April 1, 2025

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: International Women’s Day 2025 (Hindi) पर जानिए कैसे वापस मिल सकता है महिलाओं को उनका सम्मान?

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Last Updated on 3 March 2025 IST: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day in Hindi) प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इस वर्ष भी यह प्रतिवर्ष की तरह 8 मार्च को मनाया जाएगा। आज हम जानेंगे इस नारीत्व के उत्सव के विषय में कुछ बिंदु। नारी अपने प्रत्येक रूप में सम्माननीय है। यूँ तो महिलाओं के लिए किसी ख़ास दिवस की दरकार नहीं है। प्रत्येक दिन उनका समर्पण अपने घर परिवार और समाज में रहता है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में पितृसत्तात्मक सोच का बोलबाला रहा है जिसने स्त्री के महत्व को एक लंबे समय तक नज़रंदाज़ किया है। लेकिन बीते कुछ समय से सभ्यता ने करवट ली है और महिलाओं ने सीमाओं से परे हर क्षेत्र में अपना प्रदर्शन किया है। महिला बेटी है, माँ है, पत्नी है, बहन है, दोस्त है और हर किरदार में महिला का अपना महत्व है।

कब है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day in Hindi)?

जैसे कि ऊपर बताया जा चुका है कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ( International Women’s Day 2025) के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष भी महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाएगा, यह अपने आप में महिला शक्ति को प्रदशित करता है। इस दिन दुनिया की महान महिलाओं को याद किया जाता है, इतना ही नहीं घर की आम गृहणियों को भी सम्मानित किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?

International Women’s Day in Hindi: महिला दिवस महिलाओं के साहस का प्रतीक है। इसकी कहानी ऐसी है कि 1900 के पहले दशक में जब महिलाओं को अत्यधिक वेतन की असमानता, मतदान के अधिकारों की कमी का सामना करना पड़ा था। उस समय अपने अधिकारों की माँग के लिए सन 1908 में न्यूयॉर्क शहर में कुल 1500 महिलाओं ने आंदोलन किया। 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में घोषित किया और 1910 में कोपेनहेगन में महिलाओं द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में इसे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का दर्जा मिला। वर्ष 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने भी इस दिवस को प्रतिवर्ष एक नई थीम के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सुझाव दिया।

महिला दिवस मनाने की आवश्यकता क्या है?

वैसे तो यह दिन पूरे विश्व में मनाया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है इसकी आवश्यकता क्या है। क्या आपने कभी सोचा कि महिला दिवस सिर्फ महिलाओं को सम्मान देने के लिए नही मनाया जाता बल्कि महिलाओं को उनके हक़ दिलाने के लिए मनाया जाता है। आज भी स्त्री को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता, जहा एक तरफ उसको देवी के रूप में पूजा जाता है, वहीं दूसरी तरफ बलात्कार की खबर सुनने को मिलती है। यहाँ तक कि इतना पढ़ने- लिखने के बाद भी महिलाए घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, कभी कभी तो देखने को मिलता है आस पड़ोस के लोग भी महिला को उसके पति से छुड़ाने का प्रयास नहीं करते। यह दिन महिलाओं को जागृत करने के लिए भी मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (Women’s Day in Hindi) का इतिहास

अगर सूत्रों की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि सन् 1908 में न्यूयॉर्क में महिलाओं ने अपने काम के घण्टे कम करने लिए मार्च निकाला था, ऐसा कहा जाता है उस समय मार्च करने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 15000 थी। इसी दिन के ठीक एक साल बाद यानी 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women’s Day) घोषित कर दिया था, जोकि 28 फरवरी को मनाया गया। उसके बाद 1913 में महिला दिवस की तारीक में बदलाव किया गया और फिर 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने लगे।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम (International Women’s Day Theme in Hindi)

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम “सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार, समानता, सशक्तिकरण।” रखी गई है। यह थीम महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों, समानता और उनके सशक्तिकरण को केंद्र में रखकर बनाई गई है। इसका उद्देश्य समाज में मौजूद उन बाधाओं को समाप्त करना है जो महिलाओं की प्रगति में अवरोध उत्पन्न करती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर क्या है खास?

  • प्रारंभ से ही डिजिटल दुनिया में महिलाओं का अधिकाधिक योगदान रहा है। महिलाओं के अनेकों प्रयत्नों से ही डिजिटल दुनिया अपने वर्तमान रूप में परिवर्तित हो पाई है। परंतु उनके इस योगदान का न तो सम्मान किया गया, न ही उसकी सराहना की गई। आज भी डिजिटल दुनिया में महिलाओं को पिछड़ा रखा गया। यही कारण है कि महिलाएं डिजिटल दुनिया के क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमताओं के अनुकूल कार्यरत नहीं हो पाती है। डिजिटल दुनिया के कई क्षेत्र जिनमें महिलाएं पुरुषों से कई गुना बेहतर कर सकती थी, आज पुरुष प्रधान समाज होने की वजह से पिछड़े हुई हैं।  
  • परंतु वर्तमान डिजिटल दुनिया में महिला व किशोरी सशक्तिकरण कार्यक्रमों के प्रयासों से पिछड़े और पीड़ित वर्ग को समान अधिकार मिले, इसके लिए कई रास्ते खोले जा रहे हैं। इससे महिलाओं को अनेकों सुविधाएं मुहैया हो रही हैं। आशा है कि डिजिटल शिक्षा से लेकर महिलाओं की अनेकों समस्याओं का समाधान संभव हो सकेगा। महिलाओं के प्रति दुराभाव समाप्त होगा। 
  • इस वर्ष 8 मार्च 2025 को अनेकों सरकारी, व गैर सरकारी संस्थान तथा निजी संस्थान महिलाओं के लिए डिजिटल दुनिया को सुरक्षित, अनुकूल तथा समदृष्टि बनाने के लिए प्रयत्न करेंगे। इनका उद्देश्य डिजिटल दुनिया को न सिर्फ महिलाओं व बेटियों के लिए, अपितु समस्त मानव समाज के लिए समान व सुरक्षित बनाना है। 

International Women’s Day [Hindi] | नारी का स्थान और महत्व

अगर बात करें महिलाओं के स्थान की तो कहने को तो सभी कहते हैं कि बेटा – बेटी एक सम्मान हैं लेकिन फिर भी बेटी के साथ भेदभाव किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सभी लोगों की यह सोच है लेकिन फिर भी बड़ा तबका यही सोचता हैं। आज भी नारी को केवल घर की चारदीवारी के अंदर काम करने वाली के रूप में देखा जाता है, आज के दौर में भी महिलाओं को बोला जाता है कि तुम ऑफिस के कामों के लिए नहीं घर के कामों के लिए बनी हो। महिलाओं के साथ बलात्कार, घरेलू हिंसा आदि के मामले आम अखबार में पढ़ने को मिल जाते हैं, और तो और लोग छोटी बच्चियों को भी नहीं छोड़ते। वहीं दूसरी और बात करें हमारे सदग्रंथों की तो उनमें महिलाओं को पूरा सम्मान दिया गया है, हिंदू धर्म में तो औरत को देवी का दर्जा दिया गया है।

महिला, समाज और कानून

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के लिए कानून, संस्था एवं अनेकों प्रावधान बनाये गए हैं। महिलाओं के बेहतर आज और सुरक्षित कल के लिए लगातार सभी ओर से प्रयास होते रहे हैं। भारत की बात करें तो भारतीय संविधान में महिलाओं से सम्बंधित अपराध जैसे सती प्रथा, दहेज प्रथा, छेड़छाड़, बलात्कार, प्रताड़ना आदि से सम्बंधित कानून बनाए गए हैं। कानून बनाना अलग बात है और कानून लागू होना अलग बात है। समाज में कानून से बचने के चोर दरवाजे हमेशा ढूँढ़ लिए जाते हैं। दहेज के नाम पर औरतें अब भी जिंदा जलाई जाती हैं, बलात्कार के बाद आग में फूँक दी जाती हैं, प्रतिदिन आते जाते छेड़छाड़ का सामना करती हैं, भ्रूण हत्या का सामना करती है। 

■ Read in English: International Women’s Day: Know The Role of Innovation & Technology in Empowering Women

समाज में अनेकों ऐसी प्रथाएँ रही हैं जिनमें महिलाओं को निकृष्टतम समझा गया है। इसके निवारण लिए अनेकों कानून बनाये गए जिनमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारतीय दंड संहिता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त औरतों की खरीद फरोख्त पर रोक से लेकर हिन्दू विवाह एक्ट तक अपराधों पर रोक लगाने एवं औरतों को समानता का दर्जा देने के लिए कदम उठाये गए हैं ।  

आखिर क्यों समाज का स्तर गिरता जा रहा है?

