HomeCoronaVirus Updatesहंता वायरस (Hantavirus) 2020: हंता वायरस का आध्यात्मिक इलाज?

हंता वायरस (Hantavirus) 2020: हंता वायरस का आध्यात्मिक इलाज?

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कोरोना वायरस के बाद हंता वायरस ने दी दस्तक, आज हम आप को हंता वायरस 2020 (Hantavirus 2020) क्या है?, यह कैसे फैलता है?, इसका इतिहास क्या है?, हंता वायरस के लक्षण व इलाज़ क्या है? से परिचित करवाएँगे.

चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस का कहर दुनिया भर में अभी थमा भी नहीं है और अब सेन्टर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) , अमेरिका ने एक और नए वायरस की पुष्टि की है। इस वायरस का नाम हंता वायरस है।

हंता वायरस क्या है?

हंता वायरस रोडेंट नामक एक चूहे की प्रजाति में पाया जाता है, यह वायरस चूहे के शरीर में होता है जो चूहे के लिए तो घातक नहीं है लेकिन इंसान के लिए यह एक जानलेवा वायरस है। ध्यान देने योग्य बात हंता वायरस के बारे में यह है कि ये कोरोना वायरस की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता तथा न ही इसका संक्रमण हवा या सांस के जरिए फैलता है।

कैसे फैलता है हंता वायरस?

ये वायरस मुख्यत: चूहों से फैलता है। जब इंसान चूहे के मल-मूत्र और लार को छूने के बाद अपने उन्हीं हाथों से नाक, कान ,मुँह और आँख को छूता है तब इस संक्रमण के फैलने की आशंका अधिक बढ़ जाती है। ये बीमारी अमेरिका में सबसे ज्यादा देखी गयी है, अभी तक के आंकड़ों के हिसाब से इससे संक्रमित 38% लोगों की मौत हो जाती है, यह अत्यधिक घातक एवं जानलेवा बीमारी है लेकिन अभी तक इसकी स्थिति कोरोना वायरस  की तरह भयावह नहीं बनी है। राहत की बात यह है कि अभी तक भारत में इसका कोई मामला नहीं देखा गया।

हंता वायरस का इतिहास

ये वायरस बीमारी के तौर पर वर्ष 1950 में सबसे पहले दक्षिण कोरिया में हंतन नदी के किनारे रहने वाले चूहों के जरिये वहां के सैनिकों में फैला था। इसी हंतन नदी के नाम पर इस वायरस का नाम हंता रख दिया गया जिसके बाद हो वेंग ली नामक वैज्ञानिक खोजकर्ता द्वारा इस बीमारी का पता लगाया गया।

हंता वायरस के लक्षण

सेंटर फॉर डिज़िज़ कंट्रोल और प्रेवेंशन (CDC) के अनुसार जो व्यक्ति हंता वायरस से संक्रमित होता है, उसे :

  • तेज़ बुखार
  • मांसपेशियों में दर्द
  • सिर दर्द
  • इसके साथ-साथ हंता वायरस से संक्रमित व्यक्ति को मतली, उल्टी और पेट दर्द की समस्या भी शुरू हो जाती है।
  • साथ ही साथ त्वचा पर लाल दाने भी उभरने लगते हैं।

हंता वायरस का इलाज क्या है?

हंता के वायरस की जाँच सीने (छाती) के एक्स-रे द्वारा कि जाती है। अभी तक इस वायरस का विज्ञान के पास कोई सफल इलाज नहीं है। इस बीमारी के संबंध में वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) की हैल्थ एडवाइज़री के मुताबिक चूहों या गिलहरियों से दूर रहने से ही अपना बचाव किया जा सकता है।

इसी तरह कई अन्य वायरस जैसे स्वाइन फ्लू, इबोला वायरस, सार्स कोरोना वायरस और अब हंता वायरस सभी जानवरों से होने वाले वायरस हैं। निर्दोष जानवरों की हत्या निर्बाध रूप से विश्वस्तर पर हो रही थी जिस कारण वायरस से फैल रही बीमारियों ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। वो एक कहावत है न , ‘जैसी करनी वैसी भरनी ‘अब चरितार्थ बन पड़ी है।

हंता वायरस से कैसे बचा जा सकता है?

