MIG 21 Crash in Rajasthan: भारतीय लड़ाकू विमान Mig-21 हुआ फिर से दुर्घटनाग्रस्त

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MIG 21 Crash in Rajasthan: मिग-21 को मिकोयान गुरेविच भी कहते हैं। यह सोवियत काल के उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। परंतु यह पहला मामला नहीं है, जहां मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। लगातार हो रहे हादसों और देश के बहादुर जवानों की मौत की वजह से मिग-21 विमानों को ”फ्लाइंग कॉफिन” यानी उड़ता हुआ ताबूत के नाम से भी जाना जाने लगा है।

Table of Contents

MIG 21 Crash in Rajasthan: मुख्य बिंदु

  • भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 शुक्रवार को हादसे का शिकार हो गया। 8.30 बजे मिग 21 प्लेन में धमाका हुआ और आग लग गई।
  • विमान राजस्थान के जैसलमेर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया
  • विमान के पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा (Harshit Sinha) की मौत हो गई है। आज सुबह भैंसा कुंड में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
  • सर्च टीम ने पायलट का शव बरामद कर लिया लेकिन आग में बुरी तरह झुलसने की वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका।
  • विमान के चारों तरफ टुकड़ों में आ लगी हुई थी। करीब एक घंटे के अंदर ही वहां एयरफोर्स, पुलिस, प्रशासन, वन विभाग की टीम भी आई और बचाव कार्य में जुटी।
  • वायु सेना ने बताया कि यह विमान प्रशिक्षण उड़ान पर था और दुर्घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं।
  • ज्यादातर देशों में रिटायर हो चुका है यह विमान। मिग-21 विमानों को ”फ्लाइंग कॉफिन” यानी उड़ता हुआ ताबूत के नाम से भी जाना जाने लगा है।

MIG 21 Crash in Rajasthan: राजस्थान के जैसलमेर में क्रैश हुआ Mig -21

शुक्रवार शाम को फाइटर प्लेन (Fighter aircraft) एक मिग 21 (MIG 21 crash) क्रैश हो गया। हादसे में फाइटर प्लेन (Fighter aircraft) का पायलट शहीद हो गया। क्रैश होने के बाद मिग-21 में आग लग गई। वायुसेना ने बताया कि हादसे में विंग कमांडर हर्षित सिन्हा का निधन हो गया। भारतीय वायुसेना के ट्विटर हैंडल पर बताया गया, ‘मिग 21 एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग के लिए उड़ान भरा और हादसे का शिकार हो गया। ज्यादा जानकारी का इंतजार है और जांच का आदेश दे दिया गया है।’ थोड़ी देर बाद एक ट्वीट में कहा गया:

‘अपार दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि विंग कमांडर हर्षित सिन्हा का उड़ान हादसे में निधन हो गया। वायुसेना उनके परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।’

नियमित उड़ान पर था विमान

MIG 21 Crash in Rajasthan: यह हादसा रात करीब साढ़े आठ बजे हुआ। विमान अपनी नियमित उड़ान पर था। हादसे की जगह जैसलमेर से करीब 70 किमी दूर है। गौरतलब है कि इससे पहले अगस्त 2021 में भी बाड़मेर में एक मिग-21 विमान क्रैश हुआ था। खुशी की बात यह थी कि इस हादसे में पायलट की जान बच गई थी।

MIG 21 Crash in Rajasthan: सुदासरी डेजर्ट नेशनल पार्क में विमान क्रैश हुआ 

MIG 21 Crash in Rajasthan: वायुसेना स्टेशन जैसलमेर से 70 किलोमीटर दूर सैम पुलिस थाना इलाके में स्थित सुदासरी डेजर्ट नेशनल पार्क में विमान क्रैश हुआ। यह जगह पाकिस्तान बॉर्डर के पास है। पूरा एरिया भारतीय सेना के कंट्रोल में है। DNP क्षेत्र के रेंजर नखताराम कहते हैं कि बीती रात आठ बजकर 20 मिनट पर मैं सुदासरी चौकी पर खड़ा था। हमारी नागादड़िया चौकी की तरफ मिग-21 को हवा में क्रैश होते देखा। थोड़ी ही देर में विमान का मलबा तीन से चार किलोमीटर एरिया में बिखर गया। मिग-21 के क्रैश होने से विमान व पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए और उनमें आग लग गई।

कौन थे विंग कमांडर हर्षित सिन्हा? 

