Story of Maghar Leela 2D Animation Video | इस भ्रम को तोड़ने के लिए कि जो मगहर में मरता है वह गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग जाता है। कबीर साहेब कहते थे कि सही विधि से भक्ति करने वाला प्राणी चाहे वह कहीं पर प्राण त्याग दे वह अपनी भक्ति की कमाई के अनुसार सही स्थान पर जाएगा। लेकिन उन नकलियों का भ्रम तोड़ने के लिए कबीर साहेब ने कहा कि मैं मगहर में मरूँगा और सभी ज्योतिषी देख लेना कि मैं कहाँ जाऊँगा? नरक में जाऊँगा या स्वर्ग से भी ऊपर सतलोक में। कबीर साहेब ने काशी से मगहर के लिये प्रस्थान किया।
महिना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि. स. 1575 (सन् 1518) को कबीर साहेब ने एक चद्दर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चद्दर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी सी देर में आकाश वाणी हुई कि मैं तो जा रहा हूँ स्वर्ग से भी ऊपर सतलोक में। देख लो चद्दर उठा कर इसमें कोई शव नहीं है। जो वस्तु है वे आधी-आधी ले लेना परन्तु लड़ना नहीं। जब चादर उठाई तो सुगंधित फूलों का ढेर शव के समान ऊँचा मिला। देखिये वीडियो…..