रमज़ान 2024 पर जानिए कौन है अल्लाहु कबीर जो हजरत मोहम्मद को मिले?

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Last Updated on 12 March 2024 IST: रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) | रमज़ान या रमादान इस्लामी कैलेण्डर का नौवाँ महीना है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को अत्यंत पवित्र मानता है। इस माह की विशेषताएँ महीने भर के दिनों में प्रत्येक दिन रोज़े रखना, रात में विशेष प्रकार की नमाज़ अदा करना, गाँव और लोगों की उन्नति व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ करते हुए, दान (जकात) करना आदि शामिल हैं। आइए जानते हैं कि कौन है अल्लाहु कबीर जो हजरत मोहम्मद को मिले?

रमज़ान क्यों मनाया जाता है? 

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi): रमज़ान का अर्थ होता है पवित्र होना, इसलिये मुस्लिम धर्म में रमज़ान के महीने को काफी पवित्र माना जाता है और इस महीने के प्रत्येक दिन प्रत्येक मुसलमान अल्लाह की इबादत करता है और अल्लाह को खुश करने के लिये लोगों के प्रति भी पाक दिल से मदद के लिए तैयार रहता है। रमज़ान के महीने को मुसलमान सबसे पाक महीना मानते हैं क्योंकि इसी महीने में पवित्र कुरान शरीफ का इस धरती पर वजूद कायम हुआ था यानी मुसलमानों के हिसाब से अवतरण हुआ था । 

रमज़ान पर क्या खाया जाता है?

रमज़ान का महीना मुस्लिमो द्वारा बड़े हर्ष के साथ एक पर्व की तरह मनाया जाता है। इस दौरान हर रोज़ मुसलमान समुदाय के लोग रोज़ा अर्थात व्रत रखते हैं। 

रोज़ रखने से पहले सेहरी खाई जाती है। जिसमे खजूर का विशेष महत्व है। इसके साथ ही अन्य सभी तरह के फल खाएं जाते हैं और इसके बाद शाम को ही सभी इकठ्ठे बैठकर इबादत करने के बाद रोज़ा खोलते हैं।

रमज़ान के दौरान उपवास रखने का मुख्य उद्देश्य खुद को अल्लाह के करीब लाना है। मुसलमान रोज़े को सब्र और संयम का प्रतीक भी मानते हैं और ऐसा मानते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा रोज़े रखकर वह अल्लाह को जल्द खुश कर सकते हैं। रमज़ान के महीने में कई मुसलमान ज़्यादा से ज़्यादा समय मस्जिदों में बिताते हैं और कुरान पढ़ते हैं । नमाज़, दान, आस्था, मक्का में हज यात्रा करने के साथ रमजान के दौरान रोज़ा रखने को भी इस्लाम में पाँचवा स्तंभ माना जाता है। हलाकि रोज़ा (उपवास) करने से अल्लाह कि प्राप्ति नहीं होती बल्कि यह भगवत गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 के अनुसार व्यर्थ की साधना भी है।

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) पर जानिए क्या रोज़े रखने से अल्लाह खुश होता है?

रोज़े (उपवास) रखने से अल्लाह खुश नहीं होता। यह सत्य बात है क्योंकि रोजे रखने से अल्लाह को खुश नहीं किया जा सकता। जिस प्रकार एक पिता अपने बच्चे को दिन भर भूखा नहीं देख सकता ठीक उसी प्रकार अल्लाह-हू-अकबर कबीर सबका पिता है वह अपने बच्चों को दिन भर भूखा नहीं देख सकता, वह हमारे इस मनमाने आचरण से दुखी होता है। अल्लाह को हम ख़ुश उसकी सच्ची इबादत करके कर सकते हैं। इस सच्ची इबादत की जानकारी प्राप्त करने के लिये कुरान शरीफ के ज्ञान दाता ने इल्म वाले बाख़बर (पूर्ण गुरु) की खोज करने के लिये कहा है (कुरान शरीफ सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से  59) हिन्दू धर्म में इस इल्मवाले बाखबर को तत्वदर्शी संत कहा जाता है ।

हज़रत मुहम्मद जी की जीवनी का आपको यहां थोड़ा सा हाल देते हैं

  • जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम)
  • लेखक हैं – मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी,
  • मूल किताब – मुहम्मदे (अर्बी) से,
  • अनुवादक – नसीम गाजी फलाही,
  • प्रकाशक – इस्लामी साहित्य ट्रस्ट प्रकाशन नं. 81 के आदेश से प्रकाशन कार्य किया है। मर्कजी मक्तबा इस्लामी पब्लिशर्स, डी-307, दावत नगर, अबुल फज्ल इन्कलेव जामिया नगर, नई दिल्ली-1110025

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi): हजरत मुहम्मद जी जब माता के गर्भ में थे उस समय उनके पिता श्री अब्दुल्लाह जी की मृत्यु हो गई, छः वर्ष के हुए तो माता जी की मृत्यु। आठ वर्ष के हुए तो दादा अब्दुल मुत्तलिब चल बसे। यतीमी का जीवन जीते हुए हजरत मुहम्मद जी की 25 वर्ष की आयु में शादी दो बार पहले विधवा हो चुकी 40 वर्षीय खदीजा से हुई। तीन पुत्र तथा चार पुत्रियाँ संतान रूप में हुई। हजरत मुहम्मद जी को जिबराईल (जिब्रील) नामक फरिश्ते ने गला घोंट-घोंट कर जबरदस्ती डरा धमका कर कुरान शरीफ (मजीद) का ज्ञान तथा भक्ति विधि (नमाज आदि) बताई जो मुसलमानों के अल्लाह द्वारा बताई गई थी। फिर भी हजरत मुहम्मद जी के आँखों के तारे तीनों पुत्र (कासिम, तय्यब तथा ताहिर) चल बसे।

विचार करें जिस अल्लाह के भेजे रसूल (नबी) के जीवन में कहर ही कहर (महान कष्ट) रहा। तो अन्य अनुयायियों को कुरान शरीफ व मजीद में वर्णित साधना से क्या लाभ हो सकता है? हजरत मुहम्मद 63 वर्ष की आयु में दो दिन असहाय पीड़ा के कारण दर्द से बेहाल होकर मृत्यु को प्राप्त हुए। जिस पिता के सामने तीनों पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो जाए, उस पिता को आजीवन सुख नहीं हो सकता। प्रभु की भक्ति इसीलिए करते हैं कि परिवार में सुख रहे तथा कोई पाप कर्म दण्ड भोग्य हो, वह भी टल जाए। मुसलमानों के अल्लाह द्वारा दिया भक्ति ज्ञान अधूरा है। इसीलिए सूरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 तक में कहा है कि जो गुनाहों को क्षमा करने वाला कबीर नामक अल्लाह है उसकी पूजा विधि किसी बाखबर (तत्वदर्शी सन्त) से पूछ कर देखो। कबीर परमेश्वर ने कहा मैं स्वयं वही कबीर अल्लाह हूँ। मेरे पास पूर्ण मोक्ष दायक, सर्व पाप नाशक भक्ति विधि है।

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) Special: हज़रत मुहम्मद जी को कबीर जी सतलोक लेकर गए थे

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) | नबी हज़रत मुहम्मद एक बेहद नेक और परमात्मा की प्यारी आत्मा थे। स्वयं कबीर परमेश्वर ने हजरत मुहम्मद जी को भी दर्शन दिए थे। कबीर साहेब हज़रत मुहम्मद जी को भी सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों की वास्तविक स्थिति से परिचय करवाया। किन्तु हज़रत मुहम्मद जी के अनुयायियों की संख्या उस समय एक लाख अस्सी हज़ार हो चुकी थी। इस कारण वे तत्वज्ञान को नहीं समझ सके एवं मान सम्मान की आकांक्षा के कारण वापस यहीं पृथ्वी लोक में आकर गलत साधना/ काल ब्रह्म वाली साधना करने लगे।

कबीर साहेब ने कहा है-

हम मुहम्मद को वहाँ ले गया । इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।।

उलट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया ।।

रोजा, बंग, नमाज दई रे । बिसमिल की नहीं बात कही रे ।।

पवित्र क़ुरान शरीफ का ज्ञान दाता कौन है?

