Rishi Panchami 2022 [Hindi]| सप्तऋषियों को समर्पित ऋषि पंचमी का त्योहार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं जिसे ऋषि पंचमी व्रत कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऋषियों वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, और भारद्वाज इन सात ऋषियों के पूजन के लिए खास इस दिन चारों वर्णों की स्त्रियों को यह व्रत करना चाहिए। लेकिन लोकवेद के उलट हमारे शास्त्रों में किसी भी तरह के व्रत का विधान नही है। आगे इस लेख से जानेंगे लाभ हानि का वास्तविक लेखा जोखा –
Rishi Panchami 2022: मुख्य बिंदु
- इस वर्ष ऋषि पंचमी त्योहार 01 सितंबर को मनाया जाता है।
- यह त्योहार हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी के बाद ही मनाया जाता है।
- प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा का विधान है।
- पौराणिक सप्त ऋषि हैं – वशिष्ठ , कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज।
- शास्त्रों में किया गया है इस तरह के व्रत को मना, इससे कोई भी लाभ नहीं मिलता।
- शास्त्र प्रमाणित सतगुरु से लिए गए ज्ञान और सत्भक्ति से ही सर्व लाभ संभव है।
- तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से भक्ति लेकर मिल रहा है करोड़ों लोगों को लाभ।
Rishi Panchami 2022: ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
ऋषि पंचमी पर महिलाओं के लिए इस दिन व्रत का महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पिछले जन्म जन्मांतरों के पापों का भी नाश हो जाता है। इस दिन सप्त ऋषियों वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज की पूजा की जाती है जो कि वेद विरुद्ध साधना है।
Rishi Panchami 2022: ऋषि पंचमी हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 1 सितंबर को मनाया जायेगा यह पर्व। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा पाठ, व्रत के साथ दान दक्षिणा को भी विशेष महत्त्व दिया जाता है। यह मनमाना आचरण होने से व्यर्थ है।
प्रचलित महात्म्य कथा
ऋषि पंचमी को मनाने के संबंध में एक पौराणिक कथा है। यह कथा भारतवर्ष के महाराष्ट्र राज्य में विदर्भ क्षेत्र की है। उत्तक नाम का ब्राह्मण और पत्नी सुशीला, एक पुत्र और एक पुत्री के साथ निवास करता था। ब्राह्मण ने योग्य वर देखकर अपनी पुत्री का विवाह कर दिया। लेकिन कुछ दिन बाद ही दामाद की अकाल मृत्यु हो गई।
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इसके बाद लड़की अपने मायके आ गई। एक दिन जब उत्तक की विधवा पुत्री सो रही थी तो उसकी माँ ने उसके शरीर पर कीड़े उत्पन्न होते हुए देखा। घबरा कर अपने पति को इस विषय में बात की। उत्तक ने ध्यान लगाकर बताया कि यह पिछले जन्म में उसके द्वारा की गई एक गलती के परिणामस्वरूप हो रहा है। माहवारी के दौरान इसने बर्तनों को छू लिया था और ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था। इसी कारण इसकी ये दुर्दशा हो रही है। पिता के कहने पर ऋषि पंचमी की व्रत पूजा करने से बेटी स्वस्थ हो गई। अब आगे जानेंगे पवित्र भगवत गीता से प्रमाण सहित वास्तविकता –
Rishi Panchami 2022 [Hindi]: व्रत नहीं है शास्त्र सम्मत
पवित्र श्रीमदभगवतगीता अध्याय 9 के श्लोक 23 और 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी (काल जाल में रहने वाली) पूजा ही कर रहे हैं। परंतु उनकी यह पूजा अविधिपूर्वक है अर्थात् शास्त्रविरूद्ध है। क्योंकि सम्पूर्ण यज्ञों का भोक्ता व स्वामी मैं ही हूँ। वे भक्त मुझे अच्छी तरह नहीं जानते। इसलिए पतन को प्राप्त होते हैं। नरक व चौरासी लाख योनियों के कष्ट को भोगते हैं। जैसे गीता अध्याय 3 श्लोक 14 और 15 में कहा गया है कि सर्व प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। कर्म को तू ब्रह्म से उत्पन्न और ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरुष को अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ जान।
Rishi Panchami 2022 [Hindi]: इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है अर्थात् यज्ञों का भोग लगा कर फल दाता भी वही पूर्ण ब्रह्म है। सर्व यज्ञों में प्रतिष्ठित, जिसको यज्ञ समर्पण किया जाता है वह परमात्मा पूर्ण ब्रह्म है। वही कर्माधार बना कर सर्व प्राणियों को लाभ प्रदान करता है। परन्तु पूर्ण सन्त न मिलने तक सर्व यज्ञों का भोग काल (मन रूप में) ही भोगता है, इसलिए कह रहा है कि मैं सर्व यज्ञों का भोक्ता व स्वामी हूँ। पाठकों को स्वीकार करना चाहिए कि ऋषि पंचमी व्रत जैसे प्रचलित पर्व सिर्फ मनमाना आचरण है इनसे कोई भी लाभ नहीं है।
श्रीमदभगवतगीता का गूढ़ रहस्य
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरणमें जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाले सत स्थान/धाम/लोक को अर्थात् सतलोक को प्राप्त होगा। चारों वेदों में भी एक परमेश्वर की भक्ति का विधान है अन्य पूजा और साधना को व्यर्थ और मनमाना आचरण कहा है। जिनसे न तो कोई सुख प्राप्त होता है न ही कोई सिद्धि होती है।
Rishi Panchami 2022 [Hindi]: ऋषि पंचमी व्रत से वास्तविक लाभ
गीता अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात् भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात् काल द्वारा निर्मित स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं। ऋषि पंचमी जैसे पूजा से हमे कोई लाभ नहीं होता है क्योंकि ये शास्त्रों के विरुद्ध साधना है। अब पाठकों के मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि कैसे करें पूरा लाभ देने वाली पूजा, आईए जानते हैं आगे –
तत्वदर्शी संत से ली सतभक्ति से प्राप्त होगा पूर्ण मोक्ष
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FAQs About Rishi Panchami 2022 [Hindi]
उत्तर – भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 1 सितंबर को मनाया जा रहा है।
उत्तर – ऋषि पंचमी को वर्ष 2022 में 1 सितंबर को मनाया जा रहा है।
उत्तर – पवित्र शास्त्रों के अनुसार ऋषि पंचमी व्रत एक मनमाना आचरण है। इस व्रत को करने से कोई लाभ नहीं होता है। यह भेद तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र श्रीमद्भवतगीता जी को उदघृत करके बताया है।
उत्तर – इस दिन सप्त ऋषियों वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज की पूजा की जाती हैं।