November 14, 2024

National Unity Day 2024 [Hindi]: जानें लौह पुरुष, सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में दुर्लभ जानकारी

Published on

spot_img

Last Updated on 25 October 2024 IST | National Unity Day 2024 [Hindi]: सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की जयंती 31 अक्टूबर को मनाई जाती है। सरदार वल्लभ भाई ने 562 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया था। यही कारण है कि वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाया जाता है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था।

Table of Contents

सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती (National Unity Day): मुख्य बिंदु

  • भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने।
  • भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है “प्रमुख”।
  • सरदार पटेल ने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।
  • स्वतंत्रता के समय भारत में 562 देशी रियासतें थीं। इनका क्षेत्रफल भारत का 40 प्रतिशत था। सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही वीपी मेनन के साथ मिलकर कई देशी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था।
  • देशी रियासतों को भारत में शामिल करना था। इस कार्य को उन्होंने बगैर किसी लड़ाई झगड़े के बखूबी किया। परंतु हैदराबाद में ऑपरेशन पोलो के लिए सेना भेजनी पड़ी।
  • किसानों के लिए सरदार पटेल के मन में विशेष स्थान था और इस बात का सबूत अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में किया गया आंदोलन था जिसके कारण अंग्रेजों को किसानों पर लगाए जा रहे कर को हटाना ही पड़ा।
  • सरदार पटेल को स्वतंत्र रूप से पुस्तक-रचना का अवकाश नहीं मिला, परंतु उनके लिखे पत्रों, टिप्पणियों एवं उनके द्वारा दिये गये व्याख्यानों के रूप में बृहद् साहित्य उपलब्ध है, जिनका संकलन विविध रूपाकारों में प्रकाशित होते रहा है। 
  • यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था।
  •  31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया था । 
  • सरदार पटेल की प्रतिमा 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई। यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है।
  • पूरे देश में इस वर्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन होगा । 

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का संक्षिप्त जीवन परिचय

वल्लभभाई झावेरभाई पटेल, जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, वे सिद्धांतवादी होने के साथ-साथ आदर्श, निडर, साहसी राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में 1947-1950 तक कार्य किया। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 लेवा पटेल (पाटीदार) जाति में नडियाद, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश, भारत में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे। सरदार पटेल की पत्नी का नाम झावेर बा था पटेल जी के बच्चों का नाम मणिबेन पटेल, दह्याभाई पटेल था।

National Unity Day 2024 | सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा (Education)

उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। उनकी मृत्यु 15 दिसम्बर 1950 (उम्र 75) बॉम्बे राज्य, भारत में हुई थी। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न (1991) सम्मान से नवाजा गया।

गरीबी के बाद भी पढ़ाई से कोई समझौता नहीं किया

1893 में 16 साल की आयु में उनका विवाह झावेर बा के साथ कर दिया गया था। उन्होंने कभी अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के बीच में नहीं आने दिया। उन्होंने प्राइमरी शिक्षा कारमसद में ही प्राप्त की थी। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की, इसके बाद 1900 में जिला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिसके बाद उन्होंने वकालत की। सरदार पटेल ने गोधरा में वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी। 1902 में इन्होंने अपना वकालत का काम बोरसद में बदली कर लिया था जहां इन्होंने क्रिमिनल लॉयर के रूप में नाम कमाया।

क्या है राष्ट्रीय एकता दिवस (What is National Unity Day)? 

31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जाती है। भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को चिह्नित करने के लिए 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी डे या राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाया जाता है। इस वर्ष स्वतंत्रता सेनानी वल्लभभाई पटेल की 149 वीं जयंती है।

 31 अक्टूबर  सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को समर्पित है। सरदार पटेल, जिन्हें “लौह पुरुष” कहा जाता है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में 500से अधिक रियासतों का एकीकरण कर देश को एकजुट किया था। इसके महत्व को समझते हुए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी, “रन फॉर यूनिटी” जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लोगों को देश की एकता के महत्व को समझाने हेतु भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना है। देशभर में स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थानों में इस दिन से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही, यह दिन हमें भारत की विविधता में एकता और सरदार पटेल के योगदान की याद दिलाता है।

इस दिन सरकारी कार्यालयों में यह शपथ पढ़ी जाती है:

  • “मैं सत्यनिष्ठ शपथ लेता हूँ कि मैं देश की ऐक्य, आखण्ड्य और सुरक्षा को बनाए रखने हेतु स्वयं को समर्पित करता हूँ और इस सन्देश को अपने देशवासियों के बीच फैलाने हेतु भी अटल प्रयत्न करूंगा। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की भावना से लेता हूँ जो सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदृष्टि और कर्मों से सम्भव हुआ है। मैं अपने देश की आन्तरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अपना योगदान देने का भी दृढ़ संकल्प लेता हूँ।”

सरदार वल्लभ भाई पटेल को ‘लौह पुरुष’ और ‘सरदार’ क्यों कहा जाता है?

