Munshi Premchand Jayanti 2023 [Hindi] | (मुंशी प्रेमचंद जयंती): ‘गोदान’ उपन्यास के रचयिता प्रेमचंद के बारे में जाने सम्पूर्ण जानकारी

spot_img

प्रेमचंद्र का जन्म (Munshi Premchand Jayanti in Hindi) 31 जुलाई 1880 के दिन वाराणसी के एक गांव के डाक मुंशी अजायब लाल के घर पर हुआ था। उनकी मां आनंदी देवी एक सुघढ़ और सुंदर शख्सियत वाली महिला थीं। उनके दादा जी मुंशी गुरुसहाय लाल पटवारी थे। इस साल उनकी जयंती पर 31 जुलाई को लमही में मुंशी प्रेमचंद को पुष्पांजलि के बाद प्रभातफेरी, विद्वानों का सम्मान और प्रेमचंद की रचनाओं का मंचन व लोकगायन होगा।

प्रेमचंद का पारिवारिक जीवन (Life of Munshi Premchand)

Munshi Premchand Jayanti 2023 [Hindi] | प्रेमचंद्र का मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। कायस्थ कुल के प्रेमचंद्र का बचपन खेत खलिहानों में बीता था। उन दिनों उनके पास मात्र छः बीघा जमीन थी। परिवार बड़ा होने के कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जीवन के अंतिम दिनों में वह जलोदर रोग से बुरी तरह से ग्रस्त हो गये थे। दिनांक 8 अक्टूबर 1936 को उनका देहांत हो गया।

प्रेमचंद की शिक्षा और संघर्ष (Struggle & Education of Munshi Premchand)

प्रेमचंद को पढ़ने का बहुत शौक था। उनकी ख्वाहिश वकील बनने की थी, लेकिन गरीबी और अभाव से जूझते हुए उन्होंने जैसे-तैसे मैट्रिक की पढ़ाई की। इसके लिए भी उन्हें प्रतिदिन कई मील नंगे पांव चलकर वाराणसी शहर आना पड़ता था। प्रतिदिन पैदल चलकर समय खराब करने के बजाय प्रेमचंद ने शहर में ही एक वकील के घर पर ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। वहीं उन्हें एक छोटा सा कमरा भी मिल गया था। ट्यूशन से जो पांच रूपये मिलते थे, उसमें से तीन रुपये घरवालों को देते और शेष दो रुपये अपने खर्च के लिए रखते थे। मैट्रिक पूरा करने के पश्चात प्रेमचंद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषय के साथ ग्रेजुएशन पूरा किया।

साहित्य क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद का योगदान एवम स्थान

Munshi Premchand Jayanti 2023 [Hindi] | प्रेमचंद का वास्तविक नाम ‘धनपत राय श्रीवास्तव’ था। वे अपनी ज्यादातर रचनाएं उर्दू में ‘नबावराय’ के नाम से लिखते थे। 1909 में कानपुर के जमाना प्रेस में प्रकाशित उनकी पहली कहानी-संग्रह ‘सोजे वतन’ की सभी प्रतियां ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर ली थी। भविष्य में ब्रिटिश सरकार की नाराजगी से बचने के लिए ‘जमाना’ के संपादक मुंशी दया नारायण ने उन्हें सलाह दी कि वे नवाब राय नाम छोड़कर नये उपनाम प्रेमचंद के नाम से लिखें, इससे अंग्रेज सरकार को भनक भी नहीं लग पायेगी। उन्हें यह नाम पसंद आया और रातों रात नवाब राय प्रेमचंद बन गये। यद्यपि उनके बहुत से मित्र उन्हें जीवन-पर्यन्त ‘नवाब राव’ के नाम से ही सम्बोधित करते रहे।

प्रेमचंद को कैसे मिली उपन्यास सम्राट की उपाधि?

