March 27, 2025

सतलोक क्या है?

Published on

spot_img

सत यानि कि अविनाशी, लोक यानी कि रहने का स्थान। सतलोक वह स्थान है जिसका कभी नाश नहीं होता। वह अविनाशी है। इसकी रचना कबीर परमात्मा द्वारा की गई है। कबीर परमात्मा समय समय पर अपनी प्यारी आत्माओं को मिलते हैं तथा उन्हें सतलोक दिखाकर वापिस छोड़ जाते हैं। इस कलियुग में जिन जिन को परमात्मा मिले उनके शुभ नाम है आदरणीय गरीबदास साहेब जी, आदरणीय नानक साहिब जी, आदरणीय दादू साहिब जी, आदरणीय धर्मदास साहेब जी। इन सभी महापुरुषों ने अपनी अमृतवाणी में तथा कबीर सागर में सतलोक के बारे में जो वर्णन दिया है वह इस प्रकार है:-

सतलोक कैसा है ?

सतलोक स्वप्रकाशित है, वहाँ सभी चीज़े नूर तत्व से बनी हैं। वहाँ दूध, दही की नदियां बहती है। वहाँ हर एक खाद्य पदार्थ मौजूद है। सतलोक में जल अमृत है। वह ऐसा अद्भुत स्थान है जहां कोई भी पदार्थ खराब नही होता तथा जीवो को ना तो कभी बुढ़ापा आता है ना ही मृत्यु होती है। सतलोक सुख सागर है। सतलोक में परमात्मा कबीर जी सत्पुरुष रूप में बहुत बड़े गुम्बज के नीचे विराजमान है। वहां पर उनके एक रोम कूप की शोभा, करोड़ चंद्रमा तथा करोड़ सूरज के प्रकाश से भी ज़्यादा है।

वहाँ रहने वाले मनुष्यों को हंस कहा जाता है, उनके शरीर का प्रकाश भी 16 सूर्यों जितना है। वहां पर नर नारी की ऐसी ही सृष्टि है लेकिन वहाँ किसी भी चीज़ का अभाव नहीं है। वहाँ काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तथा 3 गुण जीव को दुखी नहीं करते। सतलोक में किसी भी प्रकार का कोई दुख नही है अर्थात उसे सुखमय स्थान भी कहते हैं। वहां पर हर एक जीव का अपना महल है तथा अपना विमान है। वह भी बहुत सुंदर तथा हीरे, पन्नों से जड़े हुए हैं। वहाँ श्वासों से शरीर नही चलता। वहाँ जीव अमर है।

Spiritual Leader

सतलोक कहां है ?

सतलोक इस काल लोक से 16 संख कोस की दूरी पर ऊपर है। सतलोक के ऊपर 3 लोक और है, अगम लोक,अलख लोक तथा सबसे ऊपर अनामी लोक। इन तीनों लोकों में परमात्मा अपने अलग-अलग रूप में विराजमान है।

सतलोक में परमात्मा ने सर्वप्रथम 16 द्वीप बनाएं उसके बाद 16 पुत्रों की उत्पत्ति की। इसके बाद अक्षर पुरुष तथा क्षर पुरुष(काल/ ज्योत निरंजन) की उत्पत्ति हुई तथा उसके बाद हम सभी जीवो की उत्पत्ति परमात्मा ने सतलोक में की थी। हम ने वहां पर गलती की थी कि हम परमात्मा कबीर जी जो कि हमारे जनक हैं, उनको छोड़कर काल क्षर पुरुष/ ज्योति निरंजन पर आसक्त हो गए। परमात्मा ने हमसे रुष्ट होकर हमें जोत निरंजन के साथ भेज दिया।
काल ने 70 युग तक एक पैर पर खड़े होकर तप किया जिसके फलस्वरूप उसे परमात्मा ने उसे 21 ब्रह्मांड दे दिए। दोबारा 70 युग तके तप करने पर परमात्मा ने उसे पांच तत्व और तीन गुण दिए। इतने से भी असंतुष्ट जोत निरंजन ने 64 युग तक तप फिर किया जिसके फलस्वरूप उसने परमात्मा से कुछ आत्माएं उसके ब्रह्मांड में रहने के लिए मांगी। तो परमात्मा ने उसे कहां की जो आत्मा तेरे साथ जाना चाहती हैं वह जा सकती है। जब वह तप करता था तो हम सभी वहां इस पर आसक्त हो गए। जिन भी आत्माओं ने दोनों हाथ उठाकर काल के साथ आने की स्वीकृति दी वह इसके साथ आ गई यहां 21 ब्रह्मांड में 84 लाख योनियों के चक्कर मे पड़ी है।

सतलोक कैसे पहुंचेंगे ?

काल निरंजन ने हम आत्माओं पर कर्म लगा दिए, जिससे वह हमें बहुत दुखी करता है। काल को एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर से निकले गंध को खाने तथा सवा लाख मानव रोज उत्पन्न करने का श्राप लगा है। काल ने हमें यहां अलग अलग धर्मों तथा जातियों में बांट दिया जिससे कि हम आज एक दूसरे के ही दुश्मन बने बैठे हैं। सिर्फ मनुष्य जन्म में ही हम परमात्मा प्राप्ति कर सकते हैं इसलिए मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य भक्ति करना ही बताया गया है।
यहां से सतलोक वापिस अपने मालिक के पास वापस जाने का सिर्फ एक ही जरिया है, सतगुरु। वर्तमान समय में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण सतगुरु है जो कि जीव को पूर्ण मोक्ष देने के अधिकारी है। रामपाल जी महाराज ने सर्व धर्म के शास्त्रों से यह प्रमाणित करके बताया है कि कबीर ही परमात्मा है जो कि हम सभी आत्माओं के जनक है इसलिए अब हमें संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर पूर्ण ज्ञान को समझ कर सत्यभक्ति करके वापस सतलोक जाने का प्रयत्न करना चाहिए।

Latest articles

spot_img

More like this

Eid al-Fitr 2025: Can Eid al-Fitr Lead to Salvation? A Deeper Truth About Eid

Last Updated on 26 March 2025 IST | Eid al-Fitr 2025: Eid is the...

Hindu Nav Varsh 2025 [Hindi]: तत्वदर्शी संत से सतभक्ति प्राप्त कर, करें नववर्ष का प्रारंभ

Last Updated on 23 March 2025: Hindu Nav Varsh 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार...