SA News Fact Check [Hindi], Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग में रूढ़िवादी परंपराओं के चलते, निर्धन लोगों को प्रताड़ित करने का एक नया मामला सामने आया है। वर्तमान मानव समाज में फैले पाखंडवाद का खण्डन करने पर एक पुत्र को उसके पिता के अग्नि संस्कार से वंचित रखा गया। मामला झारखंड के हजारीबाग में बड़कागांव के प्लांडू गांव का है। तेतर प्रसाद को उसके पिता सीटा महतो के अग्नि संस्कार से वंचित किया गया। पूरी घटना कुछ इस प्रकार घटित हुई।
SA News Fact Check, Jharkhand News: उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
बुधवार, 23 नवंबर 2022 की रात को तेतर प्रसाद के पिता सीटा महतो का निधन हुआ। जिसके बाद भक्त तेतर दास ने गुरुवार, 24 नवंबर 2022 की सुबह सभी सगे संबंधी और ग्रामीणों को अपने पिता की दुखद मृत्यु का समाचार दिया। सूचना मिलने के बावजूद कोई भी सीटा महतो के अग्नि संस्कार में शामिल नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है तेतर दास संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य बन गए थे। तेतर दास शास्त्र सम्मत साधना कर रहे थे। शास्त्रों से अपरिचित उनके रिश्तेदार और ग्रामीण उनसे नाराज चल रहे थे। यही वजह हैं कि गांव के लोग व संबंधी तेतर दास के पिता जी के अग्नि संस्कार के लिए शामिल नहीं हुए।
शास्त्र सम्मत ज्ञान जानने वालों ने दिया साथ
ग्रामीणों के शामिल न होने पर तेतर दास को अपने गुरुभाइयों को पिता के अग्नि संस्कार के लिए बुलाना पड़ा। 25 – 30 भक्त लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने ट्रैक्टर में अर्थी व लकड़ियों को रखा और अग्नि संस्कार के लिए शमशान घाट की ओर चल दिए। गांव के कुछ दबंग लोगों ने रास्ते में विरोध स्वरूप ट्रैक्टर को रोक दिया। इतना ही नहीं लाश व लकड़ियों को ट्रैक्टर से नीचे उतरवा दिया। गाली गलौज की और अग्नि संस्कार को रुकवा दिया। रिश्तेदारों और गांववासियों के साथ बड़ी बहस हुई। बड़ी मशक्कत के बाद तय किया गया कि भक्त तेतर दास कबीर पंथ के रीति रिवाजों के साथ सन्त रामपाल जी महाराज जी की गुरु मर्यादा को पालन करते हुए अपने पिता का अग्नि संस्कार कर सकते हैं।
SA News Fact Check [Hindi], Jharkhand News: सुलहनामे के बाद गुरुभाई पुनः लकड़ियों को गाड़ी में रखकर अग्नि संस्कार के लिए शमशान घाट की ओर जाने लगे। लेकिन ग्रामवासियों ने पुनः विरोध करना शुरू कर दिया। दबंगों ने संत रामपाल जी महाराज जी के अन्य शिष्यों को मारने की धमकी दी और मारपीट कर उन्हें गांव से भगा दिया। गुरु मर्यादा में वे भक्त ग्रामीणों पर हाथ नहीं उठाने से मजबूर थे। गुरुवार, 24 नवंबर 2022 को भक्त तेतर दास ग्रामीणों के विरोध के चलते पिता का अग्निसंस्कार नहीं कर सका।
पुत्र को भगाकर गैर हाजरी में कर दिया पिता का अग्नि संस्कार
अगले दिन शुक्रवार, 25 नवंबर 2022 को गांव वालों ने जनप्रतिनिधि के साथ मिलकर एक षडयंत्र रचा। उन लोगों ने भक्त तेतर दास को मारपीट कर गाँव से भगा दिया और उसकी गैर हाजरी में उसके पिता का अग्नि संस्कार तक कर दिया। गाँव वाले यही नहीं रुके, उन्होंने एक झूठे आवेदन पत्र को बनाकर तेतर दास को उसकी अचल संपत्ति से बेदखल करने की योजना बना डाली। डरा धमकाकर भक्त तेतर दास व उनकी पत्नी से कोरे कागज पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए।