International Women’s Day in Hindi: भारत जैसे महान देश में भी आये दिन यौन उत्पीड़न की खबरे सुनने को मिल जाती हैं आखिर क्या कारण है कि बेटी घर में भी सुरक्षित नहीं है। यहाँ तक कि भाई, बाप ने भी लड़की का यौन उत्पीड़न किया यह खबरे देखने को मिल जाती है, यहाँ से यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि समाज में लोगों का मनोबल गिर चुका है। आपने कभी सोचा है इन सब का कारण क्या है? सबसे बड़ी बात तो घर का माहौल है जहा से बच्चे संस्कार सीखते हैं।

Social Research: बेटियों के साथ हो रहे बर्ताव पर एक नजर, बेटा-बेटी में फर्क नहीं है  | SA NEWS

अगर घर में अच्छी शिक्षा दी जाए तो बच्चों का व्यवहार बाहर भी अच्छा होगा। लोग परमात्मा से दूर होते जा रहे हैं, केवल धन कमाना उदेश्य रह गया है। दूसरी वजह बॉलीवुड फ़िल्में, गाने आदि है जिनसे बच्चे बहुत कुछ गलत सीखते हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के शिष्य इन सब का बहिष्कार करते हैं क्योंकि इन सब का हमारे दिमाग पर गलत असर पढ़ता है। यह बॉलीवुड फिल्में रेप, नशा, चोरी, दहेज प्रथा जैसी बुराइयों को बढ़ावा देती हैं। लेकिन संत रामपाल जी का ज्ञान ऐसा है कि इन सब को जड़ से खत्म कर सकता है।

सन्त रामपाल जी ने दिलाया बराबरी का हक़

International Women’s Day 2025 Special: समाज में महिलाओं का आकलन सदैव कम किया गया है। परमात्मा के संविधान में प्रत्येक जीव उसके जाति, लिंग, रंग से परे बराबर है। लेकिन तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने धर्म अनुसार महिला को देवी का दर्ज़ा तो दिया पर साथ ही अनेकों बंदिशें भी उस पर लगा दी। वह कब शुद्ध है कब अशुद्ध यह निर्धारित करने का ठेका भी धर्म के ठेकेदारो ने ले लिया। महिलाएं क्या कर सकती हैं और क्या नहीं यह समाज ने अपनी सहूलियत से निर्धारित किया। 

स्त्री को उसके असली सम्मान का हक़ दिलाया है सन्त रामपाल जी महाराज ने। संविधान, संस्थाएं तो दशकों से लगे हैं लेकिन स्त्री की स्थिति समाज में नहीं सुधर सकी। कानून तो बने लेकिन इन्हें हरकत में लाना सदियों पुराने समाज में कठिन रहा। सन्त रामपाल जी महाराज ने अब स्त्रियों को उनका हक़ दिया है। उन्हे समझाया है कि स्त्री और पुरुष के परे वे आत्मा हैं।

सन्त रामपाल जी ने अपने तत्वज्ञान में समझाया है कि यह शरीर स्त्री और पुरुष का आवरण मात्र है। उन्होंने बेटियों को बेटों से बेहतर ठहराया। उनका बताया तार्किक तत्वज्ञान समाज में फैले रूढ़िवाद पर तमाचा है। सन्त रामपाल जी महाराज ने बेटियों के लिए ऐसे स्वस्थ और सुरक्षित समाज की नींव रखी है जिसने बेटियों को खुलकर हँसने का अवसर दिया है। सन्त रामपाल जी ने अपने तत्वज्ञान के आधार पर समझाया है कि स्त्री पुरुष के बराबर नहीं बल्कि कुछ आगे ही है।

International Women’s Day in Hindi: सन्त रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान ने ऐसा असर डाला है कि लोग स्वयं दहेज नहीं लेना चाहते। हजारों बेटियां आज प्रसन्नता से सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं। यह समाचार सन्त रामपाल जी महाराज एप्प पर भी प्रतिदिन देखे जा सकते हैं। संत रामपाल जी के ज्ञान में ऐसा क्या है कि लोग स्वयं ही अपराधों से मुक्त होने की ओर अग्रसर होना चाहते हैं। जानने के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल। 

क्या सीख देते हैं संत रामपाल जी महाराज?