वर्ष 1947 में भारत को आजादी तो मिली लेकिन देश बिखरा हुआ था। भारत छोटे-बडे़ राजाओं के अंतर्गत राज्यों में बटा हुआ था।  ये उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति, नेतृत्व कौशल का ही कमाल था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 562 देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय कर, अखंड भारत का निर्माण किया। उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्यों की वजह से ही उन्हें लौह पुरुष और सरदार जैसे विशेषणों से नवाजा गया।

सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पहले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में ‘सरदार’ उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।

सरदार पटेल जी को जब मिली अपनी पत्नी की मृत्यु की सूचना 

कोर्ट में बहस चल रही थी। सरदार पटेल अपने मुवक्किल के लिए जिरह कर रहे थे, तभी एक व्यक्ति कागज़ में लिखकर उन्हें संदेश देता है। संदेश पढ़कर पटेल उस कागज को अपनी कोट की जेब में रख लेते हैं। उन्होंने जिरह जारी रखी और मुक़दमा जीत गए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उस कागज पर उनकी पत्नी झावेरबा की मृत्यु की खबर थी। जब अदालती कार्यवाही समाप्त हुई तब उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु की सूचना सबको दी। 

National Unity Day | किसानों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ किया आंदोलन

सरदार पटेल द्वारा आजादी की लड़ाई में अपना पहला योगदान खेड़ा संघर्ष में दिया गया, जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की। जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित किया। अंत में सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत दे दी गई।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्रवाई के ज़रिए हैदराबाद को भारत में मिलाया 

जिस समय ब्रिटिश भारत छोड़ रहे थे, उस समय यहाँ के 562 रजवाड़ों में से सिर्फ़ तीन को छोड़कर सभी ने भारत में विलय का फ़ैसला किया। ये तीन रजवाड़े थे कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद। हमेशा से ही 82,698 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की हैदराबाद रियासत की गिनती भारत के प्रमुख राजघरानों में होती थी जो कि इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के कुल क्षेत्रफल से भी अधिक थी।

निज़ाम, हैदराबाद के भारत में विलय के किस क़दर ख़िलाफ थे, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जिन्ना को संदेश भेजकर ये जानने की कोशिश की थी कि क्या वह भारत के ख़िलाफ़ लड़ाई में हैदराबाद का समर्थन करेंगे?

पटेल को अंदाज़ा था कि हैदराबाद पूरी तरह से पाकिस्तान के वश में है

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी सशक्त, मजबूत, निडर छवि को पेश करते हुए सैन्य कार्यवाही के माध्यम से हैदराबाद के निजाम से सरेंडर करवाया और हैदराबाद का हिंदुस्तान में विलय किया।

National Unity Day Special: जूनागढ़ का हिंदुस्तान में विलय करवाया

पटेल ने जूनागढ़ के दो बड़े प्रांत मांगरोल और बाबरियावाड़ पर सेना भेजकर कब्जा कर लिया और फिर नवंबर 1947 में भारत ने पूरे जूनागढ़ पर कब्जा कर लिया। बाद में जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया जिसमें 90% से अधिक जनता ने भारत के साथ रहने का फैसला किया। कश्मीर का मुद्दा जवाहरलाल नेहरु को दिया गया था जो आज तक सुलझ नहीं पाया। 

महात्मा गांधी के दबाव में नेहरू प्रधानमंत्री बने थे

कांग्रेस के लगभग सभी सदस्य वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री के रूप में चाहते थे। महात्मा गांधी अगर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में हस्तक्षेप न करते तो सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारतीय सरकार के अंतरिम प्रधानमंत्री होते। कांग्रेस चाहती थी कि देश की कमान पटेल के हाथों में दी जाए क्योंकि वे जिन्ना से बेहतर मोलभाव कर सकते थे, लेकिन गांधी जी ने नेहरू को चुना।

महात्मा गांधी ही थे जो नेहरू को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते थे। इसके बाद आचार्य कृपलानी को कहना पड़ा, ‘बापू की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं जवाहर लाल का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित करता हूं।’ यह कहते हुए आचार्य कृपलानी ने एक कागज पर जवाहर लाल नेहरू का नाम खुद से प्रस्तावित कर दिया था।

राजेन्द्र प्रसाद जैसे कुछ कांग्रेस नेताओं ने ज़रूर खुलकर कहा कि ‘गांधीजी ने ग्लैमरस नेहरू के लिए अपने विश्वसनीय साथी का बलिदान कर दिया’। महात्मा गांधी के दवाब के कारण पटेल ने भी मान लिया था नेहरू ही अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। बता दें, गांधी जी ने अध्यक्ष पद के लिए सरदार पटेल के नाम का प्रस्ताव नहीं दिया था। 

विश्व की सबसे ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी है

गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर (597 फीट) ऊंची लौह प्रतिमा (स्टैचू ऑफ यूनिटी) का निर्माण किया गया। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसे 31 अक्टूबर 2018 को देश को समर्पित किया गया। यहां सरदार म्यूजियम भी बन रहा है। इस म्यूजियम में पटेल से जुड़े 40,000 दस्तावेज़ और उनके करीब 2000 दुर्लभ फोटो देख सकेंगे।  मशहूर अमेरिकी पत्रिका टाइम ने विश्व के महानतम स्थानों की सूची में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को भी शामिल किया। 

