February 4, 2025

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस 2020: International Family Day क्या है?

Published on

spot_img

आज पाठकों को “15 मई फैमिली डे” “अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस” के बारे में जानकारी दे रहे हैं। परिवार समाज की सबसे महत्वपूर्ण और छोटी इकाई है। दुनिया भर में परिवारों के प्रति अपने कर्तव्यों और प्रेम को जाग्रत करने के लिए प्रतिवर्ष 15 May को International Family Day 2020 या अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है।

क्या है अंतराष्ट्रीय परिवार दिवस?

प्रत्येक 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार जो समाज की सबसे महत्वपूर्ण और छोटी इकाई है, का दिन आज मनाया जाता है। दुनिया भर में परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों और प्रेम को जाग्रत करने के लिए प्रतिवर्ष 15 मई को इंटरनेशनल फैमिली डे या अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार का महत्व अलग से बताने की आवश्यकता नहीं है। मदर्स डे के बाद फैमिली डे ही एक ऐसा दिन है जो हमें परिवार के साथ लाता है। हम जानते हैं कि परिवार एक महफूज़ ठिकाना है हम सभी के लिए। परिवार के साथ होने और अकेले जीवन यापन करने में अंतर है।

परिवार के साथ हमें बड़ों की छांव मिलती है, प्रेम , परवरिश, देखभाल, परम्परा से जुड़ाव के साथ-साथ अकेलेपन से दूर रखने में अहम भूमिका परिवार ही निभाता है। आज का दिन समाज में पारिवारिक कर्तव्यों और परिवार नियोजन से जुड़ी जानकारी देने को लेकर और वैश्विक समुदाय के परिवारों को प्रभावित करने वाले कारकों, जनसांख्यिकी और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने हेतु परिवार दिवस मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस का इतिहास

सबसे पहले सन 1994 में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली द्वारा प्रतिवर्ष 15 मई को परिवार दिवस घोषित किया गया। आज के दिन का प्रयोग देश दुनिया के लोगों को उनके परिवारों से जोड़ने और इन मुद्दों को लेकर परिवार में जागरूकता फैलाने को लेकर किया गया। वैसे भी इस वर्ष लॉकडाउन के चलते अनेकों लोग अपने परिवार से दूर हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि प्रतिवर्ष फैमिली डे को एक थीम के तहत मनाया जाता है उदाहरण के लिए वर्ष 1996 में जब यह मनाया गया तब इसकी थीम गरीबी और बेघरता पर थी। साल 1996 के बाद से संयुक्तराष्ट्र के महासचिव ने प्रति वर्ष एक विशेष थीम बनाने की बात कही। फैमिली डे 2020 (international family day 2020) की थीम है

“परिवार और जलवायु सम्बन्ध”

international family day 2020 theme

अंतराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की वजह

विदेशों में मनाने वाले डे की नकल भारत ने भी की यह भूलकर की हमारी संस्कृति परिवार के लिए किसी खास डे की मोहताज बिल्कुल भी नहीं है। हमारे यहां बच्चे तीन पीढ़ियों के अनुभवों के मार्गदर्शन में पलते और बढ़ते हैं। एक पीढ़ी दादा-दादी की और दूसरी पीढ़ी माँ-पिता की और तीसरी पीढ़ी वे स्वयं। हां कुछ समय से परिवारों के विघटन की स्थिति सामने आई है जो कि सही ज्ञान के अभाव का नतीजा है।

मूल्यों का विघटन, उचित मार्गदर्शन और संस्कारों के अभाव

आधुनिक समय में मूल्यों का विघटन तेजी से हो रहा है। चारों ओर अवसाद, टूटन और अकेलेपन के नजारे हैं। इसका एक मुख्य कारण परिवार से दूर होना भी है। परिवार से व्यक्ति को भावनात्मक सहारा मिलता है। यह अवसाद में घिरने से बचाता है। आज के एकल परिवारों में किसी के पास समय ही नहीं है अपने बच्चों या बच्चों को अपने माता पिता से बात करने के लिए। जबकि दोनों को ही एक दूसरे के प्रेम व बच्चों को मार्गदर्शन के सहारे की आवश्यकता है।

Read in English: International Family Day 2020-Family behind the success of members 

सही मार्गदर्शन न होना न केवल अवसाद बल्कि अपराधों को भी बढ़ावा देता है, जबकि परिवार के बीच रहने पर न केवल भावनात्मक सहारा बल्कि सही मार्गदर्शन भी समय समय पर मिलता है। परिवार उन्नति के रास्ते खोलता है। परिवार दिवस का एक उद्देश्य यह भी है, आज उचित मार्गदर्शन और संस्कारों के अभाव बागी होती जा रही युवा पीढ़ी को भी परिवार के प्रति जागरूक करना है। अंतराष्ट्रीय परिवार दिवस के प्रतीक चिन्ह को हम देखते हैं तो पाते हैं एक हरे रंग के गोले के अंदर एक घर बना है और उस घर में है एक दिल। यह लोगो या चिन्ह समाज में परिवार की महत्ता दर्शाता है। समाज यदि इमारत है तो परिवार ईंट है।

परिवार है सदा के लिए…

जी बिल्कुल सही, परिवार तो सदा के लिए है पर जानकारी के लिए बता दें कि यह परिवार जिसमें हम रह रहे हैं वह बिल्कुल नहीं। भारतीय दर्शन का अध्ययन करने वाले इस बात से परिचित होंगे कि आज प्रत्यक्ष रूप में हमारे सामने जितने भी सम्बन्ध है वे सभी कर्मबन्धन के नतीजे हैं। एक प्रसिद्ध कथा है ऋषि सुखदेव जी की।

