November 18, 2025

साबरवास गाँव वासी बोले भगवान है संत रामपाल जी महाराज, जब मुंह मांगी बाढ़ राहत सामग्री ने उड़ाए सबके होश

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करीब दो महीने तक हिसार ज़िले की तहसील अग्रोहा के अंतर्गत आने वाला साबरवास गाँव भयंकर बाढ़ संकट से जूझता रहा। खेत कई फीट पानी में डूब गए, घरों में पानी भर गया, पीने का पानी दूषित हो गया — और लोगों के लिए हर दिन गुज़ारना एक संघर्ष बन गया था।

जब हर ओर से मदद के दरवाज़े बंद नज़र आने लगे, तब दिव्य सहायता के रूप में पहुँची संत रामपाल जी महाराज की करुणामयी कृपा। अपने विशाल लोककल्याणकारी अभियान “अन्नपूर्णा मुहिम” के अंतर्गत उन्होंने त्वरित और व्यापक राहत कार्य आरंभ करवाया। यह सहायता न केवल पीड़ित ग्रामीणों के लिए राहत लेकर आई, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सच्चे संत की दिव्य आध्यात्मिक शिक्षा से उपजी करुणा और सेवा किस प्रकार जनकल्याण का स्वरूप लेती है।

साबरवास का अनदेखा संकट: निराशा से उम्मीद का सफर

लगातार बरसात ने साबरवास गाँव को लगभग दो महीने तक जलमग्न रखा। 3–4 फीट तक पानी घरों और खेतों में भरा रहा, फसलें नष्ट हो गईं, लोग असहाय थे। बार-बार प्रशासन से सहायता माँगने पर भी बस दो मोटरें दी गईं — वो भी बिना पाइप के — जो स्थिति संभालने के लिए बिल्कुल अपर्याप्त थीं। आगे किसी भी प्रकार की मदद से भी गाँव को वंचित कर दिया गया।

जब सभी उम्मीदें टूट रही थीं, तब ग्रामीणों को सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि संत रामपाल जी महाराज हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर बाढ़ राहत कार्य चला रहे हैं। उनके अलौकिक दृष्टिकोण और मानवता से भरपूर कार्यों और इसी से बने अटूट विश्वास से प्रेरित होकर, साबरवास ग्राम पंचायत उनसे सहायता की विनती के लिए पहुंची।

अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत मिली दिव्य राहत

संत रामपाल जी महाराज ने ग्रामीणों की पुकार पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत आपात राहत कार्य का आदेश दिया। कुछ ही दिनों में गाँव पहुँचे — 18,000 फीट उच्च गुणवत्ता वाले पाइप, दो 20 हॉर्सपावर की मोटरें, इलेक्ट्रिक स्टार्टर, केबल्स और सभी आवश्यक उपकरण के साथ सभी छोटा बड़ा सामान। ये वही चीजें थीं जिनकी तत्काल आवश्यकता थी ताकि पानी निकाला जा सके और लोगों की पीड़ा का अंत हो सके।

गाँववालों को किसी भी सामग्री के लिए एक पैसा तक खर्च नहीं करना पड़ा। यह पहल इस बात का प्रमाण थी कि सच्ची आध्यात्मिक शिक्षा कैसे व्यवहारिक सेवा में रूपांतरित होती है। संत रामपाल जी महाराज की करुणा और कर्म उनके दिव्य उपदेशों की जीवित मिसाल हैं — जो दर्शाते हैं कि सच्ची अध्यात्म साधना अपने आप में निःस्वार्थ मानव सेवा का रूप ले लेती है।

मंगलाचरण: ईश्वरीय आशीर्वाद से आरंभ हुआ राहत कार्य

राहत कार्य शुरू करने से पहले, संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने मंगलाचरण किया — अर्थात् परमात्मा कबीर साहेब और अपने गुरु, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज को याद कर आशीर्वाद माँगा।

परमेश्वर के मंगलाचरण से वातावरण पवित्र और शांत हो उठा। यह मंगलाचरण केवल एक परंपरा नहीं था, बल्कि उस आस्था का प्रतीक था कि हर श्रेष्ठ कार्य की शुरुआत परमात्मा को याद करने से ही करनी चाहिए। संत रामपाल जी महाराज की दया से यही भावनात्मक ऊर्जा इस सेवा को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और निःस्वार्थ बनाती है।

आध्यात्मिक शक्ति के सहारे राहत कार्य सुचारु रूप से शुरू हुआ। जैसे ही पाइप और मोटरें लगाई गईं, धीरे-धीरे गाँव का पानी उतरने लगा। लंबे समय से त्रस्त ग्रामीणों ने अपने सामने संत रामपाल जी महाराज की दिव्य कृपा का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा।

राहत कार्यों में जवाबदेही और पारदर्शिता

साबरवास गाँव, तहसील अग्रोहा, हिसार में संत रामपाल जी महाराज ने केवल राहत ही नहीं पहुँचाई, बल्कि कार्य में जवाबदेही और पारदर्शिता की मिसाल भी पेश की। उन्होंने ग्राम पंचायत को स्पष्ट निवेदन किया है कि दिए गए सभी उपकरण — पाइप, मोटरें, तार आदि — निश्चित समय में सही उपयोग में लाए जाएँ ताकि खेतों से पानी पूरी तरह निकल जाए।

Also Read: संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम: हरियाणा के गाँव किशनगढ़ (रोहतक) को मिली जीवन-रक्षक सहायता

उन्होंने यह भी कहा कि यदि पानी समय पर नहीं निकाला गया और बुवाई का समय निकल गया, तो गाँव को आगे किसी सहायता का लाभ नहीं दिया जाएगा।

पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु उन्होंने निर्देश दिया कि ड्रोन फुटेज तीन चरणों में ली जाए —

1. जब गाँव जलमग्न था,

2. जब पानी निकाल दिया गया,

3. और जब फसलें पुनः उग आईं।

इन वीडियो को सभी सतलोक आश्रमों में दिखाया जाएगा ताकि दानदाताओं को यह भरोसा रहे कि हर सहयोग का उपयोग ईमानदारी और जिम्मेदारी से किया गया। ग्राम पंचायत प्रतिनिधि ने इस व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वास और अनुशासन दोनों का सुंदर संतुलन है।

संत रामपाल जी महाराज: वचन निभाने वाले संत

संत रामपाल जी महाराज सदैव इस बात पर बल देते हैं कि सच्ची आध्यात्मिकता केवल प्रवचन तक सीमित नहीं होनी चाहिए — उसे कर्म रूप में उतरना चाहिए। उनके निर्देशन में किए जाने वाले प्रत्येक मानवीय कार्य उनके अटल लोककल्याण संकल्प का प्रमाण हैं।

संत रामपाल जी महाराज का स्पष्ट आदेश है “हमें लोक दिखावा नहीं करना बल्कि जमीनी स्तर पर काम करके दिखाना है”। इसी दिव्य सिद्धांत पर चलते हुए उनकी अन्नपूर्णा मुहिम ज़मीन से जुड़ी वास्तविक सहायता प्रदान करती हैं — उन लोगों तक जो अक्सर समाज की नज़रों से ओझल रह जाते हैं।

उनके निर्देशन में उत्तर भारत के 200 से अधिक गाँवों में अब तक राहत और स्थायी सहायता पहुँचाई जा चुकी है — और सेवा का यह सिलसिला निरंतर जारी है।

साबरवास गाँव में भेजे गए संदेश में यह भी लिखा गया कि दिए गए उपकरणों को गाँव की स्थायी संपत्ति के रूप में संभाला जाए ताकि भविष्य में किसी भी बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचा जा सके। यह दूरदर्शिता और करुणा संत रामपाल जी महाराज की सच्ची पहचान है — ऐसे संत जो केवल संकटों का उत्तर नहीं देते, बल्कि स्थायी समाधान भी सुनिश्चित करते हैं।

साबरवास गाँव से उठती कृतज्ञता की आवाज़ें

गाँव के लोगों ने अपने अनुभव को “दिव्य कृपा” करार दिया।

सरपंच सुशील कुमार ने बताया —

“हम तो संत रामपाल जी महाराज से यही कहेंगे गांव पूरा गांव हम दो महीने से संकट में थे पानी की निकासी नहीं थी और ना आगे होने वाली थी इसी तरह से हमारे यहां बीमारियां और खेतीबाड़ी आगे की भी नहीं होनी थी तो हम तो यही कहेंगे संत रामपाल जी हमारे लिए भगवान है।”

पूर्व सरपंच शिव कुमार ने कहा —

“हमारे गांव में पिछले दो महीने से जो पानी की समस्या थी इसमें हमने बार-बार सरकार के यहां अधिकारियों के चक्कर काटते रहे। लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं थी। सिर्फ-सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं था। उसके बाद पक्ष और विपक्ष के लीडर भी गांव में आए। वो भी सिर्फ एक फोटो सीन तक ही सीमित रहे। तो हमने सोशल मीडिया से सुना कि संत रामपाल जी महाराज है जो ये लोगों की मदद कर रहे हैं जहां पानी भरा हुआ है, तो हम बरवाला पहुंचे तो वहां जाते ही देखा तो हम अचंभित हो गए हम वहां इतनी पंचायते पहले बैठी थी हमारा कोई पांच छ नंबर लगा उससे पहले पांच सात गांव की पंचायतते तो बहुत बड़ा काम है कि ये सरकार से जो काम नहीं संभल रहा और वो संत रामपाल जी महाराज जो कर रहे हैं ये तो एक अचंभित बात है कि हमको इसको एक परमात्मा का स्वरूप मानते हैं और पूरा गांव इनको नमन कर रहे हैं।”

धीरे-धीरे जब पानी उतरने लगा, तो गाँव का माहौल शोक और सन्नाटे से निकलकर प्रसन्नता और कृतज्ञता में बदल गया। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से उनके घर और जीवन दोनों बच गए।

अन्नपूर्णा मुहिम के पीछे छिपा गहरा दृष्टिकोण

“अन्नपूर्णा मुहिम” केवल राहत कार्यक्रम नहीं है, यह संत रामपाल जी महाराज के मानवीय कल्याण दृष्टिकोण की एक छोटी झलक है।

यह मुहिम निम्न उद्देश्यों पर आधारित है —

  • आपदा के समय त्वरित राहत प्रदान करना,
  • जहाँ आवश्यकता हो, वहाँ सामुदायिक कल्याण कार्यों में सक्रिय होना,
  • जरूरतमंद परिवारों तक रोटी, कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और मकान तक का लाभ पहुंचना,
  • सभी वर्गों में एकता, समानता और करुणा को बढ़ावा देना।

कृषक परिवार से होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ग्रामीण भारत की कठिनाइयों को भलीभाँति समझते हैं। उनकी दिव्य शिक्षा यह दर्शाती है कि जब सच्चे संत के मार्गदर्शन में परमात्मा के सत्य ज्ञान का पालन किया जाता है, तो करुणा और सेवा स्वाभाविक रूप से मानव जीवन का अंग बन जाते हैं।

दिव्य करुणा का जीवंत उदाहरण

साबरवास गाँव की यह कहानी इस बात की जीवित मिसाल है कि जब दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान का पालन सच्चे संत के मार्गदर्शन में किया जाए, तो निराशा भी आशा में बदल जाती है।

अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत संत रामपाल जी महाराज ने पुनः सिद्ध किया कि करुणा और सेवा सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान के प्रत्यक्ष फल हैं। उनके मार्गदर्शन ने न केवल एक डूबते गाँव को बचाया, बल्कि अनगिनत लोगों के मन में यह विश्वास जगा दिया कि दिव्य उपदेशों की शक्ति से संसार बदला जा सकता है।

साबरवास के पूर्व सरपंच ने कहा —

“हम तो सोच के तो कुछ और ही गए थे भई चलो महाराजियों के पास चले और हमारे को ये भी पता नहीं था एक छोटे से नट से लेके और इतनी बड़ी मोटरें और इतनी बड़ी पाइपें, तो हम तो ये मानते हैं कि यह परमात्मा ही है ये संत जो बार-बार जो बात आती है संत रामपाल नहीं परमात्मा रामपाल, जो भी एक सरकार नहीं कर रही, मैं भी बार-बार गांव की पंचायत के साथ सरकार के पास गया था। सरकार के पास इतना लाखों करोड़ का बजट है। वह फिर भी हाथ खड़े कर गए और रामपाल जी परमात्मा ने हम जो ही उनके दर पे गए उन्होंने तुरंत एक्सेप्ट कर ली हमारी बातें और हम तो यह सरकार से भी विनती कर रहे हैं हाथ जोड़ के पहले तो हमारी आंख पे भी पट्टी बंधी हुई थी।

लोगों की बातें सुन रहे थे। ठीक है ये कोई ढोंगी होगा। यह कोई पाखंडी होगा। लेकिन अब हमारी आंखें खुली है। ऐसे लोगों को जब सरकार और कानून जो अंदर बिठा रखा है। इनको बाहर निकालना चाहिए। पता नहीं यह क्या समाज उत्थान में क्या-क्या कार्य करेंगे।”

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