Last Updated on 24 March 2023, 5:14 PM IST: World TB Day 2023 in Hindi: प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को क्षय रोग अर्थात तपैदिक (TB) नामक बीमारी के विषय में जागरूक करना और क्षय रोग (TB) की रोकथाम के लिए कदम उठाना है। प्रिय पाठकों को बताएंगे कि क्षय रोग (TB) जैसे असाध्य रोगों का वास्तविक उपचार क्या है? तथा वर्तमान समय में कौन है वो वास्तविक चिकित्सक अर्थात तत्वदर्शी संत जिनके पास है जन्म मरण जैसे दीर्घ रोग के साथ-साथ सर्व असाध्य रोगों की सतभक्ति रूपी दवा है?
विश्व क्षयरोग दिवस 2023 (World TB Day): खास बातें
- क्षयरोग (TB) एक घातक संक्रामक रोग है
- क्षयरोग को तपेदिक तथा यक्ष्मा आदि नामों से भी जाना जाता है।
- औसतन दुनिया के 26 प्रतिशत क्षयरोगी भारत में हैं।
- माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है क्षयरोग (TB)
- सत्यसाधना से समाप्त हो जाते हैं क्षयरोग जैसे सर्व असाध्य रोग
- संत रामपाल जी महाराज के पास है सर्व असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने वाली सतभक्ति रूपी दवा
आखिरकार क्या है विश्व क्षयरोग मनाने का उद्देश्य?
क्षयरोग दिवस मनाने का उद्देश्य प्रतिवर्ष क्षयरोग से पीड़ित लोगों की बढ़ रही तादाद को रोकने तथा क्षयरोग अर्थात तपेदिक जैसी असाध्य संक्रामक बीमारी की रोकथाम हेतु लोगों में जागरूकता व सतर्कता बनाये रखना है। विश्व क्षयरोग दिवस (World TB Day 2023) मनाने का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के साथ-साथ संस्थाओं को पर्याप्त वित्त पोषण सुनिश्चित हो और सरकार व समाज अपनी जवाबदेही के साथ देश के अंतिम व्यक्ति तक बिना किसी भेदभाव के क्षय रोग (TB) का इलाज मुहैया कराए।
24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाने का कारण
देश और दुनिया के इतिहास में यूं तो कई महत्वपूर्ण घटनाएं 24 मार्च की तारीख के नाम दर्ज हैं लेकिन क्षयरोग/ तपेदिक (TB) को लेकर यह दिन खास है। 24 मार्च 1882 में डॉ. रॉबर्ट कोच ने क्षयरोग के माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु की खोज की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आधिकारिक तौर पर पहला विश्व क्षयरोग दिवस (World TB Day) मनाया गया था। 1998 विश्व क्षयरोग दिवस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वर्ष है। यह वह वर्ष था जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार दुनिया के सबसे अधिक टीबी रोगियों की मेजबानी करने वाले 20 देशों को देखा।
क्या है विश्व क्षयरोग दिवस 2023 की थीम? (World TB Day 2023 Theme)
प्रत्येक वर्ष World Tuberculosis Day को मनाने का कोई नया विषय/ थीम (Theme) होता है। इस वर्ष 2023 में थीम ‘यस! वी कैन एंड टीबी!’ (Yes! We can end TB!) है। इसका तातपर्य है कि हां, हम क्षयरोग (टीबी) का अंत कर सकते हैं। इस थीम के जरिए लोगों को क्षयरोग (TB) की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए मोटिवेट करने का प्रयास किया गया है।
इस वर्ष भारत कर रहा है ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ का नेतृत्व