पायलट हर्षित सिन्हा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फैजाबाद के रहने वाले थे। विंग कमांडर हर्षित ने साल 1999 में एयर फोर्स जॉइन की थी। जांबाज़ हर्षित सिन्हा एयरफोर्स के सबसे दक्ष पायलट में से थे। उन्हें 2500 घंटे से ज्यादा फाइटर उड़ाने का अनुभव था। जैसलमेर एयरफोर्स स्टेशन से मिग टेक-ऑफ होते ही करीब बीस मिनट बाद हवा में हादसे का शिकार हो गया। 

MIG 21 Crash in Rajasthan: वह अपने पीछे पत्नी प्रियंका और दो बेटियों को छोड़कर गए हैं। विंग कमांडर हर्षित सिन्हा विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के बैचमेट थे। इन दोनों ने एक साथ ही अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी और कई कैंप में साथ काम किया। वर्तमान समय में हर्षित की तैनाती श्रीनगर में थी। इससे पहले वे कई स्थानों पर अपनी सेवा दे चुके हैं जैसे- अंबाला, भुज, जम्मू कश्मीर और सूरतगढ़।

MIG 21 Crash in Rajasthan: सर्च टीम ने पायलट का शव बरामद किया

सर्च टीम ने पायलट का शव बरामद कर लिया लेकिन आग में बुरी तरह झुलसने की वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका। जानकारी के मुताबिक जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाके में यह हादसा हुआ है। शुरुआती जांच में तकनीकी खराबी को हादसे की वजह बताया जा रहा है लेकिन इस हादसे की नियमित जांच बाद में की जाएगी। मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर आग पर काबू पाया जा चुका है। वायु सेना ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि यह विमान प्रशिक्षण उड़ान पर था और दुर्घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं।

MIG 21 Crash in Rajasthan: 2021 में हुए मिग 21 विमान हादसे

भारतीय वायुसेना का मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान 17 मार्च, 2021 को हुआ था हादसे का शिकार। तब यह विमान मध्य प्रदेश के ग्वालियर में क्रैश हो गया था। इस हादसे में वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन अशोक गुप्ता शहीद हो गए थे। यह हादसा उस समय हुआ था जब मिग-21 बाइसन कॉम्बेट एक्सरसाइज के लिए टेकऑफ कर रहा था। इससे पहले 5 जनवरी को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस पर भी मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ था। उस दुर्घटना में पायलट को सही सलामत बचा लिया गया था।

कुन्नूर हादसे में गई थी CDS की जान

हाल ही में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपन रावत का हेलिकॉप्टर कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था जिसमें रावत की पत्नी समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी। वायु सेना की ओर से इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच चल रही है।

Mig 21 का क्या है पूरा नाम और किसने किया तैयार? 

मिकोयान-गुरेविच मिग-21 (अंग्रेज़ी: Mikoyan-Gurevich MiG-21,रूसी: Микоян и Гуревич МиГ-21) एक सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जिसका निर्माण सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने किया है। इसे “बलालैका” के नाम से बुलाया जाता था क्योंकि यह रुसी संगीत वाद्य ऑलोवेक (हिन्दी में पेन्सिल) की तरह दिखता था। इसकी प्रथम उड़ान 14 फ़रवरी 1955 (Ye-2) में हुई, 1990 में (रशिया) रूस इसकी सेवा समाप्त कर चुका है। इसकी निर्मित यूनिट की जानकारी कुछ इस प्रकार है: (10645 सोवियत रुस में निर्मित,149 चकोस्लावाकिया में निर्मित, 657 भारत में निर्मित)। मिग एमआई 21 विमान को भारतीय वायुसेना ने 1960 के दशक में शामिल करना शुरू किया था।

भारतीय वायु सेना में कुल कितने फाइटर जेट हैं? 

भारतीय वायु सेना में किसी भी समय एक से अधिक एयर चीफ मार्शल सेवा में कभी नहीं होते। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है एवं 2006 के आंकडों के अनुसार इसमें कुल मिलाकर 170,000 जवान एवं 1,350 लड़ाकू विमान हैं जो इसे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना होने का दर्जा दिलाती है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास मिग-21 बाइसन के लगभग छह स्क्वाड्रन हैं और एक स्क्वाड्रन में लगभग 18 विमान होते है। इससे पहले इसी महीने की शुरुआत में वायुसेना का एक और हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था।

मिग-21 को उड़ता हुआ ताबूत क्यों कहा जाता है? 

यह पहला मामला नहीं है, जहां मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। लगातार हो रहे हादसों और देश के बहादुर जवानों की मौत की वजह से मिग-21 विमानों को ”फ्लाइंग कॉफिन” यानी उड़ता हुआ ताबूत के नाम से भी जाने लगा है।

भारतीय वायुसेना में कितने पायलट मारे जा चुके हैं Mig 21 के क्रैश होने से?

इंडियन एयर फोर्स में शामिल होने के बाद से मिग-21 अब तक 400 से ज्यादा बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही अब तक 200 से ज्यादा पायलट और 50 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

भारतीय वायु सेना का देश सेवा में क्या योगदान है? 

भारतीय वायुसेना भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए करती है। इसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गयी थी। स्वतन्त्रता से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था और 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

आखिर कब तक माताएं खोती रहेंगी अपने सपूत? 

मिग-21 लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में 1960 के दशक में शामिल करना शुरू कर दिए गए थे। जरा सोचिए 1960 के दशक के यह लड़ाकू विमान हमारी सेना आज भी प्रयोग कर रही हैं। वर्तमान में इस विमान को उड़ता हुआ ताबूत की संज्ञा दी गई है क्योंकि मिग-21 लगातार दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं लेकिन फिर भी हमारे देश के वीर सैनिकों पायलटों को यही विमान प्रयोग करने के लिए दिए जा रहे हैं। जहां दूसरे देशों में f-22 रैपटर, f-35, s u 57, यूरोफाइटर टायफून, राफेल, चेंगदू j-20, जैसे बेहतर तकनीक और अच्छी मारक क्षमता वाले फाइटर जेट्स का प्रयोग किया जा रहा है वहां पर हमारे सैनिकों को उड़ते हुए ताबूत मिग-21 दिए जाते हैं।

वायुसेना कह चुकी है कि हमें 114 मल्टीरोल फाइटर जेट्स की अर्जेंट जरूरत है, क्योंकि चीन और पाकिस्तान से टू फ्रंट वॉर का खतरा लगातार बना हुआ है। 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद के बाद भारतीय नेता ऐसा समझ रहे हैं जैसे हम दुनिया की सुपर पावर बन चुके हैं, दुनिया के पास पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट्स है हमारे पास 4.5 पीढ़ी का राफेल फाइटर जेट्स को छोड़कर कोई अन्य फाइटर जेट्स नहीं है।

इस काल लोक में सब भयभीत हैं!

यह पृथ्वी काल का लोक है यहां कब किसकी मृत्यु हो जाए कोई नहीं जानता। काल तो सबकी सांसे पूरी होने के इंतजार में रहता है। एक तरफ काल है जो सबको मारना चाहता है और दूसरी तरफ पूर्ण परमात्मा कबीर सहेब जी हैं जो पल पल हमारी रक्षा करना चाहते हैं। (काल को हर रोज़ एक लाख जीव खाने का श्राप लगा हुआ है)

कबीर परमेश्वर जी अपनी वाणी में भोले मानव को समझाते हैं, 

जब लग हंसा हमरी आना, काल लगे ना तेरा बाना । 

कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि जब तक मेरा भक्त मेरी मर्यादा में रहेगा उस पर काल का हमला नहीं हो सकता। गरीब दास जी महाराज ने कबीर परमेश्वर जी की समर्थता बताते हुए कहा है। 

काल डरे करतार से जय जय जय जगदीश 

जोरा जोड़ी झारता पग रज डारे शीश।। 

अर्थात मौत कबीर परमात्मा के जूते साफ करती है। कहने का अर्थ यह है कि कबीर परमेश्वर जी के भक्तों का मौत कुछ नहीं बिगाड़ सकती इसलिए तत्वदर्शी संत के माध्यम से सभी कबीर परमेश्वर जी की शरण ग्रहण करें।

कौन है तत्वदर्शी संत वर्तमान में?

श्रीमद भगवद गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 5, गीता अध्याय 17 श्लोक 23 के अनुसार भक्ति बताने वाले, गीता अध्याय 4 श्लोक 34 वाले, तत्वदर्शी संत, कोई और नहीं जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं, उनसे नाम दीक्षा लेने के बाद नियम मर्यादा में रहकर भक्ति करने से कबीर परमात्मा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और 33 करोड़ देवी देवता पल-पल भक्त का साथ देने के लिए तत्पर रहते हैं। अत: सभी भाई बहनों से प्रार्थना है, “अद्वितीय आध्यात्मिक पुस्तक ज्ञान गंगा” को एक बार अवश्य पढ़ें, ज्ञान समझें, नाम दीक्षा लें, मर्यादा में रहकर भक्ति करें, ताकि कबीर परमेश्वर आपकी और आपके परिवार की पल पल रक्षा करें।

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