Vaishno Devi News 2022: नववर्ष के अवसर पर लोग बड़ी-धूमधाम से हर्ष-उल्लास के साथ जश्न मनाते हैं। नववर्ष के अवसर पर लोग जगह-जगह भ्रमण करते हैं। भगवान में आस्था रखने वाले मंदिरों-तीर्थों पर भ्रमण के लिए जाते हैं। लोगों का कहना है कि नववर्ष के दिन भगवान के दर्शन करने से पूरा साल अच्छे से गुजरता है, परंतु इस बीच जम्मू-कश्मीर से वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए गए 12 भक्तों की मृत्यु की दुःखद खबर सामने आई है।
आपको बता दें कि कटरा स्थित वैष्णो देवी भवन में अचानक से भगदड़ मच गई, इसी बीच 12 श्रद्धालुओं की जान चली गई। मृत श्रद्धालुओं में दो महिलाएं भी शामिल हैं। उधर ही लगभग 20 श्रद्धालु घायल अवस्था में हैं। मिली जानकारी के अनुसार, 13 घायल श्रद्धालुओं को माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के नारायणा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ये सर्व माता वैष्णो देवी के भक्तजन, नव वर्ष पर माता के दर्शन और आशीर्वाद पाने वैष्णो देवी मंदिर गए हुए थे। इसी बीच काल ने श्रद्धालुओं को अपना ग्रास बना लिया, ऐसा वहाँ क्या हुआ कि एकदम से भगदड़ मच गई?
Vaishno Devi News 2022 के मुख्य बिंदु
- नव वर्ष 2022 के पावन अवसर पर जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित वैष्णो देवी भवन में रात करीब 3 बजे अचानक से हुई भगदड़
- माता वैष्णो के दरबार में हुए भगदड़रूपी-तांडव में लगभग 12 श्रद्धालुओं की गई जान, लगभग 20 श्रद्धालु घायल।
- इस दुखमय घटना पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित समस्त मन्त्रिमण्डल ने दुःख प्रकट किया
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख व घायलों को 50 हजार रुपये राशि देने का ऐलान किया है।
- जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी राज्य की ओर से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख व घायलों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणा की
- सतज्ञान के अभाव के कारण मनुष्य समझ नहीं पा रहा कि मोक्ष मार्ग क्या है?
- शास्त्रों के विरुद्ध भक्ति-साधना मनुष्य को पतन की ओर ले जाती है।
- तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही मोक्षदायिनी भक्तिविधि प्रदान करने वाले एकमात्र संत हैं।
Vaishno Devi News 2022: वैष्णो देवी दरबार में हुई भगदड़ का कारण
अचानक से हुई इस भगदड़ के दौरान भयानक हादसे का कारण कुछ युवकों के बीच विवाद था। जी, बिल्कुल यह केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताते हुए कहा कि गेट नंबर तीन पर कुछ युवाओं के बीच बहस हुई थी और फिर इनमें से किसी को धक्का दिया गया और इस कारण लोगों में भगदड़ मच गई। इस विवाद के चलते भगदड़ ने मानो तांडव सा मचा दिया और 12 लोग मारे गए। कुछ घायलों को वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बहुत से लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।
Vaishno Devi News 2022: दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी इस घटना का कारण युवकों के विवाद को ही बताया है। उन्होंने कहा कि दर्शन हेतु जो लाइन लगी थी, उसमें लोगों के बीच धक्कामुक्की हुई थी, इसके चलते भगदड़ मच गई। डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा- बहुत अफसोस की बात है। रात 2:30 बजे करीब गेट नंबर 3 पर घटना हुई। आगे कहा कि ऐसी भगदड़ का माहौल पहले कभी नहीं हुआ था। नवरात्रि के दौरान तो बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। अचानक यह घटना इतनी बड़ी हो गई, यह बहुत ही दुःखद घटना है।
