October 4, 2024

Paush Purnima 2022: पौष पूर्णिमा के अवसर पर जानें शास्त्र अनुकूल साधना के बारे में

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Paush Purnima 2022: पौष पूर्णिमा हिंदी महीने पूस की होने वाली पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस वर्ष यह 17 जनवरी 2022 को है। पौष की पूर्णिमा स्नान, दान एवं लक्ष्मी पूजा से जोड़कर देखी जाती है। आइए जानें इस अवसर पर सत्यभक्ति व शास्त्र अनुकूल साधना के बारे में।

Paush Purnima 2022: मुख्य बिंदु

  • पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) पूस के माह में मनाई जाती है
  • इस वर्ष यह दिनांक 17 जनवरी 2022 को है
  • माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का अद्भुत उपाय
  • डाउनलोड करें ऐसा एप्प जो देगा शास्त्रों की सम्पूर्ण जानकारी

Paush Purnima 2022: क्या है पौष पूर्णिमा की मान्यताएं एवं कर्मकांड?

नाम से ही स्पष्ट है कि पौष की पूर्णिमा पूस ( Paush Purnima 2022) के महीने की पूर्णिमा की तिथि को मनाई जाती है। लोकवेद के अनुसार इस अवसर पर लोगों में लक्ष्मी जी की पूजा एवं नदियों में स्नान आदि करना प्रसिद्ध है। इस तिथि पर किये जाने वाले कर्मकांड का शास्त्रों से कोई सरोकार नहीं है। केवल पौष की पूर्णिमा नहीं बल्कि इन सभी माहों की पूर्णिमा शास्त्र विरुद्ध साधना है।

Purnima 2022 List (Hindi): इस वर्ष पड़ने वाली पूर्णिमा की तिथियाँ

Purnima 2022 List (Hindi): नए साल 2022 की पूर्णिमा व्रत तिथियां निम्न है-

  • 17 जनवरी, दिन: सोमवार: पौष पूर्णिमा
  • 16 फरवरी, दिन: बुधवार: माघ पूर्णिमा
  • 17 मार्च, दिन: गुरुवार: फाल्गुन पूर्णिमा
  • 16 अप्रैल, दिन: शनिवार: चैत्र पूर्णिमा
  • 15 मई, दिन: रविवार: वैशाख पूर्णिमा
  • 14 जून, दिन: मंगलवार: ज्येष्ठ पूर्णिमा
  • 13 जुलाई, दिन: बुधवार: आषाढ़ पूर्णिमा
  • 11 अगस्त, दिन: गुरुवार: श्रावण पूर्णिमा (Sharad Purnima)
  • 10 सितंबर, दिन: शनिवार: भाद्रपद पूर्णिमा
  • 09 अक्टूबर, दिन: रविवार: आश्विन पूर्णिमा
  • 08 नवंबर, दिन: मंगलवार: कार्तिक पूर्णिमा
  • 07 दिसंबर, दिन: बुधवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा

कल्पवास क्या है?

पौष की पूर्णिमा (Paush Purnima 2022) से माघ के महीने का आरम्भ होता है। माग के महीने में संगम के तट या गंगा तट पर रहने की परंपरा लोग निभाते आ रहे हैं। इसे कल्पवास कहते हैं। लोगों का मानना है कि यह पवित्र महीना होता है। माना जाता है कि कल्पवास युधिष्ठिर ने आरम्भ किया था।

कल्पवास के समय वेदों का अध्ययन एवं दान स्नान आदि की महिमा बताई जाती है। किंतु वेदों का अध्ययन करने के लिए गुरु होना आवश्यक है क्योंकि यजुर्वेद (अध्याय 19 मन्त्र 25) में प्रमाण है कि पूर्ण तत्वदर्शी सन्त ही वेदों के गूढ़ रहस्य उजागर करता है। भक्ति कोई महीने भर करने की वस्तु नहीं है वह तो जीवन पर्यंत एवं बारहों महीने पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर करनी चाहिए।

गुरु बिना दान यज्ञ नहीं फलही..

निश्चित ही दान करना वीरों का का लक्षण है। दान करने वाले दानवीर कहलाते हैं। किंतु यहाँ यह अवश्य ही याद रखें कि बिना आध्यात्मिक गुरु बनाए अपनी मर्जी से दान करना व्यर्थ है। ऐसा किया गया दान कोई पुण्य साधक को नहीं देता। बिना गुरु के दान, हवन, यज्ञ, मन्त्रजाप सब व्यर्थ है, इनका कोई लाभ साधक प्राप्त नहीं कर सकता। ऐसा शास्त्रों में भी वर्णित है एवं अनेकों सिद्ध सन्त महात्मा यह कह गए हैं कि गुरु के बिना तो साधक का आध्यात्मिक जन्म ही नहीं होता फिर भला वह अध्यात्म का लाभ कैसे लेगा। अतः निष्कर्ष रूप में हम यह कह सकते हैं कि पूर्ण गुरु बनाना जीवन में अत्यंत आवश्यक है।

कबीर, गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान |

गुरु बिन दोनों निष्फल हैं पूछो वेद पुराण ||

माता लक्ष्मी की साधना कैसे करें?

