HomeHindi NewsWorld Human Rights Day 2022 (विश्व मानवाधिकार दिवस) पर जानें सभी मनुष्यों...

World Human Rights Day 2022 (विश्व मानवाधिकार दिवस) पर जानें सभी मनुष्यों का मूलभूत अधिकार क्या है

Date:

Last Updated on 10 December 2022, 4:38 PM IST: विश्व मानवाधिकार दिवस 2022 (World Human Rights Day): प्रति वर्ष 10 दिसम्बर को पूरे विश्व भर में मनाया जाता है विश्व मानवाधिकार दिवस। मानव को अपने अधिकारों का ज्ञान होना आज की पहली प्राथमिकता है। साथ ही अपने मूलभूत अधिकारों का ज्ञान होना आवश्यक भी है। क्या आप जानते हैं? आज अनेकों लोग शास्त्र सम्मत सत्यज्ञान से अनजान हैं। ये मानव का अधिकार है कि वह चाहे किसी भी धर्म जाति या लिंग का हो वह शास्त्रों को पढ़ने का अधिकार रखता है ।  

World Human Rights Day 2022: मुख्य बिंदु 

  • प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
  • 10 दिसंबर सन 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी गई थी।
  • 1950 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में निश्चित किया गया था।
  • मानव अधिकारों का खंडन करने वाले को संविधान द्वारा सजा का प्रावधान है।
  • देश में मानवीय अधिकारों से संबंधित कानून 28 सितंबर 1993 से लागू हुआ है। 
  • 12 अक्टूबर, 1993 में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया। 
  • मनुष्य का मूल कर्तव्य है कि सतभक्ति द्वारा आत्मकल्याण करवा कर अपने निज अधिकार (मोक्ष) को प्राप्त करे।
  • मनुष्य को मूल कर्तव्य से अवगत कराती है संत रामपाल जी महाराज की विचारधारा।

विश्व मानवाधिकार दिवस क्या है (What is Human Rights Day)?

आपको बता दें कि पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) मनाया जाता है। 1948 जिस दिन 10 दिसंबर था, को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी गई थी। अतः वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को “विश्व मानवाधिकार दिवस” मनाना निश्चित किया गया। इस अवसर पर जानें भारत के विशेष अधिकारों के विषय में। 

मानवीय अधिकार का अर्थ है कि चाहे कोई भी हो वह सम्मान, बराबरी, जिंदगी और आजादी का अधिकार रखता है। जी हां क्या आप इस बात से रूबरू हैं कि भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि जो व्यक्ति इन नियमों का खंडन करता है, उसे अदालत संविधान के अनुसार दण्डित करती है। हमारे भारत देश में मानवीय अधिकारों से संबंधित कानून 28 सितंबर 1993 से लागू हुआ है। हमारे यहां भारत सरकार द्वारा 12 अक्‍टूबर, 1993 में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था ।

मानव अधिकारों का खंडन करने पर संविधान द्वारा है सजा का प्रावधान 

व्यक्तिगत यदि बात करें तो मानवाधिकार, प्रत्येक व्यक्ति को पता होना चाहिए। सभी लोगों को जागरूक करना जरूरी है कि मानवाधिकार उनके मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का स्वामित्व (हक) देता है, जिसके हम सभी पूर्णतः हकदार हैं। मानवाधिकार हमें राष्ट्रीयता, निवास स्थान, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, धर्म, भाषा, या किसी अन्य स्थिति के आधार पर भेदभाव के बिना हर जगह हर व्यक्ति के अधिकारों का आश्वासन देता है। यह यदि सभी जानते हैं तो फिर अपने अधिकारों के लिए हमें कोई दबाव में नहीं रख सकता है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति को फिर अदालत द्वारा निर्धारित सजा दी जाती है।

मानवाधिकार (Human Rights) की क्या है आवश्यकता?

यदि हम स्वयं भारत में मानवाधिकारों की बात की करें तो 100% तय है कि वर्तमान में अनेकों व्यक्तियों यह भी पता नहीं कि मानवाधिकार होते हैं। जबकि वह, यह नहीं जानते है कि वे सभी नियम उनके स्वयं के अधिकार हैं। यदि देखा जाए तो पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर बहुत कम है, वहां मानवाधिकारों का खंडन होना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि वह जानते ही नहीं कि हमारे भी कोई अधिकार है जिनके माध्यम से हम अपने अधिकार ले सकते है। इसके बीच ही समझदार व्यक्ति इसका अनुचित लाभ उठा लेता है। 

■ Also Read: Ambedkar Jayanti: सत्यभक्ति से दूर होगा सामाजिक भेद भाव

बिल्कुल सत्य बात है कि ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे सभी इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। कुछ लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी तो है लेकिन वे इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं। ऐसा करना मानवीय धर्म के विरुद्ध है। मुख्य बात तो यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना चाहिए कि आपके अधिकारों को आप स्वयं, किसी भी आश्रय के बिना बड़ी ही आसानी-सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। इस लिए आइए जाते हैं कि हमारे मूल अधिकार क्या हैं ?