वणिक प्रेस के मुद्रक महाबीर प्रसाद पोद्दार अकसर प्रेमचंद की रचनाएं बंगला के लोकप्रिय उपन्यासकार शरद बाबू को पढ़ने के लिए दे देते थे। एक दिन महाबीर प्रसाद पोद्दार शरद बाबू से मिलने उनके आवास पर गये। उस समय शरद बाबू प्रेमचंद का कोई उपन्यास पढ़ रहे थे। पोद्दार बाबू ने देखा कि प्रेमचंद के उस उपन्यास के एक पृष्ठ पर शरद बाबू ने प्रेमचंद्र नाम के आगे उपन्यास सम्राट लिख रखा था। बस उसी दिन से प्रेमचंद के नाम के आगे ‘उपन्यास सम्राट’ लिखना शुरू हो गया।

■ यह भी पढ़ें: Sant Kabir Das Biography (Hindi) | परमेश्वर कबीर साहेब जी संत कबीर दास नाम से क्यों विख्यात हैं? जानिए रहस्य

Munshi Premchand Jayanti in Hindi | प्रेमचंद जी की साहित्यक विशेषताये

प्रेमचंद ने अपनी अधिकांश रचनाओं में आम व्यक्ति की भावनाओं, हालातों, उनकी समस्याओं और उनकी संवेदनाओं का बड़ा मार्मिक शब्दांकन किया। वे बहुमुखी प्रतिभावान साहित्यकार थे। वे सफल लेखक, देशभक्त, कुशलवक्ता, जिम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, संपादकीय, संस्मरण और अनुवाद जैसी तमाम विधाओं में साहित्य की सेवा की, किन्तु मूलतः वे कथाकार थे। 

मुंशी प्रेमचंद के बारे में रोचक तथ्य (Facts About Munshi Premchand)

  • प्रेमचंद का उपन्यास गोदान, जिसे सबसे महान हिंदी उपन्यासों में से एक माना जाता है, जातिगत भेदभाव, गरीबों और महिलाओं के शोषण के विषयों से संबंधित है.
  • साहित्य अकादमी ने 2005 में प्रेमचंद फैलोशिप की शुरुआत की। यह पुरस्कार सार्क देशों के संस्कृति के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को दिया जाता है। 
  • प्रेमचंद ने कुछ समय के लिए एक किताबों की दुकान में सेल्स बॉय के रूप में भी कार्य किया था क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उन्हें और किताबें पढ़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने 300 से अधिक लघु कथाएँ, 14 उपन्यास, निबंध, पत्र, नाटक और अनुवाद लिखे। 
  • प्रेमचंद ने बच्चों को लेकर भी किताबें लिखी जिनमें“जंगल की कहानियां” और “राम चर्चा” उनकी प्रसिद्ध कृतियों में से हैं। प्रेमचंद की पहली साहित्यिक कृति गोरखपुर में कभी प्रकाशित नहीं हुई। 
  • मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की याद में एक पट्टिका उस झोपड़ी में स्थापित की गई थी जिसमें वे 1916 से 1921 तक गोरखपुर में रहे थे। यह असाधारण व्यक्ति को ‘उपन्यासों के सम्राट’ के रूप में वर्णित करता है। 

हिन्दी और उर्दू में सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक

Munshi Premchand Jayanti 2023 [Hindi] | प्रेमचंद एक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा।

प्रेमचंद की कुल रचनाये | (Books of Munshi Premchand)

उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हज़ारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की।

प्रेमचंद के उपन्यास (Novels of Munshi Premchand)

प्रेमचंद जी के कुछ मशहूर उपन्यासों में गोदान, गबन, सेवासदन, रंगभूमि प्रेमाश्रय, कर्मभूमि, कायाकल्प, निर्मला, कफ़न, पूस की रात, मंगलसूत्र, पंच परमेश्वर, पंचलेट, बड़े घर की बहू, दो बैलो की कथा आदि हैं।

क्या है मनुष्य का मूल कर्त्तव्य? 

प्रेमचंद जी ने आपने मानव जीवन में वह प्राप्त नही किया जिसके लिए उन्हें मानव जीवन मिला था। मनुष्य जीवन का मूल कर्त्तव्य पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करना है। इस भक्ति के करने के साथ साथ व्यक्ति को अपना पेट पालने के लिए जो कर्म करना होता है, वह भी करना चाहिए। लेकिन परमात्मा को भूलकर यदि कोई सिर्फ अपने जीवन यापन को अपना लक्ष्य बना लेता है तो ये उसकी भूल है।

कबीर साहेब जी ने बताया कि

मानव जन्म पाय कर, जो नही रटे हरि नाम।

जैसे कुआं जल बिन, बनवाया किस काम।।

अर्थात मनुष्य जन्म बिना भक्ति के वैसे ही है जैसे एक कुआं बिना पानी के होता है। वह कुआं तो है लेकिन पानी नहीं होने से उसमें गुण कुएं के नहीं है अर्थात उसका कोई भी फायदा नहीं है। वर्तमान में पूर्ण परमात्मा की भक्ति की सही विधि संत रामपाल जी महाराज के द्वारा उजागर की गई है। उनसे नाम दीक्षा लेने पर संसार में रहते रहते तो सब सुख सुविधाएं उपलब्ध होती ही है साथ ही साथ यहां से जाने के बाद भी पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप भी उनके ज्ञान को समझ कर जल्दी से जल्दी उनसे नाम दीक्षा ले।

FAQ about Munshi Premchand Jayanti 2023 [Hindi]

प्रश्न- मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई सन 1880 में लमही बनारस उत्तरप्रदेश में हुआ।

प्रश्न- प्रेमचंद जी उपन्यास सम्राट की उपाधि किसने दी?

उत्तर- उन्हें यह उपाधि बंगाली लेखक शरत बाबू ने दी।

प्रश्न- मुंशी प्रेमचंद जी के माता पिता का क्या नाम था?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद जी के पिता जी का नाम मुंशी अजायब लाल व माता का नाम आनंदी देवी था ।

प्रश्न -मुंशी प्रेमचंद जी ने कुल कितने उपन्यास, कहानी व लेख लिखे?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद जी ने 15 उपन्यास, 300 कहानी, 3 नाटक व हज़ारो पृष्ट लेख लिखे।

प्रश्न-अंग्रेजी सरकार ने प्रेमचंद जी की कौनसी कहानियां जब्त की?

उत्तर – अंग्रेजी सरकार ने प्रेमचंद जी की सोजे बतन को जब्त किया था।

प्रश्न- मुंशी प्रेमचंद जी की प्रथम फ़िल्म कौन सी थी?

उत्तर – मुंशी प्रेमचंद जी की प्रथम फ़िल्म मिल मज़दूर थी।

प्रश्न – मुंशी प्रेमचंद जी की मृत्यु कब, कहाँ और कैसे हुई?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद जी की मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 को बनारस में, जलोदर बीमारी से हुई।

Latest articles

International Labour Day 2024: Know the Events That Led to the Formulation of International Labour Day

Last Updated on 1 May 2024 IST | International Labour Day 2024: Several nations...

International Labour Day Hindi [2024] | कैसे हुई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत, क्या है इसका महत्व?

Last Updated on 1 May 2024 IST | अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day...

AstraZeneca Admits Covishield Linked to Rare Blood Clotting Disorder

In a startling disclosure, AstraZeneca has admitted that its COVID vaccine, Covishield, might lead...

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 30 April 2024 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...
spot_img

More like this

International Labour Day 2024: Know the Events That Led to the Formulation of International Labour Day

Last Updated on 1 May 2024 IST | International Labour Day 2024: Several nations...

International Labour Day Hindi [2024] | कैसे हुई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत, क्या है इसका महत्व?

Last Updated on 1 May 2024 IST | अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day...

AstraZeneca Admits Covishield Linked to Rare Blood Clotting Disorder

In a startling disclosure, AstraZeneca has admitted that its COVID vaccine, Covishield, might lead...