National Unity Day पर जाने लौह पुरुष सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के विचार (Quotes & Thoughts)

  • “आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।”
  • “इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”
  • “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।”
  • “मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।”
  • “संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।”
  • “मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।”
  • “काम करने में ही जीवन की सार्थकता है, निष्क्रियता में नहीं।”
  • “मेहनत की कमाई ही असली संपत्ति है।”
  •  “जब तक इंसान के पास आत्मबल नहीं होता, वह कमजोर रहता है।”
  •  “मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है, कठिनाई और असफलता केवल अवसर होते हैं।”

    ये कथन उनके दृष्टिकोण और मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं।

वर्तमान में संत रामपाल जी है लौह पुरूष, जो कर रहे हैं अखंड भारत का निर्माण?

वर्तमान में ऐसे पुरुष है तत्वदर्शी बाखबर संत रामपाल जी महाराज जी। आइए जानते हैं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्य जिनसे अखंड भारत की नींव रखी जा रही है।

  • जातिवाद को खत्म कर मानव धर्म स्थापना कर रहे हैं।
  • सभी धर्मों के पवित्र सतग्रंथों से प्रमाणित करके सतभक्ति करवा कर मोक्ष प्राप्ति करवा रहे हैं।
  • नशा मुक्त समाज की स्थापना कर रहे हैं।
  • अमीर गरीब की खाई को मिटा रहे हैं।
  • दहेज रूपी कुरीति को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
  • कन्या भ्रूण हत्या निषेध है, बेटा बेटी के अंतर की खाई को मिटा रहे है।
  • समाज में शांति व भाईचारा स्थापित कर रहे हैं।
  • सामाजिक बुराइयों को समाप्त करके स्वच्छ समाज की स्थापना कर रहे हैं।
  • भ्रष्टाचार को खत्म कर रहे हैं।
  • निशुल्क पुस्तक सेवा के माध्यम से घर घर जाकर सदग्रंथों के ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं।
  • रक्तदान शिविरों के माध्यम से देश की सेवा कर रहे हैं।
  • कबीर परमेश्वर जी के वचनों पर आधारित सत्संगों के माध्यम से समाज के अंदर स्वच्छ और उच्च विचारों की स्थापना कर रहे हैं।
  • तत्वज्ञान से सभी प्रकार के धार्मिक दंगों और झगड़ों को समाप्त कर सशक्त भारत देश बना रहे हैं।
  • मांस भक्षण व जीव हिंसा पर सौ प्रतिशत रोक लगा रहे है।
  • सामाजिक बुराइयों को समाप्त कर स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं। 
  • विश्व को सतभक्ति देकर मोक्ष प्रदान करना मूल उद्देश्य है।
  • विश्व बंधुत्व और भाईचारा का निर्माण कर रहे हैं।
  • विश्व को एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रहे हैं।

अब वह दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान की पहचान एक विश्व गुरु, सर्व शक्तिशाली राष्ट्र और सोने की चिड़िया के रूप में फिर से की जाएगी। सभी से प्रार्थना है बहुचर्चित पुस्तक ‘ज्ञान गंगा को अवश्य पढ़ें। आप भी ज्ञान समझें, नाम दीक्षा लेकर, पूर्ण मर्यादा में रहकर सतभक्ति करें, अपना और अपने परिवार का कल्याण कराएं।

FAQs about National Unity Day 2024 (Hindi)

प्रश्न: राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर: राष्ट्रीय एकता दिवस प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है ।

प्रश्न: 31 अक्टूबर के दिन किस स्वतंत्रता सेनानी की जयंती है? 

उत्तर: 31 अक्टूबर को भारत के “लौह पुरुष” सरदार श्री वल्लभ भाई पटेल की जयंती है।

प्रश्न: सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन राष्ट्रीय एकता दिवस क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर: सरदार वल्लभ भाई ने 562 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया था। यही कारण है कि वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनाया जाता है।

प्रश्न: भारत के वर्तमान समाज सुधारक – “लौह पुरुष” कौन है ?

उत्तर: वर्तमान के वर्तमान लौह पुरुष तत्वदर्शी बाखबर संत रामपाल जी महाराज जी है ।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

International Men’s Day 2024: Empowering Men’s Health And Wellness

Last Updated on 13 November 2024 IST: International Men's Day 2024 falls annually on...

National Press Day 2024: Is the Fourth Pillar of Democracy Failing Its Duty?

National Press Day is observed annually to highlight the need for the independence of the press in a democratic nation. Know its History & Theme

Guru Nanak Jayanti 2024: Who was the Guru of Guru Nanak Sahib? See Proof in Guru Granth Sahib

Last Updated on 12 November 2024 IST | Guru Nanak Sahib is known as...
spot_img
spot_img

More like this

International Men’s Day 2024: Empowering Men’s Health And Wellness

Last Updated on 13 November 2024 IST: International Men's Day 2024 falls annually on...

National Press Day 2024: Is the Fourth Pillar of Democracy Failing Its Duty?

National Press Day is observed annually to highlight the need for the independence of the press in a democratic nation. Know its History & Theme