सुखदेव ऋषि 11 वर्ष तक अपनी माता के गर्भ में रहे और जब ब्रम्हा, विष्णु और महेश द्वारा विनती करने पर बाहर आये तो बिना पिता की ओर देखे आगे बढ़ते चले गए। अपने पिता द्वारा चेहरा दिखाने की विनती करने पर उन्होंने उत्तर दिया कि न जाने कितनी बार आप मेरे और मैं आपका पिता हुआ हूँ। यही तथ्य श्रीमद्भागवत भी स्पष्ट करती है कि परिवार या सम्बन्ध कर्मबन्धन का नतीजा है।

कबीर साहेब कहते हैं:

एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं |
ऋण सम्बन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा ||

फिर हमारा असली परिवार कौन सा है? हमारा असली परिवार है सतलोक में सभी आत्माएं जहां की निवासी हैं। हमारा पिता है कबीर परमेश्वर और उसके पास तक मात्र एक तत्वदर्शी सन्त ले जा सकता है। वर्तमान में तत्वदर्शी सन्त हैं जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज। याद रखें गुरु तो राम और कृष्ण ने भी बनाए। फिर गुरु बिन मुक्ति का स्वप्न छेद वाली नाव में बैठने जैसा है अर्थात दुर्गति तय है। आदरणीय कबीर साहेब कहते हैं-

कबीर सतगुरु के उपदेश का, सुनिया एक बिचार |
जो सतगुरु मिलता नहीं, जाता यम के द्वार ||
कबीर यम द्वार में दूत सब, करते खैंचा तानि |
उनसे कभू न छूटता, फिरता चारों खानि ||
कबीर चार खानि में भरमता, कबहुँ न लगता पार |
सो फेरा सब मिट गया, मेरे सतगुरु के उपकार ||
कबीर सात समुद्र की मसि करूँ, लेखनि करूँ बनिराय |
धरती का कागद करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ||

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब

और इस प्रकार वे सतगुरु की महिमा बताते हुए आग्रह करते हैं कि चार खानि ( जेरज, अंडज, उद्भज और स्वेदज) से उत्पन्न होने वाली 84 लाख योनियां तरह तरह के भ्रम में पड़कर चक्कर काटती रहती हैं लेकिन बिना तत्वदर्शी सन्त के मुक्त कोई नहीं होता। हमें तत्वदर्शी सन्त की पहचान करके अपने वास्तविक परिवार तक पहुंचना है।

विश्व फ़ैमिली डे पर विशेष

  • इसका अर्थ यह नहीं कि आज जो परिवार हमारे समक्ष है उसका कोई मोल नहीं।
  • हमारे कर्तव्य इससे जुड़ें हैं। माता, पिता, भाई, पत्नी, बहन, पति सभी का समान रूप से आदर व देखभाल करना हमारा कर्तव्य है।
  • हमें स्वयं भक्ति करना है और परिवार को भी प्रेरित करना है अन्यथा यहां चौरासी लाख योनियों में फंसकर हम जिन्हें प्रेम करते हैं, जो हमें प्रेम करते हैं, हमारे परिवारजन आदि हमसे बिछड़ जाएंगे।
  • यदि हम चाहते हैं कि हमारा साथ सदा के लिए बना रहे तो इस बात को ध्यान रखकर पूर्ण सन्त से नामदीक्षा लेकर भक्ति मार्ग में आगे बढ़कर लगन से भक्ति करें।

ताकि हम सभी अपने निज स्थान में जाएं जहां सर्व सुखों के साथ हमारा असली परिवार हैं। वहां जन्म-मृत्यु का बंधन नहीं है और पूर्ण परमात्मा के अथाह प्रेम का सरोवर है। ज्ञान समझें और अपने माता पिता बच्चों को भक्ति की ओर अग्रसर करें। बुद्धि कहती है कि शुभ काम में देरी नहीं करनी चाहिए इसलिए तत्वदर्शी सन्त की पहचान करके हमें भी अपनी भक्ति में तनिक भी विलंब न करते हुए नामदीक्षा लेनी चाहिए। कहावत है पल पल महत्वपूर्ण होता है और यहाँ तो हमारी सांसो की गिनती हो रही है न जाने कब कौन सी सांस आखिरी हो।

Latest articles

Lata Mangeshkar Death: सुर कोकिला लता मंगेशकर का निधन, 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Lata Mangeshkar Death: महान गायिका लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज़ से लोगों के...

World Cancer Day 2025: सतभक्ति रूपी अचूक दवा है, कैंसर जैसी लाईलाज बीमारी का इलाज

Last Updated on 3 February 2025 IST: विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day in...

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 30 April 2024 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...

Shab-e-Barat 2025: Only True Way of Worship Can Bestow Fortune and Forgiveness

Last Updated on 3 February 2025 IST | Shab-e-Barat 2025: A large section of...
spot_img

More like this

Lata Mangeshkar Death: सुर कोकिला लता मंगेशकर का निधन, 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Lata Mangeshkar Death: महान गायिका लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज़ से लोगों के...

World Cancer Day 2025: सतभक्ति रूपी अचूक दवा है, कैंसर जैसी लाईलाज बीमारी का इलाज

Last Updated on 3 February 2025 IST: विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day in...

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 30 April 2024 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...