पूरा मुस्लिम समाज ये मानता है कि पवित्र क़ुरान शरीफ का ज्ञान दाता स्वयं अल्लाह (पूर्ण प्रभु) ही है। लेकिन आइए हम उस सच्चाई पर एक नज़र डालें जो अब तक छिपी हुई थी।

  • पवित्र कुरान शरीफ़ सूरह अल-फुरकान 25 आयत नं. 59

जिसने आसमानों और जमीन और जो कुछ उनके बीच में है (सबको) छः दिन में पैदा किया, फिर तख्त पर जा विराजा (वह अल्लाह बड़ा) रहमान है, तो उसकी खबर किसी बाखबर (इल्म वाले) से पूछ देखो। (59)

भावार्थ : कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है जो सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार है, जिसका वास्तविक ज्ञान तो किसी तत्वदर्शी संत(बाखबर) की शरण ग्रहण करने से ही हो सकता है। कुरान ज्ञान दाता स्वयं स्वीकारता है कि उसकी खबर किसी बाखबर (इल्म वाले) से पूछो, मैं नहीं जानता।

  • सूरह अल-फुरकान 25 आयत नं. 55

और अल्लाह के सिवाय ऐसों को पूजते हैं जो न उनको नफा पहुँचा सकते हैं और न उनको नुकसान पहुँचा सकते हैं।  और काफ़िर तो अपने परवरदिगार से पीठ दिए हुए (मुँह मोड़े) हैं।

भावार्थ : कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) पैगंबर मुहम्मद को बता रहा है कि ऐसे लोग हैं जो अल्लाह को भगवान नहीं मानते हैं और अन्य देवताओं की पूजा करते हैं, जो उन्हें कोई लाभ नहीं दे सकते हैं, न ही उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे भगवान के प्रति अविश्वास रखते हैं और उन्हें काफिर मानना चाहिए क्योंकि वे गलत साधनाएं कर रहे है। इसका तात्पर्य यह है कि कुरान ज्ञान दाता से अन्य कोई और पूर्ण परमात्मा है, वह सर्व के पूजा करने योग्य है। उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद से कहा कि काफिरों का कहा मत मानना व अल्लाह / प्रभु के लिए संघर्ष (जिहाद) करना, लड़ाई नहीं करना।

रमज़ान 2024 [Hindi]: मुहम्मद जी को कुरान का ज्ञान काल ब्रह्म ने दिया

यह जानने के लिए कि आखिर क़ुरान का ज्ञान हज़रत मुहम्मद जी को कैसे मिला हम जानते है उनकी जीवनी। पुस्तक है जीवनी हजरत मुहम्मद, लेखक हैं – मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी, मूल किताब – मुहम्मदे (अर्बी) से, अनुवादक – नसीम गाजी फलाही, प्रकाशक – इस्लामी साहित्य ट्रस्ट प्रकाशन नं. 81 के आदेश से प्रकाशन कार्य किया है। मर्कजी मक्तबा इस्लामी पब्लिशर्स, डी-307, दावत नगर, अबुल फज्ल इन्कलेव जामिया नगर, नई दिल्ली। पृष्ठ नं. 67 – 75.

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi): एक समय प्रभु प्राप्ति की तड़फ में हजरत मुहम्मद जी नगर से बाहर एक गुफा में साधना कर रहे थे। अचानक एक आवाज़ आई। वे बहुत डर गए, आंखें खोली तो सामने एक फरिश्ता खड़ा था। उसने कहा पढ़ो। हजरत मुहम्मद जी ने कहा मुझे पढ़ना नहीं आता। जिबराईल नामक फरिश्ते ने हजरत मुहम्मद जी को डरा धमकाकर, उनका गला घोंट- घोंट कर बलात कुरान शरीफ का ज्ञान समझाया। 

यहां विचार करने की जरूरत है कि क्या भगवान दर्द दे सकता है और किसी भी आत्मा को डरा सकता है? सपने में भी यह संभव नहीं है। क्योंकि एकमात्र अल्लाह / प्रभु ही है जो हमारा वास्तविक पालनहार है। तथ्य यह है कि खलनायक, जो कि क्षर पुरुष (काल) के अलावा कोई और नहीं है, ने कुरान का ज्ञान उसी तरह से दिया जैसे उसने अन्य धर्मों के पवित्र ग्रंथों का ज्ञान प्रदान किया। वह किसी के भी शरीर में सूक्ष्म रूप बना कर प्रवेश कर जाता है और फिर प्रवचन देता है।

इस प्रकार, पूर्ण परमात्मा ने उन्हें कुरान का ज्ञान दिया, यह अवधारणा गलत साबित होती है और वास्तविकता यह है कि काल ही कुरान का ज्ञान दाता है। काल ने ही हजरत मुहम्मद जी को बलपूर्वक यह ज्ञान समझाया।

रमज़ान 2024 पर जाने क्या इस्लाम में मांस के सेवन की अनुमति है?

