April 29, 2025

शेखतकी द्वारा कबीर परमेश्वर जी के साथ 52 बदमाशी करना

Published on

spot_img

कबीर साहेब जी को 52 कसनी (52 बदमाशी) दी गयी। फिर भी उनका कुछ नहीं हुआ क्योंकि कबीर साहेब जी अविनाशी थे।लगभग 600 साल पहले जब परमेश्वर कबीर साहेब जीवों का उद्धार करने के लिए धरती पर आये तो पाखंडवाद का विरोध किया और सद्ग्रंथो में वर्णित सत्यभक्ति का प्रकाश फैलाया। हिन्दु धर्म में प्रचलित पाखंड पूजाएं, शास्त्र विरुद्ध साधनाओं और मुस्लिम धर्म में प्रचलित जीव हत्या का कबीर परमात्मा ने पुरजोर विरोध किया। उस समय परमात्मा के 64 लाख शिष्य हुए। दोनों धर्मों के और सभी वर्गों के व्यक्तियों ने परमेश्वर कबीर साहेब से उपदेश प्राप्त किया क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब के आशीर्वाद से सभी के दुखों का अंत हो जाता था। उन्ही शिष्यों में से एक था दिल्ली का सुल्तान सिकंदर लोधी।

सिकंदर लोधी के जलन का रोग था जिसका इलाज वो हर पीर फ़कीर से करवा कर थक चुका था। उसका वो रोग परमात्मा कबीर साहेब जी की शरण में आने के बाद ही ठीक हुआ था। उसी के सामने कबीर परमात्मा ने स्वामी रामानंद जी और एक मृत गाय को जीवित किया थ। तब से सिकंदर लोधी, कबीर साहेब जी को अल्लाह मानता था। इस कारण से सिकंदर लोधी का धार्मिक गुरु शेख तकि कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था । कबीर साहेब को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने कई बार उन्हें मरवाने की नाकाम कोशिश की।

52 कसनी (बदमाशी) में से मख्य यातनाएं

शेखतकी ने कबीर साहेब जी को 52 तरह की यातनाएं दीं थी, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित है.

उबलते तेल के कड़ाहे में डालना

kabir sahib in boil oil

शेख तकि ने हज़ारों मुसलमानों को इकठ्ठा करके कहा कि हम कबीर को उबलते तेल की कढ़ाही में डालेंगे। अगर ये नहीं मरा तो मान लेंगे कि ये अल्लाह है। तेल कि कढ़ाही को उबालकर कबीर साहेब को बुलाया गया। कबीर परमात्मा उबलते तेल के कढ़ाहे में स्वयं ही विराजमान हो गए। सभी इस इंतज़ार में थे कि कबीर साहेब जल जाएंगे पर परमात्मा खौलते हुए तेल में आराम से बैठे रहे और सबको दर्शा दिया कि वो अविनाशी हैं पर शेख तकि कबीर साहेब से माफ़ी मांगने कि बजाए उनसे और ज्यादा ईर्ष्या करने लगा और फिर उसने कबीर साहेब को मरवाने के लिए अगली योजना बनाई।

झेरे कुएं में डालना

अपनी अगली योजना के तहत शेख तकि कबीर साहेब को बांध कर ले गया और ले जा कर एक गहरे झेरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को मिट्टी, गोबर, कांटे आदि डाल कर 150 फ़ीट ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तकि सिकंदर लोधी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठा देखकर शेख तकि गुस्से से जल भुन गया फिर भी कबीर जी को परमात्मा नहीं माना।

तलवार से कटवा कर मारने की कोशिश

गुस्से में शेख तकि ने कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर टुकड़े टुकड़े करने की ठानी। इस कुकृत्य के लिए शेख तकि ने कुछ गुंडे तैयार किये। जब परमेश्वर कबीर साहेब जी रात्रि में सोने की लीला कर रहे थे उस समय शेख तकि उन गुंडों के साथ परमात्मा की कुटिया में आया और कबीर परमात्मा पर तलवारों से अंधाधुंध वार किये। जब कबीर साहेब को मृत जानकार सभी वहां से जाने लगे तभी कबीर परमेश्वर उठ खड़े हुए। उनको भूत समझकर सभी गुंडे और शेख तकि डर कर वहां से भाग गए।

