March 10, 2025

सतलोक आश्रमों में संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस का हुआ समापन

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दिनांक 19 मार्च 2024 से 21 मार्च 2024 के मध्य सभी सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज जी के सान्निध्य में संत गरीबदास जी महाराज का बोध दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सतग्रंथ साहेब के तीन दिवसीय अखंड पाठ तथा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। साथ ही अन्य कार्यक्रमों जैसे दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान शिविर आदि का आयोजन भी किया गया। इन कार्यक्रमों में लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया, जानें पूरी ख़बर।

आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी को 10 वर्ष की आयु में परमेश्वर कबीर स्वयं आकर मिले थे और उन्हें तत्वज्ञान से परिचित करवाया था। संत गरीबदास जी महाराज बारहवें कबीर पंथ के प्रसिद्ध संत हुए हैं। संत गरीबदास जी महाराज का जन्म छुड़ानी, जिला झज्जर, रोहतक हरियाणा में सन 1717 (विक्रमी संवत 1774) को हुआ था। संत गरीबदास जी महाराज जी को स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब ने नाम दीक्षा प्रदान की थी और उनकी आत्मा को सतलोक तथा सभी लोकों की स्थिति से परिचित करवाकर पुनः उसी शरीर में छोड़ा था। जानकारी के लिए बता दें जिस दिन साधक को नाम दीक्षा प्राप्त होती है वह उसका आध्यात्मिक जन्मदिन यानी बोध दिवस कहलाता है। संत गरीबदास जी महाराज ने तत्वज्ञान होने के पश्चात मानव कल्याण हेतु सतग्रंथ साहेब की रचना की जिसे संत गोपालदास जी ने लिपिबद्ध किया था।

दिनांक 19 मार्च 2024 से 21 मार्च 2024 तक सभी सतलोक आश्रमों, सतलोक आश्रम धनाना धाम (हरियाणा) , सतलोक आश्रम सोजत(राजस्थान), सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब), सतलोक आश्रम खमानो (पंजाब), सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा), सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा), सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश), सतलोक आश्रम शामली (उत्तरप्रदेश), सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली) तथा सतलोक आश्रम धनुषा, नेपाल में तीन दिवसीय समागम का आयोजन किया गया। सभी आश्रमों में लाखों की संख्या में लोग पहुंचे और शुद्ध देसी घी के विशाल भंडारे सहित अखंड पाठ की अमृतवाणी का लाभ उठाया। इस अवसर पर रक्तदान, देहदान शिविर भी लगाए गए और दहेजमुक्त विवाहों का आयोजन हुआ। इस अवसर पर लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया तथा हजारों की संख्या में लोगों ने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ली।

सभी सतलोक आश्रमों में संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अखंड पाठ और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। सतग्रंथ साहेब की पवित्र अमृतवाणी का लाभ समागम में आए सभी लोगों तथा भक्तजनों ने उठाया। पाठ पढ़ने के अधिकारी द्वारा सुनाई गई अखंडपाठ की वाणी संत रामपाल जी महाराज जी के प्रवचनों के अनुसार विशेष लाभ प्रदान करती है। सभी आश्रमों में तीन दिन लगातार इसका पाठ किया गया। ऐसे धर्मयज्ञ जो संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में वर्ष में अनेकों बार करवाते हैं ये वास्तव में पूरी पृथ्वी पर उपकार है। इस पावन अवसर पर देसी घी से निर्मित विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था जिसमें सपरिवार पूरा विश्व आमंत्रित था। इस अवसर पर देसी घी के लड्डू, जलेबी, बर्फी आदि व्यंजनों की भरमार थी। इसका उदाहरण तो अयोध्या में देखा ही जा सकता है। समागम के अंतिम दिन संत रामपाल जी महाराज जी के विशेष सत्संग का प्रसारण साधना टीवी सहित विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर लाइव भी हुआ। सभी ने सत्संग की अमृतवर्षा का लाभ लिया।

सभी सतलोक आश्रमों में इस अवसर पर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इस प्रदर्शनी में आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई थी। इस मोहक प्रदर्शनी के नजारे कुछ ऐसे थे। इस प्रदर्शनी में सुंदर कलाकारी एवं साज – सज्जा के माध्यम से ज्ञानवर्धक चित्र, पोस्टर और झांकी बनाई गई थी जिसमे संतों की वाणी, उनके जीवन की जानकारी और मानव समाज के लिए उनके संदेश बताए गए थे। संत रामपाल जी महाराज जी का तत्वज्ञान सभी धार्मिक ग्रंथों पर आधारित होता है। अतः एक ओर सभी धार्मिक ग्रंथ और उनके प्रमाणों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। धार्मिक ग्रन्थों में पवित्र चारों वेद,  श्रीमद्भगवद्गीता, पुराण, पवित्र कुरान, पवित्र बाइबल, अन्य धर्मग्रंथ तथा संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तकें थीं। इन सभी को सरल भाषा में समझाने हेतु सेवादार उपस्थित थे जिन्होंने प्रत्येक आने जाने वाले का परिचय ज्ञानवर्धन प्रदर्शनी में उपस्थित झांकी, चित्र, धर्मग्रंथों, पोस्टर आदि से किया।

सभी सतलोक आश्रमों में रक्तदान और देहदान के शिविर का आयोजन भी हुआ था। संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में परोपकार और सेवा पर विशेष बल दिया है। संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई भी सेवा में उल्लेखनीय रूप से तत्पर रहते हैं। इसी कड़ी में विभिन्न आश्रमों में कई यूनिट रक्तदान हुए। सतलोक आश्रम धनाना धाम में 188 यूनिट, सतलोक आश्रम खमानो में 120 यूनिट, सतलोक आश्रम शामली में 240 यूनिट, सतलोक आश्रम सोजत में 231 एवं सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र में भी 100 से अधिक यूनिट यूनिट रक्तदान हुआ वहीं सतलोक आश्रम बैतूल में 562 यूनिट रक्तदान हुआ। संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संग में सेवा का महत्व बताया हुआ है। साथ ही मृत्यु के बाद के व्यर्थ के कर्मकांड की भर्त्सना की है। संत रामपाल जी महराज के अनुयाई अधिकांशतः अपने परिजनों का मृत्योपरांत देहदान करते हैं और जीते जी स्वयं भी अपने देहदान का संकल्प लेते हैं। सतलोक आश्रम बैतूल में आयोजित देहदान शिविर में भी 5218 अनुयायियों द्वारा वहीं सतलोक आश्रम सोजत में 55 अनुयायियों द्वारा देहदान का संकल्प लिया गया।

संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस के उपलक्ष्य में हुए इस विशाल समागम के अवसर पर लगभग 112 दहेजमुक्त विवाह संपन्न हुए हैं। संत रामपाल जी महाराज जी ने दहेजमुक्त विवाह की विशेष श्रृंखला प्रारंभ की है जिसमें वर-वधु सामान्य वेशभूषा में गुरुवाणी (रमैणी) के माध्यम से विवाह बंधन में बंधते हैं। दहेज का नामोनिशान भी इन विवाहों में नहीं होता। गुरुवाणी में पूर्ण परमात्मा सहित विश्व के प्रत्येक देवी देवता का आव्हान किया जाता है, जो विवाहित युगल की वैवाहिक जीवन में सहायता करते हैं। कुछ ऐसा ही विवाह माता आदिशक्ति ने अपने तीन पुत्रों ब्रह्मा, विष्णु, और महेश जी का किया था।

दहेज वह कुप्रथा है जिसे हमारे देश की सरकारें और कानून भी खत्म नहीं कर पाए। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान ने लोगों पर वह असर किया है कि वे स्वयं ही दहेज का नाम नहीं लेते तथा प्रसन्नतापूर्वक रमैणी के माध्यम से परिजनों और वरिष्ठजनों की उपस्थिति में विवाह बंधन में बंधते हैं और सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। रमैणी के माध्यम से लाखों की संख्या में बेटियां सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं। 19 मार्च से 21 मार्च 2024 के अवसर पर हुए समागम में विभिन्न सतलोक आश्रमों में दहेजमुक्त विवाह संपन्न हुए। सतलोक आश्रम धनाना धाम में 7, सतलोक आश्रम धुरी में 1, सतलोक आश्रम खमानो में 5, सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र में 4, सतलोक आश्रम बैतूल में 52, सतलोक आश्रम शामली में 15, सतलोक आश्रम सोजत में 16 तथा सतलोक आश्रम मुंडका में 4 युगलों का रमैणी के माध्यम से दहेजमुक्त विवाह संपन्न हुआ।

केवल यह समागम नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में अनेकों समागम वर्ष भर में होते हैं और उन अनेकों समागमों में इसी प्रकार के विभिन्न कार्यक्रम यथा दहेजमुक्त विवाह, देहदान, रक्तदान, दंत चिकित्सा शिविर, नेत्र चिकित्सा शिविर आदि का आयोजन होता है। इन समागमों में संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों के साथ अन्य लोग भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों के माध्यम से अनोखे परिवर्तन समाज में लाए हैं। ये विशेष रूप से सराहनीय, अनुकरणीय और समाज के लिए उदाहरण हैं। संत रामपाल जी महाराज ने रक्तदान को महादान बताया है। साथ ही देहदान जैसे सामाजिक कार्य समाज को नई दिशा दे रहे हैं और निश्चित रूप से सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। दहेजमुक्त भारत के लिए अनेकों समाज सुधारक और सरकार अलग अलग समय पर प्रयास करते रहे किंतु इससे निजात नहीं पाया जा सका। संत रामपाल जी महाराज ने अपने तत्वज्ञान के माध्यम से न केवल दहेजमुक्त भारत बनाने की ओर कार्य किया है बल्कि नशामुक्ति की ओर भी उनकी अहम भूमिका रही है। समागम में आने वाले प्रत्येक मानव ने समागम की व्यवस्थाओं और कार्यक्रमों की भूरि भूरि प्रशंसा की है जिनमें विशेष अधिकारी और नेतागण भी सम्मिलित हैं।

इसमें कोई दोराहाँ नहीं हैं कि संत रामपाल जी महाँराज ने सच्चा आध्यात्मिक तत्वज्ञान जन जन तक पहुंचाया है। यह तत्वज्ञान पूर्ण रूप से हमारे धर्मग्रंथों पर आधारित है। संत रामपाल जी महाराज ने एक विशेष तर्कशक्ति का उदय समाज के भीतर कर दिया है जो सभी प्रकार के आडंबर, रूढ़ियों और अंधविश्वास पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। संत रामपाल जी महराज जी ने समाज से धर्मभेद, जातिभेद, लिंगभेद तथा रंगभेद के परे भक्ति के द्वार सभी के लिए खोले। वे समय – समय पर ऐसे धर्म यज्ञों का आयोजन करके पूरी पृथ्वी को अनुग्रहित करते हैं और अपने सत्संगों की अमृतवर्षा के माध्यम से समाज को दहेज और नशे से मुक्त करवाकर एक नई दिशा दे रहे है। आज संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी सक्रिय रूप से सेवा और भक्ति में अपने आप को समर्पित कर रहे हैं। यह पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक और अनुकरणीय कृत्य है। अधिक जानकारी के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल।

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