दुःखद घड़ी में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह पहुंचे कटरा
इस दुःखद घड़ी में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह कटरा पहुंचे। वहां पहुंच कर मंत्रीजी ने कहा कि यहां भर्ती हुए लोगों की हालत स्थिर है। हम यात्रा के लिए कुछ तकनीकी समाधान जोड़ सकते हैं। उन्होंने सबसे महत्त्वपूर्ण बात पर ध्यान देते हुए कहा कि पूरे देश में त्योहारों एवं खुशी के अवसर पर ही लोग मंदिर या तीर्थों पर जाते थे। वर्तमान समय में देखा जाए तो युवापीढ़ी, साल के पहले दिन मंदिर जाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि हालातों पर पीएम मोदी, पूर्ण स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
Vaishno Devi News 2022: देवी वैष्णो के दरबार में भिन्न-भिन्न राज्यों से आए थे मृत श्रद्धालु
नव वर्ष के अवसर पर श्रद्धा-भाव से भरपूर भक्तजन माता के दर्शन की इच्छा लेकर माता वैष्णो देवी के दरबार में गए थे। उन्हें क्या पता था कि काल उन्हें अपना ग्रास बना लेगा। भगदड़ में मारे गए चार श्रद्धालु तो एक ही राज्य (उत्तर प्रदेश) के थे। बांकी मृतक दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर के निवासी थे। सबके नाम इस प्रकार हैं…
- श्वेता सिंह, 35 वर्ष, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
- धर्मवीर सिंह, 35 वर्ष, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
- विनीत कुमार, 38 वर्ष, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
- अरुण प्रताप सिंह, 30 वर्ष गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
- विनय कुमार, 24 वर्ष, बदरपुर, दिल्ली
- सोनू पाण्डेय, 24 वर्ष, बदरपुर, दिल्ली
- ममता, 38 वर्ष, झज्जर, हरियाणा
- धीरज कुमार, 26 वर्ष, राजौरी, जम्मू-कश्मीर ।
Vaishno Devi News 2022 पर विचारणीय विषय
मन में एक प्रश्न उठता है कि धार्मिक स्थल जैसे कि माता वैष्णो देवी, मैहर वाली शारदा माता, केदारनाथ बाबा, उज्जैन के महाकाल, हरिद्वार का मेला आदि। इन तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालु कितने भक्ति-भाव के साथ जाते हैं, फिर भी यह भगवान (देवी-देवता) उनकी रक्षा क्यों नहीं करते हैं। हर बार सुनने में आता है कि इस तीर्थ स्थान पर इतने लोग मारे गए, उस तीर्थ स्थान पर उतने मारे गए। आखिर ऐसा क्यों होता है। वहां भगवान उनकी रक्षा क्यों नहीं करते हैं। क्या यह बिल्कुल सत्य है कि तीर्थों पर जाना व्यर्थ ही है? यह सवाल सबके मन में जरूर उठ रहा होगा इस खबर को सुनकर, कि माता वैष्णो के दरबार में ऐसा क्यों हो गया। श्रीमद्भागवत गीता जी अध्याय 6 के श्लोक 16 और अध्याय और अध्याय 16 का श्लोक 23 के अनुसार व्रत, हवन, तीर्थ भ्रमण सब कुछ व्यर्थ ही है। फिर वह कौनसी विधि है जिससे भगवान से मिलने वाले सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते है।
