घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) बंद करो, महिलाओं का सम्मान करो, अब तत्वज्ञान और सत भक्ति से रुकेंगी घरेलू हिंसाएं

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जैसा कि आप जानते हैं मुद्दा चाहे कोई भी हो, चाहे कैसे भी बने किंतु विभिन्न कारणों से महिलाओं पर घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) काफी समय से होती आ रही है और न सिर्फ हो रही है यह लगातार बढ़ भी रही है। आज हम इसकी भयानक स्थिति, इसके दुष्परिणाम और इस समस्या का जड़ से समाधान करने वाले तत्वज्ञान को आपके सामने रख रहे हैं और साथ ही इन पहलुओं पर मंथन करके एक आदर्श समाज बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। सभी से प्रार्थना है हमारे इन विचारों को पढ़ें समझें और अभी से समाज में इसे लागू करके आदर्श स्थापना करने का दृढ़ संकल्प लें।

Table of Contents

आइए जानते हैं घरेलू हिंसा का पूरा विश्लेषण

  • घरेलू हिंसा क्या है?
  • घरेलू हिंसा क्यों होती है, क्या है इसके मूल कारण?
  • क्या हैं घरेलू हिंसा के दुष्परिणाम?
  • घरेलू हिंसा की भयानकता
  • तत्त्वज्ञान और सत भक्ति का अभाव भी घरेलू हिंसा का बहुत बड़ा कारण है
  • घरेलू हिंसा को हमेशा – हमेशा के लिए जड़ से समाप्त करने के लिए तत्वज्ञान और सत भक्ति एकमात्र सटीक समाधान है

घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) क्या है ?

किसी भी कारणवश महिलाओं को मारना पीटना उनके साथ दुर्व्यवहार करना, उन पर सामाजिक, मानसिक, आर्थिक, शारीरिक शोषण करना, उनको प्रताड़ित करना यह सब करना घरेलू हिंसा के अंतर्गत आता है। और हम यह देख रहे हैं यह आए दिन हो रहा है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है।

क्यों होती है घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa)? क्या है इसके मूल कारण ?

घरेलू हिंसा बढ़ाकर परिवारों को नष्ट करने में फिल्मों का मूल योगदान है। आइए जानते हैं सच्चे और स्पष्ट तथ्य कुछ बिंदुओं के माध्यम से। फिल्मों में आए दिन शराबियों के रोल दिखाए जाते हैं और वे रोल युवा समाज के पसंदीदा अभिनेता कर रहे होते हैं जिसकी नकल करके लोग शराबी होते जा रहे हैं और फिर भी घर पर जाकर महिलाओं, माताओं, बहनों से गाली गलौज करते हैं और उनको पीटते हैं। क्योंकि शराब एक इंसान को शैतान बना देती है।

फिल्मों से प्रेरित होकर लोग चरित्रहीन बनते जा रहे हैं। कोई भी बहन-बेटी अपने पति को चरित्रहीन नहीं देख सकती और वह अपने पति को समझाती है तो उसके पति को बुरा लगता है और वह अपनी पत्नी को मारता पीटता है।

  • दहेज भी एक बहुत बड़ा कारण है। इच्छा अनुसार दहेज न मिल पाने के कारण घरेलू हिंसा होती है।
  • कुछ लालची लोग शादी के बाद में पत्नी के मायके से पैसे लेने के लिए भी अपनी पत्नी को प्रताड़ित करते रहते हैं।
  • जब किसी मां बहन को अच्छे संस्कार की वहज से कोई बच्चा नहीं होता तब भी उस पर हिंसा होती है, उसको मानसिक यातनाएं दी जाती हैं।

वर्तमान में घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) की भयावह स्थिति

2009 में जारी तीसरे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह बात निकलकर सामने आई है कि ‘‘तकरीबन 40 फीसदी महिलाएं रोजाना अपने पति द्वारा शारीरिक तौर से प्रताड़ित की जाती हैं। घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) के बारे में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, ‘‘हिंसा के विरूद्ध शिकायत करने वाली महिलाओं में 12 प्रतिशत महिलाएं दहेज के कारण प्रताड़ना की शिकायत करने वाली होती हैं।’’

‘घरेलू हिंसा’ पर काम कर रहे इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वीमेन की संचालनात्मक अनुसंधान परामर्शदाता सुश्री नंदिता भाटला ने अपने एक लेख में कैई चौंकाने वाले तथ्य दिए कि, ‘‘महिलाओं के विरूद्ध हिंसा के अखिल भारतीय आंकड़े बेहद खतरनाक प्रवृत्ति का संकेत दे रहे हैं- पिछले पांच साल में न केवल महिलाओं के विरूद्ध अपराधों में वृद्धि हुई है, बल्कि अपराधों की संख्या में अविश्वसनीय वृद्धि हुई है। घर के अंदर भी महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा में अत्यंत बढ़ोतरी हुई है। घरेलू हिंसा के मामले में महिलाओं के विरूद्ध हिंसा करने वाले उनके पति और रिश्तेदार शामिल होते हैं। महिलाओं पर घर में हिंसात्मक प्रहार करने वालों में इन लोगों की संख्या सबसे अधिक है।’’

इंडिया सेफस्टडी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, ‘‘घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) पूरे भारत में वर्ग, जाति शिक्षा और रोजगार के स्तर से परे व्यापक रूप से फैली हुई है। अध्ययन से ज्ञात हुआ कि 58 प्रतिशत महिलाओं ने पति द्वारा उन पर की जा रही हिंसा को इन मान्यता के आधार पर स्वीकार किया कि विवाहित जीवन में हिंसा की घटनाएं आम बात होती हैं।’’

भारत एक ऐसा देश हैं जहां हर साल महिलाओं के विरूद्ध अपराध के 1.5 लाख मामले दर्ज किए जाते हैं

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण कार्यक्रम में घरेलू हिंसा के संबंध में चौंकाने वाले आंकडे़ पेश किये। सर्वेक्षण में 37.2 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकार किया कि विवाह के बाद पति के हिंसात्मक आचरण का शिकार हुईं। विवाहित महिलाओं के विरूद्ध की जाने वाली हिंसा के मामलों में बिहार सबसे आगे है जहां 59 प्रतिशत महिला घरेलू हिंसा की शिकार हुईं, उनमें से 63 प्रतिशत शहरी इलाकों से थे। दूसरे राज्यों की स्थिति भी बहुत ठीक नहीं है। मध्य प्रदेश में 45.8, राजस्थान में 46.3, मणिपुर में 43.9, उत्तर प्रदेश में 42.4, तमिलनाडु में 41.9 तथा पश्चिम बंगाल में 40.3 प्रतिशत विवाहित महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा हुई।

‘घरेलू हिंसा’ एक विश्व व्यापी समस्या है और दुनिया भर की महिलाएं किसी-न-किसी रूप से इसका शिकार हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोश की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 15 से 49 वर्ष की 70 फीसदी महिला किसी-न-किसी रूप से कभी-न-कभी घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में घरेलू हिंसा के मामले में 53 प्रतिशत की दर बढ़ रहे हैं।

Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 (घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005)

इन आंकड़ों के मुताबिक भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी) की धारा 498A के अंतर्गत दर्ज मामले (पति और रिश्तेदारों द्वारा अत्याचार व क्रूरता) के होते हैं। घरेलू हिंसा को रोकने के लिए भारत सरकार ने सन् 2006 के अंत में ‘घरेलू हिंसा निषेध कानून, 2005’ को लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी की जिससे यह कानून पूरे देश में लागू हो गया है।‘‘

महिलाओं का घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) से संरक्षण विधेयक, 2005 को लोकसभा द्वारा 24 अगस्त, 2005 और राज्यसभा द्वारा 29, अगस्त, 2005 को पारित किया गया। 25 अक्टूबर का दिन देश की महिलाओं के लिए कोई सामान्य दिन नहीं था। वह भारत में वैवाहिक मामलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन था। ‘‘उस रोज देश के पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने घरेलू हिंसा से संरक्षण कानून पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी। इस कानून के तहत वित्तीय अधिकारों की रक्षा करते हुए पहली बार घर में ‘‘अदृश्य हिंसा’’- शारीरिक यातना और गाली गलौज एवं यौन अत्याचार को दूर करने का प्रयास किया गया है।’’

प्रारंभ में इस कानून के तहत महिलाओं को पति व बिना विवाह के साथ रह रहे पुरूष और रिश्तेदारों के हाथों हिंसा से बचाने की बात कही गयी थी लेकिन बाद में पति की मां, बहन तथा अन्य महिला रिश्तेदारों को भी इसके दायरे में ले लिया गया। घरेलू हिंसा निवारण कानून एक महत्वपूर्ण कानून है और इसके द्वारा घरेलू हिंसा को प्रभावी तरीके से रोका जा सकेगा।

इस कानून में निम्नलिखित कृत्यों को अपराध घोषित किया गया है

  1. महिला का शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक या यौन शोषण करना या इसकी धमकी देना,
  2. महिला को ताने मारना,
  3. पुरूष द्वारा घर में महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा जीवन और शरीर को कोई नुकसान या चोट पहुंचाना,
  4. महिला को किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कष्ट देना या ऐसा करने की मंशा रखना,
  5. महिला का यौन उत्पीड़न,
  6. महिला की गरिमा व प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना,
  7. बच्चे न होना या पुत्र न होने पर ताने मारना,
  8. महिला को अपमानित करना,
  9. महिला की आर्थिक व वित्तीय जरूरतों को पूरा न करना,
  10. महिला (पत्नी को) शारीरिक संबंध बनाने या अश्लील चित्र आदि देखने के लिए मजबूर करना,
  11. शारीरिक संबंध के दौरान ऐसा कृत्य जिससे पत्नी को चोट पहुंचती हो,
  12. दहेज न लाने के लिए प्रताड़ित करना, शादी के बाद पैसे के लिए मांग करना इत्यादि,
  13. महिला या बच्चों को पीटना, धक्के मारना, घूंसे मारना इत्यादि,
  14. महिला को आत्महत्या की धमकी देना।

इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जायेगा। दोषी पाए जाने पर एक साल की सजा या 12 हजार रूपये का जुर्माना या दोनों सजा साथ-साथ दी जा सकती है। कानून में पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए एक संरक्षण अधिकारी और गैर-सरकारी की नियुक्ति का प्रावधान है ये पीड़ित महिला की मेडिकल जांच, कानूनी सहायता, सुरक्षा व छत मुहैया कराने का काम करेंगे। इन कानून में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए बेहद सख्त प्रावधान बनाये गये हैं। लेकिन कानून बना देना ही समस्या का समाधान नहीं है।

कानून के बावजूद महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। इस कानून में यह प्रावधान किया जाये कि प्रत्येक जिले में कम-से-कम एक संरक्षण अधिकारी अवश्य नियुक्त किया जाये और कोशिश की जाये कि यह अधिकारी यथासंभव महिला ही हो, और इन अधिकारी द्वारा ग्रामीण और निम्न वर्ग की महिलाओं को इस कानून और इसके प्रावधानों के बारे में विस्तार से समझाया जाये ताकि वे घरेलू हिंसा निवारण कानून के लाभ को प्राप्त कर सकें और घर में भी सिर उठकर सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें।

घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) के दुष्परिणाम?

  • घरेलू हिंसा और अत्याचार के कारण बहुत सी माताएं बहनें आत्महत्या कर लेती हैं जिसकी वजह से छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो जाते हैं और बच्चों का जीवन नरक बन जाता है।
  • काफी बार देखने में आता है कि कुछ माताएं व बहनें बच्चों के साथ ही आत्महत्या कर लेती हैं जिससे पूरा परिवार ही खत्म हो जाता है।
  • किसी भी माता या बहन के आत्महत्या करने पर उसके पति और पति के परिवार वालों और रिश्तेदारों को जेल हो जाती है जिसकी वजह से उन लोगों का जीवन भी नरक बन जाता है।
  • घरेलू हिंसा के कारण बहन बेटी के कोई गलत कदम उठाने के बाद पुलिस भी दंड देती है और सामाजिक बेज्जती भी होती है और उस परिवार का भविष्य पूरी तरह खत्म हो जाता है।

जरा सोचिए यदि कोई हमारी माता व बहन पर अत्याचार करे तो कैसा लगेगा। क्या हम सहन कर पायेंगे? प्रत्येक मां बाप अपने बच्चों को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं। जरा सोचिए जिस पर हम अत्याचार कर रहे हैं उसके माता-पिता पर क्या गुजरती होगी, जिसने अपने कलेजे के टुकड़े को दे दिया, कैसा महसूस करते होंगे उसके माता-पिता।

जरा सोचिए हमने भी किसी माता का दूध पिया था, बचपन में हम भी अपनी बहन के साथ खेले थे ऐसी माताओं बहनों की आंखों में आंसू भी क्या हमें शोभा देता है।

बड़े-बड़े शिक्षाविदों ने कहा है कि शिक्षा का अर्थ व्यक्ति के व्यवहार और उसके व्यक्तित्व से है

अगर उच्च शिक्षा प्राप्त करके अच्छी नौकरी प्राप्त करके या अच्छा व्यवसाय करके भी अगर हम घर में माता बहनों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, उन पर अत्याचार करते हैं, हिंसा करते हैं तो हम किसी भी मायने में बिल्कुल भी शिक्षित नहीं कहे जा सकते।जरा सोचिए जिनको हम देवी कहते हैं क्या यही हमारा आदर है उन देवियों के लिए, क्या यही हमारा धर्म और शिक्षा की उंचाई है।जरा सोचिए जितने भी महापुरुष हुए हैं उन सब की माताओं ने उनके अंदर वह अदम्य साहस भरा जिसकी वजह से वह एक इतिहास बना सके।

तत्वज्ञान और सत भक्ति का अभाव भी घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) का बहुत बड़ा कारण है

वर्तमान में समाज में फैली कुरीतियों व बुराइयों के कारण हम स्वयं ही पूरे जीवन दुखी रहते हैं और अपने घरों में भी कलह करते रहते हैं। सभी लोग अपने परिवार पोषण के लिए कुछ ना कुछ काम करते हैं किंतु शास्त्र विरुद्ध साधना करने से ईश्वरीय शक्ति उनके साथ नहीं होती जिससे उनके काम बिगड़ते रहते हैं जिससे वे हताश और चिड़चिड़े हो जाते हैं और फिर वह मानसिक तनाव किसी न किसी कारण घर में कलह करवा ही देता है।

किसी भी माता बहन पर गलती हो जाने पर या कोई काम बिगड़ जाने पर, ज्ञान हीन मनुष्य घर में कलह कर देते हैं और महिलाओं को डांटते हैं, मारते हैं, पीटते हैं। आप ही बताइए काम तो बिगड़ ही चुका है क्या कलह करने से या पीटने से काम बन जाएगा।

वहीं पर सत भक्ति करने वाली माताएं व बहनें कभी ऐसी गलती नहीं करती जिसकी वजह से उनको डांटा जाए या पीटा जाए और अगर गलती हो भी जाती है तो सत भक्ति करने वाले भक्त आत्माएं यह बात अच्छी तरीके से जानते हैं कि अगर कोई काम बिगड़ा है तो वह हमारे भाग्य में लिखा था और परमात्मा पर छोड़कर वह अपनी भक्ति में ध्यान देते हैं जिसकी वजह से उनके घरों में कलह नहीं होती। घरेलू हिंसा नहीं होती और उनकी भक्ति श्रद्धा को देखकर परमात्मा उनके बिगड़े हुए कार्यों को भी बना देते हैं जिससे उनका जीवन सुखमय हो जाता है।

धरती को स्वर्ग बनाना है

आज तक हम यही सुनते आए थे कि मरने के बाद हम स्वर्ग जाएंगे। लेकिन पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी का कहना है कि वे धरती पर स्वर्ग बना देंगें, फिर से पृथ्वी पर सतयुग जैसा माहौल आएगा।

इसके लिए संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा किए गए कुछ कार्य :

  • जगतगुरु तत्वदर्शी रामपाल जी महाराज जी की आज्ञा से उनके शिष्य हमेशा दहेज रहित, पाखंड रहित, आडंबर रहित 17 मिनट में शादी करते हैं जो गुरु वाणी के साथ संपन्न होती है जिससे फिजूल खर्चा और दहेज प्रथा को जड़ से समाप्त कर दिया गया है। जिसकी वजह से लड़की वाले निहाल हो गए, आज समाज में राहत की सांस ले रहे हैं और बेटी अब परिवार पर बोझ भी नहीं रह गयी, जैसा की दहेज की कुप्रथा की वजह से माना जाने लगा था। संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया कि बेटी देवी का स्वरूप होती है।
  • पूर्ण संत, बाखबर संत रामपाल जी महाराज जी की आज्ञा से उनके शिष्य किसी भी नशे जैसे शराब, अफीम, चरस, गांजा, हुक्का, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन तो दूर रहा इनको हाथ भी नहीं लगाते। जिसकी वजह से नशे में खर्च होने वाला पैसा और नशे की वजह से बीमारियों में खर्च होने वाला पैसा और परेशानियां हमेशा के लिए खत्म हो गईं, जिससे घरेलू हिंसा बिल्कुल खत्म हो गई और घर स्वर्ग समान हो गए।
  • मांस खाना इंसान को हिंसक बनाता है। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य किसी भी प्रकार का कोई मास नहीं खाते जिसकी वजह से स्वभाविक विनम्र रहते हैं और इस कारण से घरेलू हिंसा की संभावना खत्म हो जाती है।
  • संत रामपाल जी महाराज जी ने पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी की सत भक्ति प्रदान की जिसकी वजह से उनके अनुयायियों के काम नहीं बिगड़ते, सत भक्ति करके सुखमय जीवन जी रहे हैं और मोक्ष प्राप्त कर रहे हैं। घरेलू हिंसा का तो दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नहीं रहा। क्योंकि अब उनकव इससे होने वाले पाप का ज्ञान हो गया।

कबीर परमेश्वर जी की वाणी है:

कल्पे कारण कौन है, कर सेवा निष्काम।
मन इच्छा फल देऊंगा, जब पड़े धनी से काम।।

घरेलू हिंसा (Gharelu Hinsa) को हमेशा-हमेशा के लिए जड़ से समाप्त करने के लिए तत्वज्ञान और सत भक्ति एकमात्र सटीक समाधान

यह बात बिल्कुल स्पष्ट है सभी समस्याओं की मूल जड़ अज्ञानता है और उसका समाधान सत भक्ति और तत्वज्ञान है। 70 प्रतिशत समस्या हमारी तत्वज्ञान से ही समाप्त हो जाती हैं और बाकी सत भक्ति से और फिर हमारा जीवन सहज, मृदुल और सुखमय हो जाता है।

माताओं बहनों को इतिहास से भी कुछ सबक लेना चाहिए। चाहे बहन द्रोपदी हो या फिर मीराबाई या कोई और किसी के नाते रिश्ते कोई काम नहीं आए। अंत में परमपिता परमात्मा ने ही रक्षा की है। पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी ने इन सभी माताओं बहनों की रक्षा की है क्योंकि सारे संसार के प्राणी इन्हीं की आत्माएं हैं। और अपनों का दुख अपने को ही होता है। इसलिए सभी माताओं बहनों को चाहिए कि वे कबीर साहेब जी का सच्चा ज्ञान देने वाले एकमात्र तत्वदर्शी, बाखबर, पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनें, उनसे नाम दीक्षा लें और सत भक्ति करें जिससे उनका जीवन यहां भी सुखमय रहेगा और अंत में सनातन परम् धाम अर्थात सतलोक जाएंगी और हमेशा हमेशा के लिए सुखी हो जाएंगी।

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