संत रामपाल जी महाराज कोई आम संत नहीं हैं, बल्कि वो एक ऐसे संत हैं जिनके वचन में शक्ति है। संत रामपाल जी महाराज सिर्फ बुराइयों से अवगत ही नहीं करवाते, बल्कि वो अपना ज्ञान सुना के बुराइयों को छुड़वाते भी हैं। संत रामपाल जी के शिष्य उनके नियमों का सख़्ती से पालन करते हैं, संत रामपाल जी के अनुयायी चोरी, जारी आदि बुराइयों से दूर हैं। आइये जानते हैं संत रामपाल जी के शिष्य क्या नियम पालन करते हैं:-

  • संत रामपाल के अनुयाई न दहेज लेते हैं न देते हैं उनके शिष्य बिना दहेज के शादी करते हैं। ऐसे में संत रामपाल जी अच्छा समाज तैयार कर रहे हैं।
  • संत रामपाल जी के शिष्य लड़का या लड़की में अंतर नहीं मानते, क्योंकि उनका कहना है दोनों परमात्मा के जीव हैं। क्योंकि उनका मानना है स्त्री हो या पुरुष दोनों को परमात्मा पाने का अधिकार है। कबीर साहेब कहते हैं:-

कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटैं हरि नाम।

जैसे कुआँ जल बिना, बनवाया किस काम।।

  • संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई चोरी, जारी नहीं करते क्योंकि हमारे सदग्रंथों के अनुसार हम अगर ऐसी गलती करते हैं तो उसका हिसाब ईश्वर के दरबार में देना पड़ता है।
  • संत रामपाल जी के अनुसार अनुयाई को पराई स्त्री को, अपनी बहन, माँ, बेटी के समान समझना चाहिए।

गरीबदास जी महाराज कहते हैं:-

गरीब, पर द्वारा स्त्री का खोलै, सत्तर जन्म अन्धा हो डोलै।।

इसके अलावा संत रामपाल जी महाराज ने नशा, रिश्वतखोरी, भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों पर भी रोक लगाई है। इसके अलावा उनके शिष्य रक्तदान शिविर आदि भी लगाते हैं, इससे यह साबित होता है संत रामपाल जी महाराज अच्छे समाज सुधारक हैं।

संत रामपाल जी महाराज के बारे में भविष्यवक्ताओं का क्या है कहना?

संत रामपाल जी के बारे में हमारे सदग्रंथों में भी प्रमाण है। संत रामपाल जी के पूर्ण संत होने का प्रमाण केवल हमारे सदग्रंथो ने ही नहीं बल्कि दुनिया भर के भविष्यवक्ताओं ने भी दिया हैं। उस संत के बारे में नास्त्रेदमस, अमेरिका के श्री एण्डरसन, इंग्लैण्ड के ज्योतिषी ‘कीरो’, अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता ‘‘जीन डिक्सन’’ आदि ने भी अपनी भविष्यवाणियों में कहा है कि पूरे विश्व में वह संत अपने ज्ञान से तहलका मचा देगा। उस संत के बारे में लिखा है उसके ज्ञान और बताई भक्ति से विश्व मे शांति स्थापित होगी और उसका बताया ज्ञान पूरे विश्व में फैलेगा। कबीर साहेब कहते हैं

कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।

गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुराण।।

FAQS on International Women’s Day 2025 (Hindi)

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है? 

उत्तर: प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व क्या है?

उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विशेष महत्त्व है। इस दिन को न केवल महिलाओं को उनके खोए हुए समान दिलाने, बल्कि महिलाओं को समान अधिकार व अधिकार के प्रति जागरूक बनाने के लिए मनाया जाता है। 

कौन से ऐसे संत है जिन्होंने दिलाया है महिलाओं को खोया हुआ सम्मान?

उत्तर: संत रामपाल जी महाराज वह संत हैं, जिन्होंने महिलाओं को खोया हुआ सम्मान दिलाने के लिए अनेकों प्रयत्न किए है। दहेज प्रथा को 17 मिनट के रमैनी विवाह पद्धति से ख़त्म किया है। 

महिला दिवस का इतिहास क्या है और इसे मनाने की शुरुआत कब हुई?

महिला दिवस की शुरुआत 1908 में न्यूयॉर्क में हुई, जब महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई थी। इसके बाद 1910 में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली और 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक रूप से मनाने का निर्णय लिया। तब से हर साल इस दिन को महिला अधिकारों और समानता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।

महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों है, क्या महिलाएं आज भी पिछड़ी हुई हैं?

हालांकि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन अब भी कई जगहों पर उन्हें भेदभाव, हिंसा, घरेलू उत्पीड़न और असमानता का सामना करना पड़ता है। कई देशों में महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। इसी कारण यह दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जरूरी है।

समाज में महिलाओं को समानता दिलाने के लिए क्या किया जा सकता है?


महिलाओं को समानता दिलाने के लिए हमें उन्हें शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी होगी। दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव और महिला शोषण जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सख्त कानूनों का पालन किया जाना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज जैसे समाज सुधारकों ने महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रयास किए हैं, जिनका अनुसरण करके समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।

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