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वैष्णो देवी मंदिर परिसर के ड्यूटी ऑफिसर जगदेव सिंह ने बताया कि मृतक श्रद्धालु भिन्न-भिन्न राज्यों से हैं। देवी मां के मंदिर में करीब 70 से 80 हजार श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचे थे। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा कि श्राइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं की संख्या तय नहीं की थी। उन्होंने कहा कि त्रिकुटा हिल्स में ज्यादा श्रद्धालु नहीं ठहर सकते हैं। ऐसे में उन्हें कटरा बेस कैंप में ही रोकना चाहिए था और उनकी सीमा निर्धारित करनी चाहिए थी। विचारणीय बात यह है कि अचानक यह तांडव मौत का कारण बन गया। वहां मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए थी पुलिसकर्मियों की कमी थी।
Vaishno Devi News 2022: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा
माता वैष्णो देवी मंदिर में हुई दुःखद दुर्घटना से ह्रदय अत्यंत व्यथित है। मैंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जी से बात की है। प्रशासन घायलों को उपचार पहुंचाने के लिए निरंतर कार्यरत है। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।
क्या है वैष्णो देवी के मन्दिर की स्थापना के पीछे का रहस्य
जब सती जी (उमा देवी) अपने पिता राजा दक्ष के हवन कुण्ड में छलांग लगाने से जलकर मृत्यु को प्राप्त हुईं। भगवान शिव जी उसकी अस्थियों के कंकाल को मोहवश सती जीे (पार्वती जी) जान कर दस हजार वर्ष तक कंधे पर लिए पागलों की तरह घूमते रहे। भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से सती जी के कंकाल को छिन्न-भिन्न कर दिया। जहां धड़ गिरा वहाँ पर उस को जमीन में गाढ़ दिया गया। इस धार्मिक घटना की याद बनाए रखने के लिए उसके ऊपर एक मन्दिर जैसी यादगार बना दी कि कहीं आने वाले समय में कोई यह न कह दे कि पुराण में गलत लिखा है। उस मन्दिर में एक स्त्री का चित्र रख दिया उसे वैष्णो देवी कहने लगे।
इस प्रकार भोली आत्माऐं इन दन्त कथाओं पर आधारित होकर अपनी पवित्र भगवत गीता जी तथा पवित्र वेदों को भूल गए, जिसमें वह सर्व साधनाएं शास्त्र विधि रहित लिखी हैं। जिसके कारण न कोई सुख होता है, न कोई कार्य सिद्ध होता है, न ही परम गति अर्थात् मुक्ति होती है। (प्रमाण पवित्र गीता अध्याय 16 मंत्र 23.24)। इसी प्रकार जहां देवी की आँखे गिरी वहाँ नैना देवी का मन्दिर व जहां जिह्ना गिरी वहाँ श्री ज्वाला जी के मन्दिर तथा जहां धड़ गिरा वहाँ वैष्णो देवी के मन्दिर की स्थापना हुई।
माता दुर्गा ने देवी पुराण में अपनी पूजा को व्यर्थ बताया है
नवदुर्गा की सभी देवियां दुर्गा माता का ही स्वरूप हैं उनका ही अंश है और माता दुर्गा ने “देवी महापुराण के सातवें स्कंध पृष्ठ 562-563 में राजा हिमालय को उपदेश देते हुए कहा है कि हे राजन, अन्य सब बातों को छोड़कर, मेरी भक्ति भी छोड़कर केवल एक ऊँ नाम का जाप कर, “ब्रह्म” प्राप्ति का यही एक मंत्र है। यह केवल ब्रह्म तक ही सीमित है। जबकि सर्वश्रेष्ठ परमात्मा कोई और है। भक्तों को माता की आज्ञा पर विचार करके पवित्र सद्ग्रन्थों का अध्ययन कर वास्तविकता को जानना चाहिए, जिस साधना में वे लीन हैं क्या वह वास्तविक रूप से शास्त्र विरुद्ध तो नहीं है। यदि सत्य ज्ञात हो तो शास्त्र विरुद्ध साधना को त्याग कर, शास्त्र सम्मत साधना ही करनी चाहिए।
सर्व लाभ देने में सामर्थ्यवान प्रभु कौन है?
ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 86 मंत्र 17, 18 ,19 और 20 में प्रमाण है कि वह एक परमात्मा सबका मालिक एक कबीर साहेब जी हैं जिन्होंने सबकी रचना की है। पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य हैं। पवित्र सद्ग्रन्थों में दिए गए प्रमाणों से प्रिय पाठकगण यह तो जान चुके हैं कि वह पूर्ण परमात्मा कविर्देव है जो कि सर्व के पूजा के योग्य है, आइये अब जानते हैं कि उस पूर्ण परमात्मा कविर्देव को प्राप्त करने की भक्तिविधि क्या है, जिससे वह पूर्ण परमात्मा प्रसन्न होकर अपने साधक को सर्व लाभ व पूर्ण मोक्ष प्रदान करता है।
सतज्ञान के अभाव के कारण भटकता है प्राणी
मनुष्य को सतज्ञान न होने से वह अपनी मनमर्जी से कुछ भी भक्ति-साधना करते रहे हैं। लोकवेद पर आधारित मान्यताओं पर चलकर वह भटकते रहते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं। तीर्थ यात्रा, हवन-यज्ञ आदि को मोक्ष का साधन मानते हैं, परन्तु सत्य यह है कि इनसे न ही भगवान की प्राप्ति होती है और न ही पूर्ण मोक्ष होता है। जब तक हम सतभक्ति के मार्ग पर नहीं चलेंगे ,हम पशु-पक्षियों की तरह ही भटकते रहेंगे। इसके लिए हमें प्रथम पूर्ण गुरु की शरण प्राप्त करनी होगी, उसके बाद उनके बताए भक्ति-मार्ग पर चलकर शास्त्रों में बताए मार्ग पर चलना पड़ेगा, ततपश्चात पूर्ण परमात्मा व पूर्ण मोक्ष दोनों को प्राप्त कर सकते हैं।
गंगा घाटे घर करे, पीवे निर्मल नीर ।
मुक्ति नहीं हरि नाम बिन, कहे साहेब कबीर ।।
शास्त्रों के विपरीत पूजा-अर्चना हमें पतन की ओर ले जाती हैं
शास्त्रों के अनुसार व्रत, हवन, तीनों गुणों (रजोगुण ब्रह्मा,सतोगुण विष्णु और तमोगुण शिवजी) की पूजा करना अनुत्तम है । [गीता अ. न. 7 के श्लोक न. 12 से 15 तथा 20 से 23 व अ. 9 के श्लोक न. 25 में प्रमाण है ] हम जिन पूजाओं-साधनाओं व तीर्थों को मोक्षदायक समझ रहे है वह सब शास्त्रविरुद्ध है! इनसे न मोक्ष होता है, न पापों का नाश होता है। जो भाग्य में लिखा है केवल वही मिलता है। व्रत करना बिल्कुल मना है। फिर क्यों हम इन मान्यताओं में अपना जीवन बर्बाद कर रहे है। बार-बार मानव जन्म नहीं मिलता है। यह केवल पूर्ण परमात्मा की दया से सतसाधना कर पूर्ण मोक्ष पाने के लिए मिलता है। हम वेदों-पुराणों के विपरीत भक्तिविधि अपना रहे हैं इसलिए हमारी भगवान रक्षा नहीं कर पाते हैं। इसलिए ही हम दुःख-दर्द झेल रहे हैं । मोक्ष का मतलब किसी देवलोक में जाना नहीं है। यदि हमारा जन्म और मरण दोनों समाप्त हो जाते है तब पूर्ण मोक्ष माना जाता है। जब हम सतलोक (जिसे शास्त्रों में परमधाम की संज्ञा दी गई है) को प्राप्त कर लेते हैं तब मोक्ष प्राप्त होता है।
संत रामपाल जी महाराज ही इस ब्रह्मांड में एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं
सच्चे अध्यात्मिक गुरु केवल जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं, जिनका अनमोल ज्ञान, वेद और शास्त्रों से मेल खाता है तथा जिनको पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति हुई। वर्तमान समय में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत, पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज हैं जो वेद और शास्त्रों के अनुसार यथार्थ भक्ति मार्ग बता रहे हैं और जिनकी बताई भक्ति शास्त्र अनुकूल और मोक्षदायिनी भी है। परमेश्वर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब हैं जो तत्वदर्शी संत की भूमिका में संत रामपाल जी रूप में धरती पर अवतरित हैं। जो ब्रह्मा, विष्णु, शिव के दादा, काल और दुर्गा के पिता और हम सब के जनक हैं।
यह समय व्यर्थ गंवाने का नहीं बल्कि शीघ्रातिशीघ्र उचित निर्णय लेने का, परंपरागत और लोकवेद पर आधारित भक्ति को त्याग कर संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में जाने का है। आपको सतभक्ति से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो सकता है अन्यथा मानव जीवन पशु तुल्य ही जानें। सत्य को जानें और पहचान कर पूर्ण तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं। अधिक जानकारी के हेतु सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें, जीने की राह पुस्तक पढ़ें और शाम 7:30 से साधना चैनल पर मंगल प्रवचन सुनें।