HomeHindi NewsBal Gangadhar Tilak : सत्य मार्ग पर चलने की मिली बाल गंगाधर...

Bal Gangadhar Tilak [Hindi]: सत्य मार्ग पर चलने की मिली बाल गंगाधर तिलक को सजा

Date:

Updated on 22 July 2023 IST: Bal Gangadhar Tilak [Hindi]: हिंदू राष्ट्रवाद के पिता बाल गंगाधर तिलक भारत के उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने अपने वतन के लिए अपना जीवन समर्पित किया था। तिलक का नाम बहुत ही आदर- सम्मान के साथ लिया जाता है। वह भारत के बहुत बड़े समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका मनोबल, तीव्रता, दिनचर्या, मर्यादा बहुत ही दुर्लभ थी । बाल्यकाल में उन्हें देख लोग कहते थे कि यह बालक कितना संयम मर्यादा में रहता है। आज जानेंगे ऐसी महान प्रतिभा के बारे में और तुलना करेंगे आज की विशिष्ट सत्यनिष्ठ प्रतिभा से । पाठकों को स्मरण रहे आज भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक और महान सपूत चंद्रशेखर आजाद की जयंती भी मनाई जा रही है।

Bal Gangadhar Tilak Jayanti [Hindi]: मुख्य बिंदु

  • तिलक ने नारा दिया ‘स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।’
  • प्रसिद्ध जोड़ी लाल-बाल-पाल में से एक बाल गंगाधर तिलक
  • राष्ट्रवाद के पिता कहे जाने वाले बाल गंगाधर तिलक जी का जन्मदिन आज
  • अपना जीवन परिश्रम और जनसेवा में लगाने वाले तिलक ने किए समाज सेवा से जुड़े कार्य
  • गुलामी के दिनों में आगे आकर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध बजाया बिगुल
  • सार्वजनिक गणेश उत्सव के बहाने लोगों को एकत्रित कर जागरूकता फैलाने की शुरुआत की
  • लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना गया उन्हें
  • उनके लेख को लेकर उन्हें जेल भी भेजा गया था और जेल में लिखे कई लेख और पुस्तकें
  • बालगंगाधर तिलक ने की समाज सेवा तब और आज के भारत में अंतर
  • बालगंगाधर का सपना सच होगा केवल सन्त रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से
  • सतभक्ति और तत्वज्ञान सफल मानव जीवन की कुंजियाँ हैं

तिलक (Bal Gangadhar Tilak) का जन्म कब और कहाँ हुआ

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन नामक गांव में हुआ था। इनके पिता जी का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था जो कि एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) के बचपन का नाम केशव था। इनके जन्म के समय इनकी माता बहुत दुर्बल हो गयी थी। जन्म के काफी समय बाद ये दोनों स्वस्थ हुए। यही नाम इनके दादा जी (रामचन्द्र पंत) के पिता का भी था इसलिये परिवार में सब इन्हें बलवंत या बाल कहते थे, अतः इनका नाम बाल गंगाधर पड़ा। इनका बाल्यकाल रत्नागिरि में व्यतीत हुआ था।

बाल तिलक (Bal Gangadhar Tilak) ने हमेशा दिया समय को महत्व

वह बड़े बलवान थे और दिनचर्या के अनुसार ही कार्य करते थे । गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) जी के परिश्रम के अनुसार शाला के मेधावी छात्रों में गिनती होती थी। उन्होंने बीए तथा कानून की परीक्षा पूरी की और बहुत ही अच्छे नंबर से उत्तीर्ण हुए । सभी को आशा थी कि तिलक वकालत कर धन कमाएंगे और वंश के गौरव को बढ़ाएंगे। आध्यात्मिकता से ओतप्रोत तिलक ने प्रारंभ से ही जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया था। यहाँ तिलक से यह सीख लें कि बचपन से आध्यात्मिक ज्ञान लेने से जीवन की प्राथमिकताओं को निर्धारित करने में सहायता मिलती है । अतः शीघ्र ही तत्वदर्शी संत की शरण में जायें।

शिक्षा स्तर सुधारने के लिए की दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना

रत्नागिरी में गांव से निकलकर आधुनिक कालेज में शिक्षा पाने वाले पहले युवा थे। उन्होंने अपनी शिक्षा के बाद केवल सेवा भाव रखा । कुछ समय तक विद्यालयों में गणित पढ़ाया। अंग्रेजी शिक्षा के आलोचक तिलक मानते थे कि यह भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर सिखाती है। बाल गंगाधर तिलक ने शिक्षा स्तर सुधारने के लिए दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की ।

लोकमान्य तिलक (Lokmanya Tilak) के नाम से प्रसिद्ध हुए

सभी के प्रिय बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) को “लोकमान्य” उपाधि से लोगों ने अलंकृत किया । लोकमान्य का अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत किया गया नेता। बाल गंगाधर तिलक सुनने वाले के भीतर देश के प्रति भक्ति उमड़ ही जाती थी । प्रसिद्ध जोड़ी लाल-बाल-पाल में से एक बाल गंगाधर तिलक हमेशा अंग्रेजी नियमों और कानूनों के खिलाफ थे । उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक करीबी संधि बनाई थी । जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्ना शामिल थे।

गंगाधर तिलक के लेख

बाल गंगाधर तिलक ने इंग्लिश में मराठा दर्पण व मराठी में केसरी नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए जो बहुत ही जल्द जनता में लोकप्रिय हो गए। तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की। उन्होंने अंग्रेजी सरकार की सच्चाई जन जन तक पहुंचाने की हमेशा कोशिश की । इन्होंने मांग की कि ब्रिटिश सरकार तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। वे अपने अखबार केसरी में अंग्रेजों के खिलाफ काफी आक्रामक लेख लिखते थे। इन्हीं लेखों की वजह से उनको कई बार जेल भेजा गया।

जो सच्चाई के मार्ग पर कार्य करता है उसपर अत्याचार हमेशा होता है।

तिलक (Bal Gangadhar Tilak) की लिखी कुछ पुस्तकें

उन्होंने जेल में रहने के दौरान कई पुस्तकें लिखीं मगर श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या को लेकर मंडले जेल में लिखी गयी गीता-रहस्य सर्वोत्कृष्ट है, ये पुस्तक इतनी प्रसिद्ध हुई कि इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। अन्य पुस्तकें हैं

  • वेद काल का निर्णय
  • आर्यों का मूल निवास स्थान
  • गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र
  • वेदों का काल-निर्णय और वेदांग ज्योतिष

आखिरी समय तक रहे जनहित में समर्पित

तिलक ने क्षेत्रीय सरकारों में कुछ हद तक भारतीयों की भागीदारी की शुरुआत करने वाले सुधारों को लागू करने के लिए सलाह अवश्य दी कि वे उनके सहयोग की नीति का पालन करें। लेकिन नए सुधारों को निर्णायक दिशा देने से पहले ही 1 अगस्त 1920 ई. को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मौत पर श्रद्धाञ्जलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रान्ति का जनक कहा था।

सत्य मार्ग पर चलने से मिली तिलक को सजा

एक विद्यार्थी की गलती के कारण जब पूरी कक्षा को सजा दी रही थी तो विद्यार्थी बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) द्वारा सजा स्वीकार करने से इनकार करने के कारण उन्हें विद्यालय से निकालकर प्रशासन ने असत का साथ दिया । इसी प्रकार से सत्यमार्ग की राह दिखाने वाले, सत भक्ति शिक्षा देने वाले कबीर साहेब को कई बार यातनाएं झेलनी पड़ी। कबीर साहेब और गरीबदास जी महाराज की गुरु प्रणाली के तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज को तो सत के मार्ग को प्रशस्त करने के अपराध में दूसरी बार जेल में भेजा गया है।

यह भी पढें: Hariyali Teej-लोक मान्यताओं पर आधारित है हरियाली तीज 

यह सत – असत के बीच की लड़ाई लंबी है । समाज प्रत्येक दिन महसूस करता है कि सत्य वादी लोगों को काल माया के लोक में प्रताड़नाओं को सहना पड़ता है । कई बार ऐसे सत्य वादियों के साथ रहने वाले उनके प्रति होने वाले असंवेदन शील व्यवहार के कारण सत्य पथ को छोड़ने तक को तैयार हो जाते हैं । संत रामपाल जी महाराज कबीर साहेब को उद्घृत करते हुए बताते है जिसके हृदय में सत्य है मानों साक्षात परमात्मा विधमान है ।

साँच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप ।
जांके हृदय साँच है, ताके हृदय आप ॥

सत्य की राह पर चलने वाले को सजा मिलती है, काल माया के इस लोक में

बाल गंगाधर को अपने मुखपत्र केसरी में सत्य लिखने के कारण देशद्रोह के आरोप में 6 साल के लिए जेल भेज दिया गया। जेल में उन्‍होंने पुस्तक “गीता रहस्‍य” लिखी, रिहा होते समय नारा दिया ‘स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।’ शायद जेल भी महापुरुषों के जीवन का महत्वपूर्ण अंग है ।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने जेल में रहते पूरे भारतवर्ष में ही नहीं अपितु विश्वभर के अनेकों देशों में सत भक्ति की अटूट धारा का प्रवाह किया । अनेकों श्रद्धालुओं ने संत रामपाल जी महाराज के सत्संग श्रवण किये, उनकी पुस्तकें पढ़ीं और उनसे नामदान ग्रहण किया । संत रामपाल जी ने बीड़ा उठाया है कि काल के लोक में फंसी पुण्यात्माओं को छुटवाकर रहूँगा । गुरु दक्षिणा में सतगुरु सभी अज्ञानताओं जैसे नशावृत्ति, असत, जुआवृत्ति, परनारी गमन इत्यादि वासनाओं को छोड़ने का वचन लेते हैं और दीक्षा दान में सतभक्ति देते हैं ।

हम कैसे अपना कल्याण कराएं ?

हमें तिलक से सीख लेनी चाहिए कि किसी भी कार्य में सफल होने के लिए हमारे अंदर उनकी जैसी दृढ़ता, स्पष्टता, निर्भयता, वीरता हो। संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संग में बताया है कि सत्य भक्ति को करने के लिए भी मनुष्य को जाति, वर्ण कुल के अभिमान, काम, क्रोध, लालच जैसी वृत्तियों को त्याग कर शूरवीर की तरह सत भक्ति को निर्भय होकर करना चाहिए

कबीर, कामी क्रोधी लालची, इनपै भक्ति ना होय |
भक्ति करे कोई सूरमा, जाति वर्ण कुल खोय ||

सभी सत्य को जानने की अभिलाषा रखने वाले तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर गुरु मर्यादा में रहकर सतभक्ति करें और इस जीवन के साथ – साथ पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति करें ।

SA NEWS
SA NEWShttps://news.jagatgururampalji.org
SA News Channel is one of the most popular News channels on social media that provides Factual News updates. Tagline: Truth that you want to know

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

World Teachers’ Day 2023: Find an Enlightened Teacher to Unfold the Mystery of Birth & Death

The World Teachers' Day presents the chance to applaud the teaching profession worldwide. Know its Theme, History, Facts along with the Enlightened Teacher.

World Animal Day 2023: How Many Species of Animals Can Be Saved Which Are on the Verge of Extinction?

Every year on 4 October, the feast day of Francis of Assisi, the patron saint of animals, World Animal Day, or World Animal Welfare Day, is observed. This is an international action day for animal rights and welfare. Its goal is to improve the health and welfare of animals. World Animal Day strives to promote animal welfare, establish animal rescue shelters, raise finances, and organize activities to improve animal living conditions and raise awareness. Here's everything you need to know about this attempt on World Animal Day which is also known as Animal Lovers Day. 

2 अक्टूबर: “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की जयंती

लालबहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri Jayanti) का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 में ताशकंद, सोवियत संघ रूस) में बहुत ही रहस्यमई तरीके से हुई थी। शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु के समय तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा।