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण है। मेरे तक की साधना, अटकल लगाया ज्ञान है, परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र 34 में कहा है कि उस तत्वज्ञान को समझ। उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संतों को भली भांति दण्डवत प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सफलतापूर्वक प्रश्न करने से वे पूर्ण ब्रह्म को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे।
इसी का प्रमाण गीता अध्याय 2 श्लोक 15-16 में भी है। अर्थात तत्वदर्शी संत की खोज कर और जैसे वह बताएं वैसे पूजा करने से लाभ होगा । (वर्तमान में वह तत्वदर्शी संत जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज हैं।)
दुर्गा माता किसकी पूजा करने के लिए कहती हैं? प्रमाण देखिए
Chaitra Navratri in Hindi (चैत्र नवरात्रि): श्रीमद् देवी भागवत पुराण के स्कंद 7, पृष्ठ 562 में देवी द्वारा हिमालय राज को ज्ञान उपदेश में दुर्गा जी स्वयं किसी और भगवान की पूजा करने की बात करती हैं। जहां देवी दुर्गा कहती हैं कि मेरी पूजा को भी त्याग दो और सब बातों को छोड़ दो, केवल ब्रह्म की साधना करो। जिस ब्रह्म के बारे में देवी ने पूजा के लिए कहा है वह ब्रह्म किसकी पूजा करने के लिए कह रहा है, आइए जानें
गीता अध्याय 15 का श्लोक 4
ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः,
तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।
उस परमेश्वर के परम पद रूप परमेश्वर को भलीभांति खोजना चाहिए जिसमें गये हुए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परम अक्षर ब्रह्म (कबीर परमेश्वर) से आदि रचना-सृष्टि उत्पन्न हुई है, उस आदि पुरुष नारायण की ही मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना चाहिए।
अध्याय 18 का श्लोक 66
सर्वधर्मान्, परित्यज्य, माम्, एकम्, शरणम्, व्रज,
अहम्, त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि, मा, शुचः।।
अनुवाद: (माम्) मेरी (सर्वधर्मान्) सम्पूर्ण पूजाओं को (परित्यज्य) त्यागकर तू केवल (एकम्) एक उस पूर्ण परमात्मा की (शरणम्) शरण में (व्रज) जा। (अहम्) मैं (त्वा) तुझे (सर्वपापेभ्यः) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः) शोक मत कर।
Chaitra Navratri 2022: किस किस को मिले परमात्मा?
Chaitra Navratri 2022: परमात्मा प्राप्त संतों जैसे संत नानक जी, दादू दास जी, मलूक दास जी, धर्मदास जी, घीसा दास जी, रविदास जी, मीरा बाई,पीपा,जीवा और दत्ता इन्होंने भी कभी कोई व्रत नहीं किया ना ही कोई तप या हठ योग किया। उन्होंने और अन्य संतों ने भी यह बताया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी हैं जो सर्व सृष्टि रचनहार हैं।
प्रिय पाठकों ! उपरोक्त प्रमाणों से यह सिद्ध हो रहा है कि सभी धार्मिक ग्रंथ, संत, महात्मा तथा भक्त पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिए ही प्रेरित करते हैं इसलिए हमें अपना विवेक प्रयोग करते हुए एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं। इसका प्रमाण सभी सदग्रंथों में मिलता है अर्थात अब शिक्षित समाज को चाहिए कि वह पूर्ण परमात्मा को पहचान कर भक्ति करें ताकि उनको पूर्ण आध्यात्मिक लाभ मिल सके। वर्तमान में पूर्ण परमात्मा की साधना बताने वाले परम संत रामपाल जी महाराज हैं जो सतभक्ति और सत मंत्र बता रहे हैं। आप संत रामपाल जी महाराज एप्प डाउनलोड कर सत्संग पढें, सुनें और देखें, तथा नाम दीक्षा लेकर भक्ति आरंभ करें और अपना जीवन व्यर्थ जाने से बचाएं ।
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