September 14, 2024

संजीवनी बूटी (Sanjivani Buti) से मिला लक्ष्मण जी को जीवनदान

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आज हम आप को संजीवनी बूटी (Sanjivani Buti) के बारे में बताएंगे जैसे संजीवनी बूटी पर्वत का नाम क्या है?, संजीवनी बूटी की पहचान की पहचान क्या है?, संजीवनी बूटी के फायदे के फायदे क्या है?, संजीवनी बूटी कहां मिलती है? संजीवनी बूटी (Sanjivani Buti) से लक्ष्मण जी को जीवनदान कैसे मिला? अदि

कोरोनावायरस महामारी के लॉकडाउन काल में रामायण धारावाहिक

लॉकडाउन के चलते शुरू हुई रामानंद सागर की रामायण धारावाहिक ने टीआरपी के बड़े रिकॉर्ड तोड दिए हैं। इन दिनों ये दर्शकों का सबसे पसंदीदा शो बन गया है। रामायण में अब लक्ष्मण जी के मूर्छित होने और मेघनाथ के वध का संदर्भ प्रारंभ हो गया है । इसे देखने के लिए दर्शकों को उत्साह काफी बढ़ा हुआ है।

#Ramayana April 16, 2020 Written Update: Lord #Hanuman fetches #Sanjeevani booti for #Lakshmanhttps://t.co/FUQgAIZTRC

— DNA (@dna) April 16, 2020

लक्ष्मण के मूर्छित होने पर उनके लिए लाई गई संजीवनी बूटी को एक जीवनदायिनी औषधि का रूप देने वाले सुषेण वैद्य ने अपनी छोटी सी भूमिका से ही दर्शकों का दिल जीत लिया।

लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी का संदर्भ

रामायण में एक वृतांत है, मेघनाद और लक्ष्मण के बीच चलने वाले युद्ध में दोनों योद्धा अपना पराक्रम दिखा रहे थे। एक समय मेघनाद के मायावी शक्ति बाण से लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते है । उस समय विभीषण के सुझाव पर हनुमान सुषेण वैद्य को लंका से लेकर आते हैं । एक बार इलाज करने से माना करने के उपरांत वैद्य जी तैयार हो जाते हैं ।

यह भी पढ़ें: हनुमान जी को कैसे मिले थे असली “आदि राम”

सुषेण वैद्य हनुमान को द्रोणगिरी पर्वत पर जाकर 4 जड़ी बूटियां लाने की आज्ञा देते हैं – मृत संजीवनी (मरे हुए को जिवाने वाली), विशाल्यकरणी (तीर निकालने वाली), संधानकरणी (त्वचा को स्वस्थ करने वाली) तथा सवर्ण्यकरणी (त्वचा का रंग बहाल करने वाली)। हनुमान द्रोणगिरी पर्वत पर पहुँच जाते हैं परंतु वनस्पतियों की पहचान न हो पाने के कारण पूरा पर्वत उठा कर ले आते है। सुषेण वैद्य इन जड़ी बूटियों से औषधि निर्मित करते हैं और लक्ष्मण को मृत्यु से छुड़ाकर जीवन दान देते हैं

शिव ने शुक्राचार्य को बताया था संजीवनी का रहस्य

शिव की तपस्या करके शुक्राचार्य ने अमर होने का वरदान मांगा लेकिन शिव ने कहा यह संभव नहीं लेकिन मैं तुम्हें संजीवनी विद्या के बारे में बता सकता हूं। शुक्राचार्य ने उस बूटी की विद्या को सीख लिया। जिसके दम पर वे युद्ध में मारे गए दैत्यों को फिर से जीवित कर देते थे।

वैज्ञानिकों में भी यह चमत्कारिक पौधा (संजीवनी) है अनुसंधान का विषय

  • वनस्पति वैज्ञानिकों की दृष्टि में ये संवहनी पौधे होते हैं जो शुष्क सतह और पत्थरों पर भी उग सकते हैं। यदि इन्हें नमी न मिलें तो मुरझा जाते हैं लेकिन नमी के मिलने पर पुनः हरे भरे हो जाते हैं।
  • कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु और वानिकी महाविद्यालय, सिरसी के वनस्पति वैज्ञानिकों ने संजीवनी बूटी पर शोध द्वारा 2 पौधों को चिन्हित किया है।
  • लखनऊ में स्थित वनस्पति अनुसंधान केंद्र में संजीवनी बूटी के जीन पर शोध हो रहा है । उनके अनुसार यह वनस्पति पौधों के टेरीडोफिया समूह की है।
  • एक अन्य शोध के अनुसार संजीवनी जड़ी-बूटी का वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राह्पटेसिर्स है।
  • यह वनस्पति चमकदार और विचित्र गंध से युक्त होती है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार यह बूटी भारत और नेपाल में पायी जाती है।
  • संजीवनी बूटी आज स्वास्थ्य जगत में चर्चा का विषय है, विशेषकर आयुर्वेद अनुसंधान में। इसके पौधे की पहचान के बारे में वनस्पति वैज्ञानिकों में मतांतर है।
  • भारत के पहाड़ी क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्र में पाई जाने वाली सेलाजिनेला ब्राह्पटेसिर्स नामक वनस्पति में चमक होती है। यह बूटी रात्रि काल में चमकती है। मुरझा जाने के उपरांत भी जल से सींचने पर यह हरी हो जाती है। इन्हीं गुणों के कारण वैज्ञानिक इस बूटी की प्रमाणिकता की जांच में जुटे हैं ।

क्या हैं संजीवनी बूटी में औषधीय गुण-संजीवनी बूटी के फायदे ?

  1. संजीवनी बूटी को अमर बूटी भी कहते हैं क्योंकि इसमें मानव शरीर की मृत कोशिकाओं को जीवित करने की क्षमता होती है
  2. हृदयाघात होने पर संजीवनी बूटी से निर्मित औषधि अच्छा असर करती है।
  3. पीलिया रोग में असरकारी है ।
  4. मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी है ।
  5. महिलाओं की समस्याओं में भी उपयोगी है ।

द्रोणागिरी गाँव के लोग आज भी हनुमान जी से क्यों नाराज हैं ?

द्रोणागिरी नाम का एक गाँव उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में स्थित है । एक प्रचलित कथा के अनुसार यहाँ के लोग आज भी हनुमान जी से नाराज हैं। यहाँ के लोग न हनुमान जी की पूजा करते हैं और न ही उनके सम्मान में भगवा ध्वज फहराते हैं । दरअसल द्रोणागिरी गाँव के लोग मानते हैं कि जब हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत पर आए उस समय पर्वत राज ध्यान समाधि में थे।

हनुमान जी बिना किसी को बताए, बिना पर्वत राज की पूजा अर्चना किये और आज्ञा लिए बिना द्रोणागिरी पर्वत को उठा कर ले गए । ऐसा भी कहा जाता है कि हनुमान जी के पूछने पर एक वृद्ध महिला ने द्रोणागिरी पर्वत की ओर इशारा करके रास्ता बताया था। इसी कारण आज भी इस पर्वत की पूजा में महिलाओं को साथ नहीं लिया जाता है. जन-जन में संजीवनी बूटी के प्रति बहुत श्रद्धा और उत्सुकता है कि त्रेता युग में सुषेण वैद्य को जिस बूटी का इतना ज्ञान था व आज कैसे विलुप्त हो गई ।

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