November 18, 2025

संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम: हरियाणा के गाँव किशनगढ़ (रोहतक) को मिली जीवन-रक्षक सहायता

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मानसून की बारिश जहाँ कई क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होती है, वहीं हरियाणा के रोहतक जिले की महम तहसील के गाँव किशनगढ़ के लिए यह एक अभिशाप बनकर आई। अत्यधिक वर्षा के कारण गाँव के सैकड़ों एकड़ खेत पानी में डूब गए, जिससे किसानों की लहलहाती फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों को निराशा के गहरे सागर में धकेल दिया, उनकी आजीविका पर प्रश्नचिन्ह लग गया और भविष्य अंधकारमय दिखने लगा।


इस विकट स्थिति में, जब ग्रामीणों को हर तरफ से केवल निराशा हाथ लग रही थी, तब संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत बाढ़ राहत सेवा एक अप्रत्याशित और निर्णायक समाधान बनकर सामने आई।

ग्रामीणों की पीड़ा तब और बढ़ गई जब उन्हें स्थानीय प्रशासन और सरकार से कोई ठोस मदद नहीं मिली। महम 24 सरोखा पंचायत के प्रधान सुभाष नंबरदार के अनुसार, पानी की निकासी के लिए उन्होंने कई बार सरकार के पास आवेदन किया, लेकिन उन्हें समय पर सहायता उपलब्ध नहीं हो पाई।

संत रामपाल जी महाराज बने आखिरी उम्मीद 

इसी निराशा के बीच, ग्रामीणों को विभिन्न माध्यमों से संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रव्यापी अन्नपूर्णा मुहिम की आपदा राहत सेवाओं के बारे में पता चला। गाँव के ही एक निवासी के माध्यम से पंचायत ने संत रामपाल जी की प्रबंधन समिति से संपर्क साधा। उन्होंने अपनी स्थिति की गंभीरता को बताते हुए जल निकासी के लिए आवश्यक सामग्री की मांग की।

‘मांग के कुछ ही दिनों में पहुँचा 40-50 लाख का सामान’

ग्रामीणों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। उनकी प्रार्थना के कुछ ही दिनों के भीतर, संत रामपाल जी महाराज के आदेश से दर्जनों गाड़ियों का एक लंबा काफिला राहत सामग्री लेकर किशनगढ़ गाँव पहुँचा। यह कोई मामूली राहत नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित और बड़ी सहायता थी, जिसका मूल्य पंचायत प्रतिनिधियों ने लगभग 40 से 50 लाख रुपये आंका।


इस सहायता में ठीक वही सामग्री शामिल थी, जिसकी ग्रामीणों ने मांग की थी:

  • 15,000 फीट हेवी-ड्यूटी 8-इंची पाइपलाइन
  • दो 15 हॉर्स पावर (HP) के शक्तिशाली मोटर पंप सेट
  • 600 फीट मोटी थ्री-फेस केबल
  • मोटर चलाने के लिए दो स्टार्टर, बैंड, असेंबली, और पाइपलाइन बिछाने के लिए आवश्यक सभी छोटे-बड़े सामान

गाँव के मास्टर जी ने पुष्टि की कि लेटरहेड पर लिखकर दिया गया सारा सामान पूरा और सही-सलामत प्राप्त हुआ है।

खाप पंचायत और किसान यूनियन ने किया अभूतपूर्व दान का स्वागत

इस विशाल सहायता ने न केवल किसानों को बल्कि क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक संगठनों को भी प्रभावित किया। महम 24 सरोखा पंचायत के महासचिव श्री रामपाल राठी ने कहा कि वह 75-80 वर्ष के हो चुके हैं और उन्होंने अपने जीवन में संत रामपाल जी महाराज जैसा “नंबर एक संत” नहीं देखा। उन्होंने संत रामपाल जी द्वारा किए जा रहे अन्य सामाजिक कार्यों, जैसे गरीबों के लिए मकान, शिक्षा, चिकित्सा और छोटू राम धाम में दिए गए 15 लाख और 11 लाख के दान का भी उल्लेख किया।

Also Read: हरियाणा के गांव फरैण कलां (जींद) में बाढ़ पीड़ितों के लिए संत रामपाल जी महाराज की अनूठी सेवा


पंचायत प्रधान सुभाष नंबरदार ने कहा कि संत रामपाल जी महाराज ने यह सहायता करके पूरे गाँव पर एक “एहसान” कर दिया है, जो केवल इंसानियत के नाते किया गया है।


भारतीय किसान यूनियन (महम ब्लॉक) के प्रधान ने भी इस अभूतपूर्व मदद के लिए संत रामपाल जी का नमन और धन्यवाद किया। उन्होंने अपने गाँव बलमभा की गंभीर स्थिति का भी जिक्र किया और वहाँ भी मदद की उम्मीद जताई।

