Last Updated on 28 November 2025 | National Pollution Control Day 2025 [Hindi]: हर वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य केवल वायु, जल, मृदा और ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरूक करना ही नहीं, बल्कि यह भी याद करना है कि मानव लापरवाही किस हद तक विनाशकारी साबित हो सकती है।
2 दिसंबर 1984 की रात हुई “भोपाल गैस त्रासदी” – दुनिया की सबसे दुखद औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक ने लगभग 5 लाख लोगों को प्रभावित कर दिया था और हजारों जानें चली गईं। आज भी यह हादसा हमें चेतावनी देता है कि पर्यावरणीय सुरक्षा की अनदेखी भविष्य के लिए कितना गंभीर खतरा बन सकती है।
प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो पूरे विश्व में अपने पैर पसार रही है। भारत भी इस समस्या से अछूता नहीं है। वर्तमान में दिल्ली- एनसीआर (Delhi-NCR) में तो प्रदूषण के कारण आसमान में धुंध ही धुंध है। आम लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। प्रदूषण के कारण लोगों को एलर्जी, आंखों में जलन, खांसी, गले में खराश और फेफड़ों से जुड़ी कई तरह की परेशानियां हो रही हैं। आमतौर पर लोग आउटडोर पॉल्यूशन को ही प्रदूषण मानते हैं क्योंकि ये उन्हें दिखता भी है और इसका दुष्प्रभाव भी वो महसूस कर पाते हैं। इस लेख के माध्यम से जानेंगे प्रदूषण से जुड़ी पूरी जानकारी।
2025 में प्रदूषण एक वैश्विक चुनौती बन चुका है, और भारत के कई बड़े शहर जैसे दिल्ली-NCR, पटना, लखनऊ और मुंबई- अब भी प्रदूषण की वजह से सांस लेने लायक हवा के लिए जूझ रहे हैं।
National Pollution Control Day 2025 (Hindi): प्रदूषण व प्रकार
जब जल, वायु, मिट्टी आदि पारिस्थितिक तंत्रों में आवांछित तत्वों का स्तर, सामान्य स्तर से अधिक हो जाता हैं, उसे प्रदूषण कहते है। प्रदूषण का दुष्प्रभाव सर्व जीव जंतुओं पर पड़ता हैं। जिस वजह से सम्पूर्ण सजीवों का अस्तित्व संकट में पड़ जाता हैं। वर्तमान मानवीय कृत्यों के परिणामस्वरूप प्रदूषण के स्तर में दिनों दिन वृद्धि हो रही है। प्रदूषण की वजह से पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से आज देश के अनेक राज्यों में मानव अस्तित्व खतरें में पड़ गया है। प्रदूषण के कारक तत्वों के आधार पर मुख्यतः प्रदूषण को चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है :
- जल प्रदूषण: नदियों में औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज और प्लास्टिक कचरे का प्रवाह जल की गुणवत्ता को तेज़ी से खराब कर रहा है। नैशनल वॉटर क्वालिटी रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत की 70% नदियाँ प्रदूषण के उच्च स्तर पर पहुँच चुकी हैं।
- मृदा प्रदूषण: रासायनिक खादों, कीटनाशकों और औद्योगिक कचरे के कारण कृषि भूमि की गुणवत्ता क्षीण हो रही है, जिसके असर खाद्य सुरक्षा पर दिख रहे हैं।
- वायु प्रदूषण: वाहनों, उद्योगों, निर्माण-ध्वंस, फसल जलाने आदि से उत्सर्जित धूलकण और गैसें आज सबसे बड़ा संकट बनी हुई हैं। WHO के अनुसार 2025 तक वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- ध्वनि प्रदूषण: तेज़ वाहनों, मशीनरी, विवाह समारोहों और औद्योगिक गतिविधियों के कारण ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए नया खतरा बनकर उभरा है।
मानवीय कृत्यों का ही परिणाम है कि गत वर्षों में, सरकार के अनेक प्रयत्नों के बावजूद, प्रदूषण के स्तर में सुधार संभव नहीं हो पाया है। औद्योगिक गतिविधि, तेलों के अंधाधुंध उपयोग, अनुचित अपशिष्ट निपटान के कारण ही वर्तमान में प्रदूषण के स्तर में इतनी वृद्धि हुई है।
National Pollution Control Day 2025 पर जाने प्रदूषण के दुष्प्रभाव
प्रदूषण सजीवों के लिए भविष्य में सबसे बड़ा संकट बन सकता है। जीवधारियों का अस्तित्व प्रदूषण के कारण समाप्त भी हो सकता है। प्रदूषण के दुष्प्रभाव के कारण ही मनुष्यों व अन्य जीवधारियों में अनेकों रोग उत्पन्न हो रहे हैं। श्वसन, हृदय, तंत्रिका तंत्र सहित शरीर के अन्य भागों में भी प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसके साथ ही कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारक प्रदूषण ही है। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए शोध में पाया गया है कि प्रदूषण का दुष्प्रभाव मानव की जीवन प्रत्याशा पर भी दिखाई पड़ता है।
