Tarun Gogoi News: असम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का गत दिवस सोमवार दिनांक 23 नवंबर को निधन हो गया है। जानिए तत्वज्ञान से कैसे हो सकती है मुक्ति।
तरुण गोगोई का निधन (Tarun Gogoi News): मुख्य बिंदु
● असम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का 84 वर्ष की आयु में निधन
● शनिवार रात से हुआ था स्वास्थ्य गम्भीर
● विभिन्न नेताओं ने ट्वीट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्त की संवेदना
● नर धोखे धोखे लुट गया आ गई अंत घड़ी
तरुण गोगोई का 84 वर्ष की आयु में निधन
असम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का निधन 84 वर्ष की आयु में बेहद नाजुक स्थिति के चलते हो गया। उन्हें 2 नवम्बर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार को उनकी हालत बिगड़ने पर वेंटिलेटर पर रखा गया था। 25 अगस्त को वे कोरोना से संक्रमित पाए गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था 25 अक्टूबर को उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई थी।
Former Assam CM and Congress leader Tarun Gogoi ( in file photo) passes away in Guwahati, announces state health minister Himanta Biswa Sarma pic.twitter.com/UBn3AS2CEF
— ANI (@ANI) November 23, 2020
Tarun Gogoi News: सभी शारीरिक अंगों ने कर दिया था काम करना बंद
गोगोई के पुत्र के साथ मौजूद असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमन्त विस्व सरमा ने बताया था कि पूर्व मुख्यमंत्री की हालत बेहद नाजुक है। उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया है व दिमाग को कुछ संकेत मिलने के साथ केवल पेसमेकर लगाने पर दिल काम कर रहा था। वे पूरी तरह जीवन रक्षक उपकरणों पर निर्भर थे। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया था कि रविवार को छह घण्टों तक लगातार उनका डायलिसिस हुआ था।
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Tarun Gogoi News: असम के मुख्यमंत्री ने किया डिब्रूगढ़ का दौरा बीच में ही रद्द
असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल को जैसे ही गोगोई के स्वास्थ्य की गम्भीर स्थिति का पता चला वे डिब्रूगढ़ के दौरे को बीच मे रद्द कर गुवाहाटी लौट आए। सोनोवाल ने गोगोई को पिता के समान बताया।
केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहे गोगोई
वे लगातार तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे उनका कार्यकाल 2001 से 2016 तक था। इससे पहले वे लंबे समय केन्द्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
नर धोखे धोखे लुट गया
परिवार, धन, पद आदि के पीछे व्यक्ति भागता रहता है। इन सभी चीज़ों के लिए वह अपने समय और जीवन को खर्च करता है किंतु अंततः उसके कर्म ही साथ होते हैं। वस्तुतः यह सुनने को मिलता ही रहता है कि संसार मिथ्या है, उसके बाद भी माया जोड़ने की चाहत और परिवार का मोह नहीं छूटता। वास्तव में यह छूट भी नहीं सकता बिना तत्वज्ञान और बिना तत्वदर्शी संत के।
जैसे पानी ओस का, ऐसी तेरी आव |
गरीबदास कर बन्दगी, बहुर न ऐसा दाव ||
नर कैसे लुटता है?
मनुष्य यह पूरी तरह भूल चुका है कि उसका जन्म मोक्ष प्राप्ति के लिए हुआ है। मृत्योपरांत न केवल आत्मा का शरीर छूटता है बल्कि वह अपने कर्मों के अनुसार दूसरे शरीर या दूसरी योनियों में प्रविष्ट कर दिया जाता है और यही इस काल लोक का नियम है। सभी नियम नियत हैं और इनके आधार पर निर्णय होता है।
तत्वदर्शी संत जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाएँ
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