इस वर्ष वाराणसी में 24 मार्च विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर वन वर्ल्ड टीबी समिट का आयोजन किया जा रहा है। भारत इस वैश्विक कार्यक्रम की अगुवाई करेगा। ऐसे में ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ इन लक्ष्यों पर और आगे विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा क्योंकि भारत लगातार अपने टी.बी. उन्मूलन संबंधी उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए यह अपने आप में एक अनोखी मुहिम साबित हो सकती है। इस शिखर सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग लेंगे।
PM टीबी-मुक्त पंचायत पहल की शुरुआत भी करेंगे
इस कार्यक्रम के दौरान, पीएम मोदी टीबी-मुक्त पंचायत पहल, एक संक्षिप्त टीबी निवारक उपचार का आधिकारिक रूप से अखिल भारतीय स्तर पर शुभारंभ करने, टीबी के लिए परिवार केन्द्रित देखभाल मॉडल और भारत की वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2023 जारी करने सहित विभिन्न पहलों का शुभारंभ करेंगे। पीएम टी.बी. उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति के लिए चुनिंदा राज्यों और केन्द्र- शासित प्रदेशों और जिलों को पुरस्कृत भी करेंगे।
क्षयरोग के रोकथाम हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सजग रणनीति
क्षयरोग (TB) को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रणनीति बहुत ही साफ व स्पष्ट है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ‘The End TB Strategy’ नामक मुहिम चलाई गई है जिसका उद्देश्य है दुनिया को क्षयरोग (TB) जैसी घातक बीमारी से छुटकारा दिलाना है।
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इस रणनीति के तहत हर 5 साल के लिए उद्देश्य तय किये गये हैं। वर्ष 2020 तक टीबी से होने वाली मौतों को 35 प्रतिशत कम करने तथा टीबी के नये मामलों को 20 प्रतिशत तक की कमी का उद्देश्य तय किया गया था। यही उद्देश्य वर्ष 2025 के लिए क्रमशः 90 और 80 प्रतिशत रखा गया है। इन उद्देश्यों के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वर्ष 2030 तक क्षयरोग (TB) को समाप्त करने की कार्य योजना बनायी गई है।
विश्व क्षयरोग दिवस 2023 (World TB Day) पर कुछ खास उद्धरण (Quotes)
- जन-जन को जगाना हैं, क्षयरोग (TB) को भगाना है
- जन-जन का हो एक ही नारा क्षयरोग (TB) मुक्त हो मानव समाज हमारा
- जन-जन को यह सन्देश पहुंचाये, क्षयरोग (TB) को दूर भगाए
- क्षयरोग (TB) को ना कहें, जीवन को हां कहें
- आओ घर-घर में अलख जगाएं, क्षयरोग (TB) को दूर भगाएं
विश्व क्षयरोग दिवस (World TB Day 2023) पर जानें क्षयरोग की रोकथाम के उपाय
क्षयरोग के अधिकांश मामलों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
- सक्रिय क्षय रोग से ग्रसित लोगों का इलाज प्रतिजैविक दवाओं (एंटीबायोटिक्स) और अन्य दवाओं के द्वारा किया जाता है जो क्षयरोग के जीवाणु को नष्ट कर देते हैं या नियंत्रित करते हैं। उपचार प्राय: कई महीनों तक चलता है।
- सुप्त क्षयरोग से पीड़ित लोगों का उपचार प्रतिजैविक दवाओं (एंटिबायोटिक्स) से किया जा सकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे भविष्य में सक्रिय क्षयरोग से ग्रसित न हों।
- कुछ ऐसे देश हैं जहां क्षयरोग के मामले अधिक पाए जाते हैं वहां पर BCG नामक टीके का प्रयोग क्षयरोग की रोकथाम हेतु लगाया जाता है। BCG नामक टीके का प्रयोग वर्ष 1921 से किया जा रहा है।
क्या कहते हैं क्षयरोग के दुःखद आंकड़े?