मुसलमान अल्लाह के नाम पर जानवरों का मांस खाते हैं और यहाँ तक कि “बकरीद” नामक त्योहार भी मनाते हैं, जिसमें वे बकरे को मारकर उसका मांस “प्रसाद” के रूप में खाते हैं। वे कलमा पढ़ कर निर्दोष जीवों की हत्या कर देते हैं।

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) | एक तथ्य पर विचार करें। एक तरफ, मुसलमान अल्लाह की बंदगी करते हैं और दूसरी तरफ, वे उसी प्रभु के जीव का कत्ल करते हैं। जबकि परमात्मा की नज़र में सब जीव बराबर हैं। क्या माता-पिता ऐसे बच्चे से खुश हो सकते हैं जो उनके दूसरे बच्चे को मारता हो। इस बात पर मुसलमान भाई अपना तर्क देते हैं कि वे हिंदुओं की तरह नहीं हैं, जो झटके से जानवर को मार देते हैं। बल्कि, वे तो जानवर को प्यार से मारते हैं यानि हलाल करते हैं। 

■ Read in English: Ramadan Festival: Who is Allah and How to Please Him?

कहाँ गया इनका विवेक? किसी भी तरीके से अपने परिवार के सदस्य को मारने की कोशिश करो, दर्द एक जैसा ही होता है और इसका पाप तो लगता ही है। साथ ही, मुसलमान भाइयों का कहना है कि बकरे की आत्मा सीधे जन्नत में जाती है। क्योंकि वे जानवरों को हलाल करते हुए कलमा पढ़ते हैं। अगर ऐसा है और आप इसे सच मानते हैं, तो बकरों की बारी तो कभी नहीं आती, लोग तो पहले स्वयं हलाल हो जाते और जन्नत में चले जाते।

प्रभु या धर्म के नाम पर मांस का सेवन करना, एक बहुत बड़ा पाप है।

गरीब दास जी महाराज बताते है कि

नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।

एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।

अरस कुरस पर अल्लह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली।

वे पैगम्बर पाख पुरुष थे, साहिब के अब्दाली।।

भावार्थ: नबी मोहम्मद तो आदरणीय हैं जो प्रभु के संदेशवाहक कहलाए हैं। कसम है एक लाख अस्सी हजार को जो उनके अनुयायी थे उन्होंने भी कभी बकरे, मुर्गे तथा गाय आदि पर करद नहीं चलाया अर्थात जीव हिंसा नहीं की तथा मांस भक्षण नहीं किया।

वे हजरत मोहम्मद, हजरत मूसा, हजरत ईसा आदि पैगम्बर (संदेशवाहक) तो पवित्र व्यक्ति थे तथा ब्रह्म (ज्योति निरंजन/काल) के कृपा पात्र थे, परन्तु जो आसमान के अंतिम छोर (सतलोक) में पूर्ण परमात्मा (अल्लाहू अकबर अर्थात अल्लाह कबीर) है उस सृष्टि के मालिक की नजर से कोई नहीं बचा। नबी मोहम्मद तो इतने दयालु थे कि उन्होंने कभी किसी व्यक्ति से ब्याज तक की मांग नहीं की, जीव हत्या तो दूर की बात है।

साथ ही, ये बात भी सत्य है;

मारी गऊ शब्द के तीरं, ऐसे थे मोहम्मद पीरं।।

शब्दै फिर जिवाई, हंसा राख्या माँस नहीं भाख्या, एैसे पीर मुहम्मद भाई।।

एक समय नबी मुहम्मद ने एक गाय को शब्द (वचन सिद्धि) से मार कर सर्व के सामने जीवित कर दिया था (वास्तव में यह पूर्ण प्रभु द्वारा ही किया गया था)। उन्होंने गाय का मांस कभी नहीं खाया। फिर उनके अनुयायी कैसे ये क्रूरता कर सकते हैं?

