Last Updated on 13 April 2022, 4:57 PM IST: Ambedkar Jayanti in Hindi: प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। सर्वविदित है कि डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया है। बाबा साहेब के सपने कितने हुए सच? संघर्ष आज भी जारी। पाठक गण जानेंगे कि सत्यभक्ति से ही पूर्ण रूप से समाप्त होंगी मानव समाज में व्याप्त सामाजिक असमानताएं।
Table of Contents
Ambedkar Jayanti [Hindi] के मुख्य बिंदु
- भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त डॉ. भीमराव अंबडेकर की 131वीं जयंती
- केंद्र सरकार ने हमेशा की तरह किया सार्वजनिक अवकाश घोषित।
- भारत में अंबेडकर के प्रगतिशील विचारों की प्रतिछाया आज भी दिखती है
- समाज सुधर रहा है, संत रामपाल जी महाराज के तत्वावधान में
प्रगतिशील समाज के पुरोधा डॉ. भीमराव अंबेडकर का परिचय
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में हुआ था। एक दलित समाज से स्वयं को सिद्ध करते हुए आगे आकर बाबा साहेब ने जातिवाद को ठेंगा दिखाया था। उन्होंने जातिवाद के खिलाफ और दलितों के हक में आवाज़ उठाई। इतना ही नहीं अंबेडकर भारतीय संविधान के जनक कहे जाते हैं क्योंकि उस समय डॉ. अंबेडकर के अतिरिक्त भारतीय संविधान की रचना के लिए कोई अन्य विशेषज्ञ था ही नहीं।
सर्वसम्मति से डॉ. अंबेडकर को ड्राफ्ट समिति का अध्यक्ष चुना गया था। सरकारी दफ्तरों से लेकर बौद्ध विहारों में भी अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। अंबेडकर मानवाधिकार संघर्ष के बड़े नेता रहे हैं, जिन्होंने आरक्षण का पक्ष लिया और वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी प्रथाओं को खत्म करने पर जोर दिया।
डॉ. अम्बेडकर की 70 फ़ीट ऊंची प्रतिमा का इस जयंती पर होगा अनावरण
Ambedkar Jayanti in Hindi: डॉ. भीमराव अंबेडकर की 131 वीं जयंती के अवसर पर लातूर (महाराष्ट्र) में 70 फुट ऊंची प्रतिमा ’स्टेच्यू ऑफ नॉलेज’ का अनावरण 13 अप्रैल को केन्द्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू करेंगे। केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और राज्यमंत्री संजय बनसोडे डा. अम्बेडकर पर लिखित ’ डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर व्यक्तित्व, वक्तृत्व तथा कृतित्व’’ पुस्तक का विमोचन भी करेंगे।
Ambedkar Jayanti in Hindi: अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक
अंबेडकर जयंती 2022: अंबेडकर के विचार प्रगतिशील थे जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे। तर्क उनका प्रधान क्षेत्र था एवं उन्होंने किसी भी मान्यता को बिना तर्क के स्वीकारने से मना किया। उन्होंने जो संघर्ष किया वह आज भी चल रहा है। उन्होंने दलितों में शिक्षित और संगठित होने की अलख जगाई।
सामाजिक असमानता को दूर करके दलित मानवाधिकार की प्रतिष्ठा
समाज में कितनी असमानताएं थी और कितनी आज हैं यह स्पष्ट है। आज संविधान है लेकिन तब तो संविधान भी नहीं था। अंबेडकर ने अपनी आत्मकथा में बताया है कि किस प्रकार सामाजिक असमानताएँ हैं और दलितों के साथ भेदभाव होता है।
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हालांकि वर्षों बाद भी बहुत कुछ बदलाव नहीं आये थे और आज भी कई पिछड़े स्थानों पर हम इसे देख सकते हैं। आज ओमप्रकाश वाल्मीकि समेत जितने भी शीर्ष पर दलित साहित्य लिखने वाले लेखक हैं उनके प्रमाण सहित लेख हमारे सामने समाज की छुआछूत का नग्न चित्रण सामने रखते हैं।
Ambedkar Jayanti in Hindi: अंबेडकर ने अज्ञानता वश बौद्ध धर्म को दिया महत्व
अंबेडकर समानता के पक्षधर थे और उन्होंने बौद्ध धर्म को महत्व दिया। बौद्ध धर्म में समानता अवश्य है लेकिन यह सही साधना नहीं है। केवल तपस्या करने से मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती और न ही समाज में शांति लायी जा सकती है। भले ही ढेरों धर्म हैं लेकिन मोक्ष का मार्ग एक ही है और वह मार्ग प्रत्येक मानव जाति के लिए खुला है। मोक्ष बिना गुरु के सम्भव नहीं और यह ज्ञान केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं।
Ambedkar Jayanti (अंबेडकर जयंती) 2022 Quotes in Hindi
मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।”
“मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।”
“वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं।”
“शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो।”–
“धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए।”
“मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।”
“एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।”
“समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।”
“बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।”
“मानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।”
संत रामपाल जी महाराज ने खत्म की छुआछूत
संविधान बना। अधिकारों की लड़ाइयाँ लड़ी गईं। रैलियाँ निकाली गईं। कानून सामने लाये गए और दलितों को झकझोर कर उनके अधिकारों के प्रति जगाया गया। सरकारें आगे आईं। लेकिन क्या छुआछूत खत्म हो सकी? क्या सामाजिक भेदभाव का नामोनिशान मिट सका? क्या आज भी चमार पट्टी के लोग बाबू पट्टी में बेखटके घूम सकते हैं? हम निश्चित तौर पर उत्तर नहीं दे सकते। वास्तव में ये सारी चीजें जो नहीं हो पाईं वह सन्त रामपाल जी महाराज जी के तत्वज्ञान ने किया है। सन्त रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान का आधार है “जीव हमारी जाति है”।
हमारी केवल एक जाति है जीव की। सभी धर्म जातियाँ केवल इंसानों द्वारा बनाई हैं ना कि परमेश्वर द्वारा। यही बात आज से लगभग 600 वर्ष पहले कबीर साहेब ने कही थी और समाज में एकता की लहर लाई थी। सामाजिक भेदभाव को खत्म अब केवल सन्त रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान के आधार पर किया जा सकता है जहाँ सभी अनुयायी केवल जीवात्मा के रूप में रहते हैं। सन्त रामपाल जी से नामदीक्षा प्राप्त करते ही जाति का टैग हट जाता है और व्यक्ति केवल दास हो जाता है।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
तत्वज्ञान शांति वाहक है
लोगों में और समाज में शांति तलाश करने वालों के लिए आवश्यक है कि वे जानें कि तत्वज्ञान ही एकमात्र शांति वाहक है जो समाज से भेदभाव, छुआछूत, महामारी, जाति प्रथा, भ्रूण हत्या, चोरी-डकैती, रिश्वतखोरी, अमानवीयता, ठगी, बलात्कार, दहेज प्रथा, नशाखोरी आदि अनेकों चीजें खत्म कर सकता है। तत्वज्ञान तर्कपूर्ण है जो केवल तत्वदर्शी संत दे सकता है और वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं। उनसे नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं क्योंकि अपना जन्म सफल करने, मोक्ष प्राप्त करने और इस समाज में शांति स्थापित करने का यही एकमात्र रास्ता है। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।
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अद्भुत प्रसंग।