संसार मे रहते हुए सभी प्राणी आर्थिक, मानसिक एवं स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं एवं इनके लिए सभी उपाय करते हैं। यहाँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात जान लेना आवश्यक है कि गीता अध्याय 7 के श्लोक 14-15 में तीन गुणों की भक्ति करने वाले मनुष्यों में नीच, मूढ़ बताए गए हैं। यदि ब्रह्मा विष्णु महेश की भक्ति वर्जित है तो फिर इनकी पत्नियां भी इनका ही हिस्सा हुईं। वास्तविकता यह है कि आप इनकी उपासना करें अथवा न करें रजोगुण प्रधान ब्रह्मा, सत्वगुण प्रधान विष्णु एवं तमगुण प्रधान शिव आपके भाग्य में लिखा हुआ आपको देते रहेंगे। किन्तु यदि आप अपने भाग्य से अधिक की आकांक्षा रखते हैं तो वह आपको तत्वदर्शी सन्त द्वारा मिले मन्त्रों के जाप से मिलेगा। सभी देवी देवताओं के अलग अलग गुप्त मन्त्र होते हैं जिन्हें पूर्ण गुरु से उपदेश लेकर भक्ति करने से साधक भाग्य से अधिक प्राप्त करता है।

कटेंगे पाप, मिलेगा सुख, तरेंगे पितर और होगा मोक्ष

यह सारे लक्ष्य केवल सत्यभक्ति से पाये जा सकते हैं। सत्यभक्ति का अर्थ मन्दिर जाना, शास्त्रों का पाठ करना नहीं है। सत्यभक्ति का अर्थ है शास्त्रों में बताए अनुसार भक्ति करना। शास्त्रों को समझना आसान कभी नहीं रहा है और शास्त्र समझने के प्रयास में अनेकों ऋषि मुनि उलझे रह गए। पूर्ण तत्वदर्शी सन्त के अतिरिक्त कोई भी शास्त्रों के गूढ़ रहस्य को नहीं सुलझा सकता। वर्तमान में सन्त रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं जिन्होंने न केवल शास्त्रों के गूढ़ रहस्य को सुलझाया है और सभी नकली धर्मगुरुओं को खुलेआम चुनौती दी। आज तक सन्त रामपाल जी महाराज के ज्ञान के समक्ष कोई दलील नहीं टिक सकी। सूक्ष्मवेद के अनुसार सत्यभक्ति करने वाले साधक की एक सौ एक पीढ़ी का उद्धार स्वयं परमेश्वर करते हैं।

भक्ति बीज होवे जो हंसा, तारूं तास के इकोतर वंशा ||

क्या है सत्यभक्ति?

शास्त्रों में स्पष्ट रूप से व्रत (गीता अध्याय 6 श्लोक 16) वर्जित है, तप (गीता अध्याय 17 श्लोक 5-6) वर्जित है, श्राद्ध (गीता अध्याय 9 श्लोक 23) करना वर्जित है, तीन गुणों अर्थात ब्रह्मा, विष्णु महेश को पूजने वाले मूढ़ तथा नीच कहे गए हैं ( गीता अध्याय 7 श्लोक 14-15) किन्तु अधिकांश समुदाय भक्ति के नाम पर बस यही करते है जो वर्जित है। ऐसी साधना करने से निश्चित ही गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार साधक को न मोक्ष प्राप्त होता है और न ही उसकी कोई गति होती है आगे श्लोक 24 में कहा है कि कर्त्तव्य एवं अकर्त्तव्य की अवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। 

सत्यभक्ति तो गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में दिए सांकेतिक मन्त्र ॐ, तत, सत को तत्वदर्शी सन्त से लेकर भक्ति करना है। गीता  में पूर्ण तत्वदर्शी सन्त (अध्याय 4 श्लोक 34) की शरण मे जाने के लिए कहा है। वर्तमान में पूर्ण तत्वदर्शी सन्त हैं सन्त रामपाल जी महाराज। उनसे नामदीक्षा लेकर अतिशीघ्र भक्ति करें एवं अपने मानव जीवन का कल्याण करवाएं।

तज पाखंड सत नाम लौ लावै, सोई भव सागर से तरियाँ |

कह कबीर मिले गुरु पूरा, स्यों परिवार उधरियाँ ||

ऑल इन वन एप्प डाउनलोड करें तथा पाएँ तत्वज्ञान (All In One App- Sant Rampalji Maharaj App

आज के समय में लोगों के पास इतना समय भी नहीं है कि वे बैठें और शास्त्र खंगालें इसलिए कम समय में ये करने के लिए डाउनलोड कीजिये Sant Rampal Ji Maharaj App (सन्त रामपाल जी महाराज एप्प) इस एप्प के ज़रिए आप कहीं भी कभी भी शास्त्रों के महत्वपूर्ण प्रमाण देख सकते हैं, पढ़ सकते हैं एवं इस गूढ़ ज्ञान को सुन व समझ सकते हैं। वर्षों बीत गए इस अनमोल तत्वज्ञान को सुनने की तमन्ना लिए पीढ़ियों के गुजरते गुजरते लेकिन आज सन्त रामपाल जी महाराज ने तत्वज्ञान ऐसे सुलझा दिया है कि हर एक चीज़ स्पष्ट और साफ साफ है। इस ज्ञान को समझने के प्रयास में अनेकों ऋषि मुनि समाधि लगाते रहे और न ही इनका मोक्ष हुआ और ना ज्ञान मिला। 

तप के बदले में इन्हें उसका फल राज के रूप में मिला, स्वर्ग के रूप में मिला किन्तु मोक्ष नहीं मिला। यहाँ तक कि गीता में तप करने वाले दंभी एवं मिथ्याचारी कहे गए हैं। अतः इस एप्प से आप शास्त्रों के सभी रहस्य समझेंगे, सुनेंगे एवं प्रमाण सहित देखेंगे। साथ ही यह एप्प बड़े बूढों एवं बच्चों सभी के लिए आसानी से समझ आने वाला एवं उपयोग करने में आसान है।

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लालबहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri Jayanti) का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 में ताशकंद, सोवियत संघ रूस) में बहुत ही रहस्यमई तरीके से हुई थी। शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु के समय तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा।
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