भारत देश में संविधान द्वारा नागरिकों को मिलता है उनका मूल अधिकार

जो भी व्यक्ति अपने स्वयं के अधिकारों से रूबरू नहीं हैं, वे इस जानकारी को जरूर पढ़ें और साथ अन्य को बताएं कि हम अपने अधिकारों को पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकते हैं ।

  • समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
  • संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)

अधिकारों के साथ कर्तव्य भी जरूरी

देश के प्रत्येक नागरिक का यह मुख्य कर्तव्य है कि वह पूर्ण समर्पित भाव से संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं का सम्मान करे। साथ ही राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखते हुए अमल करें। भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे, साथ ही अपनी पूरी क्षमता से निस्वार्थ भाव से भारत की रक्षा करे। उसके मन में यह अटल सत्य रहे कि भारत माँ की गोद में पल रहे हर बालक की मुझे रक्षा करनी है। भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना होनी चाहिए। 

■ Read in English: Human Rights Day: Know The Rights Every Human Deserves

World Human Rights Day (विश्व मानवाधिकार दिवस) हमें चाहिए कि हम हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें एवं उसका निर्माण करने में सहयोग करें। मन में इस बात के लिए भूल न पड़े कि हमारे द्वारा प्राकृतिक पर्यावरण को कोई हानि न हो, मिलकर उसका संवर्धन करें। सभी लोगों को अपने भीतरी अंतरात्मा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का दिन -प्रतिदिन विकास करना चाहिए।

नागरिकों को सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना चाहिए। सभी को सामूहिक एवं व्यक्तिगत गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयत्न करते रहना चाहिए। यह मूल कर्तव्य तो बिल्कुल भी नहीं भूलना है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को माता-पिता या संरक्षक द्वारा प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना  (यह 86वां संशोधन) है । इन सभी कर्तव्यों का निस्वार्थ भाव से पालन करना प्रत्येक भारतीय का धर्म भी है, दूसरी ओर इसे कर्म भी कह सकते हैं ।

World Human Rights Day (Hindi): मानवाधिकार का इतिवृत क्या है?

पूर्व में आपको बता दिया गया है की संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर, 1948 को विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 1950 में हुई। इस दिन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (International Human Rights Day) मनाने के लिए असेंबली ने सभी देशों को आमंत्रित किया, जिसके बाद असेंबली ने 423 (V) रेज़्योलुशन पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी। मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं। 

यदि बात हम हमारे भारत देश की करें तो यहां  28 सितंबर-1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्तूबर, 1993 को “राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग” का गठन किया गया था । परंतु आपको बता दें कि  संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया था। तब से लेकर आज तक इसी दिन यह दिवस मनाया जाता है।

विश्व मानवाधिकार दिवस थीम (Theme for World Human Rights Day 2022)

वर्ष 2022 के लिए संयुक्त राष्ट्र की थीम “डिग्निटी, फ्रीडम और जस्टिस फ़ॉर ऑल” रखी गई है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक को चाहे वो छोटा है या बड़ा या बूढ़ा, सबके अपने अधिकार हैं जिनसे उनको वंचित नही रखा जा सकता।

विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day): आत्मकल्याण के लिए सतभक्ति का रास्ता ही मनुष्य का अधिकार 

World Human Rights Day (विश्व मानवाधिकार दिवस): मानव जन्म में रहकर हमें सदग्रंथों का अध्ययन कर उनकी सच्चाई को समझना चाहिए। क्योंकि ग्रंथों में केवल सद्भक्ति करने का ही संकेत है। इनसे हमें यह भी पता चलेगा कि आत्मकल्याण किस विधि द्वारा करवा सकते हैं। यदि देखा जाए तो केवल सतभक्ति करने वाले व्यक्ति ही इस धरती पर पूर्ण नियमों का पालन कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता चल चुका है कि हम जिन अधिकारों के लिए रो रहे है, जिन सुखों को यहां नाशवान संसार में खोज रहे हैं, एक-दूसरे से तेरा-मेरा कर स्वयं में अधिकारी बन रहे हैं, यह सब परमात्मा पल में समाप्त कर हमें पूर्ण सुख प्रदान करते हैं । अब देखा जाए तो फिर चिंता किस अधिकार को प्राप्त करने की जब ईश्वर हमें हमारे मूल अधिकार को प्रदान कर रहा है।