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दोनों को जबरन स्थायी तौर पर गांव छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया। यह धमकी तक दे दी गई कि यदि यह गांव नहीं छोड़ता है तो इसे जला देंगे। कह दिया गया कि गांव छोड़कर भाग जाओ नहीं तो पूरे परिवार को जान से मार देंगे। भक्त तेतर दास का परिवार निर्धन है। कैसे भी मेहनत मजदूरी करके निर्वाह मात्र करने की स्थिति में है। रोज कमाता है और उसी कमाई से परिवार का पेट भरता है। किसी दिन कमाई नहीं होती तो फांके पड़ जाते हैं।
भाई के मृत्यु भोज से पहले ही भारी कर्ज में है तेतर दास
आपको बता दें, इस घटना के कुछ दिन पहले ही तेतर दास को अपने छोटे भाई की मृत्यु का दुःख भी सहना पड़ा था। उस समय गांव वालों के दबाव में आकर उसे अपने छोटे भाई का मृत्यु भोज देना पड़ा था। जिसके चलते वह अब तक 1 लाख 40 हजार के कर्ज में डूबा हुआ है। इसी कारण तेतर दास मृत्यु भोज आदि पाखंडवाद क्रियाओं का घोर विरोधी बन गया।
SA News Fact Check [Hindi], Jharkhand News: जनता का रक्षक ही बना भक्षक
विधायिका, कार्यकारी और न्यायपालिका के बाद मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। संविधान प्रेस को लोगों के प्रहरी होने की जिम्मेदारी देता है इसलिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। प्रिंट मीडिया आज समाज का आइना समझा जाता है। लोग मानते हैं कि मीडिया में जो भी खबर प्रकाशित की जाती है, वह सत प्रतिशत सत्य है।

इसी के चलते कुछ समाचार पत्र अपनी लोकप्रियता का नाजायज फायदा उठा रहे है। भक्त तेतर दास के विषय में दिनांक 26 नवंबर 2022 को दैनिक भास्कर समाचार पत्र में “बेटे ने पिता की मुखाग्नि से किया इनकार, कहा – संत रामपाल को गुरु मानने वाले लोग नहीं करते अग्नि संस्कार; 36 घंटे बाद नाती ने निभाया बेटे का फर्ज” शीर्षक से खबर छापी गई थी। खबर में बताया गया कि संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई होने के कारण, भक्त तेतर दास ने अपने पिता का अग्नि संस्कार करने से साफ मना किया है।
क्या संत रामपाल जी लाश संस्कार के बजाय उसे घर में रखने को कहते हैं?
SA News Fact Check [Hindi], Jharkhand News: दैनिक भास्कर ने अपनी खबर में यह नही बताया कि संत रामपाल जी महाराज उस लाश का क्या करने को कहते हैं। क्या लाश घर में रखी जा सकती है। मामले की पूरी वास्तविकता कुछ और है। भक्त तेतर दास व उनके अन्य उपस्थित गुरुभाइयों का स्पष्ट कहना है कि भक्त तेतर दास तो अपने पिता का दाह संस्कार करने निकले थे। भला वह अग्नि संस्कार को कैसे मना कर सकते थे। भक्त तेतर दास जी ने जनप्रतिनिधि व अन्य ग्रामीणों से अपने पिता के अग्नि संस्कार में शामिल होने की प्रार्थना की थी। संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताई गई गुरु मर्यादा में रहकर वह अंतिम संस्कार करना चाहते थे।
क्या मृत्युभोज गरीब और पवित्र शास्त्रों का अपमान नहीं है?
भक्त तेतर दास ने प्रार्थना की थी कि वह कर्ज में डूबे होने के कारण मृत्युभोज कराने में असमर्थ हैं। भक्त तेतर दास जी ने प्रार्थना करते हुए कहा था कि मृत्युभोज उनकी गुरुमर्यादा के भी खिलाफ है। मृत्युभोज देने में असमर्थता जताने के बाद ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधि व रिश्तेदारों के साथ मिलकर भक्त तेतर दास को पिता सीटा महतो के अंतिम संस्कार से वंचित किया।
SA News Fact Check [Hindi], Jharkhand News: दैनिक भास्कर जैसे जिम्मेदार समझे जाने वाले दैनिक ने बिना किसी जाँच पड़ताल के निराधार खबर छाप दी। एक लोकप्रिय समाचार पत्र दैनिक भास्कर द्वारा किया गया यह कृत्य निंदनीय हैं। यह मीडिया के लिए शर्मनाक घटना हैं। अखबार को चाहिए कि घटना के तथ्यों की संपूर्ण जांच करके ही खबर को प्रकाशित करें। अब इस मामले की जांच करके तथ्यों को उजागर कराए और सार्वजनिक तौर पर गरीब परिवार और उनके परमात्मा स्वरूप सतगुरु से अविलंब माफी मांगकर माफीनामा प्रकाशित करे।
एक सच्चे समाज सुधारक संत को बार बार निशाना बनाया जा रहा है
ऐसा कहते है कि आज तक जिस किसी ने भी समाज में फैली रूढ़िवादी, कुपरंपराओं के खिलाफ आवाज उठाई है, अक्सर उसकी आवाज को समाज के तानाशाहों ने किसी न किसी तरीके से दबाया है। आज ऐसा ही कुछ मीडिया के द्वारा जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के खिलाफ किया जा रहा है। संत रामपाल जी महाराज जी विश्व के एक मात्र ऐसे संत है जो समाज सुधार कार्यों में निरंतर प्रयत्नशील है। संत रामपाल जी महाराज जी की वजह से आज मानव समाज में नशा, चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, सामाजिक भेदभाव, मृत्युभोज, कर्मकांड, छुआछूत, दहेज जैसी अनेक कुरीतियों का अंत संभव हो पा रहा है। जो काम आज तक सरकार करने में असमर्थ है वह कार्य आज संत रामपाल जी महाराज जी बड़ी ही आसानी से कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज सदा से ही समाज सुधार के कार्यों में तत्पर है।
क्या पवित्र गीता के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना निष्फल है?
समाज में कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई हुई है कि संत रामपाल जी महाराज जी अग्नि संस्कार को वर्जित करते हैं। वास्तविकता में संत रामपाल जी महाराज जी अग्नि संस्कार को वर्जित नहीं करते। सभी अनुयाइयों को संत रामपाल जी महाराज जी के आदेश है कि अपने निजी रिश्तेदार की मृत्यु पर अग्नि संस्कार विधिवत करना है। परंतु कर्मकांड जैसे मृत्युभोज, तेरहवी, छः मासी, बरसोदी, श्राद्घ, पिता पूजा और पिंड दान आदि क्रिया नहीं करनी है। सभी कर्मकांड क्रियाएं शास्त्र सम्मत न होकर शास्त्र विरुद्ध है। अतः सभी व्यर्थ है।
इसका प्रमाण श्रीमदभगवद गीता के अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में लिखा है। जो लोग शास्त्र विरुद्ध साधना करते हैं, उन्हें न तो सुख की प्राप्ति होती है, न तो कोई लाभ होता है, न तो मोक्ष प्राप्त होता है, अर्थात सब व्यर्थ परंपरा है। यही कारण है कि संत रामपाल जी महाराज जी मृत्युभोज जैसी कुरीति और शास्त्रविरुद्ध साधना का खण्डन करते हैं। संत रामपाल जी महाराज ही आज एक ऐसे संत है जो सभी पवित्र धर्म ग्रंथों के गूढ़ रहस्यों को प्रमाण सहित उजागर कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज पवित्र वेद, श्रीमद भागवत गीता, पवित्र शास्त्रों के आधार पर सत भक्ति मार्ग बताते हैं, जिससे साधक को सांसारिक सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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