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मेडिकल साइंस ने भी इन जानलेवा वायरस के इलाज में अमूमन हार मान ली है। वर्तमान परिस्थिति में जब कोरोना वायरस तथा हंता वायरस का इलाज संभव नहीं, इस समय केवल पूर्ण परमात्मा ही हमें बचा सकते हैं। हमारे पवित्र धर्मग्रंथ इस बात का प्रमाण देते हैं कि पूर्ण परमात्मा असाध्य रोगों का भी नाश कर अपने भक्तों को सुखी करते हैं।

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प्रमाण के लिए ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में पूर्ण परमात्मा ने कहा है कि शास्त्रानुकूल साधना करने वाला साधक अगर परमात्मा पर पूर्णतया आश्रित हो कर भक्ति करता है तो उसके असाध्य रोग को भी परमात्मा समाप्त कर देते हैं। इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति की आयु भी शेष नहीं होगी तो उसके श्वांस बढ़ाकर उसकी आयु सौ वर्ष कर देता है।

परमात्मा की वाणी कहती है:-

जम जौरा जासे डरे, मिटे कर्म के लेख।
अदली असल कबीर हैं, कुल के सतगुरु एक।।

अर्थात कबीर परमात्मा, भक्त के कर्म के लेख को मिटा (समाप्त कर) देता है। कबीर जी वास्तव में न्यायकारी एकमात्र सतगुरु हैं।

इस वाणी से स्पष्ट है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी कुछ भी करने में सक्षम हैं। इससे ही हम परमात्मा की समर्थता का अंदाजा भी लगा सकते हैं कि वो ईश्वर सबका पालनहार है तथा उसकी सतभक्ति करने से कोई भी विपदा टल जाती है। लेकिन केवल धर्म शास्त्रों में वर्णित साधना करने से ही हमें लाभ हो सकता है। धर्म शास्त्रों के विरूद्ध साधना करने से कोई लाभ नहीं होता। केवल हानि और रोग ही प्राप्त होते हैं।

पूर्ण परमात्मा की पहचान क्या है?

पूर्ण परमात्मा सर्वशक्तिमान है जो अपने साधक के असाध्य रोग को पल भर में खत्म कर देता है। इतिहास में इसका प्रमाण है, संवत 1455 ( सन् 1398) में कबीर परमात्मा ने स्वयं धरती पर अवतरित हो कर तीनों तापों के कष्टों की मार सह रहे बहुत सारे भक्तों के असाध्य रोगों का निवारण किया था। जिनमें से एक दिल्ली का महाराजा सिकंदर लोधी भी था। उसे जलन का रोग था। जो उस समय के बड़े से बड़े पीर , वैध, हकीम और झाड़ फूंक करने वाले भी नहीं ठीक कर पाए थे। जिसे कबीर परमेश्वर ने केवल अपने आशीर्वाद मात्र से ही ठीक कर दिया था। (अधिक जानकारी के लिए प्रतिदिन देखें श्रद्धा चैनल दोपहर 2-3 बजे)।

Read in English: Spiritual Cure for Novel Coronavirus 2019-2020 (COVID-19)

कबीर परमेश्वर ने दो मृत बच्चों कमाल और कमाली को भी जीवित किया था। ऐसे कई अन्य चमत्कार परमात्मा कबीर साहेब ने अपने भक्तों के साथ किये हैं। ये वही समर्थ भगवान हैं जिनके बारे में ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मन्त्र 1, 2 तथा 5 में भी उल्लेख है जिसके अनुसार पूर्ण ब्रह्म किसी को प्रत्यक्ष या गुप्त क्षय रोग, तपेदिक हो उसे भी ठीक करने में समर्थ हैं अर्थात परमात्मा सभी असाध्य रोगों का नाश कर सकते हैं। परंतु उस परमात्मा से पूर्ण लाभ पाने हेतु अधिकारी संत से नाम दीक्षा लेकर नाम सुमिरन करना अति आवश्यक है।

इसका वर्णन गीता जी के अध्याय 4 श्लोक 34 में भी है जिसमें गीता ज्ञान दाता कह रहा है कि जो तत्वज्ञान परमात्मा स्वयं प्रकट होकर पृथ्वी पर अपने मुख कमल से बोली वाणी में बताता है, उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संतों के पास जाकर समझ। उनको दण्डवत् प्रणाम करने से , कपट छोड़कर , उनकी बताई साधना करने से ही तुझे मोक्ष प्राप्ति तथा पूर्ण लाभ होगा।

■ गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में भी गीता ज्ञान दाता ने स्पष्ट किया है कि तत्वदर्शी संत मिलने के पश्चात् परमेश्वर के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् फिर लौटकर साधक संसार में कभी नहीं आते।

वर्तमान समय में कौन है तत्वदर्शी संत?

आज कलयुग में कितने ही नकली , संत और गुरु बने हुए हैं जिससे हर किसी को शंका हो जाती है कि आखिर पूर्ण संत कौन है? हमारे धर्म ग्रंथों में पूर्ण गुरू की पहचान इस प्रकार बताई हुई है:-

गुरू के लक्षण चार बखाना।
प्रथम बेद शास्त्र को ज्ञाना।
दूजे हरि भक्ति मन कर्म बानी।
तृतीय सम दृष्टि कर जानी।
चौथे बेद विधि सब कर्मा।
यह चार गुरू गुण जानों मर्मा।

भावार्थ:- पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है। दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा , समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है। तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है। चौथे उसके द्वारा बताया भक्ति कर्म वेदों में वर्णित विधि के अनुसार होता है। ये चार लक्षण गुरू में होते हैं। जिसमें ये चारों गुण विद्यमान हैं वही पूर्ण संत है।

वर्तमान समय में केवल संत रामपाल महाराज जी ही वेदों में वर्णित साधना बता रहे हैं। केवल वही हैं जिन्होंने सभी धर्मग्रंथों जैसे गीता जी, बाइबल, कुरान, श्री गुरु ग्रंथ साहिब तथा चारों वेद पूरी दुनिया के समक्ष किए हैं तथा इन्हीं में वर्णित साधना प्रमाणों के साथ बताते हैं। उनके सानिध्य में लाखों भक्त नाम दीक्षा प्राप्त कर असाध्य बीमारियों से निजात पा रहे हैं।

■ जहां संत रामपाल महाराज जी अपने साधकों की लाइलाज बीमारियां सच्ची मोक्षदायक भक्ति प्रदान कर ठीक कर रहे हैं तो निश्चय ही वह कोरोना तथा हंता वायरस (hantavirus) जैसी महामारियों से निजात दिला सकते हैं क्योंकि पूर्ण संत कुछ भी करने में सक्षम है। हमारे धर्म शास्त्रों में भी वर्णित है कि :-

“मासा घटे ना तिल बढ़े,
विधना लिखे जो लेख।
साच्चा सतगुरु मेट कर,
ऊपर मार दे मेख”।।

आपसे निवेदन है बिना समय व्यर्थ गवांए संत रामपाल महाराज जी से नाम दीक्षा लें। इससे न केवल आपका मनुष्य जन्म का लक्ष्य पूरा होगा बल्कि आप पर आने वाली हर विपदा को परमात्मा दूर कर देंगे। अवश्य जानिए कि संत रामपाल जी ही वो महान सतगुरू ,संत , परमात्मा और शायरन हैं जो समाज को विचलित कर रही नकारात्मक शक्तियों से मनुष्यों को बचाएंगे। इस सत्य जानकारी को विस्तार से जानने के लिए विश्व के महान भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां पढ़िए।

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