संत रामपाल जी महाराज सभी धर्मग्रंथों के अनुसार देते हैं ज्ञान

संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मग्रंथों को खोलकर शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान सबके समक्ष रखा है। यह ज्ञान केवल सबसे श्रेष्ठ ही नहीं बल्कि पूर्णतः वैज्ञानिक और तार्किक हैं। भक्ति करने से ही विनम्रता आती है। ह्रदय कोमल बनता है। फिर भक्त आत्मा किसी को भी हानि नहीं पहुंचाते हैं।

World Human Rights Day (विश्व मानवाधिकार दिवस) : ऐसा निर्मल ज्ञान केवल संत रामपाल जी महाराज के द्वारा ही बताया जा रहा है। उनके द्वारा ही सत्य ज्ञान का प्रचार किया जा रहा है। संत जी के भक्त कभी भी किसी को दुख हानि नहीं पहुंचाते है। कभी भी कोई नशा नहीं करते है। इसलिए इस ज्ञान को यदि पूरा विश्व समझता है तो शांति ही रहेगी। कोई भी देश एक दूसरे से लड़ने की नहीं सोचेगा। कबीर साहेब जी का ज्ञान बहुत ही निर्मल और वेदों पुराणों के अनुसार है। इसलिए संत रामपाल जी महाराज जी के निर्मल ज्ञान व मानव देह का मूल्य समझ कर सतभक्ति करने का अटल संकल्प ले और जीवन का कल्याण कराए।

कबीर साहेब जी कहते हैं कि –

राम नाम निज सार है ,राम नाम निज मूल ।

राम नाम सौदा करो,राम नाम न भूल ।।

यदि हम इस बात को ध्यान में रखते हुए कर्म करते हैं तो परमात्मा हमें सर्व सुख प्रदान करते है, फिर हमें किसी भी व्यक्ति के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ते हैं अपने अधिकारों को प्राप्त करने।

मर्यादा में रहकर सतभक्ति करें

मनुष्य को मूल कर्तव्य से अवगत कराता है संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान। संत रामपाल जी महाराज ने अपने अनमोल ज्ञान के आधार पर मानव समाज को सर्व बुराइयों से मुक्त कराने का जो बीड़ा उठाया है वह निश्चित रूप से अद्वितीय है। आध्यात्मिक ज्ञान के आभाव से विश्व का मानव अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है। यदि हम सद्गुणों को ग्रहण करें तो हम धार्मिक बनेंगे धार्मिक बनकर हम भविष्य में होने वाले महा कष्ट से बचेंगे। 

सीधे शब्दो में कहें तो मानव जीवन का मूल उद्देश्य भक्ति करके भगवान के पास जाना है। मानव जीवन का मूल उद्देश्य भक्ति से भगवान तक है। संत रामपाल जी महाराज की अद्वितीय विचारधारा को विस्तृत रूप से जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा मानव कल्याण के उत्थान हेतु लिखित “पुस्तक जीने की राह” अवश्य अध्ययन करें व अधिक जानकारी हेतु सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल देखें।

FAQs विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day)

प्रश्न:- विश्व मानवाधिकार दिवस की घोषणा कब हुई?

उत्तर:- विश्व मानवाधिकार दिवस की घोषणा आधिकारिक तौर पर 1950 में 10 दिसंबर को हुई।

प्रश्न:- विश्व मानवाधिकार दिवस का महत्त्व क्या है?

उत्तर:- विश्व मानवाधिकार दिवस संविधान में वर्णित मानवाधिकारों के बारे में अवगत करवाते है।

प्रश्न:- विश्व मानवाधिकार दिवस की थीम क्या है?

उत्तर:- विश्व मानवाधिकार दिवस का थीम है ” डिग्निटी, फ्रीडम और जस्टिस फ़ॉर ऑल । “

प्रश्न: भारत देश के संविधान में नागरिकों के क्या मूल अधिकार हैं

उत्तर:- भारत देश के संविधान में नागरिकों को अनेकों अधिकार जैसे कि  समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, शिक्षा ग्रहण करना इत्यादि अशिकार प्राप्त हैं।

Abhishek Das Rajawat
Abhishek Das Rajawathttps://news.jagatgururampalji.org/author/abhishekdasji/
Name: Abhishek Das | Editor, SA News Channel (2015 - present) A dedicated journalist providing trustworthy news, Abhishek believes in ethical journalism and enjoys writing. He is self starter, very focused, creative thinker, and has teamwork skills. Abhishek has a strong knowledge of all social media platforms. He has an intense desire to know the truth behind any matter. He is God-fearing, very spiritual person, pure vegetarian, and a kind hearted soul. He has immense faith in the Almighty. Work: https://youtu.be/aQ0khafjq_A, https://youtu.be/XQGW24mvcC4

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related