Last Updated on 23 March 2023, 4:54 PM IST: Hindu Nav Varsh 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रत्येक वर्ष नव संवत्सर (नववर्ष) मनाया जाता है। इस बार हिंदू नववर्ष की शुरुआत 22 मार्च 2023 से हो चुकी है। वहीं इस साल 2080 वां नवसंवत्सर (Hindu New Year 2080) मनाया जा रहा है। यह अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष 2023 है तो हिंदू पंचांग के अनुसार, यह नववर्ष अर्थात नव संवत्सर 2080 है। प्रिय पाठकों को इस अवसर पर इस लेख से अवगत कराएंगे कि वर्तमान समय में तत्वदर्शी संत अर्थात पूर्ण संत कौन है तथा जानेंगे कि कौन हैं सम्पूर्ण सृष्टि के रचनहार?
हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year 2080): मुख्य बिंदु
- विक्रम संवत के अनुसार मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष।
- इस वर्ष देश में 2080वां हिन्दू नववर्ष मनाया जा रहा है।
- भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है इस दिन को।
- हिन्दू धर्म में 60 संवत्सरों का वर्णन है।
- पूर्ण गुरु से सतभक्ति प्राप्त कर करें वास्तविक नववर्ष की शुरुआत।
- इस नववर्ष पर जानें कि संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र पूर्ण संत हैं।
एक नजर नवसंवत्सर अर्थात हिन्दू नववर्ष के इतिहास (Hindu New Year History) पर
नव संवत्सर के इतिहास (Hindu New Year History) की बात करें तो इसकी शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा/एकम को नवसंवत की शुरुआत होती है। इसे भारतीय या हिंदू नववर्ष भी कहा जाता है।
हिन्दू नववर्ष (Hindu Nav Varsh 2023) सम्बंधी कुछ दंत कथाएं भी समाज में प्रचलित हैं
- ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी थी। इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की काल गणना की जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। इसलिए पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष (Hindu New Year 2080) शुरू हो जाता है।
- यह भी प्रचलित है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को ही राजा राम तथा युधिष्ठिर का राज्याभिषेक किया गया था इसी कारण इस दिवस को नववर्ष (Hindu New Year) के रूप में मान्यता दी गयी।
- इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलय काल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलय काल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।
- एक अन्य किंवदंती के अनुसार सतयुग का प्रारंभ भी इसी दिन से हुआ।
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अलग-अलग राज्यों में नववर्ष को अलग-अलग नामों से जाना जाता है
ईरान देश में इस तिथि पर ‘नौरोज’ अर्थात ‘नववर्ष’ (Hindu New Year 2080) मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश में यह पर्व ‘उगादिनाम’ से मनाया जाता है। उगादि का अर्थ होता है युग का प्रारंभ अथवा ब्रह्मा की सृष्टि रचना का पहला दिन। इसी तरह इस दिन को जम्मू-कश्मीर में ‘नवरेह’, पंजाब में वैशाखी, महाराष्ट्र में ‘गुडीपड़वा’, सिंध में चेटीचंड अर्थात चैत्र का चांद, केरल में ‘विशु’, असम में ‘रोंगली बिहू’ आदि के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year 2023) के अवसर पर जानें कविर्देव जी हैं सर्वसृष्टि के रचनहार
आदरणीय संत गरीबदास साहेब जी अपनी अमृतमयी वाणी में सृष्टि रचना का वर्णन करते हुए बताते हैं कि
आदि रमैंनी अदली सारा। जा दिन होते धुंधुंकारा।।
सतपुरुष कीन्हा प्रकाशा। हम होते तखत कबीर खवासा।
उपरोक्त अमृतवाणी का भावार्थ है कि पहले केवल अंधकार था तथा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी सतलोक में तख्त (सिंहासन) पर विराजमान थे। पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी ने फिर सबकी उत्पत्ति की।
आदरणीय नानक साहेब जी अपनी अमृतमयी वाणी सृष्टि रचना के बारे में बताते हैं
आपे सचु कीआ कर जोड़ि। अंडज फोड़ि जोडि विछोड़।।
धरती आकाश कीए बैसण कउ थाउ। राति दिनंतु कीए भउ-भाउ।।
उपरोक्त अमृतमयी वाणी का भावार्थ है कि सच्चे परमात्मा (सतपुरुष कविर्देव जी) ने स्वयं ही अपने हाथों से सर्व सृष्टि की रचना की है।
- पवित्र अथर्ववेद कांड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 1-7 तथा ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 90 मंत्र 1-5, 15, 16 में लिखा है कि कविर्देव जी ही सर्व के रचनहार हैं।
- पवित्र श्रीमद्भागवत गीता जी अध्याय नं. 15 के श्लोक 1 से 4 तथा 16, 17 में भी स्पष्ट लिखा है वह पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष (कविर्देव जी) सर्व के सृष्टिकर्ता हैं।
सतभक्ति प्राप्त कर इस नववर्ष (Hindu New Year 2023) के अवसर पर मनुष्य जीवन को सफल बनाएं
वर्तमान समय में संतों का तांता लगा हुआ है पर इन संतों में से एकमात्र वास्तविक संत अर्थात तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं इस बात का प्रमाण इन अमृतमयी वाणियों में है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
उपरोक्त अमृतमयी वाणी का भावार्थ है कि जो तत्वदर्शी संत होगा वह चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद), छः शास्त्रों (न्याय, मीमांसा, वेदान्त, सांख्य, पंताजल, वैशेषिक), अठारह पुराणों आदि सभी सद्ग्रन्थों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात इनका सार निकालकर बताएगा। संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनमोल सत्संगों में इन सभी सद्ग्रन्थों से प्रमाण देकर सतभक्ति बताते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि संत रामपाल जी महाराज वास्तविक तत्वदर्शी संत हैं। अतः पाठकों से निवेदन है कि आज ही संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त करें तथा मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को जानें और पूरा करें। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल विजिट करें।
हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year 2080): FAQ
उत्तर – 2080 वां
उत्तर – प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा/एकम तिथि से
उत्तर – 57 वर्ष
उत्तर – कविर्देव / कबीर साहेब जी
उत्तर – न्याय, मीमांसा, वेदान्त, सांख्य, पंताजल, वैशेषिक