खूनी हाथी से मरवाने की चेष्टा

इसी तरह कबीर परमात्मा को ख़त्म करने के लिए हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बहुत से प्रयास किये। बादशाह सिकंदर लोधी से उनकी झूठी शिकायतें करके उनको कई बार सज़ा करवाने की कोशिश की गयी। ऐसे ही एक बार सिकंदर लोधी ने कबीर साहेब को हाथी से कुचलवाने की सजा दी। कबीर परमात्मा जी के हाथ पाँव बांध कर उन्हें एक मदोन्मत खूनी हाथी के आगे डाल दिया गया।

यह भी पढें: कबीर परमेश्वर का सशरीर मगहर (Maghar) से सतलोक गमन 

पर जब हाथी कबीर परमात्मा को मारने के लिए आगे बढ़ा तो उसे परमात्मा के स्थान पर एक बब्बर शेर दिखाई दिया। सिकंदर लोधी को भी परमात्मा का विराट रूप दिखाई दिया। हाथी अपनी जान बचा कर भाग गया तथा राजा भी थर्र थर्र काँपता हुआ नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम किया।

गंगा में डुबो कर मारने की कोशिश

kabir-sahib-in-ganga-river

जब ये प्रयास भी सफल न हुआ तो कबीर जी को गंगा में डुबो कर मारने की कोशिश की गयी। उनके हाथ पांव बांध कर उन्हें गंगा में डाल दिया गया पर सर्व शक्तिमान कबीर परमेश्वर जल के ऊपर आराम से बैठे रहे। जब कबीर साहेब नहीं डूबे तो चार पहर तक उनके ऊपर गोलियां और तोपों की बारिश की गयी। सबने अपने परम पिता परमात्मा पर पत्थर बरसाए। पर परमेश्वर कबीर साहेब को कोई हानि नहीं पहुंची। तब कबीर साहेब वहां से अंतर्ध्यान हो गए और अपनी कुटिया में प्रकट हो गए।

इस प्रकार परमात्मा कबीर साहेब को 52 कसनी दी गयी अर्थात उन्हें 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी पर परमात्मा को कोई हानि नहीं पहुंची क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी हैं।

वेद गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव(कबीर साहेब) राजा के समान दर्शनीय हैं। वे सतलोक में रहते हैं और अपनी अच्छी आत्माओं और दृढ़ भगतों को सत्य भक्ति का ज्ञान करवाने के लिए वो परमात्मा स्वयं ही पृथ्वी पर प्रकट होते हैं। उसी प्रकार परमात्मा कबीर साहेब 600 साल पहले सशरीर पृथ्वी पर आये थे और 120 साल तक पृथ्वी पर सतभक्ति का ज्ञान देकर सशरीर ही वापिस चले गए थे। मगहर में आज भी इस घटना की यादगार बनी हुई है।

वर्तमान में कबीर साहेब के नुमाइंदे संत रामपाल जी महाराज जी हैं। उन्होंने कबीर साहेब द्वारा दिया गया दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान उजागर कर दिया और जिस तरह से कबीर साहेब को परेशान किया गया उसी तरह से आज संत रामपाल जी महाराज को परेशान किया जा रहा है लेकिन पूर्ण गुरु होने के कारण उनका कुछ कोई नहीं बिगाड़ सका और उनका ज्ञान लगातार फैल रहा है। आप भी संत रामपाल जी महाराज के दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के लिए जरूर देखें साधना TV रात 7:30 pm से.

Latest articles

Parshuram Jayanti 2025 [Hindi] | परशुराम जयंती पर जानिए परशुराम को गहराई से

Last Updated on 29 April 2025 IST | परशुराम जयंती 2025 (Parshuram Jayanti in...

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...
spot_img

More like this

Parshuram Jayanti 2025 [Hindi] | परशुराम जयंती पर जानिए परशुराम को गहराई से

Last Updated on 29 April 2025 IST | परशुराम जयंती 2025 (Parshuram Jayanti in...

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि