आज हम आप को Brahma Vishnu Mahesh Age (ब्रह्मा विष्णु महेश की उम्र कितनी है?) के बारे में hindi में विस्तार से बताएँगे. पूरी दुनिया ब्रह्मा, विष्णु, महेश को अमर मानती है। लेकिन गीता अध्याय 8 के श्लोक 16 में स्पष्ट है कि ब्रह्मलोक पर्यंत सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं अर्थात जन्मते मरते हैं। पर क्या आप जानते हैं इनकी उम्र कितनी है? आइए जानते हैं कि इन देवताओं की कितनी आयु है और सृष्टि में इनकी क्या स्थिति है।
कबीर, अक्षर पुरूष एक पेड़ है, क्षर पुरूष वाकी डार।
तीनों देवा शाखा है, पात रूप संसार।।
कबीर, हम ही अलख अल्लाह है मूल रूप संसार।
अनन्त कोटि ब्रह्मांडो का मैं ही सिरजनहार।।
कबीर परमेश्वर ने गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 को इन उपरोक्त दोनों दोहे में बताया है कि संसार एक वृक्ष रूपी है। इसकी मूल तो मैं स्वयं हूं यानि परम अक्षर पुरूष हैं तथा तना अक्षर पुरूष हैं। उस तने से मोटी डाल निकलती है जो क्षर पुरूष है। उस डाल से तीन शाखाएँ निकलतीं हैं। इन तीन शाखाओं को रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव जानो। उस शाखा पर लगे पत्ते संसार के प्राणी जानो, देखें संसार वृक्ष का चित्र ( चित्र संलग्न करें )
श्रीमद्भागवत गीता में तीन पुरुष कौन-कौन हैं?
गीता अध्याय 8 के श्लोक संख्या 8 से 10 मेंं वर्णन है कि जो साधक पूर्ण परमात्मा की सतसाधना शास्त्रविधि के अनुसार करता है वह भक्ति की कमाई के बल से उस पूर्ण परमात्मा को प्राप्त होता है अर्थात् उसके पास चला जाता है। गीता में तीन प्रभु बताए गए ब्रह्म – परब्रह्म – पूर्णब्रह्म।
ब्रह्म (क्षर पुरुष/ ज्योतिनिरंजन/काल ब्रह्म)
यह अव्यक्त रूप में रहने वाला प्रभु है। गीता अध्याय 7 के श्लोक 24-25 में गीता ज्ञानदाता अपने विषय मे कहता है कि मूर्ख प्राणी समुदाय मुझ अव्यक्त को कृष्ण में प्रकट हुआ मान रहा है। मैं अपनी योग माया से छिपा रहता हूं।
परब्रह्म (अक्षर पुरुष)
(अक्षर पुरुष/अक्षर ब्रह्म) गीता अध्याय 8 श्लोक 18-19 में परब्रह्म का वर्णन है।
पूर्ण ब्रह्म (परम अक्षर ब्रह्म)
(परम अक्षर ब्रह्म/ परमेश्वर/ सतपुरुष/ कविर्देव/ कबीर) परम् अक्षर ब्रह्म कविर्देव अमर और अविनाशी परमात्मा हैं। सर्वोच्च सत्ता के स्वामी कविर्देव सदा से विद्यमान हैं। परमेश्वर कविर्देव की जन्म मृत्यु नहीं होती। गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 तथा अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में गीता ज्ञान दाता ने परम अक्षर ब्रह्म , अविनाशी परमात्मा के बारे में कहा है।
श्रीमद् देवी भागवत (गीताप्रेस गोरखपुर), तृतीय स्कंद, पृष्ठ 114 -115 मे स्पष्टीकरण मिलता है कि ब्रह्म (काल/क्षर पुरूष) माँ दुर्गा (प्रकृति देवी/आदिमाया/अष्टांगी/शेरांवाली) के पति है
Brahma Vishnu Mahesh Age-सर्व प्रभुओं की आयु मानव वर्ष अनुसार
चाहे कितनी भी अधिक आयु क्यों न हो अंततः पूर्ण अविनाशी परमेश्वर के अतिरिक्त सभी देवता भी मरेंगे। यदि सतगुरु से भेंट हो जाये तो सतलोक पहुँचेंगे जो अमर स्थान है जहां जन्म-मृत्यु नहीं होती है। आइए जानें सभी प्रभुओं की आयु कितनी है। सबसे पहले चारों युगों की आयु जान लें जो कि निम्न प्रकार है:
- सतयुग की आयु = 1728000 (17 लाख 28 हजार) वर्ष
- द्वापर युग की आयु = 1296000 (12 लाख 96 हज़ार) वर्ष
- त्रेता युग की आयु = 864000 (8 लाख 64 हज़ार) वर्ष
- कलयुग की आयु = 432000 (4 लाख 32 हज़ार) वर्ष
- इस तरह एक चतुर्युग में = 4320000 (43 लाख 20 हजार) वर्ष होते हैं।
Brahma Vishnu Mahesh Age Hindi-सभी प्रमुख देवताओं की आयु
- इंद्र- 72 चतुर्युग या 1 मन्वन्तर
- शची- 1008 चतुर्युग या एक कल्प (इतने समय मे 14 इन्द्रों का जीवन समाप्त हो जाता है )
- ब्रह्मा जी – 72000000 (सात करोड़ बीस लाख) चतुर्युग
- विष्णु जी- 504000000 (पचास करोड़ चालीस लाख) चतुर्युग
- शिवजी- 3528000000 (तीन अरब बावन करोड़ अस्सी लाख) चतुर्युग
- क्षर पुरुष/ काल ब्रह्म काल- 70 हजार शिव जी के बराबर आयु
- परब्रह्म – काल के एक जीवन के बराबर एक युग और ऐसे हजार युगों का एक दिन बनता है परब्रह्म का। ऐसे दिनों से बने 100 वर्षों की आयु परब्रह्म की होती है।
पूर्णब्रह्म कविर्देव- अमर अविनाशी जिसकी कभी मृत्यु नहीं होती।
Brahma Vishnu Mahesh Age गणित की रीति से
एक ब्रह्मा जी की आयु 100 वर्ष की है। ब्रह्मा का एक दिन = 1000 (एक हजार) चतुर्युग तथा इतनी ही रात्रि। दिन-रात = 2000 (दो हजार) चतुर्युग.
(नोट- ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इन्द्रों का शासन काल समाप्त हो जाता है। एक इंद्र का शासन काल बहत्तर चतुर्युग का होता है। इसलिए वास्तव में ब्रह्मा जी का एक दिन (72 गुणा 14) = 1008 चतुर्युग का होता है तथा इतनी ही रात्रि, परन्तु इस को एक हजार चतुर्युग मानकर चलते हैं।) महीना = 30 गुणा 2000 = 60000 (साठ हजार) चतुर्युग. वर्ष = 12 गुणा 60000 = 720000 (सात लाख बीस हजार) चतुर्युग की।
Brahma Vishnu Mahesh Age in Hindi
- ब्रह्मा जी की आयु
720000 गुणा 100= 72000000 (सात करोड़ बीस लाख)चतुर्युग की।
- विष्णु जी की आयु ब्रह्मा जी से सात गुणा अधिक है
अर्थात 72000000 गुणा 7 = 504000000 (पचास करोड़ चालीस लाख)चतुर्युग की आयु।
- विष्णु से सात गुणा शिव जी की आयु
504000000 गुणा 7 = 3528000000 (तीन अरब बावन करोड़ अस्सी लाख) चतुर्युग शिव जी की आयु है।
काल ब्रह्म की मृत्यु कब होती है
ऐसी आयु वाले सत्तर हज़ार शिव भी मर जाते हैं तब एक ज्योतिनिरंजन /काल ब्रह्म की मृत्यु होती है। पूर्ण परमात्मा द्वारा निर्धारित किये गए समय पर ब्रह्मांड में महाप्रलय होती है। यह (सत्तर हजार शिव की मृत्यु अर्थात एक ज्योतिनिरंजन कि मृत्यु होती है) एक युग होता है। परब्रह्म का एक दिन ऐसे एक हजार युग का होता है और इतनी ही रात्रि होती है।
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तीस दिन रात का एक माह और बारह महीनों का परब्रह्म का एक वर्ष हुआ और सौ वर्ष परब्रह्म की आयु है। परब्रह्म की भी मृत्यु होती है। ब्रह्म अर्थात ज्योतिनिरंजन की मृत्यु परब्रह्म के एक दिन के पश्चात होती है। परब्रह्म के सौ वर्ष पूर्ण होने के पश्चात एक शंख बजता है और सर्व ब्रह्मांड नष्ट हो जाते हैं। केवल सतलोक व ऊपर के तीन लोक ही शेष बचते हैं।
परम् अक्षर ब्रह्म कविर्देव
अध्याय 8 के श्लोक 20 में कहा है कि वह सर्व प्राणियों के नष्ट हो जाने पर भी नष्ट नहीं होता। सभी परमेश्वर कविर्देव की ही सन्तानें हैं। ये अमर लोक सतलोक में निवास करते हैं। तथा हम सभी आत्माएं अपने परमपिता कविर्देव के साथ अमर लोक में अमर शरीर के साथ निवास करती थीं। गलती से काल ब्रह्म के जाल में फंसकर आ गईं। अब वापस जाना केवल तत्वदर्शी सन्त के माध्यम से ही सम्भव है।
कबीर साहेब द्वारा सृष्टि रचना के विषय मे दिया ज्ञान
कबीर साहेब जो प्रत्येक युग मे अपनी प्यारी आत्माओं को समझाने आते हैं कि सतभक्ति करके उस सतलोक में चलो जहां जाने के पश्चात कभी आना नहीं होगा। साथ ही कबीर साहेब इन प्रभुओं की आयु की ओर संकेत करते हुए कहते हैं
एती उमर बुलन्द मरेगा अंत रे |
क्योंकि सतगुरु लगे न कान न भेंटे सन्त रे ||
अर्थात कितनी भी लम्बी आयु हो पर इन देवताओं को अंततः मरना है और पुनः सृष्टि करनी है। केवल सतगुरु ही मोक्ष दिलवा सकता है। विचार करें इन देवताओं को भी मोक्ष का अवसर प्राप्त नहीं है। ब्रह्मा विष्णु, महेश मृत्योपरांत 84 लाख योनियों में चक्कर काटते हैं। इंद्र और शची भी मृत्यु के पश्चात गधे का जन्म लेते हैं। जब इन प्रभुओं की भी जन्म मृत्यु होती है फिर तो हम यहाँ कर्मदण्ड भोगने वाले काल लोक में साधारण जीव हैं।
Read in English: Age of Hindu gods (Deities) by Saint Rampal Ji: Who is the Immortal God?
हमारा जन्म मरण ये देवता कभी बंद नहीं कर सकते और न वे स्वयं का कर सकते हैं। सतगुरु यानी तत्वदर्शी सन्त के मिलने से ही पुनः सर्व सुखदायक, अविनाशी और सुंदर लोक में जाना सम्भव है। इन सभी लोकों का जन्म और मरण चलता रहता है। केवल सतलोक व ऊपर के तीनों लोक अगम लोक, अलख लोक, अनामी लोक ही शेष रहते हैं क्योंकि ये परम् अविनाशी लोक हैं। सतलोक गये जीव फिर जन्म -मरण में नहीं आते है। कबीर साहेब कहते हैं-
जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी |
असंख्य युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी ||टेक||
कोटि निरंजन हो गए,परलोक सिधारी |
हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी ||
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया |
सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया ||
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी |
देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी ||
नहीं बूढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी |
कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी ||
इस प्रकार कविर्देव परमात्मा ने कहा है कि अंसख्य युग प्रलय में चले गए लेकिन मैं अमर हूँ। करोड़ों ज्योति निरंजन मर गए लेकिन मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् मैं वास्तव में अमर अविनाशी पुरुष कविर्देव हुँ।
पूर्ण परमात्मा को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
गीता अध्याय 8 के श्लोक 22 में गीता ज्ञानदाता कहता है कि पार्थ ! जिस परमात्मा के अंतर्गत सभी प्राणी आते हैं तथा जिस परमात्मा से ये जगत परिपूर्ण है वह परम् पुरुष अनन्य भक्ति से प्राप्त होने योग्य है। गीता के अध्याय 4 श्लोक 34 में तत्वदर्शी सन्त खोजने और उसे दण्डवत प्रणाम करके ज्ञान अर्जित करने हेतु कहा है तथा गीता अध्याय 15 में तत्वदर्शी सन्त की पहचान बताई है। तत्वदर्शी सन्त द्वारा बताई भक्ति और नामजाप से ही इस लोक से परे निज, अविनाशी और सुखदायक लोक जाया जा सकता है।
वर्तमान में कौन है तत्वदर्शी सन्त की भूमिका में?
आज इस रहस्यमयी आध्यात्मिक तत्त्व ज्ञान को केवल जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। जो कि इस समय पूरी पृथ्वी पर एकमात्र तत्वदर्शी संत की भूमिका में हैं। सन्त रामपाल जी महाराज ही एकमात्र पूर्ण सतगुरु है जो सभी धर्मों के पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित तत्त्व ज्ञान को बता रहे हैं। पूर्ण गुरु से नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहते हुए आजीवन सतभक्ति करने से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष मिलता है। सतभक्ति अति आवश्यक है क्योंकि सतभक्ति बिना मोक्ष असम्भव है।
मानव जीवन में सतभक्ति नहीं की तो चौरासी लाख योनियों में महाकष्ट उठाना पड़ता है क्योंकि काल लोक का यही नियम है यहाँ तक कि देवता भी अपने सुख भोगने और पुण्यों की समाप्ति के पश्चात 84 लाख योनियों में कष्ट उठाते हैं। सन्त रामपाल जी महाराज वेदों के अनुसार प्रमाणित ज्ञान देते हैं व परम् अक्षर ब्रह्म कविर्देव की भक्ति बताते हैं। यह मानव शरीर पल भर का है गरीबदासजी महाराज जी कहते हैं-
जैसे मोती ओस का ऐसी तेरी आव,
गरीबदास कर बन्दगी बहुर न ऐसा दाव |
अर्थात मानव जीवन ओस की बूंदों के समान क्षणिक है। बेहतर है मानव जीवन के इस उद्देश्य को समझा जाये और भक्ति की जाए अन्यथा युगों युगों के लिए बात बिगड़ जाएगी। अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग और स्वयं ज्ञान समझकर नामदीक्षा लें और अपना कल्याण करवाएं।
रोजाना इन चैनलों पर सत्संग प्रसारित होते हैं
- साधना चैनल पर शाम 07:30 बजे
- ईश्वर चैनल पर सुबह 6:00 बजे
- श्रध्दा चैनल पर दोपहर 02:00 बजे
पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश प्राप्त करके मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हमेशा रक्षा करते हैं। और अपने साधक को आवश्यक सुख प्रदान करते हैं। इसलिए आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।