संत रामपाल जी महाराज का सख्त आदेश: ‘पहले किसान, आश्रम निर्माण बाद में’

इस राहत कार्य का सबसे अभूतपूर्व पहलू संत रामपाल जी महाराज द्वारा अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत भेजा गया एक ‘निवेदन पत्र’ था, जिसे उनके सेवादारों ने पंचायत के सामने पढ़कर सुनाया। इस पत्र में किसानों की मदद को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के स्पष्ट और सख्त आदेश थे। आदेश के अनुसार, बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए संत रामपाल जी महाराज ने अपने सभी सतलोक आश्रमों और 500 से अधिक नामदान केन्द्रों पर चल रहे सभी निर्माण कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया।

उन्होंने आदेश दिया कि निर्माण कार्यों में लगी सारी ‘सेवा राशि’ (दान) और सभी ‘सेवादारों’ (स्वयंसेवकों) को तुरंत बाढ़ राहत कार्यों में लगा दिया जाए। पत्र में स्पष्ट कहा गया कि पहले किसानों की समस्या का समाधान होना चाहिए। सेवादारों ने बताया कि उनकी टीमें पहले से ही पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में राहत कार्यों में लगी हुई थीं।

जवाबदेही और पारदर्शिता: ड्रोन से निगरानी और स्थाई समाधान का वादा

यह सहायता केवल एक बार की मदद नहीं थी, बल्कि इसके साथ एक सख्त जवाबदेही और दूरगामी समाधान की योजना भी जुड़ी थी।

  • जवाबदेही: पत्र में गाँव वालों के लिए एक स्पष्ट निवेदन था। उन्हें बताया गया कि यदि दी गई सामग्री का उपयोग करके निर्धारित समय पर पानी नहीं निकाला गया और किसान अगली (गेहूं की) फसल की बिजाई नहीं कर पाए, तो भविष्य में ट्रस्ट उस गाँव की कोई मदद नहीं करेगा।
  • पारदर्शिता: ट्रस्ट ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक अनूठी योजना भी बताई। सेवादारों ने बताया कि उन्होंने गाँव की ड्रोन से वीडियो बना ली है, जिसमें पानी भरा हुआ है। वे पानी निकलने के बाद दूसरी वीडियो और अगली फसल लहलहाने पर तीसरी वीडियो बनाएंगे। इन तीनों वीडियो को देश भर के आश्रमों में संगत को दिखाया जाएगा, ताकि दानदाताओं को विश्वास हो कि उनके पैसे का सदुपयोग हो रहा है।
  • स्थाई समाधान: पत्र में निर्देश दिया गया कि यह पाइपलाइन केवल इस आपदा के लिए नहीं है। ग्रामीणों को इसे अपनी जमीन में स्थाई रूप से दबाने का निर्देश दिया गया, ताकि यह भविष्य की बाढ़ की समस्या का एक स्थाई समाधान बन सके। इसे “परमेश्वर कबीर जी की दया से संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम द्वारा प्रदान की गई एक अनमोल गिफ्ट” कहा गया।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया: ‘राजनीति नहीं, असली मदद; ऐसा दानी संत नहीं देखा’

इस अप्रत्याशित और विशाल मदद को पाकर ग्रामीणों की आँखों में खुशी और राहत के आँसू थे। गाँव के निवासी राजू ने कहा कि आपदा के समय कई राजनेता आए और “राजनीति” करके चले गए, किसी ने नहीं पूछा कि कोई डूबा या मर गया, लेकिन संत जी ने यह जीवन-रक्षक सहायता भेजी।


गाँव के चेयरमैन सतबीर जी ने खुशी जताते हुए कहा कि अब उनका पानी उतर जाएगा और अगली फसल अवश्य बिजेगी। पूर्व सरपंच पूरण जी ने कहा कि वे संत जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं और उनकी जल्द रिहाई की कामना करते हैं। कई बुजुर्गों ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा दानी नहीं देखा जो जनता की भलाई के लिए इतना बड़ा काम कर रहा हो। उन्होंने संत रामपाल जी को “भगवान का दूसरा रूप” तक कहा। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि यदि यह मदद न आती, तो वे “भूखे मरने” की कगार पर थे।


अंत में, किशनगढ़ ग्राम पंचायत ने इस निस्वार्थ सेवा के लिए आभार व्यक्त करते हुए संत रामपाल जी महाराज को एक सम्मान-पत्र और तस्वीर भेंट की। यह घटना दर्शाती है कि कैसे संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम, समय पर की गई संगठित और निस्वार्थ मानवीय सहायता, सरकारी तंत्र की देरी से निराश हो चुके लोगों के लिए जीवनदान बन सकती है।

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