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Independence Day (Hindi): ‘अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान बनेगा आजादी की 75वी सालगिरह की पहचान

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Last Updated on 12 August 2022, 7:52 PM IST | Independence Day 2022 (Hindi) | भारत एक ऐसा देश है जहां हर धर्म, जाति, मज़हब के लोग रहते हैं। भारत लगभग 200 साल विदेशी शासन का गुलाम रहा। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, यही कारण था दूसरे देशों से लोग व्यापार करने के लिए भारत में आते थे। सिर्फ यही नहीं भारत के इतिहास पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि सोने की चिड़िया कहा जाने वाला यह देश बहुत बार लूटा भी गया। भारत सरकार ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर भारत के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को उजागर करने के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने की पहल की है। साथ ही हर नागरिक से आव्हान किया है कि वे अपने स्थानों पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराएं। तो चलिए जानते हैं भारत के इतिहास और इसकी स्वतन्त्रता के बारे में।

स्वतंत्रता दिवस का इतिहास (Independence Day History in Hindi)

17वीं शताब्दी में यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों का भारत में आगमन शुरु हो गया था। 18वीं शताब्दी के अंत तक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारत में अपने पैर पूरी तरह पसार लिए थे। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रितानी ताज (ब्रिटिश क्राउन) अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया। इस बीच भारत के लाल अपने से होने वाले छल को समझ चुके थे और भोली जनता को अनेकों माध्यम से जगाने और अपने अधिकार के लिए आगे आने के लिए कहने लगे। सन 1857 की क्रांति इसी अंसतोष और अंग्रेजों की दमनकारी नीति का परिणाम थी।

Independence Day in Hindi : इसी कड़ी में अनेकों आंदोलन हुए। महात्मा गांधी ने एक ओर जहां अहिंसा का मार्ग अपनाया। वहीं दूसरी ओर भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारी युवाओं ने उग्र नीति रखी। भारत माता के प्रेम में अनेकों वीर जवान फाँसी पर चढ़े। फिर सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया गया। बहुत से राजनैतिक उतार-चढ़ाव के पश्चात 1930 ई. के बाद ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक योजनाओं और गठबंधनों के बाद अंत में 1947 में स्वतंत्रता के समय तक ब्रिटिश सरकार पर राजनीतिक तनाव बढ़ता गया और इस उपमहाद्वीप के आनन्दोत्सव का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ। 

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस (Independence Day in Hindi)

भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ। लेकिन इसी के साथ भारत दो टुकड़ों में बंट गया, जिसका एक हिस्सा पाकिस्तान और एक भारत कहलाया। प्रत्येक वर्ष इस स्वन्त्रता दिवस (Independence Day in Hindi) को पूरे भारत में निष्ठा और उत्साह के साथ मनाया जाता है एवं शहीदों और भारत की आज़ादी में योगदान देने वालों को भावविभोर होकर याद किया जाता है। इस दिन को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आज़ादी का अमृत महोत्सव 

भारत सरकार ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर भारत के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को उजागर करने के दृष्टिकोण से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने की पहल की है। यह महोत्सव उन लोगों को समर्पित है, जिन्होंने भारत को आजाद करने, विकास करने, आधुनिक और शक्तिशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान को बताएगा। आधिकारिक तौर पर   “आज़ादी का अमृत महोत्सव” 12 मार्च, 2021 से 15 अगस्त, 2023 तक मनाया जाएगा। प्रधान मंत्री मोदी ने 12 मार्च, 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से ‘दांडी मार्च’ को हरी झंडी दिखाई और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का आरंभ किया। 

Independence Day in Hindi [2022] | हर घर तिरंगा योजना

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को मनाने के लिए हर घर तिरंगा अभियान प्रारंभ किया है। भारत देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को प्रभावी रूप से मनाने के लिए सभी भारत वासियों को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत अपने अपने स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से सोशल मीडिया अकाउंट में अपने डिस्प्ले फोटो (DP) को तिरंगे में बदलने का आव्हान किया है। इच्छुक नागरिक ‘Har Ghar Tiranga Abhiyan Registration’ कर सकते हैं। ‘Har Ghar Tiranga Abhiyan’ रजिस्ट्रेशन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी ऑफिशल वेबसाइट amritmahotsav.nic.in या harghartiranga.com पर जाकर अवलोकन कर सकते हैं और अपना पंजीयन कर सकते हैं।

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) क्यों महत्वपूर्ण है?

इस आज़ादी को हासिल करने के लिए बहुत क्रांतिकारियों, पार्टियों और समूहों में लोगों ने अलग अलग प्रकार से योगदान दिया। भारतवासियों ने विदेशी माल का बहिष्कार किया, लेखक वर्ग ने कलम से जनमानस में क्रांति की आग लगाई और क्रांतिकारी देश को आज़ाद करने की धुन में जान दांव पर लगाकर इस मुहिम में कूद पड़े। कई लोगों, नेताओं, क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। निश्चित ही वे योद्धा सम्मान के पात्र हैं जो जनमानस में अविस्मरणीय रहेंगे।

Independence Day in Hindi 2022: भारत की आज़ादी तो हम सभी ने प्राप्त कर ली, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम अभी भी आज़ाद नहीं हुए। जी हाँ, हम अभी भी आज़ाद नहीं हुए और हम अभी भी एक ऐसी जेल में हैं, जहाँ से बचकर निकलना बहुत मुश्किल है, वो जेल है काल भगवान की जेल।

Independence Day in Hindi 2022 Special: यो न देस तुम्हार

21 ब्रह्मांडों में पृथ्वी केवल एक ब्रह्मांड का, एक हिस्सा है, इस पृथ्वी पर कई काल्पनिक रेखाओं में देशों की सीमाएं बांटी गईं हैं। एशिया महाद्वीप में आने वाला भारत भी एक देश है। औपनिवेशिक शक्तियों के उपनिवेश बनने के बाद भारत सन 1947 में आजाद हुआ। हर वर्ष इसी आज़ादी का जश्न भारत 15 अगस्त को मनाता है। जानकर आश्चर्य होगा कि ये जश्न बस क्षणिक है। क्षणिक क्यों? क्या भारत फिर गुलाम होगा? क्या फिर औपनिवेशिक शक्तियां इस पर कब्जा करेंगी? नहीं असल में हम जो भौगोलिक जीत का जश्न मनाते हैं वह क्षणिक हैं।

■ Read in English: Independence Day of India (15 August): History, Quotes, Significance

आमतौर पर लोग कहते हैं मरना तो सभी को है पर देश तो अमर है। लेकिन नहीं! कुछ भी स्थाई नहीं है। ये 21 ब्रह्मांड भी स्थाई नहीं हैं। और हम भी अस्थाई हैं। जानकर आश्चर्य होगा कि इन 21 ब्रह्मांड में हमारा वास्तविक घर नहीं है। हमारा देश नहीं है। फिर हमारा देश कौन सा है? जीवात्मा कभी नहीं मरती। वह यहीं भिन्न भिन्न योनियों में चक्कर काटती है। यह अपने वास्तविक स्थान तब जा पायेगी जब इसे तत्वदर्शी सन्त से रास्ता पता होगा। कहाँ है वो स्थान?

कई अशंखों दूर है अपने पिया का देस

यदि हमारा देश भारत नहीं तो कौन सा है? मनुष्य जीवन में हमारा देश हमारे लिए भारत है। कभी सोचा है कि अन्य योनियों जैसे गधे, कुत्ते या कीड़े मकोड़ों की योनि में हमें किसी भी देश से भला कितना मतलब रह जायेगा? तब हम नहीं जानेंगे किसी दिवस के बारे में और न ही हमारे पास तब इतना अनमोल मनुष्य जन्म होगा जिसमें हम भक्ति करके अपने पूज्य परमेश्वर के लोक यानी हमारे अपने लोक सतलोक में वापस जा सकें। वही हमारा असली घर है। सतलोक में जाने के बाद जीव का मृत्यु एवं जन्म चक्र समाप्त हो जाता है। सतलोक में न बुढ़ापा है, न दुख, न ही असुविधाएं, बीमारियां हैं। सदैव प्रसन्नता एवं बिना कर्म किये फल प्राप्ति केवल सतलोक में होती है। वहाँ सुख का इतना नशा है कि हम पृथ्वी लोक को पुनः याद तक नहीं करते। लेकिन वहाँ तक पहुंचने का रास्ता अत्यंत ही दुर्गम है उस दुर्गम रास्ते से केवल सच्चा सतगुरु यानी तत्वदर्शी सन्त ही हमें पार करा सकता है।

कौन है काल तथा क्या है काल की जेल?

अब आप सोच रहे होंगे यह काल कौन है, जिसकी जेल में हम सब बन्द हैं जो 21 ब्रह्मांडों का स्वामी है। वास्तव में यही तीन गुण युक्त देवो ब्रह्मा, विष्णु और शिव का पिता है। काल को ब्रह्म, ज्योतिनिरंजन, क्षर पुरुष भी कहते हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 16 व 17 में भी कहा गया है कि दो प्रभु इस लोक में हैं, एक क्षर पुरुष अर्थात् ब्रह्म, दूसरा अक्षर पुरुष अर्थात् परब्रह्म। ये दोनों प्रभु तथा इनके लोक में सर्व प्राणी तो नाशवान हैं, वास्तव में अविनाशी तथा तीनों लोकों में प्रवेश करके सर्व का धारण-पोषण करने वाला परमेश्वर परमात्मा तो उपरोक्त दोनों भगवानों से भिन्न है।

फिर हम यहां क्यों और कैसे आये?

इस पृथ्वी से सोलह शंख कोस की दूरी पर हम आत्माओं का निजस्थान है, जिसका नाम है सतलोक। सतलोक में न बुढापा है ना जन्म और न ही मरण, न कोई दुख, न किसी वस्तु का अभाव है। ऐसे स्थान में हम रहते थे। ज्योति निरंजन ने पूर्ण परमेश्वर से 21 ब्रह्मांड तप करके प्राप्त किये और उसने हमें अपने साथ आने का लालच दिया और हम उसके साथ आ गए।

काल ने कुकृत्य किये और उसे पूर्ण परमेश्वर से श्राप मिला कि व एक लाख मानवधारी जीवों का प्रतिदिन भक्षण करेगा और सवा लाख जीव प्रतिदिन पैदा करेगा और बस इसी कारणवश हम यहीं कर्मबंधन में बंधे हुए काल का भोजन हैं। हमारा जन्म-मृत्यु होता है और हम कर्मानुसार विभिन्न पशु योनियों में भी जाते हैं। यहाँ से मुक्त होना बिना तत्वदर्शी सन्त के असम्भव है।

आखिर काल भगवान की जेल से कैसे आज़ाद हो सकते हैं?

अब सवाल उठता है कि काल भगवान की जेल से कैसे निकला जा सकता है। यहां से निकलना सम्भव मात्र शास्त्रों में बताई साधनाओं से सम्भव है। लेकिन ये साधनाएं बिना तत्वदर्शी सन्त के सम्भव नहीं। एक तत्वदर्शी सन्त, गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में दिए सांकेतिक मन्त्रों को वास्तविक रूप में दे सकता है। गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में भी गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी सन्त को ढूंढने के लिए कहा है।

पूर्ण गुरु की क्या पहचान है?

सच्चे गुरु की पहचान हमारे ही सद्ग्रन्थों में बताई गई है। कितनी अजीब बात है हम शिक्षित होते हुए भी अपने धर्म ग्रन्थ नहीं पढ़ते, बस जो हम दुनिया मे आडम्बर होते देखते हैं उन्हें अपना लेते हैं। चलिए जानते हैं आखिर सच्चे संत की क्या पहचान है।

  • यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25 व 26 में लिखा है कि पूर्ण संत वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा।
  • वह संत सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के सभी देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है, जिसकी बताई साधना से सर्व दुःख दूर हो सकते हैं।
  • तत्वदर्शी संत के विषय में गीता अध्याय 4 श्लोक नं. 34 में कहा है तथा गीता अध्याय नं. 15 श्लोक नं. 1 व 4 में तत्वदर्शी सन्त की पहचान बताई है कि वो संत उल्टे लटके हुए पेड़ के सभी भागों को वेदों के अनुसार बता सकेगा।
  • आदरणीय श्री नानक साहेब ने भी अपनी वाणी में पूर्ण गुरु की पहचान बताई है।
  • भक्तिकाल के महान सन्त आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज ने भी अपनी वाणी में कहा कि वो सच्चा संत चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
  • श्रीमद्भागवत गीता जी में “ओम, तत्, सत्” का प्रमाण है। श्रीमद्भागवत गीता में गीता ज्ञान दाता कहता है कि उस परमात्मा को हासिल करने का तीन मंत्रो का प्रमाण है। गीता ज्ञान दाता कहता है कि तू सच्चे संत की तलाश करके उससे इन मंत्रों को हासिल कर। फिर उस सच्चे गुरु की बताई साधना से ही पूर्ण मोक्ष होगा।
  • पूर्ण संत का वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ नं. 265 बोध सागर में मिलता है। पूर्ण संत तीन स्थिति में सार नाम प्रदान करता है तथा चौथी स्थिति में सार शब्द प्रदान करता है। यह उस सच्चे संत की पहचान है।
  • कबीर साहेब ने धर्मदास को बताया था कि मेरा संत सतभक्ति बतायेगा लेकिन सभी संत व महंत उसके साथ झगड़ा करेंगे। यही सच्चे संत की पहचान होगी।

जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै, वाके संग सभि राड़ बढ़ावै |

या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी ||

सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद |

चार वेद षट शास्त्र, कहे अठारह बोध ||

सतभक्ति करने के लिए पूर्ण गुरु की आवश्यकता होती ही है और वर्तमान समय में इन ब्रह्मांडों में केवल एकमात्र पूर्ण तत्वदर्शी सन्त हैं, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज। उनके बताए अनुसार भक्ति करें और पूर्ण परमात्मा से लाभ प्राप्त करें। इससे यह जन्म तो सुख से गुजरेगा साथ ही आपको इस काल की जेल से स्वतंत्रता भी मिलेगी। वह वास्तविक स्वतंत्रता होगी। यह संसार तो एक जेल है यहाँ सभी प्राणी फंसे हुए हैं, असली आज़ादी तो इस काल की जेल से छूटने के बाद हासिल होगी। आइए इस स्वतंत्रता दिवस पर हम अग्रसर हों वास्तविक स्वतंत्रता की ओर और पाएं पूर्ण मोक्ष।

FAQs About Independence Day in Hindi

प्रश्न: 15 अगस्त 2022 को भारत में कौन सा स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा ?

उत्तर: 15 अगस्त 2022 को भारत में 76वा स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा ।

प्रश्न: 15 अगस्त 2022 को, आजादी की कितनी वर्षगांठ मनाई जाएगी?

उत्तर: 15 अगस्त 2022 के दिन आजादी की 75वी वर्षगांठ मनाई जाएगी। 

प्रश्न: भारत किस दिन आजाद हुआ ?

उत्तर: भारत को 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से 200 साल के बाद लंबे संघर्ष से आजादी मिली। 

प्रश्न: 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है ? 

उत्तर: 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्‍त को जापान की सेना ने ब्रिटेन के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया था। माउंटबेटन की अगुवाई में हुए इस समर्पण के कारण उन्होंने इस दिन को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में चयनित किया। 

प्रश्न: स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है ?

उत्तर: स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के प्रधान मंत्री, लाल किले पर ध्वजारोहण करते है। सभी सैन्य बलों और दिल्ली पुलिस की  परेड होती है। 21 तोपो की सलामी दी जाती  है। इसके बाद राष्ट्रगान होता है। सभी सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजन किये जाते है। 

प्रश्न: स्वतंत्रता दिवस का क्या महत्व है ?

उत्तर: यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता के संघर्ष को याद दिलाता है, उन शूरवीरों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी। अपने वीरों को श्रद्धांजलि देने और आगे के विकास के बारे में मंथन करने के लिए स्वतंत्रता दिवस का अपना ही महत्व है। 

‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान क्या है? 

भारत सरकार ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर भारत के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को उजागर करने के दृष्टिकोण से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने की पहल की है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को मनाने के लिए हर घर तिरंगा अभियान प्रारंभ किया है। इच्छुक नागरिक ‘Har Ghar Tiranga Abhiyan Registration’ कर सकते हैं। ‘Har Ghar Tiranga Abhiyan’ रजिस्ट्रेशन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी ऑफिशल वेबसाइट amritmahotsav.nic.in या harghartiranga.com पर जाकर अवलोकन कर सकते हैं और अपना पंजीयन कर सकते हैं।

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