2025 की वैज्ञानिक रिपोर्टों के अनुसार प्रदूषण के दुष्प्रभाव :
- फेफड़ों की बीमारियों में 30% वृद्धि
वायु गुणवत्ता खराब होने से दमा, COPD, फेफड़ों में संक्रमण और कैंसर तक के मामले बढ़े हैं।
- हृदय रोगों में बढ़ोतरी
अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा 20–25% तक बढ़ गया है।
- बच्चों की वृद्धि पर प्रभाव
प्रदूषित पर्यावरण में रहने पर बच्चों की सांस संबंधी समस्याएँ और विकास दर प्रभावित होती है।
- जीवन प्रत्याशा में कमी
2025 की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा औसतन “2 से 3 वर्ष तक कम” हो रहा है।
National Pollution Control Day 2025 | प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
जन साधारण की जागरूकता से प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है। प्रदूषण के रोकथाम के लिए सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की मदद ली जा सकती है। एक बड़े स्तर पर करने की बजाय, सभी को अपने अपने स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रयास करना चाहिए।
अन्य प्रभावी उपाय:-
1.व्यक्तिगत स्तर पर
- निजी वाहन के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग
- पेड़ लगाने और जल संरक्षण में भागीदारी
- प्लास्टिक उपयोग में कमी
- घरेलू कचरे का उचित निपटान
2. सामुदायिक स्तर पर
- लोकल स्तर पर वेस्ट मैनेजमेंट कार्यक्रम
- वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था
- स्वच्छ ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में भागीदारी
3. सरकारी स्तर पर
- स्मार्ट एयर मॉनिटरिंग सिस्टम
- नदी पुनर्जीवन मिशन
- सख्त उद्योग मानक और प्रदूषण नियंत्रण नियम
- इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का महत्व (Importance)
प्रदूषण के निराकरण, नियंत्रण और प्रतिरक्षा के लिए किए जाने वाले उपायों के प्रति जागरूक करने हेतु, प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का एक मुख्य कारण और भी है। सन 1984 में, भोपाल गैस त्रासदी में जान गवाने वाले लोगों की याद में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस, 2 दिसंबर को मनाया जाता है। 2-3 दिसंबर 1984 की रात को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मानव इतिहास की सबसे विशाल गैस त्रासदी हुई थी। यूनियन कार्बाइड कंपनी लिमिटेड से लगभग 30 टन मिथाईल आइसोसाइनाइट नामक जहरीली गैस के रिसाव के कारण भोपाल के 5 लाख प्रभावित हुए और 4000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवाई थी। यही कारण है की आज भी उनकी याद में यह दिवस मनाया जाता है।
National Pollution Control Day Aim (Hindi) | राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस उद्देश्य
पर्यावरण संरक्षण के नियमों के बारे में जागरूकता बढ़ाना
नागरिकों को हवा, पानी और मिट्टी की सुरक्षा के उपायों के प्रति सचेत करना
पूर्व की त्रासदियों से सीख लेकर भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकना
स्वच्छ तकनीक और पर्यावरण-अनुकूल व्यवहार को बढ़ावा देना
इस दिवस का नेतृत्व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा किया जाता है, जिसकी स्थापना 1974 में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के तहत हुई थी।
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लोगों को प्रदूषण से निपटने के लिए कारगर उपायों की जानकारी देना भी राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का मूल उद्देश्य है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रदूषण नियंत्रण नियम व कानूनों से परिचित कराना भी है। यही कारण है की सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को महत्व दिया जाता है।
सामाजिक प्रदूषण: पर्यावरण से भी बड़ा खतरा
2025 में सिर्फ भौतिक प्रदूषण ही नहीं, बल्कि सामाजिक प्रदूषण भी एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
सामाजिक प्रदूषण का अर्थ उन बुराइयों से है जो मानव समाज को भीतर से खोखला कर रही हैं:
- नशा
- दहेज
- भ्रूण हत्या
- भ्रष्टाचार
- जातिवाद
- हिंसा
- मांसाहार आधारित क्रूरता
- पाखंडवाद
- सामाजिक असमानताएँ
समाज में इन बुराइयों के कारण रोज़ाना आपसी द्वेष, अपराध, तनाव और अव्यवस्था बढ़ती जा रही है।
कैसे खत्म होगा सामाजिक प्रदूषण
भौतिक प्रदूषण का निराकरण तो मानवीय प्रयासों से संभव है। परंतु सामाजिक प्रदूषण का निराकरण मानवीय प्रयासों से नही हो सकता। सामाजिक प्रदूषण का निराकरण सिर्फ आध्यात्मिकता से हो सकता है। एक सच्चे आध्यात्मिक सतगुरु ही मानव समाज में व्याप्त बुराइयों को जड़ से समाप्त कर सकते हैं। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही एक मात्र संत है जो सामाजिक बुराइयों को समाज से मिटाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। संत रामपाल जी महाराज जी का मूल उद्देश्य, सर्व मानव को बुराइयों से मुक्त कर, सतभक्ति देकर मोक्ष प्रदान करना है। संत रामपाल जी महाराज जी समाज सुधार में अहम भूमिका निभा रहे है। सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के मुख्य उद्देश्य है :
1.विश्व को सतभक्ति देकर मोक्ष प्रदान करना ।
2. भारत से दहेज रूपी रावण को जड़ से उखाड़ फेंकना ।
3. नशा मुक्त भारत बनाना ।
4. मांसाहार मुक्त भारत बनाना ।
5. भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना।
6. मानव समाज से पाखंडवाद को खत्म करना ।
7. मानव समाज से जाति-पाति के भेद को मिटाना ।
8. मानव समाज से भ्रूण हत्या समाप्त करवाना ।
9. मानव समाज में शांति व भाईचारा स्थापित करना ।
10. मानव समाज से सामाजिक बुराईयों को खत्म करके धरती को स्वर्ग बनाना ।
11. मानव समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागृति लाना।
मनुष्य जीवन अति दुर्लभ है। यह बार बार नही मिलता। संत रामपाल जी महाराज वास्तविक सतगुरु है। संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा प्रदान की गई भक्ति से ही मोक्ष संभव है। संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर जल्द से जल्द अपना मानव जीवन सफल बनाए।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 2025: पर्यावरण संरक्षण के साथ सामाजिक-आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग
2025 में प्रदूषण केवल भौतिक वातावरण को ही नहीं, बल्कि मानव मन और समाज को भी प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा संकट बन चुका है। वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए तकनीक, नीतियाँ और जनभागीदारी आवश्यक हैं, लेकिन उससे भी गंभीर सामाजिक प्रदूषण- जैसे “नफ़रत, हिंसा, नशा, अंधविश्वास और नैतिक पतन” को समाप्त करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान ही वास्तविक समाधान है।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान किया गया शास्त्र-अनुकूल आध्यात्मिक तत्वज्ञान मनुष्य को उसके वास्तविक उद्देश्य से परिचित कराता है। वे बताते हैं कि मनुष्य जीवन अत्यंत दुर्लभ है और इसका असली लक्ष्य केवल भौतिक उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, सद्गुणों का विकास और मोक्ष की प्राप्ति है।
वेद, गीता एवं अन्य ग्रंथों के प्रमाणों के आधार पर वे स्पष्ट करते हैं कि समाज में फैल रहे प्रदूषण का मूल कारण अज्ञान और सतगुरु-रहित जीवन है। जब व्यक्ति सही मार्गदर्शन के अनुसार जीवन जीना शुरू करता है, तो उसका आचरण, सोच और व्यवहार शुद्ध होता है- जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित होता है और समाज भी सुंदर बनता है।
जो व्यक्ति जीवन में शांति, नशा-मुक्ति, पारिवारिक सद्भाव और मोक्ष की साधना चाहता है, वह संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सकता है।
FAQ’s about National Pollution Control Day
उत्तर : प्रदूषण के निराकरण, नियंत्रण और प्रतिरक्षा के लिए किए जाने वाले उपायों के प्रति जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते है। भोपाल गैस त्रासदी में जान गवाने वाले लोगों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को इस दिवस को मनाया जाता है।
उत्तर : भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 2 दिसंबर को मनाया जाता है ।
उत्तर : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) का गठन जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अधीन सितंबर, 1974 में किया गया था।
उत्तर : मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से सामाजिक प्रदूषण समाप्त किया जा सकता है ।
उत्तर : वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी, विश्व में एक मात्र संत है जो सामाजिक प्रदूषण दूर के लिए प्रयासरत है।