विश्वभर में छह से सात करोड़ लोग क्षयरोग अर्थात तपैदिक बीमारी से ग्रसित हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की क्षयरोग से काल के ग्रास बनने की जानकारी आती रहती है। देश में हर तीन मिनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर दिन 28000 नए संक्रमित मरीज सामने आते हैं तथा प्रतिदन 4100 लोग इस बीमारी के कारण दम तोड़ देते हैं।
क्षयरोग को पहचानने के चरण
- भूख न लगना या भूख कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
- बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।
- हल्का बुखार रहना, हरारत रहना।
- खांसी आती रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम (म्यूकस) में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
- गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
- गहरी साँस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
- महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकड़ना, आँखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
क्षयरोग सम्बंधित कुछ मिथक या भ्रांतियाँ
- ऐसा लोगों में प्रचलन में है कि क्षयरोग आनुवांशिक रोग है, परन्तु वास्तविक रूप से क्षयरोग आनुवांशिक रोग नहीं है। यह संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है। यह पीड़ित रोगी के खांसने से अथवा छींकने से हवा में जीवाणु (बैक्टिरिया) के फैलने से होती है।
- क्षयरोग की पूर्ण जानकारी न होने के कारण ऐसा माना जाता है कि क्षयरोग सिर्फ हमारे फेंफड़ों को प्रभावित करता है, परन्तु प्रारंभ में क्षयरोग केवल फेफड़ों (80 प्रतिशत) को प्रभावित करता है, लेकिन इससे नाखून तथा बाल छोड़कर शरीर का कोई भी भाग जैसे हृदय, मस्तिष्क, हड्डी, त्वचा इत्यादि प्रभावित हो सकता है।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी हैं सर्व रोगों का हरण करने वाले तबीब
पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी से जम (काल तथा काल के दूत) तथा मौत भी डरती है। वे पूर्ण प्रभु पाप कर्म दण्ड के लेख को भी समाप्त कर देते हैं। आदरणीय संत गरीबदास जी कहते हैं कि तबीब अर्थात सर्व रोग नाशक वैद्य सतगुरु बन्दीछोड़ कबीर जी हैं।
हरदम खोज हनोज हाजर, त्रिवेणी के तीर हैं।
दास गरीब तबीब सतगुरु, बन्दी छोड़ कबीर हैं।।
यजुर्वेद अध्याय 8 के मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा पापी से भी पापी व्यक्तियों के भी सम्पूर्ण पापों का नाश करके भयंकर रोगों से भी मुक्त कर देते हैं तथा ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में तथा मंडल 9 सूक्त 80 मंत्र 2 में लिखा है कि यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु भी शेष न रही हो तो पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी उसके प्राणों की रक्षा करके उसे सौ वर्ष की सुखमय आयु प्रदान करते हैं।
सर्व असाध्य रोगों से छुटकारा पाने की अचूक दवा केवल सतभक्ति है
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र सच्चे संत हैं जिनके द्वारा दी हुई सतभक्ति से जटिल से जटिल असाध्य रोग समाप्त हो जाते हैं, ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण हैं, जिन्होंने संत रामपाल जी महाराज से सतभक्ति प्राप्त कर क्षयरोग (TB) ही नहीं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से मुक्ति पाई है।
सतगुरु शरण में आने से, आई टले बला।
जै मस्तक में सूली हो, वो कांटे में टल जा।।
आज ही सतभक्ति अपनाएं और सभी रोगों व दुखों से मुक्ति पाएं
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FAQ About World TB Day 2023 [Hindi]
Ans. विश्व क्षयरोग दिवस प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है, जो कि इस वर्ष शुक्रवार के दिन है।
Ans. क्षयरोग को टीबी, तपैदिक तथा यक्ष्मा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।
Ans. हाँ, टीबी एक संक्रामक रोग है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होता है।
Ans. 24 मार्च सन् 1882 में रॉबर्ट कोच ने टी.बी. के जीवाणु की खोज की थी, जिसके कारण टी.बी. होता है।
Ans. वर्ष 2023 वर्ल्ड टीबी डे की थीम है “हां, हम क्षयरोग (टीबी) का अंत कर सकते हैं।”