November 14, 2025

विशेषताएं जो पहचान है कबीर साहेब के परमात्मा होने की!

Published on

spot_img

यह तो स्पष्ट है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमेश्वर हैं। उन्होंने स्वयं ही नहीं कहा बल्कि दुनिया के सभी धर्म ग्रन्थ कुरान से लेकर बाइबल तक और वेदों से लेकर गुरु ग्रन्थ साहेब तक परमेश्वर कबीर की महिमा गाते हैं। कबीर साहेब के विषय में उन संतों ने भी सुस्पष्ट बताया है कि वे ही भगवान हैं जिन्होंने उनका साक्षात्कार किया। कबीर साहेब प्रत्येक युग में भिन्न नामों से अवतरित हुए हैं। 

चारों युगों कबीर परमात्मा के साक्षी

परमेश्वर कबीर प्रत्येक युग में आते हैं। कबीर साहेब सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेता युग में मुनीन्द्र ऋषि के नाम से, द्वापरयुग में करुणामयी एवं कलियुग में अपने वास्तविक नाम कबीर से आते हैं। वेदों में इसकी गवाही दी गई है। 

यजुर्वेद के अध्याय नं. 29 के श्लोक नं. 25 (संत रामपाल दास द्वारा भाषा-भाष्य):-

समिद्धोऽअद्य मनुषो दुरोणे देवो देवान्यजसि जातवेदः।

आ च वह मित्रामहश्चिकित्वान्त्वं दूतः कविरसि प्रचेताः।।25।।

समिद्धः-अद्य-मनुषः-दुरोणे-देवः-देवान्-यज्-असि-जातवेदः- आ- च-वह-

मित्रामहः-चिकित्वान्-त्वम्-दूतः-कविर्-असि-प्रचेताः

अनुवाद:- (अद्य) आज अर्थात् वर्तमान में (दुरोणे) शरीर रूप महल में दुराचार पूर्वक (मनुषः) झूठी पूजा में लीन मननशील व्यक्तियों को (समिद्धः) लगाई हुई आग अर्थात् शास्त्राविधि रहित वर्तमान पूजा जो हानिकारक होती है, उसके स्थान पर (देवान्) देवताओं के (देवः) देवता (जातवेदः) पूर्ण परमात्मा सतपुरूष की वास्तविक (यज्) पूजा (असि) है। (आ) दयालु (मित्रामहः) जीव का वास्तविक साथी पूर्ण परमात्मा ही अपने (चिकित्वान्) स्वस्थ ज्ञान अर्थात यथार्थ भक्ति को (दूतः) संदेशवाहक रूप में (वह) लेकर आने वाला (च) तथा (प्रचेताः) बोध कराने वाला (त्वम्) आप (कविरसि) कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर हैं।

पूर्ण परमेश्वर कभी माता से जन्म नहीं लेते और न ही वे साधारण शिशु की भाँति बड़े होते हैं। पूर्ण परमेश्वर का अवतरण होना ही असाधारण बात है एवं वे कुंआरी गायों के दूध से पोषित होते हैं (ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9)। परमेश्वर कबीर लीला करते हुए बड़े होते हैं एवं अपना तत्वज्ञान अच्छी आत्माओं को विभिन्न काव्यरूपों में सुनाते हैं एवं कवि की पदवी प्राप्त करते हैं एवं सन्त की भूमिका करते हैं (ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17,18)।

कबीर साहेब सतयुग में विद्याधर और दीपिका नामक माता पिता को सतलोक से सशरीर प्रकट होकर शिशु रूप में प्राप्त हुए थे। त्रेतायुग में वेदविज्ञ एवं सूर्या नामक ब्राह्मण दंपत्ति को प्राप्त हुए। द्वापरयुग में कबीर साहेब निसन्तान वाल्मीकि दम्पत्ति कालू और गोदावरी को प्राप्त हुए। कलियुग में नीरू और नीमा नामक ब्राह्मण दम्पत्ति जिनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जा चुका था, को शिशु रूप में काशी के लहरतारा तालाब में प्राप्त हुए। प्रत्येक युग में परमेश्वर अच्छी आत्माओं को मिलते हैं एवं सतलोक से और सृष्टि रचना से परिचित करवाते हैं। जैसे त्रेतायुग में नल-नील, मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी को मिले एवं तत्वज्ञान समझाया। द्वापरयुग में सपच सुदर्शन को अपनी शरण में लिया जिन्होंने पांडवों का शंख बजाया था।

कैसे बना रामसेतु?

वास्तव में समुद्र पर पुल राम नाम वाले पत्थरों से नहीं बना था। वह बना था परमेश्वर कबीर की कृपा से। घटना त्रेतायुग की है जब परमेश्वर कबीर मुनीन्द्र ऋषि के रूप में अवतरित हुए थे। मुनीन्द्र ऋषि के कई शिष्यों के बीच नल व नील नाम के दो भाई थे। जिन्हें कबीर साहेब का वरदान प्राप्त था कि वे कोई भी वस्तु पानी मे डालेंगे तो डूबेगी नहीं। श्रीराम लंका जाने के लिए वानर सेना के साथ तैयार बैठे थे। जब समुद्र पार करने की समस्या सामने आई तब सभी ने निर्णय लिया कि नल और नील पुल बना देंगे।

यह भी पढ़ें: राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ

 इससे नल-नील प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी शक्ति पर अभिमान हुआ एवं जैसे ही उन्होंने पत्थर पानी में डाले त्यों ही वे डूब गए। श्री राम ने कहा कि आपके पास तो कोई शक्ति नहीं है तब समुद्र ने कहा कि नल-नील आज आपने अपने गुरुदेव को याद नहीं किया। जब वे असफल हुए तब उन्होंने अपने गुरु मुनींद्र ऋषि को याद किया। मुनींद्र ऋषि प्रकट हुए एवं उन्होंने बताया कि अपनी शक्ति पर अभिमान करने एवं कार्य आरम्भ करते समय अपने गुरुदेव को याद न करने के कारण उनकी शक्ति जा चुकी है।

परमेश्वर कबीर ने की नल-नील की मदद

जब नल और नील को यह पता चला कि उनकी सिद्धि उनके अभिमान के कारण खत्म हो गई है तो उन्होंने मुनींद्र ऋषि के रूप में आये परमेश्वर कबीर से क्षमा याचना की। मुनींद्र ऋषि ने एक पहाड़ के चारो ओर अपनी सिद्धि से घेरा बना दिया और कहा कि इस घेरे के भीतर के पत्थर पानी पर तैर जाएंगे। ऐसा ही किया गया और पत्थर पानी पर पत्थर तैरने लगे। नल नील शिल्पकार भी थे एवं हनुमान जी प्रतिदिन भगवान याद किया करते थे। 

■ Read in English | Identifications of Supreme & Almighty God Kabir Saheb

हनुमानजी दैनिक सिमरन करते हुए पत्थर उठा लाते और उस पर राम राम लिखते जाते इधर नल और नील उसे जोड़ तोड़ कर पुल बना देते। इस तरह राम सेतु का निर्माण हुआ। इस घटना के विषय में धर्मदास जी ने लिखा है-

रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।

जा सत रेखा लिखी अपार,सिंधु पर शिला तिराने वाले।

धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।

द्वापरयुग में कबीर साहेब जी ने बचाई द्रौपदी की लाज

कबीर परमेश्वर की लाज बचाने वाले कोई अन्य नहीं अपितु स्वयं पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब थे। वास्तव में कबीर साहेब आदि और अंत के जानने वाले हैं। परमेश्वर ने लीला के माध्यम से प्रथमतः द्रौपदी से एक अंधे साधु को दान करवाया और उसी दान से उसकी चीर हरण के समय रक्षा की। जब द्रौपदी अपने पिता द्रुपद के घर पर थी तब उसने स्नान के लिए जाते समय एक अंधे साधु को देखा जो जल के तालाब में कुछ खोज रहे थे। द्रौपदी के लौटते समय स्नान के पश्चात भी वे उसी प्रकार जल में रहे और कुछ खोजते रहे। ध्यान से देखने पर द्रौपदी ने पाया कि वे नग्न हैं। 

■ यह भी पढ़ें: Draupadi Short Story in Hindi | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

द्रौपदी अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर साधु की ओर बढ़ा देती है किन्तु वह जल के बहाव के कारण साधु तक नहीं पहुँच पाता। द्रौपदी अनेकों चीर जल में बहाती है अंत मे एक लकड़ी के सहारे से उसने अंधे सन्त तक कोपीन के लिए कपड़ा पहुँचाया। किया हुआ दान ही व्यक्ति के साथ रहता है और उसे कई गुना होकर मिलता है। द्रौपदी का यह दान उसके चीर हरण के समय काम आया जब उसके सभी पति हारे बैठे थे एवं सभी आदरणीय गुरुजन भी चुप्पी साधे बैठे रहे, कृष्ण घटना से अनजान थे एवं रुक्मिणी के संग चौपड़ खेल रहे थे। तब परमेश्वर कबीर ने आकर द्रौपदी के पूर्व में किये गए दान के फल से उसकी रक्षा की।

सृष्टि के रचनहार कबीर परमेश्वर

जीव की प्रत्येक क्षण मदद करने वाले पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब हैं। अंसख्यों ब्रह्मांडो के रचयिता परमेश्वर कबीर जी हैं। जीव को उसके भाग्य से अधिक देने वाले परमेश्वर कबीर हैं। अविनाशी, सर्वोच्च, दयालु, वात्सल्यमयी, दुखहर्ता, विघ्नहर्ता, सुखदायक, शांतिदायक, मोक्षदायक, केवल परमेश्वर कबीर हैं। सतलोक के मालिक सत्पुरुष कबीर साहेब हैं। इस दुनिया मे केवल ब्रह्मा विष्णु और महेश पूजे जाते हैं जबकि इनकी माता आदि शक्ति हैं एवं पिता ज्योति निरंजन काल (क्षर पुरुष) हैं। पिता को कोई जानता भी नहीं क्योंकि यह अव्यक्त रहता है और इसका भोजन जीवात्माएं हैं। क्षर पुरुष जीवात्माओं का भक्षण करते है। 

ब्रह्मा जी जोकि रजगुण के स्वामी हैं, के प्रभाव से जीव उत्पत्ति होती है, सतगुण के स्वामी विष्णु जी पालन पोषण के लिए उत्तरदायी हैं एवं शिव जी तमगुण के स्वामी संहार करते हैं। गीता अध्याय 17 के श्लोक 14 व 15 में इन तीन गुणों की उपासना वर्जित बताई गई है। वास्तव में जीव अपने कर्मबन्धनों से जो भी प्राप्त करता है केवल उतना ही ये देवता दे सकते हैं। भाग्य से अधिक नहीं। जबकि जो इस सृष्टि का रचनहार कबीर भगवान है वह परम अक्षर ब्रह्म है और वह भाग्य का लिखा मिटा सकते हैं, विधि का विधान बदल सकते हैं एवं अथाह सुख जीव को प्रदान कर सकते हैं।

कैसे सम्भव है मोक्ष?

मोक्ष का अर्थ है अपने वास्तविक स्थान सतलोक पहुंचना। आत्माएं क्षर पुरुष के साथ इन 21 ब्रह्मांडो में स्वेच्छा से आ गईं किन्तु यहाँ से निकलना उनके वश में नहीं है। काल ब्रह्म ने छल के साथ कर्म बंधनो में हमें बांध रखा है। मुक्ति का रास्ता कबीर साहेब प्रत्येक युग में प्रकट होकर स्वयं बताते हैं। कबीर साहेब स्वयं तीसरे लोक से चलकर आते हैं अच्छी आत्माओं को मिलते हैं एवं तत्वज्ञान से परिचित कराते हैं। कबीर साहेब तत्वदर्शी सन्त के रूप में भी इस पृथ्वी पर आकर जीवों का कल्याण करते हैं। वे नाम मंत्रों के द्वारा इस लोक में हमारे सभी बंधनो को खोलते हैं एवं घोर पापों का नाश करते हैं इसलिए बन्दीछोड़ कहलाते हैं।

बन्दीछोड़ सन्त रामपाल जी महाराज हैं पूर्ण तत्वदर्शी सन्त

तत्वदर्शी सन्त एक समय पर एक ही होता है और इस समय पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं सन्त रामपाल जी महाराज। सन्त रामपाल जी महाराज ने शास्त्रों आधारित तत्वज्ञान दिया है एवं शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को सरल करके बताया है। उन्होंने सत्यभक्ति पर आधारित नशामुक्त, दहेजमुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त एक निर्मल समाज की स्थापना की है। अधिक जानकारी के लिए डाउनलोड करें सन्त रामपाल जी महाराज एप्प। पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा व देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

Latest articles

National Press Day 2025: Is the Fourth Pillar of Democracy Failing Its Duty?

National Press Day is observed annually to highlight the need for the independence of the press in a democratic nation. Know its History & Theme

रामायण गाँव के ‘नए राम’: फसल बर्बादी के बीच आशा की किरण बने संत रामपाल जी महाराज

हिसार, हरियाणा – हरियाणा के हिसार जिले के रामायण गाँव की यह दास्तान किसी...

बाढ़ग्रस्त बोहल गांव में संत रामपाल जी महाराज की करुणा से लौटी किसानों की उम्मीद

हरियाणा राज्य के भिवानी जिले के बोहल गांव में इस वर्ष आई बाढ़ ने...
spot_img

More like this

National Press Day 2025: Is the Fourth Pillar of Democracy Failing Its Duty?

National Press Day is observed annually to highlight the need for the independence of the press in a democratic nation. Know its History & Theme

रामायण गाँव के ‘नए राम’: फसल बर्बादी के बीच आशा की किरण बने संत रामपाल जी महाराज

हिसार, हरियाणा – हरियाणा के हिसार जिले के रामायण गाँव की यह दास्तान किसी...