July 13, 2025

Hindu Nav Varsh 2025 [Hindi]: तत्वदर्शी संत से सतभक्ति प्राप्त कर, करें नववर्ष का प्रारंभ

Published on

spot_img

Last Updated on 23 March 2025: Hindu Nav Varsh 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रत्येक वर्ष नव संवत्सर (नववर्ष) मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, नव वर्ष का आरंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 30 मार्च 2025, रविवार को पड़ रही है। इसी दिन से विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ होगा।  प्रिय पाठकों को इस अवसर पर इस लेख से अवगत कराएंगे कि वर्तमान समय में तत्वदर्शी संत अर्थात पूर्ण संत कौन है तथा जानेंगे कि कौन हैं सम्पूर्ण सृष्टि के रचनहार?

हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year 2082): मुख्य बिंदु

  • विक्रम संवत के अनुसार मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष।
  • इस वर्ष देश में 2082वां हिन्दू नववर्ष मनाया जा रहा है।
  • भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है इस दिन को।
  • हिन्दू धर्म में 60 संवत्सरों का वर्णन है।
  • पूर्ण गुरु से सतभक्ति प्राप्त कर करें वास्तविक नववर्ष की शुरुआत।
  • इस नववर्ष पर जानें कि संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र पूर्ण संत हैं।

एक नजर नवसंवत्सर अर्थात हिन्दू नववर्ष के इतिहास (Hindu New Year History) पर

नव संवत्सर के इतिहास (Hindu New Year History) की बात करें तो इसकी शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा/एकम को नवसंवत की शुरुआत होती है। इसे भारतीय या हिंदू नववर्ष भी कहा जाता है। 

हिंदू नव वर्ष का संबंध प्राचीन भारतीय इतिहास और शासकों से भी जुड़ा है।

विक्रम संवत: सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में मालवा में शक राजाओं पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में विक्रम संवत की शुरुआत की थी, जो अब भारत के कई हिस्सों में पंचांग के रूप में मान्य है। 

शक संवत: यह संवत 78 ईस्वी में राजा शालिवाहन के शासनकाल से प्रारंभ हुआ, जो भारत सरकार द्वारा आधिकारिक कैलेंडर के रूप में उपयोग किया जाता है।

हिंदू नव वर्ष पर भारत के विभिन्न हिस्सों में अनेक परंपराएं निभाई जाती हैं। इनमें प्रमुख हैं:

1. धार्मिक अनुष्ठान: इस दिन घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु, माता दुर्गा और गणेश जी की विशेष पूजा का आयोजन होता है।

2. गुड़ी पड़वा पर गुड़ी फहराना: महाराष्ट्र में घर के आंगन में एक लंबी लकड़ी पर रेशमी कपड़ा, फूलों की माला और नीम के पत्तों से सजी ‘गुड़ी’ फहराई जाती है, जिसे समृद्धि और विजय का प्रतीक माना जाता है।

3. विशेष व्यंजन: इस दिन विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे पूरनपोली, श्रीखंड, खीर आदि।

4. घर की सफाई और सजावट: नए साल के स्वागत के लिए घरों की सफाई कर उन्हें रंगोली और फूलों से सजाया जाता है।

5. सांस्कृतिक कार्यक्रम: कई क्षेत्रों में लोक नृत्य, संगीत और पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है।

  • ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी थी। इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की काल गणना की जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। इसलिए पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष (Hindu New Year 2082) शुरू हो जाता है।
  • यह भी प्रचलित है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को ही राजा राम तथा युधिष्ठिर का राज्याभिषेक किया गया था इसी कारण इस दिवस को नववर्ष (Hindu New Year) के रूप में मान्यता दी गयी।
  • इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलय काल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलय काल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।
  • एक अन्य किंवदंती के अनुसार सतयुग का प्रारंभ भी इसी दिन से हुआ।

अलग-अलग राज्यों में नववर्ष को अलग-अलग नामों से जाना जाता है

ईरान देश में इस तिथि पर ‘नौरोज’ अर्थात ‘नववर्ष’ (Hindu New Year 2082) मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश में यह पर्व ‘उगादिनाम’ से मनाया जाता है। उगादि का अर्थ होता है युग का प्रारंभ अथवा ब्रह्मा की सृष्टि रचना का पहला दिन। इसी तरह इस दिन को जम्मू-कश्मीर में ‘नवरेह’, पंजाब में वैशाखी, महाराष्ट्र में ‘गुडीपड़वा’, सिंध में चेटीचंड अर्थात चैत्र का चांद, केरल में ‘विशु’, असम में ‘रोंगली बिहू’ आदि के रूप में मनाया जाता है।

हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year 2025) के अवसर पर जानें कविर्देव जी हैं सर्वसृष्टि के रचनहार

आदरणीय संत गरीबदास साहेब जी अपनी अमृतमयी वाणी में सृष्टि रचना का वर्णन करते हुए बताते हैं कि

आदि रमैंनी अदली सारा। जा दिन होते धुंधुंकारा।।

सतपुरुष कीन्हा प्रकाशा। हम होते तखत कबीर खवासा।

उपरोक्त अमृतवाणी का भावार्थ है कि पहले केवल अंधकार था तथा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी सतलोक में तख्त (सिंहासन) पर विराजमान थे। पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी ने फिर सबकी उत्पत्ति की।

आदरणीय नानक साहेब जी अपनी अमृतमयी वाणी सृष्टि रचना के बारे में बताते हैं

आपे सचु कीआ कर जोड़ि। अंडज फोड़ि जोडि विछोड़।।

धरती आकाश कीए बैसण कउ थाउ। राति दिनंतु कीए भउ-भाउ।।

उपरोक्त अमृतमयी वाणी का भावार्थ है कि सच्चे परमात्मा (सतपुरुष कविर्देव जी) ने स्वयं ही अपने हाथों से सर्व सृष्टि की रचना की है।

  • पवित्र अथर्ववेद कांड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 1-7 तथा ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 90 मंत्र 1-5, 15, 16 में लिखा है कि कविर्देव जी ही सर्व के रचनहार हैं।
  • पवित्र श्रीमद्भागवत गीता जी अध्याय नं. 15 के श्लोक 1 से 4 तथा 16, 17 में भी स्पष्ट लिखा है वह पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष (कविर्देव जी) सर्व के सृष्टिकर्ता हैं।

सतभक्ति प्राप्त कर इस नववर्ष  (Hindu New Year 2025) के अवसर पर मनुष्य जीवन को सफल बनाएं

वर्तमान समय में संतों का तांता लगा हुआ है पर इन संतों में से एकमात्र वास्तविक संत अर्थात तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं इस बात का प्रमाण इन अमृतमयी वाणियों में है:

सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। 

चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।

उपरोक्त अमृतमयी वाणी का भावार्थ है कि जो तत्वदर्शी संत होगा वह चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद), छः शास्त्रों (न्याय, मीमांसा, वेदान्त, सांख्य, पंताजल, वैशेषिक), अठारह पुराणों आदि सभी सद्ग्रन्थों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात इनका सार निकालकर बताएगा। संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनमोल सत्संगों में इन सभी सद्ग्रन्थों से प्रमाण देकर सतभक्ति बताते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि संत रामपाल जी महाराज वास्तविक तत्वदर्शी संत हैं। अतः पाठकों से निवेदन है कि आज ही संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त करें तथा मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को जानें और पूरा करें। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल विजिट करें।

हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year 2082): FAQ

प्रश्न – इस वर्ष कौन सा हिन्दू नववर्ष मनाया जा रहा है?

उत्तर – 2082 वां

प्रश्न – हिन्दू या भारतीय नववर्ष की शुरुआत कब होती है?

उत्तर – प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा/एकम तिथि से

प्रश्न – सृष्टि रचनहार प्रभु कौन है?

उत्तर – कविर्देव / कबीर साहेब जी

प्रश्न – छः शास्त्र कौन-कौन से हैं?

उत्तर – न्याय, मीमांसा, वेदान्त, सांख्य, पंताजल, वैशेषिक

Latest articles

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?

World Population Day 2025: The best time for world’s Population to Attain Salvation

Last Updated 09 July 2025, 1:16 PM IST | World Population Day 2025: Today...
spot_img

More like this

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?