अब मुसलमान समाज वास्तविकता से परिचित नहीं है। जिस दिन गाय जीवित की थी उस दिन की याद बनाए रखने के लिए गऊ मार देते हो। आप जीवित नहीं कर सकते तो मारने के भी अधिकारी नहीं हो। आप मांस को प्रसाद रूप जान कर खाते तथा खिलाते हो। आप स्वयं भी पाप के भागी बनते हो तथा अनुयाईयों को भी गुमराह कर रहे हो। आप दोजख (नरक) के पात्र बन रहे हो।

रोजा, बंग, नमाज दई रे। बिसमिल की नहीं बात कही रे।।

भावार्थ : नबी मुहम्मद जी ने रोजा (व्रत) बंग (ऊँची आवाज में प्रभु स्तुति करना) तथा पांच समय की नमाज़ करना तो कहा था परन्तु गाय आदि प्राणियों को बिस्मिल करने (मारने) को नहीं कहा था।

इस प्रकार, मांस मनुष्यों का आहार नहीं है और कहीं नहीं लिखा है कि इस प्रथा का पालन इस धर्म के लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। यह एक जघन्य पाप है। जो मांस खाते हैं उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। यह जान लेने के बाद कि मांस का सेवन एक जघन्य पाप है।

रमज़ान 2024 पर जानें आखिर कौन है अल्लाहु अकबर ?

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) | रमज़ान मुस्लिम धर्म के लोगों का सबसे पवित्र महीना है जिसमें प्रत्येक मुसलमान अपने आप को अल्लाह के करीब करने के लिए प्रयत्नशील रहता है। जिस अल्लाहु अकबर को पाने के लिये मुसलमान भाई कठिन से कठिन भक्ति साधना करते हैं। वह अल्लाह बड़ा रहमान है, दयालु है, उसका नाम कबीर है जिसका ज़िक्र कुरान शरीफ के सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में मिलता है। यह वही कविर्देव हैं जिसने 6 दिन में सृष्टि की रचना की और सातवें दिन तख्त पर जा विराजे। इस अल्लाह कबीर की जानकारी को कुरान शरीफ के ज्ञान दाता ने, बाखबर संत से पूछने के लिये कहा है।

परंतु अल्लाहु अकबर की सच्ची जानकारी न होने के कारण उसको पाने की विधि से मुस्लिम समुदाय अभी तक अनभिज्ञ है। वास्तव में जब तक बाखबर संत नहीं मिल जाता तब तक अल्लाह (पूर्ण परमात्मा) की सच्ची जानकारी भी प्राप्त नहीं की जा सकती। बाखबर (इल्म वाले संत ) की भूमिका करने के लिये पूर्ण परमात्मा स्वयं इस धरती पर आता है।

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi): क्या है असली जन्नत का पता

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi) : असली जन्नत यानी हमारा घर कहाँ है? हमारे गुनाह कैसे माफ़ होंगे। केवल नमाज़ अदा करने से गुनाह माफ नहीं हो सकते। गुनाह तो केवल अल्लाह कबीर अपने रहम से बख़्श सकता है और उस तक पहुँचने की सीढ़ी है बाख़बर। हम सभी आत्माएँ अपने वास्तविक स्थान सतलोक में रहते थे। यह वही स्थान है जहाँ परमेश्वर कबीर हज़रत मुहम्मद को लेकर गए थे किन्तु हज़रत मुहम्मद पुनः वापस इसी पृथ्वी पर आ गए थे। कुरान के सूरत शूरा 42 आयत 1 में अल्लाह ताला को प्राप्त करने के तीन विशेष मन्त्र एन सीन काफ बताए हैं। यही तीन मन्त्र गीता के अध्याय 17 श्लोक 23 में भी ओम तत सत बताए हैं। लेकिन इन सांकेतिक मन्त्रों को सही कौन बताएगा? बाख़बर। वही बाख़बर जिसके विषय मे सूरत अल फुरकान आयत 59 में कहा है। 

वर्तमान में कौन है बाखबर?

बाखबर की भूमिका स्वयं अल्लाह यानी पूर्ण परमात्मा ही करता है जो अपने गूढ़ ज्ञान को प्रदान करने के लिये स्वयं ही इस धरती पर आता है। बाखबर संत की पहचान का तरीका होता है कि वह अल्लाह, भगवान, रब, गॉड की सही सही प्रमाणित जानकारी सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों से प्रमाणित करके बताता है और सभी ग्रंथों से स्पष्ट कर देता है कि पूर्ण परमात्मा कौन है? कहां रहता है? उसका क्या नाम है ? वह संत संपूर्ण ज्ञान को प्रमाण के साथ जनता को प्रदान करता है। अपने द्वारा रची गई सृष्टि की जानकारी वह स्वयं प्रदान करता है और जीव को हमेशा के अमरत्व प्रदान करने की मूल इबादत ( भक्ति विधि ) प्रदान करता है।

वह बाखबर सभी धर्मों के मूल को जनता के सामने रखता है और पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने की सच्ची और प्रमाणित भक्ति विधि बताता है। वर्तमान में वह बाखबर संत कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज जी हैं जिन्होनें प्रत्येक धर्म ग्रंथ से यह प्रमाणित कर दिया कि पूर्ण परमात्मा कबीर देव है। इन्हें ही अल्लाहु अकबर, रब, गॉड, परमात्मा आदि उपमात्मक नामों से पुकारा जाता है।

संत रामपाल जी महाराज जी सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों से प्रमाणित करके अल्लाह कबीर को प्राप्त करने की सच्ची पूजा विधि भक्त समाज को प्रदान कर रहे हैं।

रमज़ान 2024 (Ramadan in Hindi): अल्लाह जन्मता मरता नहीं है!

  • कुरान शरीफ सूरह अल-फुरकान 25:58

आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा (कबीरा)।58।

वास्तव में इस आयत संख्या 58 का भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी को कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) ने कहा कि ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह जन्म-मरण में नहीं आता। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा, वह अपने बन्दों के गुनाहों से काफी खबरदार है तथा उनके सर्व पापों को विनाश करने वाला है। वह कबीर अल्लाह(कविर्देव) है।

अल्लाह ने छ: दिन में सृष्टि की रचना की: कुरान शरीफ सूरह अल-फुरकान 25:59

आयत 59:- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन् (कबीरन्)।59।।

भावार्थ : कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टी की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो(बैठ) गया। केवल तत्वदर्शी संत(बाखबर) ही सही पूजा की विधि बता सकता है, जिससे उस परमात्मा की प्राप्ति होगी। 

सभी से करबद्ध प्रार्थना है जिनको आज मानव शरीर प्राप्त हुआ है;

नगर निवासी सब ही आना, आपस के मतभेद भुलाना।

कोई दिन में सबको चला जाना। ये झूठी जग की आस।।

भावार्थ : प्रत्येक व्यक्ति को उन सभी बाधाओं को त्याग देना चाहिए जो हमें अलग करती हैं, चाहे वह धर्म या जाति हो और याद रखें कि हम सभी एक परमात्मा की संतान हैं। राग द्वेष से छुटकारा पाएं क्योंकि इस नाश्वान लोक में थोड़े ही समय का जीवन है।

अपना एक पल भी बर्बाद न करें और संत रामपाल जी महाराज से नाम दान लें क्योंकि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है। कयामत के दिन को तो भूल ही जाएं, क्योंकि उससे पहले आत्मा के लिए सबसे बड़ी कयामत तो मृत्यु के समय होगी जब मानव जीवन का अनमोल समय पूरी तरह से बर्बाद हो चुका होगा और उसके बाद मिलेगा चौरासी लाख योनियों में जन्म और कष्ट भोगने होंगे।

FAQs about Ramadan 2024 in Hindi

प्रश्न:- रमज़ान क्यों मनाया जाता है?

उत्तर:- मुस्लिम धर्म के लोग उनकी मान्यता के अनुसार अपने अल्लाह को खुश करने के लिए इसे मनाते हैं।

प्रश्न:- रमज़ान 2024 में कबसे है?

उत्तर:- 2024 में रमज़ान 11 मार्च से शुरू है।

प्रश्न:- रमज़ान में किस भगवान की इबादत की जाती है?

उत्तर:- रमज़ान महीने में कबीर अल्लाह की इबादत की जाती है।

प्रश्न:- हज़रत मुहम्मद जी का पूरा नाम क्या था?

उत्तर:- हज़रत मुहम्मद जी का पूरा नाम क्या था सल्लाहु अलैहि वसल्लम था।

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